महामारी के बीच तेंदूपत्ता संग्रहण भारी न पड़ जाए सरकार को !

तेंदूपत्ता

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। देश के साथ ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति विकराल बनी हुई है। कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए पिछले महीने जिलों में लगाया गया कर्फ्यू अभी भी जारी है। इसके और आगे बढ़ने की संभावना बन रही है। यही नहीं इस महामारी का संक्रमण अब गांवों और जंगली क्षेत्रों में भी फैल रहा है। ऐसे में सरकार तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू करने जा रही है। दरअसल संग्रहण के लिए लाखों की संख्या में श्रमिक 15 मई से जंगलों में जाएंगे और तेंदूपत्ता तोड़ने का काम करेंगे। इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों के इस काम में लगने से कोरोना संक्रमण का खतरा भी मंडराने लगा है। यदि मजदूरों में संक्रमण फैला तो सरकार कैसे इसे रोकेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि वन विभाग का तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू किए जाने का यह कदम इस काम में लगे मजदूरों के लिए कहीं जानलेवा न बन जाए। हालांकि वन विभाग के सूत्रों की मानें तो वन विभाग ने तेंदूपत्ता संगठन के काम में लगे श्रमिकों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए बनाए गए नियमों में कहा गया है कि तेंदूपत्ता फड़ों पर पानी और थर्मल गन की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए जिससे कि यहां आने वालों के तापमान की जांच हो सके और उन्हें पानी भी समुचित रूप से मिल सके।
साथ ही बिना मास्क के कोई संग्राहक फड़ पर ना आए, यह भी सुनिश्चित किया जाए। संग्राहकों को बिना मास्क फड़ों पर विक्रय के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई श्रमिक बिना मास्क के फड़ पर पहुंचता है तो पहले उसे मास्क उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि वन विभाग ने भले ही तेंदूपत्ता संग्रहण के काम में लगे मजदूरों और अन्य कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी कोरोना संक्रमण फैलने के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता। यह इसलिए कि अब कोरोना संक्रमण तेजी से गांवों के साथ ही जंगली क्षेत्रों में भी फैलने लगा है।
सरकार की मंशा मजदूरों को काम मिले
हालांकि सरकार की मंशा है कि कोरोना की विकट परिस्थितियों में भी मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा काम उपलब्ध होता रहे। इसलिए ही तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू किया जा रहा है। गौरतलब है कि जंगलों में रहने वाले आदिवासी वर्ग की आजीविका का तेंदूपत्ता संग्रहण में बड़ा योगदान है। यही वजह है कि मजदूरों को काम उपलब्ध कराने के लिए यह काम शुरू किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में आदिवासी वर्ग की आमदनी में इजाफा करने का काम तेंदूपत्ता संग्रहण करता है। दरअसल इस वर्ग का जीवन काफी हद तक वनोपज पर ही निर्भर करता है।
बोनस का भी प्रावधान
प्रदेश सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए प्रति मानक बोरा सरकारी खरीदी के साथ बाकायदा बोनस का भी प्रावधान करती है। इस पर राज्य सरकार बड़ी राशि खर्च करती है।
इस समय मिलता है अच्छी गुणवत्ता का तेंदूपत्ता
उल्लेखनीय है कि इस समय जंगलों में तेंदूपत्ता सबसे अच्छी क्वालिटी में मिल जाता है। दरअसल तेंदूपत्ता के पेड़ में मार्च-अप्रैल के महीने में नई कोपलें आती हैं और मई तक इसके पत्ते अच्छी तरह से तोड़ने लायक हो जाते हैं। यही नहीं संग्रहण के बाद इस पत्ते को सुखाने के लिए भी समय लगता है। एक महीने बाद ही प्रदेश में बारिश का सीजन हो जाएगा। बारिश में जंगल के नदी-नालों में पानी भरने से यहां जाना खतरे से खाली नहीं होता। इसलिए भी तेंदूपत्ता संग्रहण का काम बारिश से पहले ही यानी मई महीने में शुरू किया जाता है। दूसरी ओर सरकार की कोशिश है कि तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य से मजदूरों की रोजी रोटी चलती रहे। फिलहाल अच्छी गुणवत्ता का तेंदूपत्ता मिलने की स्थिति भी है इसलिए इस काम को रोका ना जाए।

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