-नियामक आयोग की जनसुनवाई में बिजली दरें बढ़ाने का विरोध
-उधर, बिजली मारेगी करंट… 30 पैसे प्रति यूनिट बढऩे के आसार

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बिजली कंपनियों के वित्तीय लेखे-जोखे के साथ ही विद्युत नियामक आयोग हर साल बिजली की नई दरें तय करता है। दर बढ़ाने से पहले दावे-आपत्ति लिए जाते हैं। आयोग ने आपत्तियों की सुनवाई के साथ ही इस बार फिर बिजली आम उपभोक्ताओं को करंट जरूर मारेगी। जानकारों की मानें तो 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि इस बार होना तय है। 1 अप्रैल से नई दरें लागू होंगी। मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उपभोक्ताओं और संगठनों की मप्र विद्युत नियामक आयोग ने जनसुनवाई की। इसमें औद्योगिक संगठनों सहित अन्य आपत्तिकतार्ओं ने बिजली दरें बढ़ाने का विरोध किया और कंपनियों को परफार्मेस सुधारने की नसीहत दी।
गौरतलब है कि सुनवाई के बाद मार्च के आखिरी सप्ताह में नई दरें नियामक आयोग रखेगा। आमजन जहां महंगाई की मार का बोझ झेल रहा है, वहीं बिजली एक बार फिर उपभोक्ताओं को करंट मारेगी। अभी औसत बिजली की दर 7 रुपए प्रति यूनिट मानी जाती है। इस हिसाब से 5 फीसदी भी नियामक आयोग बिजली की दर बढ़ाता है तो तकरीबन 30 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी तो तय मानी जा रही है। विडंबना इस बात की भी है कि नियामक आयोग हमेशा दावे-आपत्ति की रस्म अदायगी तो जरूर करता है, लेकिन इसमें विद्युत दरें हमेशा कंपनी के हितों को देखते हुए बढ़ाई जाती हैं।
मिनिमम चार्ज खत्म फिर वसूली क्यों?
जनसुनवाई में आपत्तिकर्ताओं का तर्क था कि जब इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेशन में मिनिमम चार्ज खत्म कर दिया गया है, तब बिजली कंपनियां इसे क्यों वसूल रही है? मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी सहित तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की टैरिफ पिटीशन में 3,915 करोड़ का घाटा बताकर आयोग से बिजली दरों में 8.71 फीसदी वृद्धि की अनुमति मांगी है। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली 9.97 फीसदी महंगी करने का प्रस्ताव दिया गया है। आयोग ने आॅनलाइन जनसुनवाई की। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के तहत आयोग को दो दर्जन आपत्तियां मिली थीं। इनमें गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ चैंबर्स कॉमर्स की तरफ से योगेश गोयल, मंडीदीप इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से सीबी मालपानी और आम आदमी पार्टी की ओर से प्रवीण खंडेलवाल ने आपत्तियां दर्ज कराईं।
जनसुनवाई में ये बातें आई सामने
नए बिजली अधिनियम में मिनिमम चार्ज खत्म कर दिया गया है, बावजूद कंपनियों ने नए टैरिफ में न्यूनतम चार्ज वसूलने का जिक्र किया है। नए कनेक्शन लेने वालों उपभोक्ताओं से बिजली लाइन और अन्य संसाधनों का खर्च वसूला जाता है। यह राशि किस्तों में उपभोक्ताओं को वापस करें। कंपनियां टीएंडडी लॉस कम करें। यह लॉस कम नहीं होगा, तब तक कंपनियों का परफार्मेस नहीं सुधरेगा और हर बार बिजली दरें बढ़ती रहेंगी। कोरोना काल में उद्योग-धंधे और कारोबार प्रभावित हुआ है। इंडस्ट्री को राहत देने के लिए दरें नहीं बढ़ाई जाए, बल्कि राहत की दरकार है। किसानों को पहले ही गुणवत्तायुक्त बिजली नहीं मिल रही है। ऐसे में कृषि उपभोक्ता और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के दाम बढ़ाना गलत है। बिजली के दाम बढ़ाने से पहले कंपनी को शहरों की तरह गांव में बिजली की अधोसंरचना तैयार करनी चाहिए। सरकार के पास बिजली सरप्लस है, तो महंगी बिजली क्यों खरीदती है। इससे उपभोक्ता पर बोझ पड़ता है।
जितनी बिजली खर्च उतना भुगतान लें
गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रतिनिधि योगेश गोयल ने जनसुनवाई में कहा कि इंडस्ट्रीज जितनी बिजली खर्च करती है, उतना भुगतान लें। आयोग हम लोगों के लिए एक दर निर्धारित कर देता है, बाद में कंपनियां न्यूनतम, फिक्स सहित कई चार्ज लगा देती हैं, जो उचित नहीं है। वहीं मंडीदीप इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी सीबी मालपानी ने कहा कि दो साल में इंडस्ट्री किन स्थितियों से गुजरी है, यह सभी को पता है। बावजूद बिजली दरों में वृद्धि अन्यायपूर्ण है। रेग्यूलेशन में मिनिमम चार्ज खत्म कर दिया गया है, लेकिन कंपनियों ने वसूलने की पूरी तैयारी की है।