
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही कांग्रेस ने अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा को बेहद कड़ी टक्कर दी है, लेकिन जरा सी सावधानी बरती जाती तो परिणाम कांग्रेस के ही पक्ष में ही होते। कांग्रेस ने इस सीट पर गोंगपा को बेहद हल्के में लिया, जिसका परिणाम हार के रुप में सामने आ चुका है। अब कांग्रेस में सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने जैसी स्थिति है। हारने के बाद अब कांग्रेस इस सीट पर मिली पराजय के कारणों की तलाश कर रही है। आम विधानसभा व हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में गोंगपा को मिले मतों से अनुमान नहीं लगा पाना कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी हार का कारण बना है।
महाकौशल अंचल में
गोंगपा ऐसी पार्टी है, जिसका भले ही कोई प्रत्याशी न जीते, लेकिन वह प्रभावी उपस्थिति दिखाते हुए हर हाल में कांग्रेस के चुनावी समीकरण जरुर गड़बड़ा देती है। इसके बाद भी कांग्रेस उसे गंभीरता से लेने को तैयार नही दिखाई देती है। अगर बीते साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव को ही देख लें, तो गोंगपा ने कांग्रेस एक दर्जन सीटों पर कांग्रेस की हार तय की थी। इनमें बालाघाट, सिवनी, मंडला जैसे जिलों की कुछ विधानसभा सीटें शामिल हैं। सीटों पर कांग्रेस को लगे थे, तो कुछ पर भाजपा को हार का शिकार होना पड़ा था। असल में बीते विधानसभा चुनाव में गोंगपा ने 50 से ज्यादा सीटों पर लड़ा था। तब अमरवाड़ा में देवरावेन भलावी प्रत्याशी थे। उन्हें 18,300 वोट मिले थे। भलावी उपचुनाव में भी उतरे और 28,723 वोट पाने में सफल रहे, जिसकी वजह से कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 3200 वोट से पराजय का सामना करना पड़ा है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि गोंगपा को पसंद करने वाले मूल वोटर पूर्व में कांग्रेस समर्थक रहे हैं। समय के साथ कांग्रेस निष्क्रिय होती चली गई, जिससे यह मतदाता स्थानीय मुद्दों को लेकर बनी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से जुड़ते चले गए। गोंगपा ने अमरवाड़ा में अपनी ताकत दिखाकर भाजपा की रहा आसान कर दी तो कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी।
एक साथ तीन विधायक हुए थे निर्वाचित
गोंगपा ने एक समय अपनी पकड़ दिखाते हुए तीन प्रत्याशियों को विधानसभा भेजने में सफलता पाई थी। यह वो चुनाव था, जब प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही थी। इस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त जीत मिली थी। गोंगपा के इस चुनाव में अमरवाड़ा से मनमोहन शाह बट्टी, परसवाड़ा से दरबू सिंह उइके और घंसौर (अब लखनादौन) से राम गुलाम 2003 में विधायक चुने गए। गोंगपा की नींव दादा हीरा सिंह मरकाम ने रखी थी। हालांकि उनकी पोती अब पूरी तरह से भाजपाई हो चुकी हैं। वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लडक़र बड़़े अंतर से हार भी चुकी हैं।
इन सीटों पर पर भी बिगाड़े समीकरण
बीते विधानसभा चुनाव में गोंगपा ने धौहनी, मानपुर, बांधवगढ़, ब्यौहारी, शहपुरा और जबेरा में निर्दलियों के साथ मिलकर खासे वोट हासिल किए थे, जिसकी वजह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। यह वे सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस को नुकसान हुआ है। इसी तरह से पुष्पराजगढ़, अमरवाड़ा और लखनादौन सीट पर गोंगपा ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया था।
उपचुनाव में गोंगपा के देव रावेन को 28723 वोट मिले। इसके पहले लोकसभा चुनाव में भी गोगापा को 55988 मत मिल चुके हैं।