एमआरपी से ज्यादा रेट पर बिक रही शराब

शराब
  • राजधानी में सिंडीकेट के एकाधिकार का असर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी सहित प्रदेशभर में शराब की दुकानों में ज्यादा रेट में सेल करने का आरोप लग रहे हैं। गत दिनों विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एमआरपी से ज्यादा दाम पर शराब बेचने का वीडियो एक्स पर शेयर कर मप्र सरकार और आबकारी के अधिकारियों को घेरा। नेता प्रतिपक्ष ने एक्स पर लिखा मप्र में शराब की कीमतों के घोटाले का जिम्मेदार कौन?  जब नेता प्रतिपक्ष के आरोपों की पड़ताल की गई तो पता चला की राजधानी भोपाल में तो 30 प्रतिशत महंगी शराब बेची जा रही है। जानकारों का कहना है कि भोपाल में सिंडीकेट के एकाधिकार के चलते देशी और विदेशी शराब 25 से 30 प्रतिशत तक महंगी बेची जा रही है। चूंकि पूरा शहर दो ग्रुपों के अधिपत्य में है और सभी दुकानों पर महंगी और एक ही कीमत पर शराब मिल रही है। इसलिए शराब के शौकीन महंगी शराब खरीदने के लिए मजबूर हैं। राजधानी की सभी 83 कम्पोजिट मदिरा दुकानें दो ग्रुपों के कब्जे में हैं। पुराना भोपाल शहर की गोविंदपुरा, प्रभात चौराहा, भोपाल जंक्शन, सेमरा आदि क्षेत्र की कुल 16 शराब दुकानें ही शिवहरे लिकर सहित उससे जुड़े ग्रुप के पास बताई जाती हैं। शेष 67 शराब दुकानें भोपाल के पुराने शराब माफिया द्वारा बनाए गए सिंडीकेट के कब्जे में है। इसी सिंडीकेट के एकाधिकार के चलते न केवल सुरा प्रेमियों को महंगे दाम चुकाने पड़ रहे हैं, बल्कि शराब भी घटिया गुणवत्ता की खरीदनी पड़ रही है। मप्र में कम्पोजिट मदिरा दुकानों पर वर्ष 2025-26 के लिए मसाला कांच 180 मिली की न्यूनतम दर 95 रुपए और अधिकतम 110 रुपए हैं। इसी प्रकार प्लेन कांच 180 मिली की 68 रुपए और 79 रुपये तथा मसाला पैट 180 एमएल की कीमत 92 और 106 रुपये है। इसके विपरीत भोपाल शहर की 67 शराब दुकानों पर मसाला कांच 180 मिली और मसाला पैट 180 एमएल 130 रुपए में और बेची जा रही है और प्लेन कांच 180 मिली सौ रुपए कीमत पर बेची जा रही है। इस तरह मसाला शराब पर क्रमश: 32-30 और 24-30 रुपए तथा प्लेन 32 से 30 रुपए तक महंगी बेची जा रही है।
रेट बताते हैं तो नहीं मिलती शराब
मनीषा मार्केट स्थित कम्पोजिट मदिरा दुकान से बीयर और 180 एमएल मसाला शराब खरीदने वाले शाहपुरा निवासी रोहित यादव ने बताया कि मैंने 130 रुपये में मसाला क्वार्टर खरीदा है। सफेद का क्वार्टर सौ रुपये में मिलता है। यहां से खरीदी बीयर पर रेट मिटा हुआ है, लेकिन 130 रुपये में दी है। रोहित ने कहा कि बोतल पर लिखी रेट दुकानदार को बताते हैं तो वह शराब नहीं देता और धमकाकर और बेज्जती कर चलता कर देता है। चूंकि क्षेत्र की सभी दुकानों पर इसी दर पर शराब मिलती है। इसलिए जिस कीमत पर देते हैं, खरीद लेते हैं।
लगातार की जा रही हैं शिकायतें
शहर की 67 दुकानों पर एक ग्रुप द्वारा तैयार सिंडीकेट के एकाधिकार के चलते न केवल भोपाल की सबसे बदनाम शराब कंपनी द्वारा तैयार घटिया गुणवत्ता की देशी मदिरा ही बेची जा रही है, बल्कि बीयर भी सिर्फ हंटर ब्रांड की ही खफाई जा रही है। इसकी गुणवत्ता और स्वाद को लेकर सुराप्रेमी लगातार शिकायतें कर रहे हैं। जबकि किंगफिशर या दूसरी अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होने से ही मना कर दिया जाता है अथवा कीमत से बहुत अधिक दर पर बेची जा रही है। आबकारी अधिकारियों का कहना है कि कोई दुकान किस कंपनी की शराब या बीयर बेचेगी, यह खुद ठेकेदार तय कर सकता है। इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।  सहायक आबकारी आयुक्त भोपाल वीरेन्द्र धाकड़ का कहना है कि शहर में अवैध शराब और नियम विरुद्ध शराब विक्रय पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। महंगी शराब बेचे जाने की सूचना कहीं से भी मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।

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