
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में भाजपा सांसदों और मंत्रियों के नाम के फर्जी लेटर हेड पर अफसरों व कर्मचारियों के नाम पर की तमाम तबादलों की शिकायतों पर इन दिनों मंत्रालय से लेकर सीएम सचिवालय तक में हड़कंप मचा हुआ है। खास बात यह है कि अब तक जो भी इस तरह के मामले सामने आए हैं, उनमें 90 फीसदी सिफारिशी पत्रों का उपयोग विधायक रामपाल सिंह के नाम के ही किए गए हैं। आला अफसरों से लेकर सरकार तक यह नहीं समझ पा रही है कि आखिर रामपाल के नाम का ही सर्वाधिक उपयोग आरोपियों द्वारा क्यों किया गया है। यह बात अलग है कि जिन नेताओं के फर्जी पत्रों का उपयोग तबादलों की सिफारिशों में किया गया है उनमें भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, रोडमल नागर, मंत्री मोहन यादव, भूपेंद्र सिंह और महेंद्र सिसोदिया का नाम भी शामिल है। अब तक इस तरह के करीब तीन दर्जन पत्रों का खुलासा हो चुका है। प्रारंभिक रूप से जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक अब तक विधायक रामपाल सिंह के नाम के फर्जी लेटर हेड पर 30 कर्मचारियों के नामों की सिफारिश होने का पता चला है। अब इन सभी को पूछताछ के लिए पुलिस द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं। इसके साथ ही फिलहाल अज्ञात आरोपी के खिलाफ मुख्यमंत्री कार्यालय की शिकायत पर धोखाधड़ी एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज कर लिया गया है। इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सिफारिशी पत्र लिखने वाले जनप्रतिनिधि से कन्फर्म करने को कहा गया है।
यह की जाएगी पूछताछ
इस मामले में जिन कर्मचारियों व अफसरों के नामों पर सिफारिश की गई है उन सभी से यह पूछा गया है कि उनके द्वारा आखिर उन्होंने फर्जी तरीके से यह आवेदन कब और किसके माध्यम से करवाया था। अगर उनके द्वारा दी गई जानकारी से पुलिस संतुष्ट नहीं होती है तो फिर संबंधित सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जाएगी। खास बात यह है कि नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि इस मामले को गंभीरता से लेकर तत्काल अपना जवाब भेजें।
भोपाल के किसी कर्मचारी का नहीं है नाम
फर्जी तबादला सिफारिश पत्रों में की गई सिफारिश की खास बात यह है कि इसमें भोपाल में पदस्थ किसी कर्मचारी और अधिकारी का नाम शामिल नहीं है। पुलिस द्वारा की जा रही जांच में पता चला है कि इस तरह की फर्जी सिफारिशों के साथ अधिकारियों व कर्मचारियों के आवेदन विभागीय मंत्री को देने की जगह सीधे संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय भेजे गए हैं। जिन जिलों के कर्मचारियों के नाम इनमें मिले हैं उनमें विदिशा, देवास, सीधी, बड़वानी, आगर मालवा, कटनी, शिवपुरी, रीवा, छतरपुर, सीहोर, उज्जैन, हरदा, एवं होशंगाबाद शामिल है।
भाषा की वजह से हुआ संदेह
दरअसल जब यह पत्र आला अफसरों के सामने पहुंचे तो उसकी भाषा शैली देखकर अफसरों को संदेह हुआ, जिसके बाद उसकी जांच का जिम्मा इंटेलिजेंस विभाग को दिया गया। इस बीच पता चला कि प्रदेश में इस तरह के कई पत्र लिखे गए हैं। यही नहीं इसी तरह की जालसाजी करने का भी एक मामला सामने आया , जिसमें एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया। इसके बाद सभी पत्रों की जांच शुरू की गई , जिसमें अब तक करीब तीन दर्जन फर्जी सिफारिशों का पता चला है। दरअसल इन सिफारिशी पत्रों को आदेशात्मक भाषा में लिखा गया है। इसके अलावा हाल ही में एक विभाग में एक सांसद और विधायक का सिफारिशी पत्र पहुंचा था, जिसका वेरिफिकेशन कराने पर पता चला कि जिनके नाम की सिफारिश की गई है उसे वे जानते तक नहीं हैं। यही नहीं जिन लैटरहेड का उपयोग किया गया है , वे न केवल ओरिजनल दिखते हैं बल्कि हस्ताक्षर भी हूबहू पाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने सिफारशी पत्रों के वेरिफिकेशन के दिए निर्देश
तबादलों के लिए फर्जी लेटर हेड का उपयोग किए जाने की जानकारी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने सख्त रुख दिखाते हुए सभी विभागों को सख्ती से सांसद, मंत्री व विधायकों के शिफारशी पत्रों का वेरिफिकेशन संबंधित से करने के निर्देश दिए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि उनके पत्रों का वेरिफिकेशन होने के बाद ही निर्णय लें। उन्होंने कहा है कि कहीं भी ऐसा नहीं होना चाहिए कि फर्जी पत्र के आधार पर किसी का तबादला हो जाए। इस मामले में चौहान द्वारा संबंधित कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा गया है।