विद्युत प्रहरियों की नियुक्तियां करना भूलीं तीनों बिजली कंपनियां

बिजली कंपनियां
  • बिजली थानों की योजना भी फाइल में कैद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर लोगों द्वारा खुलकर बिजली चोरी की जाती है। यह बिजली चोर वो लोग होते हैं, जो प्रशासनिक लापरवाही की वजह से बेशकीमती जमीन पर अवैध रुप से झुग्गी बनाकर ईमानदार लोगों को चिढ़ाने का काम करते हैं। इन्हें राजनैतिक दलों का पूरा संरक्षण मिला होता है। इसका खामियाजा ईमानदार लोगों को उठाना पड़ता है। ऐसे ही बिजली चोरों को पकडऩे के लिए बिजली विभाग द्वारा कुछ सालों पहले विद्युत प्रहरियों की नियुक्तियां  करने का एलान किया गया था, लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं हुआ है। इसी तरह से प्रदेश में बिजली थाने खोलने की भी योजना तैयार की गई थी , लेकिन वे भी नहीं खुल सके हैं। यह हाल तब है, जबकि प्रदेश में लगतार बिजली चोरी बढ़ रही है और बिजली कंपनियों को हर माह करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसका भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर बिजली बिल में बढ़ोत्तरी कर डाला जा रहा है। प्रदेश की तीनों मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को विद्युत प्रहरी तैनात करने थे। इनको वेतन के अलावा बिजली चोरी पकडऩे पर इंसेंटिव भी दिया जाना था। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने तीनों बिजली कंपनियों को अपने-अपने स्तर पर यह भर्ती करने के लिए सर्कुलर भी जारी किए थे, लेकिन किसी भी कंपनी ने अब तक विद्युत प्रहरियों की भर्ती ही नहीं की है। इनकी भर्ती करने की योजना तीन वर्ष पहले बनाई थी। जिस तरह कोटवार की नियुक्ति गांव की सीमा के हिसाब से होती है, ठीक उसी प्रकार विद्युत प्रहरी की नियुक्ति डीपी या ग्रिड के हिसाब से की जानी थी। विद्युत प्रहरियों को अपनी डीपी या ग्रिड से आपूर्ति होने वाली बिजली की लाइन पर नजर रखनी थी। इस दौरान कहीं भी उन्हें चोरी की आशंका होती, तो वहां की सूचना अधिकारियों को देनी थी। फिर अधिकारी इसी सूचना का उपयोग कर छानबीन कर बिजली की चोरी पकडक़र कार्रवाई करते।
यह है बिजली चोरी की स्थिति
मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों में करीब 40 हजार से ज्यादा ऐसी डीपी (डिस्ट्रीब्यूशन प्वाइंट) और ग्रिड हैं, जहां से बिजली चोरी की जा रही है। इनमें से 18 हजार डीपी भोपाल की मध्य क्षेत्र कंपनी की, छह हजार इंदौर की पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी की और जबलपुर की पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी की करीब 16 हजार डीपी से बिजली चोरी हो रही है। इनमें 30 से 55 प्रतिशत तक बिजली का नुकसान हो रहा है।
बिजली थानों को भी भुलाया
जिले में बिजली चोरी रोकने और बकाया बिल की वसूली  के लिए चार वर्ष पहले बिजली थाने खोलने की योजना बनाई गई थी। जिसको लेकर खूब हो हल्ला मचाया गया था।  23 दिसंबर 2020 को तत्कालीन प्रमुख सचिव ने वितरण कंपनियों को चि_ी लिखकर जमीन की जानकारी तक मांग ली थी। अब हाल यह है कि इन बिजली थानों की फाइल का ही पता नही है। हाल यह है कि जब भी बड़ी वसूली कंपनी को करना होती है तो स्थानीय पुलिस प्रशासन की मदद लेना पड़ती है। बिजली कंपनी का अमला जब भी कार्रवाई करते हुए चोरी को पकड़ता है तो वह सीधी एफआइआर चोर पर नहीं दर्ज कर सकता है। इसके लिए अमले को स्थानीय पुलिस थाने में आवेदन देना पड़ता है। बीते एक वर्ष में ही 240 से अधिक आवेदन पुलिस थानों में दिए गए हैं। इन सभी प्रक्रियाओं से बचते हुए सीधे एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए बिजली थाने खोलने की योजना बनाई गई थी। कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि भोपाल, ग्वालियर, चंबल सहित अन्य क्षेत्रों सबसे ज्यादा बिजली चोरी होती है। इस वजह से कंपनी को एक यूनिट पर साढ़े चार रुपये का नुकसान हो रहा है।
चोरी की सूचना पर पुरस्कार की योजना
मध्य क्षेत्र की कंपनी ने बिजली चोरी रोकने के लिए पिछले वर्ष एक नई योजना शुरू की है, जो भी व्यक्ति बिजली चोरी की शिकायत करेगा, उसे पुरस्कार दिया जाएगा। बिजली चुराने वाले आरोपित से जो राशि वसूल होगी, उसका 10 प्रतिशत सूचना देने वाले को बतौर पुरस्कार दिया जाएगा। कंपनी ने इसके लिए विजिलेंस टीम का गठन किया है।
यह है बकायादारों की स्थिति
कंपनी के पुराने करीब 21 फीडर ऐसे हैं, जहां पर अब भी 60 प्रतिशत से अधिक बिजली चोरी हो रही है। पुराने शहर के कई क्षेत्रों में बड़े बकायादार 28 हजार 500 हैं। करोंद, भानपुर, चांदबड़ समेत पूर्व संभाग के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में बकायादारों की संख्या 13 हजार 500 है। इन पर करीब आठ करोड़ रुपये बकाया है। आरिफ नगर, काजी कैंप, टीला जमालपुरा समेत उत्तर संभाग के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में बकायादारों की संख्या 15 हजार है। इन पर लगभग नौ करोड़ रुपये बकाया है।

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