कम जनाधार के बीच कांग्रेस को फिर देगी बसपा झटका

कांग्रेस-बसपा
  • बसपा अकेले ही उतर रही है चुनावी मैदान में

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी तारीखों के तय होते ही लगभग सभी राजनीतिक दलों ने मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस जहां चुनावी घमासान के लिए अपनी अपने मोहरे बिछा रहे हैं, वहीं अन्य दलों में शामिल बहुजन समाज पार्टी ने इस बार भी प्रदेश में अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी शुरु कर दी है। पिछले चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश के लोकसभा चुनाव के लिए ग्वालियर चंबल संभाग में बसपा उतनी असरकारक नहीं रही। दिनों-दिन उसका जनाधार खिसकता जा रहा है।
लोकसभा चुनाव के लिए बसपा ने किसी भी गठबंधन एनडीए, इंडी से गठबंधन नहीं करने का निर्णय कर अपनी चुनावी बिसात बिछाना शुरू कर दी है। बसपा का यूं तो उत्तर प्रदेश में ही असर रहा है। दूसरे प्रदेशों में वह प्रभावशाली तो नहीं रही, लेकिन यदाकदा कुछ सीटों पर स्थानीय परिस्थितियोंवश मुकाबले को कड़ा बनाने में वह सफल रही है। ग्वालियर चंबल संभाग में विधानसभा चुनावों में वह अंचल की कुछ सीटों पर जीत का परचम फहरा चुकी है, लेकिन लोकसभा चुनाव वह कभी नहीं जीत सकी है। एक बार फिर लोकसभा चुनाव में वह मैदान में उतरने की तैयारी कर चुकी है। इस बार लोकसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन कैसा रहेगा, इस पर सभी की निगाहें हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस चुनाव में भी बसपा कोई उलटफेर कर पाएगी, इसकी संभावनाएं नगण्य हैं।
विस में यहां मिले अच्छे वोट
बसपा का प्रदेश में सर्वाधिक प्रभाव ग्वालियर चंबल अंचल में है। तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में बसपा इस अंचल की 34 सीटों में से भले ही कोई सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसके प्रत्याशियों का प्रदर्शन ऐसा रहा कि सभी चौंक गए। इनमें श्योपुर-मुरैना संसदीय क्षेत्र की श्योपुर, विजयपुर सीट भी शामिल है। श्योपुर सीट पर बसपा को 23054 और विजयपुर सीट पर 34346 वोट मिले। यह बात अलग है कि इन दोनों सीटों पर बसपा ने भाजपा के बागियों को टिकट देकर दांव लगाया था। इसकी वजह से कांग्रेस को फायदा हुआ और उसके दोनों प्रत्याशी जीत गए थे। बसपा उम्मीदवारों ने मुरैना जिले में सबलगढ़ में 51153, जौरा में 37038, सुमावली में 56500, मुरैना में 37167 व दिमनी में 54676 मत हासिल किए थे। भिण्ड जिले में भिण्ड में 34938 मत, लहार में 31348 में , मेहगांव में 19506 , दतिया जिले के सेवढ़ा में 12787 , भाण्डेर में 1954 व दतिया में 1156 वोट मिले थे।  ग्वालियर संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों की बात करें तो यहां बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। ग्वालियर ग्रामीण में 26990 वोट , ग्वालियर में 1260 वोट, ग्वालियर पूर्व में 4226 वोट, ग्वालियर दक्षिण में 1252 वोट, भितरवार में 3792 वोट, डबरा में 4437 वोट, करैरा में 1799 वोट व पोहरी में 37261 वोट बसपा उम्मीदवार को मिले थे। इसी प्रकार गुना संसदीय क्षेत्र में भी बसपा असरहीन रही थी। यहां शिवपुरी में 10703 वोट, पिछोर में 2208 वोट ,कोलारस में 24886 वोट, बमौरी में 3496 वोट, गुना में 3468 वोट, अशोकनगर में 3055 वोट, चंदेरी में 5598 वोट व मुंगावली में 15340 वोट बसपा उम्मीदवार को मिले थे।
बसपा ने नहीं खोले पत्ते कांग्रेस भी अटकी
