सूबे के 40 हजार बच्चे अब साइकिल से जाएंगे स्कूल

साइकिल
  • स्कूल शिक्षा विभाग ने वितरण का काम किया शुरु

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के आदिवासी बाहुल जिलों में पढ़ने वाले करीब 40 हजार स्कूली बच्चे अब पैदल या अन्य साधनों की जगह अपनी साइकिल से स्कूल पढ़ाई करने जा सकेंगे। इसकी वजह है स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा खरीदी गई साइकिलों का वितरण शुरू कर दिया जाना। यह बात अलग है कि चालू सत्र आधा निकल चुका है, तब कहीं जाकर साइकिल वितरण का काम शुरू हो पाया है।  उधर अन्य जिलों के स्कूली बच्चों को अब भी साइकिल के लिए इंतजार करना होगा। इसकी वजह है विभाग के पास साइकिलों के लिए पैसा नहीं होना।
इसकी वजह से स्कूलों के छात्र छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल वितरण की सरकार की योजना बेमानी साबित हो रही है। प्रदेश में स्कूल खुले हुए करीब पांच महीने हो गए, लेकिन सरकार अब तक सभी सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को साइकिलों की व्यवस्था ही नहीं कर सकी है।  इसकी वजह से पढ़ाई के लिए एक से दूसरे गांव जाने वाले सरकारी स्कूलों के छात्र छात्राओं को अभी पैदल ही स्कूल आना- पड़ेगा। इसकी वजह है लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) द्वारा साइकिल खरीदी के लिए जारी किए जाने वाले टेंडरों में देरी करना। इसके बाद उनमें तकनीकी खामी सामने ने से दोबारा टेंडर जारी करना पड़े। जिसकी वजह से साइकिल खरीदी करने में देरी हो गई। यही नहीं जब साइकिल खरीदी की जानी थी तब विभाग के पास  पर्याप्त बजट ही नहीं था, इसकी वजह से अब तक महज 40 हजार साइकिलों की ही खरीदी की जा सकी। अब इन्ही 40 हजार साइकिलों का वितरण किया जा रहा है। जिसकी वजह से करीब साढ़े चार लाख छात्रों को अभी भी इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।
राज्य सरकार की ओर से दूसरे गांव में पढ़ाई करने जाने वाले कक्षा छठी और नवीं के छात्र-छात्राओं को साइकिलों का वितरण किया जाता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से स्कूल नहीं खुलेन की वजह से साइकिल वितरण पर रोक लगा दी गई थी। इस साल के नए  सत्र के लिए  साल की शुरूआत में ही सरकार ने साइकिलें सिर्फ छठी एवं नवीं में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को देने का फैसला किया था। इसके लिए सरकार द्वारा बजट में 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। लेकिन यह राशि पर्याप्त नहीं होने की वजह से साइकिलों को खरीदी नहीं की जा पा रही है।
गौरतलब है कि छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल वितरण योजना की शुरुआत मप्र सरकार ने वर्ष 2015 में की थी। इस योजना में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के उन छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल वितरित की जाती है, जो सरकारी स्कूलों में कक्षा छठी एवं नवीं में अध्ययनरत हैं। कक्षा छठी के बच्चों को 18 इंच और नवीं के बच्चों को 20 इंच की साइकिल दी जाती है। योजना में किए गए, प्रावधान के मुताबिक साइकिल वितरण के लिए दो गांवों के बीच की न्यूनतम दूरी 2 किलोमीटर होना जरूरी है।
मनपसंद की मिलेगी साइकिल
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों के हर साल छठवीं और नौवीं के विद्यार्थियों को साइकिल दी जाती है। सत्र 2019-20 में प्रदेश के करीब आठ लाख विद्यार्थियों को साइकिलें दी गई थी। इस साल करीब पांच लाख विद्यार्थियों को साइकिलें प्रदान की जाना हैं। विभाग ने इस बार सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को मनपसंद साइकिल देने की तैयारी की है। इसके लिए विद्यार्थियों को टोकन दिया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी भोपाल व इंदौर के विद्यार्थियों को टोकन दिया जाएगा। विद्यार्थी चाहे तो अपने पास से पैसे मिलकार महंगी साइकिल भी खरीद सकेंगे। इसके लिए अभी प्रस्ताव तैयार है, लेकिन मंजूरी नहीं स्कूल शिक्षा विभाग की ओर हर साल 65 लाख बच्चों का गणवेश, पांच लाख को साइकिल और सात करोड़ किताबें वितरित की जाती है। इस सत्र में गणवेश देने के लिए अब तक कोई भी प्रस्ताव तैयार नहीं हो पाया है।
गणवेश का मामला भी उलझा
कोविड काल के बाद से ही बच्चों को गणवेश के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। बीते दो साल स्कूल नहीं खुलने की वजह से इस अवधि में बच्चों को न तो गणवेश मिली और न ही साइकिल । हालांकि कुछ स्कूलों तक पिछले साल गणवेश भेजे गए थे, लेकिन स्कूलों तक बच्चे आए ही नहीं। इस कारण गणवेश का वितरण ही नहीं हो पाया। सरकारी स्कूलों का सत्र 15 जून से शुरू किया गया था। पांच माह से अधिक समय बीत गया, लेकिन विद्यार्थियों को मिलने वाली :निशुल्क  गणवेश अब तक नहीं मिल सकी है। इसकी वजह से पहली से बारहवीं तक कक्षाएं संचालित की जा रही है तो बच्चे बिना गणवेश स्कूल पहुंच रहे हैं। दो साल बच्चों की ऊंचाई और वजन भी बढ़ गया।  ऐसे में उन्हें अब पुरानी  गणवेश भी नहीं आ पा रही है। उल्लेखनीय है कि  हर साल राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से प्रदेश के पहली से आठवीं तक के 65 लाख बच्चों के लिए एक करोड़ 30 लाख गणवेश तैयार किया जाता है। प्रत्येक बच्चे को 600 रुपये के मान से दो गणवेश दिए जाते हैं।

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