चार माह में कंपाउडिंग से सरकारी खजाने में आए 55 करोड़

 सरकारी खजाने
  • अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नियम तैयार, नोटिफिकेशन की तैयारी

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। 
    सरकार द्वारा शुरू की गई कंपाउंडिग की प्रक्रिया में शुरूआती चार माह में सरकार को लगभग 55 करोड़ रुपए की आय हो चुकी है। इससे सरकार के साथ ही प्रदेश के 4,264 भवन स्वामियों को अवैध निर्माण की चिंता से मुक्ति मिल गई है। इसके साथ ही अब सरकार प्रदेश की छह हजार से अधिक अवैध कालोनियों को भी वैध करने जा रही है। इसके लिए भी सरकार लगभग पूरी तैयारी कर चुकी है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक प्रदेश के शहरी इलाकों में अवैध कॉलोनियों के नियमितिकरण के लिए नियम बना लिए गए हैं। जल्द ही इसका प्रकाशन किया जायेगा। अवैध कालोनियों के नियमित होने से उनके निवासियों को भवन निर्माण की अनुमति मिलने के साथ ही बैंक लोन की सुविधा भी मिल सकेगी।  सिंह का कहना है कि नगरीय निकायों में 31 अगस्त से 27 दिसम्बर तक कंपाउंडिंग के 5,320 प्रकरण प्राप्त हुए हैं। इनमें से 4,264 प्रकरण स्वीकृत किए जा चुके हैं। इससे नगरीय निकायों को 54 करोड़ 45 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है। इस मामले में इंदौर नगर निगम में सर्वाधिक 1,975 प्रकरण स्वीकृत हुए हैं। इससे निगम को 41 करोड़ 89 लाख रुपये की आय हुई है। बिल्डिंग परमिशन के बिना या परमिशन का उल्लंघन कर बनाए निर्माणों को रेगुलर करने के लिए 28 फरवरी 2022 तक आवेदन लिए जाना है और इसमें 20 प्रतिशत राशि की छूट दी जा रही है।  
    किया गया नियमों में बदलाव
    उनका कहना है कि नागरिकों के हित में किए गए विशेष प्रयासों से राज्य शासन ने 10 अगस्त, 2021 को कॉलोनियों के नियमितीकरण के संबंध में नगर पालिका अधिनियम में आवश्यक संशोधन किया था। इसमें कॉलोनियों के नियमितीकरण के वैधानिक प्रावधान शामिल किए गए। साथ ही बिना बिल्डिंग परमिशन के अथवा बिल्डिंग परमिशन के प्रतिकूल बिल्डिंग बनाने पर कम्पाउंडिंग सीमा को 10 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया गया है।
    कंपाउंडिंग में भोपाल फिसड्डी
    नगरीय निकायों में 31 अगस्त से 27 दिसंबर तक कंपाउंडिंग के मामलों में भोपाल इंदौर की तुलना में फिसड्डी साबित हुआ है। यह बात अलग है कि इस मामले में फिसड्डी होने के बाद भी वह दूसरे स्थान पर बना हुआ है। इसकी वजह है अन्य शहरी क्षेत्रों में इस मामले में अच्छा काम न होना है। भोपाल में 1083 प्रकरणों का निपटारा किया गया है। इसके एवज में भोपाल नगर निगम को महज 4.97 करोड़ रुपए मिला है। यह इंदौर की तुलना में 15 फीसद से भी कम है।

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