आखिर देनी ही पड़ी कुमार प्रतीक को विदाई, अब कलेक्टर की बारी

 कुमार प्रतीक
  •  संघ की नाराजगी के बाद संगठन ने भी माना प्रशासन की लापरवाही

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाके सिवनी में की गई दो आदिवासी युवकों की हत्या के मामले में आखिरकार एक पखवाड़े के इंतजार के बाद पुलिस कप्तान कुमार प्रतीक की विदाई सरकार को करनी ही पड़ गई। इस कार्रवाई के पीछे संघ के साथ ही सत्ता की नाराजगी रही है। इसी मामले में अब कलेक्टर के तबादले की भी संभावना जताई जा रही है। उधर गुना में हुई तीन पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में भले ही सरकार आईजी को हटाकर अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन थाना प्रभारी से लेकर पुलिस कप्तान तक पर अब तक कार्रवाई न होना कई तरह के सवालों को जन्म दे रहा है। इधर बीते दो दिनों में कई अन्य जगहों पर भी पुलिस दल पर हमले की खबरें आयी हैं , लेकिन उन मामलों में भी अब तक कोई बड़ी कार्रवाई होती नहीं दिखी है। दरअसल सिवनी जिले में गोकुशी के आरोप में माव लिंचिंग के शिकार हुए आदिवासी युवकों की मौत के मामले में पुलिस ने हत्या के आरोपियों को बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़ा होना तक बता डाला था। इसी बात को लेकर संघ बेहद नाराज चल रहा था। इसके बाद भाजपा संगठन ने भी एक जांच दल मौके पर भेजा था। इस बीच सोशल मीडिया पर पुलिस के बयानों के आधार पर विपक्षी दलों द्वारा तमाम आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे। इसके बाद ही सरकार ने इस मामले की जांच एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) से कराने का फैसला किया है। इस मामले में बीते रोज ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एसआइटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है की पिछले दिनों भीड़ ने दो जनजातीय युवकों को गोमांस रखने के शक में पीट- पीटकर मार दिया था।
भाजपा ने भेजा था छह सदस्यीय जांच दल
सिमरिया गांव की इस घटना को लेकर सियासत ने जोर पकड़ा तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने छह सदस्यीय जांच दल गठित कर मौके पर भेजा था। जांच दल ने मृतकों के परिजनों से भेंट कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन को सौंपी थी। भाजपा प्रदेश संगठन ने पहली बार मॉब लिंचिंग से मौत के मामले में तीन सांसद, अजजा के दो राष्ट्रीय पदाधिकारी और एक विधायक का जांच दल बनाया था। इस टीम ने तीन पन्ने की रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही बताई थी। इस रिपोर्ट के बाद शासन ने दो दिन पहले जांच टीम बनाई थी, लेकिन एसआईटी के जाने के पहले ही गुना की आरोन घटना के चलते कार्रवाई हो गई। भाजपा सूत्रों की मानें तो जल्द ही कलेक्टर को भी हटाया जा सकता है। , जिसके बाद ही मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित कर 10 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। अब इसके लिए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डा. राजेश राजौरा के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई है। इसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल अखेतो सेमा और माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव श्रीकांत भनोट भी शामिल हैं।
श्रीरामनवमी के दंगे पर गिरी खरगौनकलेक्टर व एसपी पार गाज
श्रीरामनवमी की शोभायात्रा पर पथराव की घटना और फिर सांप्रदायिक दंगा भड़कने की गाज पुलिस अधीक्षक सिद्वार्थ चौधरी के साथ ही कलेक्टर अनुग्रह पी. पर भी गिरी है। राज्य शासन ने उनका शनिवार देर शाम उनका तबादला आदेश जारी कर दिया। अनुग्रह पी को मप्र भवन नई दिल्ली में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) बनाकर भेजा है। रतलाम कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को खरगोन की जिम्मेदारी सौंपी है। जबकि अपर आयुक्त जबलपुर संभाग तरुण भटनागर को निवाड़ी कलेक्टर और निवाड़ी कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी को रतलाम कलेक्टर पदस्थ किया है। उधर, झाबुआ एसपी आशुतोष को सतना, सतना एसपी धर्मवीर सिंह को खरगोन भेजा है। वहीं खरगोन एसपी सिद्धार्थ चौधरी को सहायक पुलिस महानिरीक्षक भोपाल और पुलिस उपायुक्त इंदौर अरविंद तिवारी को एसपी झाबुआ पदस्थ किया गया है। इसके अलावा एसपी एसटीएफ इंदौर मनीष खत्री को खरगोन का अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। जबकि खरगोन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चौरसिया को सहायक पुलिस महानिरीक्षक पदस्थ किया गया है।

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