शहर और गांव से बाहर बनेंगे पशु विहार

 पशु विहार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में आवारा जानवरों से होने वाले हादसों को रोकने और उनके पुर्नंवास के लिए सरकार मध्यप्रदेश आवारा पशु प्रबंधन 2023 अधिनियम लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत प्रदेश के शहर और गांवों के बाहर पशु अभयारण्य या पशु विहार बनाए जाएंगे। इनमें आवारा मवेशियों को रखा जाएगा और इन जानवरों को गोद लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही पशु मालिकों पर भारी भरकम जुर्माना भी लगेगा।
जानकारी के अनुसार इस संदर्भ में अटल बिहारी सुशासन संस्थान ने ड्राफ्ट बनाकर शासन को भेजा है। सबकुछ ठीक रहा तो इस साल मप्र आवारा पशु प्रबंधन 2023 आएगी। इसके लागू होने से प्रदेश में आवारा मवेशी और कुत्ते अब कमाई और रोजगार का साधन बनेंगे। सुशासन संस्थान ने कई राज्यों का अध्ययन करने पर पाया है कि मप्र में स्थिति ज्यादा खराब है। प्रदेश में वर्ष 2020 में 103 लोग जानवरों के द्वारा मौत का शिकार हुए। इसका बड़ा कारण यातायात अवरुद्ध होना और वाहन दुर्घटनाएं हैं।
पहले चरण में चार महानगरों में बनेंगे विहार
संस्थान द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट में अनुशंसा की है कि शासन द्वारा शहर और गांव से बाहर 3 किलोमीटर की दूरी पर पशु अभयारण्य या पशु विहार बनाए जाएंगे। इनका संचालन पीपीपी मोड पर पशु अभयारण्य में सभी प्रकार के पशु जैसे गाय, भैंस, बैल, कुत्ते और सांडों को रखा जाएगा। पहले चरण में पशु अभयारण्य भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में बनाए योजनाओं के तहत आर्थिक जाएंगे। इसके लिए बजट सरकार उपलब्ध कराए। अनाथ आश्रम की तर्ज पर पशुओं के लिए भी मास एडॉप्शन योजना की पहल की जाएगी। शेल्टर या पशु अभयारण्य से देशी नस्ल के गाय और कुत्तों को अपनाने या गोद लेने की सुविधा रहेगी। सडक़ों और सार्वजनिक स्थलों पर प्रथम बार आवारा पशु पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए, दूसरी बार में 10 हजार रुपए और तीसरी बार पकड़े जाने पर पशु जब्त कर पशु को शेल्टर हाउस या पशु अभयारण्य भेज दिया जाएगा। इसके अलावा किसानों की फसलों को आवारा मवेशियों से होने वाले नुकसान की भरपाई पशु पालक द्वारा की जाएगी।
वृद्धाश्रम और थानों में भी रखे जाएंगे आवारा पशु
अटल बिहारी सुशासन संस्थान ने जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसके अनुसार आवारा पशुओं को उन स्थानों पर भी रखा जाएगा जहां लोग सेवा भाव से आते हैं। ड्राफ्ट में कहा गया है कि रहवासी इलाकों में जो देशी कुत्ते रखते हैं, उनके लिए शासन जोनवार शेल्टर हाउस बनाए। इनका संचालन जनभागीदारी से होगा। शेल्टर हाउस में पशु प्रेमी अपने गोद लिए जानवरों को रख सकेंगे। वृद्धाश्रम में भी गाएं रखी जाएंगी। जहां सेवा के इच्छुक वरिष्ठ नागरिक और अनाथ बच्चे भी गायों की सेवा कर सकें। नशा मुक्ति केंद्र में आवारा पशु रखने से पशु थेरेपी पद्धति से नशामुक्ति की दिशा में कार्यरत संस्थाओं को रोगियों के उपचार में सहायता मिलेगी। बंदी सुधार गृहों में आवारा पशुओं को रखने से कैदियों की मनोस्थिति और व्यवहार में जानवरों के आक्रामक होने में सकारात्मक बदलाव आएगा। शवदाह गृह, श्मशान घाट पर आवारा पशुओं को रखने से गोबर से बने कंडे और गोकाष्ठ का निर्माण कर अंतिम संस्कारों में उपयोग किया जा सकेगा।
आय के ऐसे बनेंगे साधन
अटल बिहारी सुशासन संस्थान के ड्राफ्ट के अनुसार आवारा पशुओं को सुरक्षित वास मिलने के साथ ही इससे लोगों को रोजगार और आय के साधन भी विकसित होंगे। लोगों को गोकाष्ठ बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा, मशीन स्थापना के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। बायोगैस प्लांट की स्थापना होगी, सीएनजी का निर्माण भी होगा। गाय के गोबर और गोमूत्र से औषधियां बनाई जाएंगी। सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं ट्रांसजेंडर समुदाय को भी शेल्टर हाउस, गोशाला खोलने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। पशु थेरेपी उपचार केंद्रों की स्थापना की जाएगी। जो व्यक्ति या डॉक्टर स्वयं के व्यय पर पशु उपचार केंद्रों का संचालन कर रहे ह,ैं उन्हें शासन की सहायता दी जाएगी। आयुक्त नगरीय प्रशासन भरत यादव का कहना है कि विभाग आवारा पशुओं पर जुर्माना लगाने संबंधी गजट नोटिफिकेशन कर चुका है। सुशासन संस्थान का ड्राफ्ट शासन को भेजा जाएगा। इसमें जो अच्छे पॉइंट होंगे उन पर विचार होगा।

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