प्रदेश के 92 हजार जल स्रोत गायब

जल स्रोत
  • गायब जल स्रोतों की खोज में लगा राजस्व विभाग, अभी तक करीब 31 हजार जलस्रोत हुए रिकार्डबद्ध

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र को सदानीरा बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत यह तथ्य सामने आया है कि प्रदेश में करीब 92 हजार जल स्रोत गायब हो गए हैं। इसके बाद सरकार ने इन जलस्रोतों को खोजने का अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत अभी तक 31 हजार जलस्रोत खोजे जा चुके हैं।
गौरतलब है की मप्र के अधिकांश क्षेत्रों में जलसंकट सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। इसकी बड़ी वजह है जलस्रोतों पर अतिक्रमण का होना। प्रदेश के 92 हजार जलस्रोत गायब बताने के बाद इन्हें लघु सिंचाई संगणना के जरिये मध्यप्रदेश के सरकारी दस्तावेजों में फिर दर्ज करने के मामले में तीन माह में 33 फीसदी काम हुआ है। पांच साल पहले 2017-18 से लघु सिंचाई गणना और जल निकायों की गणना के बाद रिकार्ड से गायब इन वाटर बॉडीज को दोबारा रिकार्ड में लाने के निर्देश तीन मई को दिए गए थे। इसके सर्वे की जिम्मेदारी राजस्व विभाग को सौंपी गई थी और रिपोर्ट किसान कल्याण व कृषि विभाग को भेजी जानी थी। अब तक हुए अपडेशन में करीब 31 हजार जल स्रोतों को ही रिकार्ड में लाया जा सका है।
प्रदेश में 97334 जलस्रोत
भारत सरकार ने मई माह में राज्य सरकार को सूचित किया था कि प्रदेश में जल निकायों की गणना के अंतर्गत 4989 जल निकायों का ही डाटा प्राप्त हुआ है। इसके बाद एमपीएसईडीसी तथा भू अभिलेख के साथ चर्चा में यह बात सामने आई थी कि रिमोट सेंसिंग सर्वे के आधार पर प्रदेश में जल निकायों की संख्या 97334 है। इसके उपरांत एमपीएसईडीसी से इसका डेटा जिलों को भेजकर उसे दुरुस्त करने के लिए कहा गया। रिकार्ड अपडेट करने के मामले में जिन जिलों का परफार्मेंस प्रतिशत सबसे पुअर रहा है, उसमें दमोह, दतिया, सीधी, देवास, श्योपुर, कटनी, सतना, सिंगरौली, मुरैना और इंदौर टॉप टेन में शामिल हैं। ये रेड जोन में शामिल किए गए हैं। इनमें से दमोह में 2357, दतिया में 817, सीधी में 1714, देवास में 2698, श्योपुर में 409, कटनी में 2006, सतना में 1588, सिंगरौली में 2009, मुरैना में 1536 और इंदौर में 625 जलस्त्रोतों को अभी तक मौके पर जाकर रिकार्ड में नहीं लिया गया है। जिन जिलों का काम पिछले तीन माह में बेहतर रूप में सामने आया है, उनमें अशोकनगर, गुना, मंडला, खरगोन, ग्वालियर, खंडवा, डिंडोरी, आगर मालवा, शिवपुरी और सीहोर के नाम शामिल हैं। इन जिलों को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है। बाकी जिलों के यलो जोन की कैटेगरी में शामिल किया गया है। राजस्व और कृषि विभाग इन कामों की मॉनिटरिंग भी रोज कर रहे हैं।

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