
सौ से तीन सौ साल पुराने हो चुके हैं कई बांध…
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में सिंचाई के साथ ही पीने के पानी के प्रमुख स्रोत बनने वाले कई जलाशय अब अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। प्र्याप्त देखरेख और उनकी देखरेख के लिए कदम नहीं उठाए जाने की वजह से अब वे दम तोड़ने की कगार पर पहुंच चुके हैं। अगर ऐसा होता है तो फिर प्रदेश के कई स्थानों पर जल प्रलय की स्थिति बन जाएगी। दरअसल प्रदेश में कई डैम तीन सौ से लेकर एक सदी तक पुराने हो चुके हैं। अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो प्रदेश के 63 से ज्यादा डैम सौ साल से अधिक पुऱाने हो चुके हैं। इन डैमों की उम्र भी लगभग इतनी ही होती है। डैमों की इस स्थिति का खुलासा संसदीय पैनल द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट से हुआ है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यप्रदेश के 63 डैम 100 साल से अधिक उम्र के हो चुके हैं, जिसकी वजह से उन्हें बंद किया जाना चाहिए। इस सिफारिश के साथ ही संसदीय पैनल ने देश में पुराने डैम की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जताई है। संसदीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 234 बड़े डैम सौ साल से अधिक पुराने हैं। उनमें से कुछ 300 साल से भी अधिक पुराने हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब तक कोई भी डैम बंद नहीं किया गया है। संसदीय पैनल ने बीते माह संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में कई बातों का जिक्र किया गया है।
1916 में बना था तिघरा डैम
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में बना तिघरा डैम को राज्य के सबसे पुराने डैम होने का दावा किया जाता है। यह डैम करीब 24 मीटर ऊंचा और 1341 मीटर लंबा है। तिघरा डैम का निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इस डैम के निर्माण का काम 1916 में सांक नदी पर शुरू किया गया था। इसके अलावा मुरैना जिले में पगारा डैम भी काफी पुराना है। पालकमती डैम का निर्माण भी 1940 के करीब हुआ था। इसी तरह से श्योपुर जिले में वर्ष 1908 में निर्मित वीरपुर, वर्ष 1910 में सिवनी जिले में निर्मित रुमल और 1913 में धार जिले में बने माही डैम भी सौ साल पुराने हो चुके हैं। अगर प्रदेश के प्रमुख बांधो की बात की जाए तो इनमें इंदिरा सागर डैम, ओंकारेश्वर डैम, तिघरा डैम, तवा डैम, बरगी डैम, बारना डैम और बकिया बैराज डैम शामिल हैं। इन डैमों के माध्यम से राज्य में कई सिंचाई परियोजना के साथ-साथ बिजली उत्पादन का भी काम हो रहा है। केन्द्रीय जल आयोग बीते साल तीन बांधों को जर्जर घोषित किया जा चुका हैं। इनमें सागर का नयाखेड़ा टैंक बांध के अलावा विदिशा का सम्राट अशोक सागर बांध (हलाली बांध) और नर्मदापुरम के खोरीपुरा बांध का नाम शामिल है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के बाद जल संसाधन विभाग सागर के अधिकारियों में हडक़ंप मच गया था। इसके बाद सरकार ने पुराने हो चुके कुल 27 बांधों की मरम्मत कराने का फैसला किया है। यही नहीं बांधों की इस स्थिति पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) भी आपत्ति कर चुका है। उसके द्वारा सरकार को मरम्मत कराने की सलाह भी दी गई थी, जिसके लिए राज्य सरकार 551 करोड़ रुपये मंजूर भी कर चुकी है। इस राशि से श्योपुर जिले में वर्ष 1908 में निर्मित वीरपुर, वर्ष 1910 में सिवनी जिले में निर्मित रुमल और 1913 में धार जिले में बने माही सहित प्रदेश के 27 बांधों की सरकार मरम्मत कराएगी। इन बांधों की दीवार में कहीं-कहीं दरार आ चुकी हैं या कहीं-कहीं मिट्टी धंस रही है। मरम्मत कार्य के लिए सरकार ने 551 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
इन बांधों की होगी मरम्मत
प्रदेश में ज्यादातर बांध 35 साल पुराने हैं। जबकि, तीन बांधों (वीरपुर, रुमल और माही) को बने हुए सौ साल से अधिक हो चुके हैं। सरकार जिन बांधों की मरम्मत कराएगी उनमें इंदौर का देपालपुर और चोरल, सागर का चंदिया नाला, मंसूरवारी और राजघाट, खंडवा का भगवंत सागर, मंदसौर का गांधी सागर, काका साहेब गाडगिल सागर और रेताम, भोपाल का कलियासोत, केरवा और हथाईखेड़ा, बैतूल जिले का चंदोरा, नर्मदापुरम का डोकरीखेड़ा, सीधी का कंचन टैंक, शिवपुरी का कुडा, टीकमगढ़ का वीर सागर और नंदनवाड़ा, मंडला का मटियारी, आगर मालवा का पोपलिया कुमार, धार का सकल्दा, रतलाम का रुपनियाखाल, शाजापुर का तिल्लार और कटनी का बोहरीबंद बांध शामिल है।
8 महीने पहले कारम डैम में आ गई थी दरार
बता दें कि आठ माह पहले धार जिले के कारम नदी पर बना डैम में दरार आ गई थी। मिट्टी के इस डैम से पानी रिसने लगा था। डैम को फटने से बचाने के लिए सेना ने मोर्चा संभाला था। बरसात के दिनों में राज्य के ज्यादातर डैमों में क्षमता से ज्यादा पानी आने के कारण भी डैम के फटने का डर बना रहता है। हालांकि डैमों को लेकर राज्य के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा था कि मध्यप्रदेश के सभी डैम पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
बांध कर चुके हैं सौ साल पूरे
मध्यप्रदेश के 63 छोटे-बड़े डैमों की अवधि 100 साल से ज्यादा है। हालांकि इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि कौन-कौन से ऐसे डैम हैं जो सौ साल से ज्यादा की अवधि को पूरा कर चुके हैं। अगर डैमों की बात करें तो एमपी में कई ऐसे डैम हैं जो राज्य के लिए उपयोगी माने जाते हैं।