दो साल बाद टूटा शुरूआती माह में कर्ज लेने का सिलसिला

राज्य सरकार
  • राज्य सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में 24 मार्च को 4473 करोड़ रुपए का एक बार में लिया था सबसे बड़ा कर्ज…

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
    राज्य सरकार द्वारा पिछले लगातार दो वित्तीय वर्षों के शुरूआती महीनों में ही कर्ज लेने का सिलसिला चल रहा था। हालांकि अब दो साल बाद यह सिलसिला टूटा है। यह अच्छी बात है कि इस वित्तीय वर्ष के ढाई महीने बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार को कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी है। हालांकि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि सरकार बाजार से कर्ज नहीं लेगी, राज्य सरकार द्वारा आगे कर्ज लेने की संभावनाएं बनती दिख रहीं है। वहीं वित्तीय वर्ष के शुरूआती दो महीनों में बाजार से लिए जाने वाला कर्ज वर्तमान वित्त वर्ष में बंद हुआ है। बहरहाल मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने 49 हजार 463 करोड़ इकसठ लाख रुपए कर्ज लेने का लक्ष्य रखा है।
    औद्योगिक गतिविधियां  रहीं संचालित
    हालांकि इस दौरान प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियां सामान्य तरीके से संचालित हो रहीं थी और उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति में कमी ना हो इसके लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे। वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान खास बात यह रही कि इस बार कोरोना के मामले बढ़ने के बाद भी मजदूरों का पलायन नहीं हुआ। यही वजह रही की मजदूरों का की कमी के कारण किसी और जगह प्रतिष्ठान को बंद करने की नौबत नहीं आई। हालांकि व्यवसायिक प्रतिष्ठान जरूर कर्फ्यू के दौरान बंद रहे। बाजारों के बंद रहने से माल का उठाव नहीं हो सका। बाजारों में बंद रहने से मांग की गिरावट का दौर जारी रहा लेकिन जैसे ही कोरोना से राहत मिली मांग में फिर तेजी आने लगी है। ज्ञात रहे कि प्रदेश में एक जून से अनलॉक का सिलसिला शुरू हो गया था। उसके बाद रियायतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
    परिवहन और शराब की दुकानों पर भी रोक लगी
    कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के प्रकोप से बचाव के लिए राज्य सरकार ने जहां शराब की दुकानों को बंद कर दिया था वहीं परिवहन भी बिल्कुल सीमित कर दिया था। महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से अंतरराज्यीय बसों के परिवहन पर रोक लगा दी गई थी। खास बात यह है कि बसों के परिवहन नहीं होने पर उन्हें एडवांस टैक्स जमा कर परिचालन की शर्त से राहत दे दी गई थी। यही वजह है कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक असर नहीं पड़ा जबकि पिछले वर्ष इस अवधि में पूर्ण लॉकडाउन के कारण औद्योगिक गतिविधियां लगभग बंद हो गई थी। यही नहीं मजदूरों के पलायन के कारण औद्योगिक कई इकाइयां तो बंद ही हो गई थी। उद्योगों को उसके बाद भी मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ा था और इस कारण से प्रदेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई थी।
    कोरोना नियंत्रण करने में बीते शुरूआती महीने
    उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरूआती दो महीने यानी अप्रैल और मई में कोरोना नियंत्रण करने में ही बीते। दरअसल यह वो समय था जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की भयावहता ने प्रदेश में हाहाकार मचा दिया। अस्पतालों में मरीजों को बेड्स नहीं मिलने, इंजेक्शन, आवश्यक दवाओं और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने और  हालात पर पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही थी। उसके बाद भी प्रदेश में संक्रमण की रफ्तार 20 फीसदी से भी ज्यादा बनी रही। भयावहता की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार को कोरोना कर्फ्यू लागू करना पड़ा और उसके बाद आखिरकार सरकार को लॉकडाउन भी लगाना पड़ा।
    सरकार पर है दो लाख करोड़ से अधिक का कर्ज
    वित्त विभाग ने कर्ज लेने के लिए राज्य की जो वित्तीय स्थिति की जानकारी दी है उसके अनुसार से 31 मार्च 2020 की स्थिति में सरकार द्वारा दो लाख एक हजार 989 करोड़ 28 लाख रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार ने सिर्फ बाजार से ही 38,373 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसको मिलाकर सरकार पर कर्ज का आंकड़ा दो लाख चालीस हजार करोड़ के पर कर गया है। वही मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने 49 लाख 463 करोड़ इकसठ लाख रुपये कर्ज लेने की सहमति दी है। ज्ञात रहे कि पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने 24 मार्च को 4473 करोड़ रुपए का कर्जा लिया था। यह कर्ज मध्य प्रदेश के इतिहास एक बार में लिया गया सबसे बड़ा कर्ज था। आश्चर्य की बात है कि यह कर्ज सिर्फ दो वर्ष की अवधि के लिए लिया गया। यहां यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि प्रदेश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था कि सरकार को मात्र दो साल में ही कर्ज की अदायगी का वादा वित्तीय संस्थाओं से करना पड़ा हो लेकिन बढ़ते खर्च, केंद्र से मिलने वाली राशि में लेटलतीफी और सीमित आमदनी के कारण राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले खर्च चलाने के लिए बाजार से कर्ज लेने की लगातार नौबत आ रही थी। यही वजह रही कि इतनी कम अवधि के लिए यह इतना बड़ा लोन लिया गया।

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