
- आदिवासी वोट बैंक पर राजनीतिक दलों की नजर
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं का अपना राजनीतिक महत्व है इसलिए दोनों प्रमुख दलों, सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस ने आदिवासियों में से अपने सबसे बड़े लाभार्थियों को बुलाना शुरू कर दिया है। कुल 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटे इस श्रेणी के लिए आरक्षित हैं और इन सीटों पर जीत या हार राजनीतिक खिलाडिय़ों के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए दोनों राजनीतिक दलों ने इन सीटों के लिए कोशिश तेज कर दी हैं। इस कड़ी में जबलपुर-शहडोल संभाग की 21 अजजा वर्ग की विधानसभा सीटों पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 सितंबर को जबलपुर आ रहे हैं।
शनिवार को शाह गोंडवाना साम्राज्य के अमर शहीद राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। साथ ही जनजातीय अभियान की शुरूआत भी करेंगे। बलिदान दिवस कार्यक्रम के बहाने शाह की जबलपुर यात्रा को महाकौशल अंचल के आदिवासियों को लुभाने की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है। जबलपुर-शहडोल संभाग में विधानसभा की 21 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और कई सीटों पर आदिवासी निर्णायक स्थिति में हैं। इसलिए भाजपा इस क्षेत्र में विशेष फोकस कर रही है।
गौरतलब है कि महाकोशल अंचल में आदिवासियों की आबादी ज्यादा है। यही कारण है कि मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा नरसिंहपुर, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में शंकर शाह और रघुनाथ शाह के नाम पर भाजपा अजा वर्ग में घुसपैठ बढ़ाने की कवायद में जुटी है। अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह करने पर शंकर शाह और रघुनाथ शाह को 1858 में तोप से उड़ा दिया गया था। अब 5 दिन तक शहीदों की बलिदान गाथा को अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए पेश किया जाएगा।
आदिवासी वोट बैंक के भरोसे मप्र की सियासत: मध्यप्रदेश की सियासत आदिवासी वर्ग के इर्द गिर्द घूमती नजर आ रही है। एक तरफ जहां आदिवासियों के मुद्दों पर आंदोलन के कारण जयस का जनाधार बढ़ रहा है। वहीं, भाजपा ने आदिवासियों को साधने के लिए योजनाओं का नया खाका तैयार किया है। इसका कारण है 2023 में होने विधानसभा चुनाव। प्रदेश की 47 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। इसमें से करीब 30 सीटें ऐसी है जहां आदिवासी वर्ग का प्रभाव है। लेकिन अब इन सीटों पर तेजी से समीकरण बदल रहे हैं। इस बदले समीकरण को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस जुट गई हैं। भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। इस वर्ग की 47 सीटों में से 16 पर ही संतोष करना पड़ा था। 2013 के चुनाव में 31 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में सरकार बनाने लायक बहुमत न मिल- पाने के पीछे एक कारण यह भी मानते हैं।”
कांग्रेस की आदिवासी अधिकार यात्रा
आदिवासी वोट बैंक को साधने कांग्रेस ने आदिवासी अधिकार यात्रा का सहारा लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़वानी में इस यात्रा में हिस्सा लिया और इसे आदिवासी विरोधी कहने में कोई झिझक नहीं दिखाते हुए भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी हमला करते हुए कहा कि वह केवल घोषणाएं करते हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि कमलनाथ प्रदेश में 15 महीने सत्ता में थे, अगर उन्होंने आदिवासियों के हितों के लिए काम किया होता तो आज उन्हें अधिकार यात्रा निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। मुख्यमंत्री को हमेशा आदिवासियों के अधिकारों की चिंता रही है। कमलनाथ आज आदिवासियों के लिए घडिय़ाली आंसू बहा रहे हैं। सिसोदिया ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 15 महीनों के शासन में आदिवासियों के लिए या भगवान बिरसा मुंडा, शंकर शाह, रघुनाथ शाह और वीरांगना दुर्गावती के लिए कोई काम नहीं किया। सिसोदिया ने कहा, आज आदिवासी वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से फिसल रहा है, ऐसे में वह विदेशी ताकतों के सहारे समाज में विभाजन की रेखा खींच रहे हैं। कमलनाथ यात्रा निकालकर केवल आदिवासियों को गुमराह कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं, ऐसे में दोनों पार्टियों ने आदिवासियों को लुभाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
दिग्विजय के साथ आदिवासी नेता जाएंगे श्रद्धांजलि देने
सत्ता तक पहुंचने में आदिवासी वर्ग की निर्णायक भूमिका देख कांग्रेस भी पीछे नहीं है। आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए दोनों सियासी दलों में होड़ चल पड़ी है। युवा कांग्रेस ने इस दिन जबलपुर शहर में बाइक रैली का आयोजन किया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के आदिवासी नेताओं के साथ भी क्रांतिकारी शहीद शंकर शाह और रघुनाथ शाह को श्रद्धांजलि देने जबलपुर प्रवास पर रहेंगे। दिग्विजय के साथ कांग्रेस के आदिवासी नेता एवं पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया, ओमकार मरकाम और कौशल्या गोटिया सहित युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया भी मौजूद रहेंगे। ये सभी नेता मालगोदाम पर आयोजित सभा को संबोधित करेंगे। दिग्विजय सिंह ने पन्ना जिले के आदिवासी परिवारों की समस्या को लेकर अमित शाह से जबलपुर प्रवास के दौरान मुलाकात का समय भी मांगा है।
अलर्ट मोड पर सत्ता व संगठन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जबलपुर दौरे को लेकर प्रदेश संगठन और सत्ता हाईअलर्ट पर है। शाह के दौरे के चलते प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है। प्रदेश भाजपा में शाह के दौरे के बाद कई समीकरण प्रभावित होंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जबलपुर में प्रस्तावित सभा के लिए विभिन्न जिलों से 3 हजार आदिवासियों को सरकारी खर्चे पर लाया जाएगा। इसमें 35 जिला और संभागीय अफसरों की तैनाती की गई है। आदिवासियों को रास्ते में चाय-नाश्ता और भोजन की भी व्यवस्था रहेगी। पूरी व्यवस्था पर निगरानी रखने भोपाल में कंट्रोल रूम बनाया गया है। इस पूरे आयोजन में सरकारी खजाने से 49 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। शाह के कार्यक्रम में 17 जिलों से 3 हजार आदिवासियों को जुटाने की जिम्मेदारी अफसरों को सौंपी गई है। दरअसल, प्रदेश की भाजपा सरकार का फोकस आदिवासी वोटरों पर है। इसके लिए जबलपुर में जनजातीय जननायकों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। शाह के कार्यक्रम आदिवासियों को लाने के लिए जिलों में कार्यक्रम अधिकारी बनाए गए हैं।