
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नगर निगम ग्वालियर में प्रोजेक्ट उदय के तहत 110 करोड़ की लागत से पेयजल संबंधी कामों में बीते एक दशक से भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी आरोपी अफसरों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले की शिकायत के बाद लोकयुक्त द्वारा जांच की गई थी, लेकिन इस जांच का क्या हुआ कोई नहीं जानता है। इस बीच एक बार फिर इन गड़बडिय़ों की शिकायत ईओडब्ल्यू में की गई, जिस पर मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी गई है।
इस मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का कोई परिणाम नहीं निकलने पर इस मामले की शिकायत इस बार मय दस्तावेजों के ईओडब्ल्यू में की गई। इसके बाद मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी गई है। इस मामले में शिकायतकर्ता के बयान भी दर्ज कराए जा चुके हैं। शिकायत में 77 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में भी इसकी शिकायत की गई है। इसके बाद केन्द्रीय मंत्रालय ने पूरे मामले की जांच के लिए भी प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। कुल मिलाकर एडीबी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। दरअसल 2007 में प्रोजेक्ट उदय के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से 110 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था और उससे पानी की टंकी, पाइप लाइन, वाटर फिल्टर प्लांट एवं घरों में पानी की मीटर लगाए जाने थे। 2009 में इस प्रोजेक्ट का कार्य खत्म होने की बात कही गई, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। 300 किलोमीटर लाईन बिछनी थी, 15 पानी की टंकी बनना थी, 6500 घरों में पानी के मीटर लगना थे, वाटर फिल्टर प्लांट बनना था, मोती झील फिल्टर प्लांट अपग्रेड होना था। साथ ही लोगों के घरों में 9 मीटर ऊंचाई तक पानी पहुंचना था, परंतु पानी की लाइनों के कनेक्शन ही नहीं हुए। इसके बाद लगातार शिकायतें हुई। लोकायुक्त ने भी इस प्रोजेक्ट का कार्य देखने वाले आधा दर्जन नगर निगम एवं पीएचई अधिकारियों की जांच की। हालांकि किसी का कुछ नहीं बिगड़ा। अब शिकायतकर्ता विष्णु दत्त शर्मा की शिकायत पर फिर से मामला खुला है। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित, मुख्य सचिव, नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव से लेकर एक दर्जन जगहों पर भी शिकायत की है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मांगा जवाब
इस मामले में शिकायत मार्च 2023 में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में की गई थी। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अवर सचिव जेवियर टोप्पो ने मप्र के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर एडीबी प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए पत्र लिखा है। इसके बाद से नगर निगम अधिकारियों से पुराना रिकॉर्ड मांगा गया है। लेकिन अधिकारी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा सके हैं।