
- कैग की रिपोर्ट में खुली विभागों की पोल
भोपाल/गौरव चौहानबिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर हमेशा सवाल उठते रहते हैं। न अपराध रूक रहे हैं और न ही अपराधी पकड़े जा रहे हैं। इसकी वजह है थानों में पर्याप्त स्टाफ की कमी। कहा जाता है कि प्रदेश में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नहीं है। उधर फील्ड के थानों में स्टाफ की कमी के बावजूद पुलिस लाइनों में 37.67 फीसदी अमला अधिक पदस्थ रखा गया है। वहीं पुलिस विभाग में 26,536 पद खाली होने के बावजूद भर्ती करने के लिए पीईबी को देरी से मांग पत्र भेजा गया। यह खुलासा कैग ने अपनी रिपोर्ट में किया है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक का वित्तीय वर्ष 31 मार्च 2019 की स्थिति में प्रतिवेदन पेश किया।
कैग की रिपोर्ट में कई विभागों की पोल खुलकर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 16 आदिवासी बहुल जिलों में बीते 5 साल के दौरान 36 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने के बाद एक भी खेल अकादमी स्थापित नहीं हुई है। पांच साल के भीतर 54,903 गांवों में खेल मैदान बनने की अपेक्षा मात्र 253 ही खेल मैदान बने। उधर, उदयगढ़, अलीराजपुर तथा जोबट में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 16 करोड़ का भ्रष्टाचार किया है।
यह गड़बड़ियां भी सामने आए
कैग की रिपोर्ट में निजी क्षेत्र में कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने सीमांत कृषकों को किराए पर ट्रैक्टर और कृषि उपकरण उपलब्ध नहीं कराए गए। अनुदान राशि जारी करने में 2.36 करोड़ रूपए की गड़बड़ी सामने आई। पशुओं की नस्ल सुधारने के नाम पर 3 साल में 15.61 करोड़ की राशि खर्च की गई, लेकिन 5.53 करोड़ रुपए का उपयोग हितग्राहियों ने नहीं किया और 3.43 करोड़ रुपए की वसूली किसानों से नहीं की गई। 847 अपात्र किसानों को बीज वितरण में सरकार को 10.63 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। किसानों को बीज का वितरण छह माह की देरी से हुआ। वाणिज्यिक कर विभाग ने कर योग्य टर्नओवर का 32.69 करोड़ का कम निर्धारण किया। इससे 2.99 करोड़ का टैक्स एवं 7.43 करोड़ के दंड की वसूली नहीं हुई। मप्र में वैट अधिनियम के प्रावधानों का सही ढंग से पालन नहीं करने की वजह से 3.19 करोड़ का टैक्स और 3.77 करोड़ का शास्ति दंड वसूल नहीं किया गया। स्थानीय क्षेत्र में प्रवेश पर कर नहीं लगाने अथवा गलत दर से टैक्स लगाने की वजह से करीब 3 करोड़ का नुकसान सरकार को हुआ। बिना सत्यापन व्यापारियों ने निर्धारित कर की कम राशि जमा करने की वजह से सरकार को 8.88 करोड़ की चपत लगी। 369 करदाताओं ने अनियमित रूप से ट्रान-1 में रुपए 11.49 करोड़ का ट्राजिशनल क्रेडिट दिया गया। संपत्ति का सही मूल्य निर्धारण नहीं होने से 3.59 करोड़ का मुद्रांक शुल्क जमा नहीं हो सका।