
- बेटे की हार का बदला लेने के लिए है चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी….
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बुंदेलखंड अंचल के तहत आने वाले निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए तमाम प्रयासों के बाद भी मुसीबत बनी हुई है। जैसे- तैसे प्रत्याशी के चयन का मामला सुलझा तो अब भाजपा के सामने उसके ही पूर्व मंत्री और अवसरवादी नेता की पहचान रखने वाले अखंड प्रताप सिंह नई मुसीबत बनकर सामने आने लगे हैं। उनके द्वारा इस सीट पर बसपा के संभावित प्रत्याशी के रुप में नामाकंन जमा कराया जा चुका है। यह बात अलग है कि बसपा द्वारा उपचुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी गई है।
इसके बाद भी अंखड बतौर निर्दलीय के रुप में चुनाव लड़ने को आतुर बने हुए हैं। उनके द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने से इंकार भी नहीं किया है। इस सीट पर कांग्रेस ने दिवंगत विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर के पुत्र नितेन्द्र सिंह राठौर को प्रत्याशी घोषित किया है। नितेन्द्र बीते कई माह से लगातार इलाके में सक्रिय बने हुए हैं। उन्हें पार्टी के अलावा सहानुभूति वोट मिलना तय माना जा रहा है। उनके खिलाफ भाजपा ने सपा से आने वाले शिशुपाल सिंह यादव को प्रत्याशी बनाना लगभग तय कर लिया है। वे बीते आम चुनाव में दूसरे नबंर पर रहे थे। शिशुपाल के सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में होने की वजह से ही अंखड यादव के पुत्र और तत्कालीन जिलाध्यक्ष अभय सिंह को बतौर भाजपा प्रत्याशी के रुप में अपनी जमानत तक जप्त करानी पड़ गई थी। यही नहीं उनकी समाज पर पकड़ की भी कलई पूरी तरह से खुल गई थी। बेटे की करारी हार को अंखड़ अब तक भुला नहीं पाए हैं। यही वजह है कि शिशुपाल के भाजपा प्रत्याशी बनने की पूरी संभावना को देखते हुए अभय सिंह यादव के पिता अखंड प्रताप सिंह यादव ने चुनावी ताल ठोक दी है। उन्होंने सोमवार को बसपा से नामांकन पत्र दाखिल करके भाजपा की धड़कनें बढ़ा दी। हालांकि बसपा ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद से ही वे निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में लग
गए हैं।
अगर वे निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरते हैं तो इसका नुकसान भाजपा प्रत्याशी को उठाना पड़ेगा। इसकी वजह है उनका और भाजपा प्रत्याशी का सजातीय होना। इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। दोनों ही प्रत्याशी यादव समाज से होने की वजह से उनके बीच मतों का बंटवारा होने पर भाजपा को नुकसान होना तय है। कहा तो यह भी जा रहा है कि वे शिशुपाल को हराने के लिए ही चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं , जिससे की वर्ष 2018 के चुनाव में बेटे की करारी हार की वजह बने शिशुपाल से बदला लिया जा सके। उल्लेखनीय है कि बृजेन्द्र सिंह राठौर की आसान जीत की वजह भी भाजपा द्वारा अभय प्रताप यादव का चुनाव लड़ना है। उस समय सपा ने शिशुपाल यादव को टिकट दिया था। इसमें शिशुपाल दूसरे और अभय चौथे स्थान पर रहे थे।
इन नेताओं की भूमिका भी रहेगी असरकारक
इस सीट से भाजपा के कई नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इनमें खासतौर पर टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी अपनी पत्नी के लिए टिकट चाह रहे हैं। सपा से भाजपा में आए शिशुपाल सिंह को मौका नहीं मिला तो यादव वोट प्रभावित होने की संभावना है। इसी तरह से गनेशीलाल और अनिता नायक के अलावा अनिल पांडे की भूमिका भी असरकारक रहने वाली है। इनमें अनिल पांडे का एक बड़े तबके पर असर माना जाता है।
यह मुद्दे भी असरकारक
इस इलाके में जातिगत आरक्षण, पेयजल और सिंचाई परियोजनाओं का लगातार अटकने के तो मुद्दे हावी रहना तय माने जा रहे हैं, लेकिन इसके अलावा उच्च शिक्षा के लिए 25 किमी दूर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। अस्पताल में डॉक्टरों का अभाव हमेशा ही बनारहता है जिसकी वजह से लोगों को पड़ौसी राज्य उप्र 60 किमी की दूरी पर जाना होता है। रोजगार के साधन नहीं होने की वजह से इस इलाके में हमेशा से ही पलायन की स्थिति बनी रहती है।
जातिगत गणित
पृथ्वीपुर वैसे तो कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और तत्कालीन मंत्री सुनील नायक की हत्या की वजह से इस सीट पर पहली बार भाजपा को सफलता मिली थी। उसी समय यह सीट परिसीमन की वजह से निवाड़ी से अलग होकर असितत्व में आयी थी। इस सीट पर अगर जातीय समीकरणों की बात की जाए जो सर्वाधिक मतदाता यादव, ब्राहम्णों के हैं जबकि उसके बाद अन्य जातियों का नंबर आता है।