
- एआईएसएचई की रिपोर्ट में सामने आई प्रदेश के कॉलेजों की हकीकत
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार एक तरफ प्रदेश को एजुकेशन हब बनाने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के 87 फीसदी कॉलेज ऐसे हैं जिने पास ग्रेड ही नहीं है। इस कारण मप्र शिक्षा के क्षेत्र में नीचे से चौथे पायदान पर है। यह हकीकत ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) की रिपोर्ट में सामने आई है। नैक का दौरा अनिवार्य करने के बावजूद प्रदेश के कई कॉलेज गंभीर नहीं हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक प्रो. सुरेश सिलावट का कहना है कि बार-बार निर्देश के बावजूद कई कॉलेज नैक का दौरा कराने से बच रहे हैं। नैक ने प्रोविजनल ग्रेडिंग का भी विकल्प दिया है। अगले सत्र से संबद्धता के लिए भी नैक ग्रेडिंग अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है।
एआईएसएचई ने इस सत्र की ग्रेडिंग से पहले देशभर के कॉलेजों की नैक का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। प्रदेश के सिर्फ 13 प्रतिशत कॉलेजों के पास ही ग्रेड है। मौजूदा स्थिति में ये आंकड़ा और कम हो गया है, क्योंकि दो साल में कोविड के कारण नैक के दौरे नहीं हुए। इस अवधि में कई कॉलेजों की ग्रेड एक्सपायर हो चुकी है। नैक का दौरा कराने से बचने की बड़ी वजह कमियां दबाना है। नैक की टीम हर बिंदु पर परखती है। स्कोर के आधार पर 8 तरह की ग्रेड दी जाती है। सबसे ऊपर ए डबल प्लस, सबसे कमजोर डी ग्रेड है।
प्रोविजनल ग्रेडिंग की तैयारी
उच्च शिक्षा विभाग कॉलेजों को प्रोविजनल ग्रेडिंग लेने तैयार कर रहा है। नैक ने विकल्प दिया है कि वे प्रोविजनल ग्रेड के लिए दौरा कराएं। ग्रेड से संतुष्ट नहीं होने पर 6 माह में सुधार कर दोबारा आवेदन करें। प्रोविजनल ग्रेड दो वर्ष के लिए मान्य रहेगी डीसीडीसी प्रो. राजीव दीक्षित का कहना है कि डीएवीवी से संबद्ध सभी कॉलेजों को इसी सत्र में नैक के लिए आवेदन करने के लिए कहा जा रहा है। दरअसल, यूजीसी ने 2022 तक सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी को नैक का दौरा कराने के निर्देश दिए थे। मौजूदा हालात में ये लक्ष्य मुश्किल नजर आ रहा है। नैक का दौरा कराने में मिजोरम के कॉलेज आगे हैं। 71 प्रतिशत कॉलेजों के पास ग्रेड है। इसके बाद लद्दाख और चंडीगढ़ हैं, जहां 60-60 प्रतिशत कॉलेज नैक की कसौटी पर खरा उतरे हैं। हालांकि केंद्र शासित होने के कारण इन्हें अलग श्रेणी में रखा गया है। प्रदेशों में दूसरे स्थान पर दिल्ली के 49 प्रतिशत कॉलेज नैक करा चुके हैं। नगालैंड 46 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है। उप्र और तेलंगाना के 8 प्रतिशत और राजस्थान के 12 प्रतिशत कॉलेजों ने दौरा कराया है।