
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगातार हमले कर सुर्खियों में रहते हैं पूर्व मुख्यमंत्री…
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी कार्यशैली को लेकर हर दिन पानी पी-पी कर कोसते रहते हैं, लेकिन सच यह है कि वे तो ठीक उनके पिता भी संघ के समर्थक रह चुके हैं। यह खुलासा किया है वरिष्ठ पत्रकार जयकिशन शर्मा ने। उनका कहना है कि इनका मतलब होता है तो यह राष्ट्रीय स्वयं संघ के साथ हो जाते हैं और जब मतलब निकल जाता है तो उससे बाहर हो जाते हैं। वे दोहरी राजनीति करते हैं। यह खुलासा उनके द्वारा आरएसएस को दीमक बताने वाले दिग्विजय सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए किया गया है। वरिष्ठ पत्रकार शर्मा ने इस खुलासे के लिए एक किस्सा भी सुनाया है। उनका कहना है कि 1968 में जब माधव राव सिंधिया ने जनसंघ में प्रवेश किया था। उस समय उनकी ग्वालियर के छत्री बाजार के मैदान में एक सभा आयोजित की गई थी। इसके दूसरे ही दिन दिग्विजय सिंह राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सचिव सरदार आंग्रे के पास मिलने आए थे। तजब उन्हें द्वारा सरदार आंग्रे से कहा गया था कि वे अब जनसंघ और संघ में काम नहीं करेंगे। इसकी वजह उनके द्वारा तब बताई गई थी कि अब माधवराव सिंधिया की ज्यादा चलेगी। मैं राजा हूं, वो भी महाराजा हैं। इसलिए मैं अब अलग राह चुनूंगा। पहले दिग्विजय संघ के बहुत निकट थे। दिग्विजय सिंह के पिताजी दिलीप सिंह को टिकट की जरूरत थी, तब उन्होंने माणिकचंद वाजपेयी (मामाजी) से कहा था कि मुझे टिकट दें तो मैं जीतकर बताता हूं। बाद में वे फिर कांग्रेस में चले गए। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इंदौर में युवक कांग्रेस के कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखा हमला बोलते हुए संघ की तुलना दीमक से कर दी। उन्होंने कहा कि आप ऐसे संगठन से लड़ रहे हैं, जो ऊपर से नहीं दिखता। जिस तरह दीमक किसी वस्तु या घर में लड़ती है, उसी तरह आरएसएस काम करता है। यह बोलकर मैं सबसे ज्यादा गाली भी खाने वाला हूं। उन्होंने कहा कि यह आरएसएस की विचारधारा है। मैं चाहता हूं कि आरएसएस के लोग मुझसे बहस करें। उन्होंने कहा कि आरएसएस रजिस्टर्ड संस्था तक नही है। ये केवल गुपचुप तरीके से काम करते हैं। खुलेआम कोई काम नहीं करेंगे। गुप्त रूप से बात करेंगे। कानाफूसी करेंगे। गलत बात फैलाएंगे। मैं यह पूछना चाहता हूं कि संगठन के रूप में आरएसएस ने क्या कभी कोई धरना दिया है? क्या कोई आंदोलन किया है? कहीं किसी आम आदमी, किसान या मजदूर की लड़ाई लड़ी है? कभी नहीं लड़ेंगे। कभी ऊपर से नहीं आएंगे। वो हमेशा आपके घर में आएंगे। आपसे कहेंगे- भाई साहब, आपने बहुत दिन से चाय नहीं पिलाई है। चाय तो पिलाइए। भोजन करा दीजिए। यह लोग ऐसे ही विचारधारा को फैलाते हैं। यह बात अलग है कि कार्यक्रम में जब उनसे एक पत्रकार ने पूछ की आपको संघ को कौन सा एक काम पसंद है तो उन्होंने इसका उत्तर उसके संगठन के रुप में दिया।
हिंदू धर्म को नहीं बताया कोई खतरा
सिंह ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म को कभी भी खतरा नहीं रहा है। हिंदू धर्म इतना व्यापक, विशाल है कि यहां सबको स्वीकार किया गया है। ईसाई धर्म पश्चिम के देशों में बाद में गया, पहले यहां आया। ईसा मसीह के 40 साल बाद ईसाई धर्म हमारे देश में आ गया था। इस्लाम यहां आठवीं सदी में आ गया था। तब भी हिंदुओं को कोई खतरा नहीं था। मुगलों का शासन 500 साल रहा, तब भी हिंदू धर्म को खतरा नहीं रहा। ईसाइयों और अंग्रेजों का राज डेढ़ सौ साल रहा, तब तो हिंदुओं को कोई खतरा नहीं रहा। आज जब राष्ट्रपति से लेकर ऊपर के सभी पदों पर हिंदू है तो हिंदू धर्म को खतरा कैसे हो गया? यह बात मैं समझ नहीं पा रहा हूं।
यह भी लगाए संघ पर आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि हिंदुओं के लिए खतरा बताया जाता है। ताकि वे लोग फासीवादी मनोवृत्ति और विचारधारा को आगे ले जा सके। उससे राजनीतिक रोटियां सेंक सकें। राजनीतिक पद प्राप्त कर पैसा कमा सकें। इतनी बात समझ लें तो आप इनसे लड़ सकेंगे। संघ से कैसे लड़ेंगे? यह तो कोई रजिस्टर्ड संस्था ही नहीं है। इसकी कोई सदस्यता ही नहीं है। इसका कोई अकाउंट ही नहीं है। संघ का कोई व्यक्ति आपराधिक कार्य में पकड़ा जाता है तो कहते हैं कि यह तो हमारा सदस्य ही नहीं है। जब आपका संगठन रजिस्टर्ड ही नहीं है तो हम बताएंगे कैसे कि कोई व्यक्ति इसका सदस्य है।