भाजपा ने ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाहा, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया, भिण्ड दतिया से संध्या राय व मुरैना से शिवमंगल सिंह तोमर को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। कांग्रेस ने सिर्फ भिण्ड- दतिया सीट से फूल सिंह बरैया की उम्मीदवारी घोषित की है। शेष तीन सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर अभी तक नाम तय नहीं हो सके हैं। वहीं बसपा अपनी रणनीति बना रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ही यहां का फैसला लेंगी। अंचल की चारों सीटों में से किस-किस सीट पर वह उम्मीदवार उतारेगी, यह अभी कोई नहीं जानता है। दरअसल अंचल में बसपा का अपना वोट बैंक है, जो प्रत्याशी देखकर नहीं बल्कि पार्टी को वोट करता है।
लोकसभा चुनाव में यह रही स्थिति
अगर अंचल की लोकसभा सीटों की बात की जाए तो बीते चुनाव में ग्वालियर लोकसभा सीट पर बसपा उम्मीदवार ममता कुशवाहा को 44677 वोट, वर्ष 2014 में बसपा के आलोक शर्मा को 68169 वोट, वर्ष 2009 में अजब सिंह कुशवाहा को 76481 वोट, वर्ष 2004 में मदन कुशवाहा को 30405 वोट मिले थे। इसी प्रकार वर्ष 1999 में बसपा उम्मीदवार फूल सिंह बरैया को 116678 वोट, वर्ष 1998 में फूल सिंह को 136808 वोट मिले थे। जबकि वर्ष 1996 में मप्र विकास कांग्रेस के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरे माधवराव सिंधिया के सामने बसपा के फूल सिंह बरैया 113545 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे थे। इस चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था। कांग्रेस के शशिभूषण वाजपेयी को महज 28730 वोट ही मिले थे। इसी तरह से मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट पर 2019 में बसपा के करतार सिंह भडाना ने 129380 मत हासिल किए थे और तीसरे नबर पर रहे थे। जबकि 2014 में कांग्रेस छोडक़र बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े वृदंावन सिंह सिकरवार 242586 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. गोविंद सिंह को 184253 वोट मिले थे। वर्ष 2009 में बसपा के बलवीर दंडौतिया को 142073 मत, वर्ष 2004 में बसपा के प्रीतम चौधरी को 86137 वोट, वर्ष 1999 में बसपा के प्रीतम चौधरी को 103727 मत, वर्ष 1998 में बसपा के प्रीतम चौधरी को 209378 वोट मिले थे और वह इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे।  अगर भिण्ड की बात करें तो इस संसदीय सीट पर भी बसपा का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। वर्ष 2019 में बसपा को यहां 66613 वोट, वर्ष 2014 में 33803 वोट, 2009 में 60603 वोट व वर्ष 2004 में 43822 वोट मिले थे। वहीं वर्ष 99 में 105157 वोट व वर्ष 98 में 193774 वोट हासिल किए थे। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं ने बसपा को तवज्जो नहीं दी और उसका प्रदर्शन निराशाजनक ही रहता आया है। यहां वर्ष 2019 में बसपा को 37530 मत, वर्ष 2014 में 27412 वोट, वर्ष 2009 में 29167 वोट व वर्ष 2004 में बसपा उम्मीदवार को 26380 वोट मिले थे। वर्ष 1998 में बसपा को यहां अच्छे वोट मिले थे और उसके उम्मीदवार प्रकाश ने 117154 वोट हासिल किए थे। इस चुनाव में भाजपा की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के देवेंद्र सिंह को पराजित किया था। इससे यह तो तय है कि इस अंचल में बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। बसपा के प्रभाव के चलते ही कांग्रेस को इस अंचल में लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

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