कर्मचारियों के बाद अब डीएफओ के खिलाफ विधायकों ने भी खोला मोर्चा

डीएफओ
  • सीएम के दौरे को लेकर विभाग में मचा हड़कंप, गिर सकती है गाज

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। छतरपुर जिले के वन मंडलाधिकारी अनुराग कुमार को एक अधीनस्थ अफसर पर कार्रवाई करना लगातार भारी पड़ रहा है। हालात यह हैं कि विभाग के कर्मचरियों से लेकर जिले के स्थानीय विधायक तक डीएफओ के खिलाफ खोले गए मोर्चा में शामिल हो गए हैं।  खास बात यह है कि इनमें सभी दलों के विधायक शामिल हैं। यह सभी लोग डीएफओ को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी 29 मार्च को छतरपुर जाना है जिसकी वजह से वन विभाग के मुख्यालय स्तर तक में हड़कंप मचा हुआ है। उधर तमाम प्रयासों के बाद भी लंबे अरसे से छतरपुर डीएफओ अनुराग कुमार को हटाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। उन्हें हटाने की मांग को लेकर दक्षिण वन मंडल पन्ना के वन अधिकारी एवं कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चल रहे हैं।
वन कर्मचारियों के स्थानीय होने के अलावा उनकी बड़ी संख्या को देखते हुए उनके समर्थन में भाजपा के स्थानीय विधायक भी आ गए हैं। इसके बाद से ही विभाग के भोपाल के आला अफसरों तक में हड़कंप दिखना शुरू हो गया है। उन्हें लग रहा है कि कहीं छतरपुर में ही मुख्यमंत्री द्वारा अनुराग कुमार को हटाने की घोषणा न कर दी जाए। दरअसल  इस आंदोलन को अब तक विधायक मलखान सिंह चौहान, प्रद्युम्न सिंह लोधी और सपा विधायक राजेश शुक्ला अपना समर्थन दे चुके हैं। तीनों विधायकों ने डीएफओ अनुराग कुमार को छतरपुर से हटाने की मांग की है. भाजपा विधायकों ने आंदोलनरत वन कर्मियों को आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के छतरपुर आगमन पर उन्हें डीएफओ द्वारा किए जा रहे कथित प्रताड़ना से अवगत कराया जाएगा।
धाकड़ के बाद अब अग्रवाल को सौंपा जिम्मा
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक महेंद्र सिंह धाकड़ के असफल रहने के बाद अब एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल को आंदोलनरत वन कर्मियों एवं अधिकारियों से बातचीत करने के लिए भेजा गया है। यही नहीं इस मामले को सुलझााने के लिए अलग से भोपाल से राज्य उड़न दस्ते को भी भेजा गया है। मनोज अग्रवाल सभी से बातचीत कर उनकी समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करेंगे। इसके पहले धाकड़ वहां पहुंचे थे और अनुराग कुमार को हटाने  का आश्वासन दे आए थे। उनके इस आश्वासन पर छतरपुर वन मंडल के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी सामूहिक अवकाश से लौट आए थे। इस मामले में छतरपुर सीसीएफ पीपी टिटारे पूरी तरह से शांत बने हुए हैं। इसकी वजह है उनका तीन माह बाद  सेवानिवृत्त होना। यही वजह है कि वन बल प्रमुख आरके गुप्ता से लेकर सभी सीनियर अधिकारियों का मानना है कि सीसीएफ टिटारे इस मामले में पूरी तरह से अक्षम साबित हुए है। वे चाहते तो वन कर्मचारियों एवं अधिकारियों की समस्या का निराकरण कर सकते थे। समस्याओं का निदान करने उनके अधिकार क्षेत्र में है, पर ऐसा न करके उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमताओं पर सवालिया निशान लगा दिए। सूत्रों ने बताया कि सीसीएफ और डीएफओ के बीच अनबन होने की वजह से सीसीएफ का आंदोलनरत वन कर्मियों के साथ अप्रत्याशित सहयोग बना हुआ है।
यह बताई जा रही है वजह
कोर्ट से स्टे पर नौकरी कर रहे एसडीओ केबी गुप्ता बीजेपी की स्थानीय राजनीति में दखलअंदाजी रखते हैं। एसडीओ गुप्ता की कार्यशैली हमेशा से विवादित रही है। डीएफओ अनुराग कुमार ने गुप्ता के खिलाफ एक्शन लेते हुए  बड़ा मलहरा परिक्षेत्र के गोरखपुरा बीट में अवैध अवैध उत्खनन, कुंडाजनी बीट में 1 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण, बक्सवाहा रेंज के सुमेरपुरा में 35 हेक्टेयर पर नए अतिक्रमण और अवैध कटाई के मामले में दोषी पाए जाने पर  गुप्ता को चार्जशीट जारी की। इसी तरह से अन्य लोगों पर कार्रवाई हुई। बड़ी कार्रवाई से बचने के लिए गुप्ता ने वन कर्मियों को भड़का कर आंदोलन खड़ा कर दिया।

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