मप्र बनेगा बेरोजगारी मुक्त प्रदेश

मप्र

-शिव ‘राज’ ने तैयार किया प्लान

कोरोना संक्रमण के बाद से देश में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मप्र सरकार ने संक्रमणकाल के दौरान ही बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार मुहैया कराने का प्रयास शुरू कर दिया था। इससे प्रदेश में बेरोजगारी बड़ी समस्या नहीं बन पाई। फिर भी प्रदेश सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने प्रदेश को बेरोजगारी मुक्त प्रदेश बनाने का प्लान बनाया है। इस प्लान के तहत मप्र को तीन साल में बेरोजगारी मुक्त प्रदेश बनाना है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र देश का ऐसा राज्य है जहां बेरोजगारी की दर सबसे कम है। आज जहां देश में बेरोजगारी का प्रतिशत 8.3 फीसदी है, वहीं मप्र 2 फीसदी। अब प्रदेश सरकार का फोकस है की प्रदेश में रोजगार के अवसर पैदाकर हर बेरोजगार को काम मुहैया कराया जाए। वहीं सरकार ने सरकारी नौकरियों के द्वार भी खोल दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का लक्ष्य है कि प्रदेश में हर साल ढाई लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि हमारे प्रयास है कि धीरे-धीरे प्रदेश को बेरोजगारी मुक्त बनाया जाए। किसी भी युवा को मध्यप्रदेश की धरती पर निराश होने की आवश्यकता नहीं हैं, यहां शिक्षा भी मिलेगी और रोजगार भी।
सरकार द्वारा मप्र को बेरोजगारी मुक्त प्रदेश बनाने का जो प्लान तैयार किया गया है उसके तहत गतदिनों प्रदेशभर में रोजगार दिवस का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के अमरदास हॉल में राज्य स्तरीय रोजगार दिवस कार्यक्रम में स्व-रोजगार योजनाओं में हितग्राहियों को ऋण स्वीकृत एवं वितरित किए। साथ ही 75 हजार से अधिक हितग्राहियों को स्व-रोजगार के लिये 466 करोड़ रूपए की सहायता उपलब्ध कराई गई। मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों को लाभ के प्रमाण-पत्र का वितरण भी किया। वहीं मुख्यमंत्री ने इंदौर में 2 करोड़ 84 लाख की लागत के मध्य भारत के पहले टॉय क्लस्टर का वर्चुअल शिलान्यास और उद्यमिता विकास प्रशिक्षण के लिये ई-लर्निंग मॉड्यूल का शुभारंभ भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को विश्व पटल पर स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी दिशा में मध्यप्रदेश सरकार भी अपने युवाओं को स्व-रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रही है।

