मोबाइल के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिलेगी नकद राशि

 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चार साल पहले मोबाइल देने की घोषणा अब तक परवान नहीं चढ़ पा रही है। हालात यह हैं कि इनके मामले में हर बार कोई न कोई पेंच ऐसा फंसा दिया जाता है कि मामला जितना आगे बढ़ता है उससे कई गुना पीछे चला जाता है। यह हाल प्रदेश में तब हैं जबकि केन्द्र सरकार इसके लिए चार साल पहले बजट भी दे चुकी है। अपनी चहेती कंपनियों को उपकृत करने के फेर में चार बार टेंडर जारी करने के बाद हर बार उन्हें रद्द तक करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि मप्र में 76 हजार 263 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं, जिन्हें मोबाइल दिए जाने हैं।
अब मोबाइल देने की जगह विभाग को नकद राशि देने का प्रस्ताव विभाग को दिया गया तो विभाग इसके लिए भी तैयार नही है। इसकी वजह से अब एक बार फिर कार्यकर्ताओं को मोबाइल खरीद कर देने की तैयारी शुरू की जा रही है। इस बार पूर्व में हुए विवादों की वजह से खरीददारी की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया गया है। इसके तहत अब एक साथ प्रदेश स्तर पर उनकी खरीदी नहीं की जाएगी, बल्कि अब महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी जैम पोर्टल से इसकी खरीददारी कर उनका वितरण करेंगे। दरअसल बीते चार सालों में मोबाइल खरीदी के कई बार प्रयास किए गए, लेकिन जिम्मेदार अफसरों द्वारा उनमें ऐसी कई तरह की शर्त डाल दी जाती थीं, जिनकी वजह से हर बार निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप प्रत्यारोप के साथ ही विवाद खड़े हो जाते थे और फिर निविदा ही निरस्त करनी पड़ जाती थी। इसके चलते चार साल से विभाग मोबाइल नहीं खरीद पा रहा है।
इससे बचने के लिए ही मंत्रालय से मोबाइल की बजाय राशि देने की अनुमति मांगी गई थी। प्रदेश में 97 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिनमें कार्यरत कार्यकर्ताओं को मोबाइल दिए जाने हैं, क्योंकि सरकार ने कुपोषण, एनीमिया, पोषण आहार सहित तमाम सुविधाओं की मानीटरिंग आॅनलाइन कर दी हंै। कार्यकर्ताओं की उपस्थिति भी मोबाइल के माध्यम से ही ली जा रही है। इसलिए केंद्र सरकार ने 10 हजार रुपये का मोबाइल दिलाने के लिए राज्य सरकार को राशि दी है। पिछले चार साल में विभाग चार बार निविदा निकाल चुका है, पर हर बार खरीदारी की शर्तों को लेकर हंगामा खड़ा हुआ है। महिला एवं बाल विकास संचालनालय के कुछ अधिकारियों पर चंद कंपनियों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगते रहे हैं। इसकी वजह से ही बीते साल अक्टूबर 2020 में सरकार व प्रशासन ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर कार्यकर्ताओं को मोबाइल खरीदने के लिए राशि देने की अनुमति मांगी थी। जानकार बताते हैं कि ऐसा करने के लिए नियमों में संशोधन करना पड़ता। इसलिए मंत्रालय ने राशि देने से इन्कार कर दिया।

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