
- इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहले चरण की प्रवेश प्रक्रिया पूरी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के 141 इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीई व बीटेक में प्रवेश के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग (डीटीई) की ओर से काउंसलिंग प्रक्रिया जारी है। प्रथम चरण की काउंसलिंग में करीब साढ़े 12 हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। करीब आठ हजार विद्यार्थियों ने आवंटित सीट को अपग्रेड कर दिया है। इसमें विद्यार्थियों ने सरकारी और स्वशासी कॉलेज में प्रवेश लेने का विकल्प दिया है। इनका आवंटन भी जारी कर दिया गया है। लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश के 34 कॉलेज ऐसे भी हैं जिनमें एक भी एडमिशन नहीं हुआ है।
प्रदेश में बीटेक की 71,400 सीटों पर एडमिशन के लिए प्रथम चरण की काउंसलिंग संपन्न होने के बाद दूसरे चरण की काउंसलिंग शुरू हो गई है। पहले चरण में भोपाल के 20 सहित प्रदेश के तीन दर्जन कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें एक भी स्टूडेंट ने एडमिशन नहीं लिया है। डीटीई को अब दूसरे राउंड से सीटें भरने की उम्मीद है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। विभाग ने बीई-बीटेक में प्रवेश के लिए करीब डेढ़ माह रजिस्ट्रेशन कराए, फिर भी बहुत कम एडमिशन हुए। प्रदेश के 34 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 10 हजार सीटें हैं, लेकिन इनमें एक भी प्रवेश नहीं हुआ। जबकि स्टूडेंट्स को चॉइस के मुताबिक कम्प्यूटर साइंस की सीट आवंटित कर दी गई थी, थी, लेकिन कॉलेज पसंद नहीं आने के कारण सीटें छोड़ दीं। अपग्रेडेशन में भी स्टूडेंट्स ने इन कॉलेजों में प्रवेश नहीं लिया।
राजधानी के इन कॉलेजों में जीरो एडमिशन
आलसेंट कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, आईस्कॉम फॉच्र्यून इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बगुलामुखी कॉलेज आफ टेक्नोलॉजी, भोपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, भोपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, भोपाल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, कॉर्पोरेट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कैलाश नारायण पाटीदार कॉलेज, कोपल कॉलेज, लक्ष्मीपति कॉलेज, मिलेनियम कॉलेज, मित्तल कॉलेज, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी कॉलेज, राधा रमन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, राधारमन इंजीनियरिंग कॉलेज आदि में जीरो प्रवेश हुए हैं।
खराब रिजल्ट भी बड़ी वजह
एमपी बोर्ड का इस बार 12वीं का रिजल्ट खराब रहा है। वर्तमान सत्र में डेढ़ लाख विद्यार्थी साइंस ग्रुप में पास हुए। इसके बावजूद सीएलसी में प्रवेश बढऩेे की उम्मीद अधिकारियों ने जताई है। शिक्षाविद् एवं आरटीआई एक्टिविस्ट रमाकांत पाण्डेय का कहना है कि इंजीनियरिंग में कम एडमिशन के पीछे कई कारण हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की कमी सबसे बड़ा कारण है। वहीं इस बार 12वीं का रिजल्ट भी खराब रहा है। इसके अलावा बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में स्टूडेंट्स जल्द से जल्द आय का साधन पाना चाहते हैं। ऐसे में वह नौकरी करने के बजाय स्वरोजगार की ओर जा रहे हैं। यही कारण है कि आईटीआई और अन्य रोजगारमूलक कोर्सों में एडमिशन ले रहे हैं।