
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का जंगल महकमा वैसे तो अपने कारनामों की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में बना रहता है। वहीं अब बाघ भ्रमण क्षेत्र में दखल को लेकर विभाग पर्यावरणविदों के निशाने पर है। दरअसल जंगल महकमा चंदनपुरा की जिस पचास हेक्टेयर भूमि को कब्जा कर सिटी फॉरेस्ट बनाने जा रहा है वह बाघ टी 1, टी 2 और उसके शावकों का भ्रमण क्षेत्र है।
यह क्षेत्र बाघों के लिए आदर्श रहवास माना जाता है लेकिन जंगल महकमा अब इस क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट बनाकर पब्लिक दखल बढ़ाने जा रहा है। हालांकि इसका विरोध भी शुरू हो गया है। राज्य वन्य प्राणी सलाहकार बोर्ड के सदस्य अभिलाष खांडेकर भी वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल को पत्र लिखने जा रहे हैं। वहीं वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले एक्टविस्ट भी सक्रिय हो गए हैं। पर्यावरणविद प्रभाष जेटली एनजीटी में याचिका दाखिल करेंगे। इंडिया मिशन ने सिटी फॉरेस्ट के लिए पांच करोड़ भोपाल वन मंडल को दिए हैं। बता दें कि पिछले दिनों चंदनपुरा मेंडोरा मेंडोरी और छावनी के करीब साढ़े तीन सौ हेक्टेयर वन क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया गया है। उसमें पचास हेक्टेयर क्षेत्र में भोपाल वन मंडल सिटी फॉरेस्ट बनाने जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिटी फॉरेस्ट बनने से इन क्षेत्रों में मानव दखल पड़ेगा और इसका असर वन्य प्राणियों खासकर बाघों पर पड़ेगा।
बता दें कि सिटी फॉरेस्ट के लिए वन विभाग ने चंदनपुरा खसरा नंबर 73, 84, 91 और 92 का चयन किया है। प्रभाष जेटली के मुताबिक उक्त चारों खसरों में दर्ज भूमि का एरिया पचास हेक्टेयर से कम आ रहा है। भोपाल वन मंडल के अफसर अपने आला अफसरों को भी गुमराह कर रहे हैं। ज्ञात रहे कि भोपाल वन मंडल के अफसरों ने लहारपुर स्थित इकोलॉजिस्ट पार्क के पास की राजस्व वन भूमि पर सिटी फॉरेस्ट बनाने का प्रस्ताव ग्रीन इंडिया मिशन को दिया था। लहारपुर में 895 हेक्टेयर राजस्व वन है। सिटी फॉरेस्ट बनने पर इस क्षेत्र को अतिक्रमण माफिया से बचाया जा सकता है। लहारपुर में आम पब्लिक को आने जाने के लिए बेहतर परिवहन सुविधा है। यह प्रस्ताव ग्रीन इंडिया मिशन के सर्वेसर्वा रमन को रास नहीं आया। रमन ने सिटी फॉरेस्ट के लिए बाघ भ्रमण क्षेत्र को सबसे उचित माना क्योंकि इस एरिया के जंगल घनत्व वाले हैं।
बाघ की पसंद का है एरिया
यह इलाका बाघों की पसंद वाला है। इसकी वजह है कि यहां पर बेहतर बायोडर्टिसिटी शिकार के लिए हिरण, चीतल व नीलगाय आसानी से उपलब्ध है। पानी के लिए कलियासोत और केरवा डैम है। यही नहीं जंगल के अंदर भी पानी की व्यवस्था है क्षेत्र में लेंटाना का कवर और मिश्रित जाति के वृक्ष भी बड़ी मात्रा में है। बढ़ता इंसानी दखल यहां की जैव विविधता को खतरा बनेगा।
अफसर चला रहे मनमर्जी
दरअसल वन विभाग में अफसरों की मनमर्जी चल रही है। यही वजह है कि नियम विरुद्ध होने के बाद भी बाघ की टेरिटरी वाले एरिया में निर्माण कार्य किया जा रहा है। बता दें कि केरवा और कलियासोत में सबसे पहले बाघ टी 1, टी 2 का इलाका हुआ करता था। वहीं अब यहां निर्माण कार्य होने के कारण बाघ टी 1, टी 2 और उनके शावकों ने बाघ ने चंदनपुरा, मेंडोरा और मेंडोरी तक अपनी टेरिटरी बढ़ा ली है। टेरिटरी पर जंगल महकमा सिटी फॉरेस्ट बनाने जा रहा है। यानी जंगल महकमा स्वयं वन अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस क्षेत्र में गैर वानिकी कार्यों के लिए उपयोग कर रहा है।
क्या है प्रस्ताव में
वन विभाग द्वारा सिटी फॉरेस्ट एरिया बनाने के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया गया है उसके हिसाब से यहां डेमोंसट्रेशन सेंटर, नेचर ट्रेल, जोकिंग ट्रैक, मनोरंजन उद्यान, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, स्ट्रक्चर वाटर टैंक के साथ ही विलुप्त प्रजाति के पौधों का गार्डन बनाया जाएगा।