अब तक 13 हजार करोड़ के ऋण स्वीकृत
मप्र सरकार प्रदेश को बेरोजगारी मुक्त प्रदेश बनाने पर किस तेजी से काम कर रही है इसका आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल सरकार ने अभी तक 13 हजार करोड़ से अधिक के ऋण स्वीकृत किए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को विश्व पटल पर स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी दिशा में मप्र सरकार भी अपने युवाओं को स्व-रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रही है। प्रदेश में पहला रोजगार दिवस 12 जनवरी 2022 को 5 लाख से अधिक प्रदेशवासियों को अलग-अलग योजनाओं में रोजगार प्रदान किया गया। इसी क्रम में 31 मार्च तक लगभग 13 लाख हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देकर 7 हजार करोड़ रूपए के ऋण स्वीकृत किए गए। एक अप्रैल से 22 अगस्त 2022 तक लगभग 9 लाख 52 हजार लोगों को 6 हजार करोड़ रूपए के ऋण स्वीकृत किए गए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि पथ विक्रेताओं से लेकर स्टार्टअप इंडस्ट्री तक हम प्रदेश के हर उस व्यक्ति के साथ खड़े हैं, जो अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में रोजगार दिवस न केवल एक मील का पत्थर है बल्कि महायज्ञ है।
प्रदेश की स्व-सहायता समूह की महिलाएं चमत्कार कर रही हैं। वे न केवल ग्रामीण क्षेत्र में बल्कि शहरी क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। वर्तमान में समूह की महिलाओं द्वारा किए जा रहे व्यवसाय का टर्नओवर 20 हजार करोड़ रूपए है। समूह द्वारा किए जा रहे उत्पादों के निर्माण के लिए हर माह बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसका केवल 2 प्रतिशत ब्याज समूह को देना होता है। शेष ब्याज राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। समूह की महिलाओं द्वारा प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पोषण आहार की फैक्ट्रियाँ भी संचालित की जा रही हैं। शासन का लक्ष्य है कि समूह की हर महिला अपने घरेलू कामकाज के साथ न्यूनतम 10 हजार रूपये प्रतिमाह अतिरिक्त आमदनी कमा सके। मुख्यमंत्री का कहना है कि वे प्रतिमाह बैंकर्स के साथ बैठक कर लोन स्वीकृति के संबंध में चर्चा करते हैं। उन्होंने सभी बैंकर्स को उनके द्वारा दिए जा रहे सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और उनसे आग्रह किया कि किसी भी पात्र हितग्राही को लोन स्वीकृति में परेशानी न आए। प्रदेश के हर व्यक्ति को स्व-रोजगार एवं रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान किए जाएंगे। प्रदेशवासी रोजगार मांगने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनेंगे।

तीन साल में सबको रोजगार
एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा का कहना है कि प्रदेश में सरकार ने तीन साल में सभी युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत में मप्र ही एकमात्र ऐसा प्रदेश है जिसने 10 लाख से ज्यादा रोजगार दिए हैं। अभी तक 42 क्लस्टर बना चुके हैं। क्लस्टर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी बनेंगे। इनमें से 22 क्लस्टर का भूमिपूजन कर शुरू करेंगे। इनसे अगले तीन सालों में चार लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर मिलना शुरू होगा। क्लस्टर के अनुरूप हम युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप नीति के माध्यम से 2500 से ज्यादा स्टार्टअप पिछले तीन महीने में बनाए है। पहले एमएसएमई में पूंजी, तकनीकी की कमी के काऱण बंद होते थे। टाय क्लस्टर में 22 फैक्टरी साढ़े तीन हेक्टेयर में शुरू। एक फैक्टरी में 2100 के करीब रोजगार मिलेगा। हमारा उद्देश्य मध्य प्रदेश से बेरोजगारी के कंलक को पूरी तरह से खत्म करना है। अगले तीन सालों में हम इसे हासिल कर लेंगे। इससे पहले विभाग के सचिव पी नरहरी ने कहा कि हर माह रोजगार दिवस आयोजित होंगे। बैंकों में पहुंचने वाले आवेदनों का एकीकृत निराकरण करने से लेकर उनके खातों में राशि पहुंचाना तक को शासन अपनी निगरानी कर रहा है। मप्र टॉय क्लस्टर की नीति बनाने वाला पहला राज्य है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एलान किया है कि मप्र सरकार हर महीने ढाई लाख लोगों को रोजगार देगी। रोजगार दिवस पर इंदौर में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि जीने के लिए रोटी और रोटी के लिए रोजगार चाहिए। जनवरी 2021 में पहला रोजगार दिवस मनाया था। पहले दिन ही पांच लाख युवाओं को लोन दिलवाया। 13 लाख लोगों को मार्च तक लोन दे चुके हैं। अब सरकारी नौकरी भी ऐसे आयोजनों के साथ दी जाएगी। गुरु अमरदास हाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने रंगवासा-राऊ में प्रस्तावित खिलौना (टाय) क्लस्टर की आधारशिला भी रखी। सीएम ने उद्यमिता प्रशिक्षण के लिए आनलाइन ट्रेनिंग माड्यूल भी लांच किया।

