- 6 जनवरी से होगी शुरुआत, तैयारियां पूरी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
नए साल में मप्र की मोहन सरकार एक नया प्रयोग करने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सीएम हाउस में जनता दरबार का आयोजन करने वाले हैं। इसके जरिए मौके पर ही लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। पहला जनता दरबार 6 जनवरी को लगाने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। इससे पहले दिग्विजय सिंह, उमा भारती और शिवराज भी इसी तरह से दरबार लगाकर जनता की शिकायतें सुनते रहे हैं। यह दरबार मुख्यमंत्री आवास पर सुबह 10 से 12 बजे तक लगेगा, जिसमें खुद सीएम लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनेंगे। दरबार में ट्रांसफर-पोस्टिंग के आवेदन नहीं लिए जाएंगे। बीमार, जरूरतमंदों के आवेदनों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसमें 500 से 600 लोगों के आने की संभावना है। पहले जनता दरबार के फीडबैक के आधार पर कुछ संशोधन होंगे। जैसे हर बार दरबार किस दिन लगेगा। इसमें शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी या नहीं।कितने लोगों को शामिल किया जाएगा?
इस तरह से किया जाएगा शामिल
जिन लोगों ने पहले शिकायत की हैं, उनके आवेदनों को शामिल कर सीएम से मिलने के लिए बुलाया जाएगा। यहां संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। सीएम समस्या के निराकरण के लिए मौके पर ही अफसरों को निर्देश देंगे। दरअसल पहले से लोगों की समस्याओं को दूर करने लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म तो हैं, मगर समस्याएं यहां हल नहीं हो रही हैं। लोग शिकायत लेकर जनसुनवाई में पहुंचते हैं, लेकिन समय पर निराकरण नहीं होता। दूसरी तरफ सीएम हेल्पलाइन जैसे प्लेटफॉर्म हैं। जहां शिकायत करने के बाद फोर्सली शिकायत बंद करने के लिए दबाव बनाया जाता है। पिछले दिनों जब समाधान ऑनलाइन और सीएम हेल्पलाइन की खुद मुख्यमंत्री ने समीक्षा की थी तब ऐसे मामले निकलकर सामने आए थे।
उमा को बंद करना पड़ा दरबार
वर्ष 2003 में उमा भारती ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जनता दरबार की शुरुआत की थी। वह सीएम हाउस पर लोगों से मुलाकात करती थीं। जिसके परिणाम भी अच्छे आ रहे थे। उनके द्वारा तत्काल ही अफसरों को समस्याओं के समाधान के लिए निर्देश दिए जाते थे। उनका यह कदम बेहद लोकप्रिय हुआ था। इसकी वजह से दरबार में लोगों की भारी भीड़ सीएम आवास पर आने लगी थी। उनके पहले दस साल की दिग्विजय की सरकार थी, इसलिए लोगों की इच्छाएं और आकांक्षा नई सरकार से अधिक थीं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों ने कोई व्यवस्था नहीं की थी , जिसकी वजह से भारी भीड़ से अव्यवस्था की स्थिति बनने लगी थी, लिहाजा दरबार को ही बंद करना पड़ा।
दिग्विजय सिंह सुबह 6 बजे से लोगों से मिलते थे
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में भी जनता दरबार लगता था। मुख्यमंत्री आवास पर सुबह 5 बजे से लोगों की भीड़ जमा हो जाती थी। दिग्विजय सिंह सुबह 6 बजे ही लोगों से मिलना शुरू कर देते थे। उस समय लोग हाथों में आवेदन लेकर दोनों तरफ कतार बनाकर खड़े हो जाते थे। दिग्विजय सिंह इन दोनों कतारों के बीच में पहुंचकर लोगों के शिकायती आवेदन लेते थे। किसी शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करना होती थी, तो अधिकारियों को निर्देश दे देते थे। उनके समय में सुबह छह बजे तक आने वाले लोगों को ही दरबार में प्रवेश दिया जाता था। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान लंबे समय तक सूबे के मुखिया रहे, लेकिन उन्होंने जनता दरबार नहीं लगाया। वे खुद लोगों के बीच पहुंचते थे। उनकी शिकायत-समस्याएं सुनते और निराकरण के आदेश देते थे। शिवराज ने लोगों की शिकायतों के निराकरण के लिए सिस्टम का विकेंद्रीकरण किया। उन्होंने जिला और प्रदेश स्तर पर हर मंगलवार को जनसुनवाई की शुरुआत की। वहीं लोगों के समय सीमा में काम पूरे हो इसके लिए लोकसेवा गारंटी अधिनियम 2010 लागू किया।