
- निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की रिपोर्ट में खुलासा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के मौजूद 53 में से 32 निजी विश्वविद्यालयों में कुलगुरु (वाइस चांसलर) की नियुक्ति में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। इस खुलासे के बाद से निजि विवि प्रबंधनों में हडक़ंप मच गया है। ऐसे में अब इन विवि प्रबंधन को अपने यहां नए कुलगुरु की नियुक्ति करनी पड़ेगी। अहम बात यह है कि 32 में से 18 विश्वविद्यालयों के प्रबंधन ने यह स्वीकार भी कर लिया है कि उनके कुलगुरु यूजीसी के मापदंडों पर खरा नहीं उतरते हैं। इसकी वजह से ऐसे विवि अब कार्यवाहक कुलगुरु के भरोसे काम चलाकर नए कुलगुरु की तलाश की जा रही है। उधर, निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने इनमें से आठ विश्वविद्यालयों में नए कुलगुरु की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासन को पत्र तक लिख दिया है। उधर, आयोग द्वारा जिन विवि में कुलगुरु की की नियुक्ति मानदंडों के अनुरूप नहीं पाए जाने की बात कही गई है, उनमें से 13 विश्वविद्यालय अभी भी आयोग से सहमत नहीं है, बल्कि वे अपना पक्ष रखने के लिए दस्तावेजों की उपलब्धता पर अउ़े हुए हैं। इसका खुलासा तीन माह पहले तब हुआ था, जब आयोग ने इन सभी विश्वविद्यालयों कराई थी। सितंबर में आयोग ने इन विश्वविद्यालयों को नियमों के तहत योग्य कुलगुरु नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। जांच में पाया गया कि कई विश्वविद्यालयों ने नियमों की अनदेखी करते हुए ऐसे व्यक्तियों को कुलगुरु नियुक्त कर दिया, जिनके पास बतौर प्रोफेसर 10 वर्षों का शैक्षणिक अनुभव ही नहीं था। जांच में यह भी सामने आया कि अधिकांश विश्वविद्यालयों के पास स्पष्ट प्रमाण पत्र और दस्तावेज नहीं थे, जिससे यह साबित हो सके कि उनके कुलगुरु नियमों के अनुसार योग्य थे।
चयन कमेटी में शासन का भी होगा एक सदस्य
अब आयोग ने यह तय किया है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय की वीसी चयन कमेटी में शासन का एक नामित सदस्य होगा, जबकि दो सदस्य विश्वविद्यालय से होंगे। आयोग ने प्रदेश के आठ विश्वविद्यालयों में नए कुलगुरु की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए शासन से पत्राचार कर सदस्य नियुक्त करने का अनुरोध किया है।
भोपाल के आधा दर्जन विवि में बदलेंगे कुलगुरु
आयोग के खुलासे के बाद भोपाल के आधा दर्जन और इंदौर के दो विश्वविद्यालयों ने यह स्वीकार कर लिया है कि उनके कुलगुरु यूजीसी के मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं। इनमें से तीन विश्वविद्यालयों में कुलगुरु बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं, तीन अन्य विश्वविद्यालयों को प्रारंभिक दो सालों तक अपनी पसंद के अनुसार कुलगुरु रखने की छूट थी, लेकिन अब उन्हें भी नए कुलगुरु की नियुक्ति करनी होगी।
विधानसभा में भी उठ चुका है मामला
इस मामले पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधानसभा में बताया कि परीक्षा समिति की अनुशंसा पर विनियामक आयोग ने मापदंडों के विपरीत नियुक्त कुलगुरु की नियुक्ति को अमान्य कर दिया है और अब योग्य कुलगुरु की नियुक्ति के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन और अभिलेखों की जांच की जा रही है।