नौकरियों के काफी अवसर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश के युवाओं को नौकरियों के काफी अवसर हैं। अभी पुलिस भर्तियां चालू हैं। हम एक लाख सरकारी नौकरी एक साल में देंगे। स्वयंसहायता समूहों का टर्नओवर 20 हजार करोड़ रुपए है। ये समूह महिलाएं चला रही हैं। उद्यम क्रांति योजना इसलिए बनाई है कि सरकारी नौकरी सबको नहीं मिल सकती। जो युवा काम करना चाहते हैं वे इसका लाभ लें। मैं हर महीने बैंकर्स की बैठक भी ले रहा हूं। रोजगार का आयोजन यज्ञ से कम नहीं। हम हर महीने ढाई लाख लोगों को रोजगार से लगाएंगे। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है जहां बेरोजगारी की दर सबसे कम हैं। अगले वर्ष इंदौर में 7, 8 और 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आयोजन का उद्घाटन के लिए आमंत्रण दिया है।
स्वरोजगार योजना के तहत तमाम हितग्राहियों को मुख्यमंत्री ने ऋण के चेक दिए। इनमें स्वयं सहायता समूहों के अलावा ज्यादातर युवा थे। पशु आहार उत्पादन, ड्रेगन फ्रूट की उन्नत खेती से लेकर फैशन डिजाइन, किराना दुकान और विभिन्न तरह के उद्यमों के लिए ऋण दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर के खिलौना क्लस्टर की फैक्ट्रियां सालभर में उत्पादन शुरू कर देंगी। प्रदेश सरकार ने उद्यम क्रांति योजना इसलिए बनाई है, क्योंकि सभी को सरकारी नौकरियां नहीं मिल सकती। एक साल में एक लाख सरकारी नौकरियां देंगे और ऐसे समारोह के जरिए चुने गए युवाओं को नौकरी पर भेजेंगे। मप्र ऐसा राज्य है, जहां बेरोजगारी की दर सबसे कम है। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन सात, आठ और नौ जनवरी को आयोजित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आयोजन का उद्घाटन के लिए आमंत्रण दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही भोपाल में 4 सितंबर को विशाल कार्यक्रम में लगभग 16 हजार शिक्षकों को नियुक्ति-पत्र प्रदान किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस बल में भी भर्ती नियमित रूप से की जा रही है। राज्य शासन का लक्ष्य है कि एक साल में लगभग एक लाख सरकारी नौकरी प्रदेशवासियों को दी जाए।

21 विभागों में भर्ती की तैयारी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा को अमल में लाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा बताया गया कि उन्हें 21 बड़े विभागों में 93681 रिक्त पदों की आधिकारिक जानकारी प्राप्त हो गई है। इन पदों पर नियमानुसार भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन ने बताया कि 21 बड़े विभाग में 93 हजार 681 पद रिक्त हैं। इनकी पूर्ति के लिए आवश्यक प्रक्रिया संचालित की जाएगी। बताया गया कि स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में विभिन्न श्रेणी के लगभग 30 हजार रिक्त पद हैं, साथ ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों में रिक्त पदों को मिलाकर लगभग एक लाख पदों पर भर्ती का कार्य हो सकेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी विभाग अपने यहां वैकेंसी की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को भेजें। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ और सुव्यवस्थित तरीके से संचालित की जानी चाहिए।
जानकारी के मुताबिक जल्द ही प्रदेश में भर्तियों के लिए नोटिफिकेशन जारी किए जाएंगे। इससे पहले सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखकर रिक्त पदों की जानकारी मांगी है। इतना ही नहीं सभी विभागों से रिक्त पदों की जानकारी सहित भर्ती नियम की अनुसूची की भी मांग की गई है। माना जा रहा है कि विभाग की तरफ से आंकड़े आने के बाद इस आधार पर भर्तियों की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रदेश में भर्ती की राह देख रहे लाखों युवाओं के लिए यह बेहतर खबर मानी जा सकती है। प्रदेश के कई विभागों में कई पद खाली है, ऐसे रिक्त पदों की भर्ती के लिए प्रक्रिया अपनाई जा रही है। लोक निर्माण सहित पीएचई, स्वास्थ्य और कृषि विभाग में बड़े पैमाने पर भर्तियां देखने को मिलेगी। इसके अलावा शिक्षक चिकित्सक सहित अन्य पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इससे पहले सीएम शिवराज ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि प्रदेश में डेढ़ साल के अंदर एक लाख शासकीय पदों पर भर्ती प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। सीएम ऐलान किए थेकि प्रदेश के बेरोजगार को रोजगार के पूरे अवसर दिए जाएंगे। इसके लिए कई जिलों में रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है। अलग-अलग माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा। सीएम शिवराज ने कहा कि एक लाख भर्तियों के अलावा हर महीने 200000 स्व रोजगार के संसाधन उपलब्ध होंगे।

