
- प्रोजेक्ट में देरी होने पर रेरा द्वारा मकान बुकिंग कर्ताओं को 6 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करने के निर्देश का भी पालन नहीं कर रहा बिल्डर…
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी का आकृति बिल्डर अब लोगों के लिए धोखे का पर्याय बन चुका है। इस बिल्डर से जिसने भी मकान खरीदने के लिए अनुबंध किया उसे हर कदम पर सिर्फ धोखे का ही सामना करना पड़ा है। यही वजह है कि मकान बुक करने वालों को न तो अपनी ही छत मिल पा रही है और न ही बुकिंग के समय दी गई राशि ही वापस मिल पा रही है। इसकी वजह से इस बिल्डर से मकान की बुकिंग करने वाले लोगों को दोहरा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हालत यह है कि जिन लोगों ने कर्ज लेकर राशि का भुगतान किया है उन्हें उस पर ब्याज तो देना ही पड़ रहा है और मकान नहीं मिलने से रहने के लिए किराया भी चुकाना पड़ रहा है। हालत यह है कि किसी को नहीं पता कि उन्हें बुक किया गया मकान कब मिलेगा। हद तो यह है कि जब बिल्डर द्वारा अनुबंध किया गया तो उसमें तय समय पर राशि का भुगतान नहीं करने पर मकान लेने वालों से 24 प्रतिशत की दर से ब्याज की राशि वसूलने का उल्लेख किया गया है , लेकिन खुद मकान देरी से देगा तो उसके एवज में खरीददार को क्या मिलेगा, इसका अनुबंध में कहीं कोई भी उल्लेख ही नहीं किया जाता है। यही वजह है कि लोगों द्वारा अपनी खुद की छत पाने के लिए महंगी दर पर कर्ज लेकर आकृति बिल्डर को राशि दी गई, लेकिन इसके कई सालों बाद भी मकान बुक करने वालों को अपनी छत का सुख नहीं मिल पा रहा है। इस मामले में शिकायत हुई तो रेरा ने बिल्डर को दी गई रकम पर मात्र छह फीसदी ब्याज मकान बुक कराने वालों को देने के निर्देश दिए हैं , लेकिन यह राशि भी बिल्डर द्वारा नहीं दी जा रही है।
एक दशक से बना हुआ है खुद की छत का इंतजार
छिंदवाड़ा जिले की रहने वाली मनीषा श्रीवास्तव ने इस बिल्डर से वर्ष 2011 में मकान लेने के लिए बुकिंग की थी। तब उन्हें 2014 में मकान देने का वादा किया गया था। इसकी वजह से उनके द्वारा इस अवधि में 36 लाख 66 हजार रुपए का भुगतान दे दिया गया। इसके बाद न तो दस साल में उन्हें मकान मिला बल्कि वे इस बिल्डर के धोखे का शिकार हो चुकी हैं। वहीं एक अन्य पीड़ित द्वारा 2013 में साढ़े 29 लाख रुपए का भुगतान कर मकान बुक किया गया था। तब उनसे तीन साल में मकान देने का वादा कर कीमत की 90 फीसदी राशि बतौर अग्रिम ले ली गई थी। वादे के अनुसार यह मकान उन्हें 2018 में मिलना था, जो आज तक नहीं मिला है।
रेरा पर भी भारी पड़ रहा है बिल्डर
बैतूल जिले की प्रेरणा इंगले ने बिल्डर से वर्ष-2012 में 38 लाख में मकान बुक किया था। उस समय तीन साल में मकान देने का वादा किया गया था। प्रेरणा ने कर्ज लेकर पूरी राशि का भुगतान कर दिया, लेकिन उन्हें अब तक मकान नहीं मिला है। प्रेरणा की शिकायत पर रेरा ने भुगतान की गई राशि पर हर माह 6 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करने सहित अन्य राशि देने का निर्देश दिया, लेकिन बिल्डर उसे भी नहीं मान रहा है।
विवादित जमीन के प्लॉटों का किया सौदा
आकृति ग्रुप ने कई प्लॉट विवादित जमीन पर काट कर उनका सौदा कर दिया। इस वजह से मकान बुक कराने वालों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जब तक विवादित जमीन का निराकरण नहीं होता, प्रोजेक्ट ही शुरू नहीं हो सकता। इसकी वजह से लोगों के मकानों के निर्माण का काम ही शुरू नहीं हो पा रहा है।
अब बनाया जा रहा कोरोना का बहाना
आकृति ग्रुप द्वारा अब देरी के लिए कोरोना का बहाना बनाया जा रहा है। उसके द्वारा रेरा में तर्क दिया गया है कि कोरोना के चलते न तो मजदूर मिल पा रहे हैं और न ही मटेरियल आ पा रहा है। इसके चलते प्रोजेक्ट लेट हो रहा है, जैसे ही मजदूर वापस आ जाएंगे वैसे ही काम शुरू कर दिया जाएगा। दिलचस्प है कि कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें कोरोना काल से पहले पूरा करना था, उनमें भी कोरोना संक्रमण के चलते काम प्रभावित होना बताया गया है।`