प्रदेश में एक और अभ्यारण्य बनेगा विदेशी चीतों का नया ठिकाना

अभ्यारण्य

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के खाते में एक और नई उपलब्धि जोड़ने  की जोर-शोर से तैयारी की जा रही है। यह मामला भी विदेशी चीतों के पुर्नवास से जुड़ा हुआ है। दरअसल मप्र ऐसा राज्य पहले ही बन चुका है, जहां पर इन दिनों नामीबिया के चीतें रेस लगा रहे हैं। दरअसल देश में सात दशक बाद चीतों को नए सिरे से बसाया जा रहा है। इसके पहले चरण में श्योपुर जिले के कूनों में चीतों को लाकर बसाया गया है। अब इसके बाद उनके लिए दूसरा नया ठिकाना तैयार किया जा रहा है।  इसके लिए नए ठिकानें के रुप में प्रदेश के ही सागर जिले के नौरादेही अभ्यारण का चयन किया गया है। इसकी वजह है विशेषज्ञों के परीक्षण में सागर जिले में स्थित इस अभयारण्य का वातावरण चीतों के अनुकूल पाया जाना। इसकी वजह से अभयारण्य का दायरा बढ़ाकर उसे टाइगर रिजर्व के रुप में बनाया जा रहा है। इसकी वजह है नए चीते देने के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों द्वारा संरक्षित क्षेत्र का दायरा बढ़ाने की शर्त का रखा जाना। कूनो राष्ट्रीय उद्यान के मामले में भी ऐसा ही हुआ था, इसलिए राज्य सरकार नरसिंहपुर जिले के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर नौरादेही अभयारण्य के संरक्षित क्षेत्र का दायरा 1224 वर्ग किमी करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए बीते माह ही राज्य वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी गई है। अब इसके लिए केंद्रीय वन्य प्राणी बोर्ड की अनुमति का इंतजार है।   वहीं, मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य को भी चीतों के अतिरिक्त रहवास के रुप में तैयार किया जाएगा। दरअसल चीता परियोजना के लिए मध्य प्रदेश में कूनो राष्ट्रीय उद्यान, नौरादेही और फिर गांधीसागर अभयारण्य पसंद किए गए हैं। यह वे क्षेत्र हैं जिनमें चीतों के गायब होने से पहले करीब एक शताब्दी तक चीते देखे गए हैं।  इसके बाद अब दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए जाने की पूरी तैयारी है।  दूसरे चरण में भी चीते कूनो ही लाए जाएंगे लेकिन उसके बाद नौरादेही अभयारण्य में उन्हें छोड़ा जाना है।
दो अभ्यारणों को जांड़ता है गलियारा
एक साथ 2400 वर्ग किमी में फैले रानी दुर्गावती अभयारण्य और 1200 वर्ग किमी में फैले नौरादेही अभयारण्य को एक कारिडोर जोड़ता है। कारिडोर से बाघ, तेंदुआ, भालू सहित अन्य वन्य प्राणियों की दोनों संरक्षित क्षेत्रों में आवाजाही है। रानी दुर्गावती अभयारण्य का क्षेत्र छोटा है लेकिन मैदानी होने से चीतों के बहुत अनुकूल है। इसे नौरादेही में ही शामिल कर टाइगर रिजर्व बनाने का भी प्रस्ताव है। इसे और माधव नेशनल पार्क शिवपुरी को मिलाकर प्रदेश में आठ टाइगर रिजर्व हो जाएंगे। इस तरह देश में सर्वाधिक टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश में हो जाएंगे।
गांधी सागर के लिए भी प्रस्ताव तैयार
चीतों के लिए गांधी सागर अभ्यारण्य को भी कूनो  की तरह तैयार करने का प्रस्ताव है। चीतों की सुरक्षा की दृष्टि से तीन तरफ से अभयारण्य की फेंसिंग की जाएगी। जबकि चौथी तरफ गांधी सागर बांध का पानी है। मंदसौर के वनमंडल अधिकारी इसका प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेजा जाएगा।

Related Articles