रोजगार और स्वरोजगार शासन की प्राथमिकता
मप्र में रोजगार और स्वरोजगार को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज लगातार अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं में शुरू होने वाले 17 कलस्टर्स निर्माण की प्रक्रिया 1 महीने के अंदर शुरू की जाए। रोजगार और स्व-रोजगार राज्य शासन की प्राथमिकता है। फार्मा, फर्नीचर, रेडीमेड गारमेंट, फूड-प्रोसेसिंग और खिलौना निर्माण में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। इन कलस्टर्स का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से पूरा करें। औद्योगिक पार्कों के निर्माण की प्रक्रिया को भी गति दी जाए। साथ ही केवल रोजगार ही नहीं स्व-रोजगार के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से युवाओं को जोडऩे के लिए सुविधाजनक वातावरण और युवाओं को आवश्यक प्रोत्साहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। स्व-रोजगार योजनाओं में अनुदान की राशि सीधे हितग्राहियों के खाते में ऑनलाइन हस्तांतरित करने के लिए पोर्टल अपग्रेडेशन का कार्य जल्द पूरा करें। सभी जिला कलेक्टर प्रतिमाह होने वाले रोजगार दिवस में अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ें।
सीएम चौहान ने कहा कि शासकीय विभागों के क्रय में गुणवत्ता से समझौता किए बिना राज्य में निर्मित सामग्री को प्राथमिकता दी जाए। इससे राज्य के उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में स्टार्टअप के लिए बेहतर इको सिस्टम विद्यमान है, खाद्य प्र-संस्करण और कृषि से संबंधित स्टार्टअप्स की पर्याप्त संभावनाएं विद्यमान हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न विभागों में परस्पर समन्वय से कार्य को गति दी जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, एम.एस.एम.ई. प्रोत्साहन योजना और मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति में निवेश पर सहायता जैसी योजनाओं का लाभ लेने में युवाओं को कोई समस्या नहीं आए। जानकारी दी गई कि एक जिला-एक उत्पादज्ज् योजना में निर्मित सामग्री को ई-कॉमर्स कम्पनियों के साथ जोडऩे की दिशा में वॉलमार्ट वृद्धि के साथ एम.ओ.यू. किया जा चुका है। हेमलेज, फस्र्ट क्राय आदि से भी बातचीत जारी है। मुख्यमंत्री का कहना है कि विभिन्न औद्योगिक इकाइयाँ, आईटी इंडस्ट्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, क्लस्टर सेटअप, स्टार्टअप आदि से प्रदेश में न केवल निवेश बढ़ रहा है बल्कि रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाइयों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। इसी दिशा में कार्य करते हुए हम जल्द ही प्रदेश को एक्सपोर्ट हब बनाएंगे। उन्होंने बताया कि रोजगार की दृष्टि से इंदौर में आगामी वर्ष में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम- प्रवासी भारतीय दिवस और ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कार्यक्रमों से प्रदेश में निवेश की संभावनाओं के नए अवसर और प्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने के लिये चौतरफा प्रयास होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 42 क्लस्टर स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से शनिवार को 2 करोड़ 84 लाख रूपए की लागत से बने टॉय क्लस्टर का शुभारंभ इंदौर में किया गया। मध्य भारत के इस पहले टॉय क्लस्टर में 20 लघु इकाइयां स्थापित होंगी तथा 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। क्लस्टर के प्रथम चरण में 80 करोड़ रूपये का निवेश संभावित है। इसी तरह विभिन्न क्लस्टरों से प्रदेश में न केवल निवेश बढ़ेगा बल्कि कई गुना अधिक तेजी से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

