
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। शिव सरकार एक तरफ वृद्धों व विधवाओं की मदद के लिए हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत करती है, वहीं उनके अफसर उसे वितरित करने की जगह लैप्स करा रहे हैं। यही वजह है कि बीते साल ही सामाजिक न्याय विभाग द्वारा पेंशन देने के लिए मिले बजट में से 438 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं किए गए। अगर इस अनुपयोगी रही राशि को पेंशन के रुप में वितरित कर दिया जाता तो लगभग 75 हजार लोगों की आर्थिक मदद की जा सकती थी। गौरतलब है कि प्रदेश में हर माह वृद्धों व विधवाओं को 600 रुपए पेंशन के रुप में दिए जाते हैं। इस पेंशन के लिए सरकार उन लोगों को वृद्धों की श्रेणी में रखती है, जिनकी उम्र 60 साल हो चुकी है। खास बात यह है कि इस पेंशन वितरण में एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आयी है। किस तरह से गड़बड़ी की जा रही है इससे ही समझा जा सकता है कि बीते दो सालों में जब पेंशन पाने वालों की संख्या में कोई अंतर नहीं आया, लेकिन एक साल में उन्हें बतौर पेंशन 1017 करोड़ तो उसके बाद बीते साल में उनकी पेंशन पर 720 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जब दोनों सालों में हितग्राहियों की संख्या न केवल समान रही, बल्कि पेंशन की राशि में भी कोई बदलाव नहीं हुआ। ऐसा नहीं कि विभाग की लापरवाही इन दोनों ही पेंशन के मामलों में रही है, बल्कि विभाग द्वारा अन्य तरह के मामलों में भी यही स्थिति बनाई जा रही है। इसी तरह से सामाजिक सुरक्षा पेंशन के आंकड़े भी विभाग में जारी गड़बड़िय़ों का खुलासा कर रहे हैं। दरअसल इसमें भी पेंशन के रुप में हर माह छह सौ रुपए प्रदान किए जाते हैं। इसके दो सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 19-20 में 23 लाख 46 हजार 906 लोगों को 879 करोड़ 36 लाख रुपए की पेंशन दी गई, जबकि वर्ष 20-21 में हितग्राहियों की संख्या बढ़कर 25 लाख 23 हजार 507 हो गई, जिन्हें पेशन के रुप में 740 करोड़ 50 लाख रुपए बतौर पेंशन वितरित किए गए।