तीन योजनाओं के सहारे 22 फीसदी पर फोकस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार चुनाव मोड में आ गई है। अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और 22 प्रतिशत आदिवासी वोटरों को खुश करने के लिए शिवराज सरकार ने तीन बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के लिए भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण एवं मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष वित्तपोषण योजना की स्वीकृति प्रदान की है। मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग भाजपा से नाराज था। 230 में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। 2018 में कांग्रेस ने इनमें से 30 पर जीत दर्ज कर भाजपा को सत्ता से दूर किया था। इस वजह से भाजपा ने इस वर्ग के लिए खास योजना पर काम शुरू कर दिया है। सबसे बड़ी पहल की थी पिछले साल जब जनजातीय दिवस समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आग्रह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। तब से ही लगातार आदिवासी तबकों पर सरकार का फोकस है। केंद्र की राजनीति में राष्ट्रपति चुनावों में भी भाजपा ने यह साबित करने की कोशिश की कि वह आदिवासी वर्ग की सबसे बड़ी हितैषी है। मध्यप्रदेश की सियासत में आदिवासी बेहद महत्वपूर्ण हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश की आबादी में करीब 22 प्रतिशत वोट अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों का है। इस वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। वहीं, करीब 80 सीटों पर आदिवासी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2003 में भाजपा ने आरक्षित 41 में से 37 सीटों पर कब्जा किया थआ। इसके बाद 2008 में आरक्षित सीटें बढक़र 47 हो गई, तब भी भाजपा ने 29 सीटों और 2013 में 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2018 में कांग्रेस ने 30 और भाजपा ने सिर्फ 16 सीटें जीती थीं। इस वजह से सत्ता छिटककर कांग्रेस के पास आ गई थी।
भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना में विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक लाख से पचास लाख रुपये तक तथा सेवा व व्यवसाय गतिविधियों के लिए एक लाख से 25 लाख रुपये तक की परियोजनाएं स्वीकृत की जाएगी। योजना का लाभ लेने वाले परिवार की वार्षिक आय 12 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। योजना में हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित एवं शेष ऋण पर 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अनुदान तथा बैंक ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम सात वर्षों तक (मोरेटोरियम अवधि सहित) निगम द्वारा वहन किया जाएगा। टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना में ऐसे अनुसूचित जनजाति के सदस्य, जो आयकरदाता नहीं हो, जिनकी उम्र 18 से 55 वर्ष के मध्य हो, उन्हें सभी प्रकार की स्वरोजगार गतिविधियों के लिए 10 हजार से एक लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए बैंको से ऋण दिलवाकर हितग्राही को सात प्रतिशत ब्याज अनुदान तथा बैंक ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम पांच वर्षों के लिए दिया जाएगा। मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना में मुख्यत: अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को लाभान्वित करने कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यानिकी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, ऊर्जा, तकनीकि शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार, आयुष और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आदि से से मदद की जाएगी। योजना में स्व-रोजगार, आजीविका, कौशल उन्नयन, संवर्धन एवं नवाचार सबंधी परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर वित्त पोषण किया जाएगा। परियोजना में कम से कम 50 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जनजाति वर्ग के होना अनिवार्य होगा।

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