मेंडोरा, मेंडोरी और चंदनपुरा का 357.78 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र घोषित

 संरक्षित क्षेत्र घोषित
  • शासन व प्रशासन की अनदेखी से मंडरा रहा है वन्य प्रणियों पर खतरा  …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। राजनेताओं व अफसरों के गठजोड़ की वजह से राजधानी के आसपास वन्य प्राणियों के बेहद अहम इलाके अवैध रुप से सीमेंट कंक्रीट के जगंलो में तेजी से बदल रहे हैं। इनमें वो इलाके भी शामिल हैं, जो बाघों के प्राकृतिक आवास के रुप में मशहूर हैं। रसूखदार लोगों की वजह से इन इलाकों में शासन प्रशासन तो ठीक पर्यावरण बचाने का राग अलापने वाली सरकार भी कुंभकरणी नींद में सोई हुई है। यही नहीं शहर के लाइफ लाइन माने जाने वाले तालाबों तक को भू माफिया नहीं छोड़ रहा है। यह हाल तब है जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की यहां पर निर्माण पर रोक लगी हुई है। यह रोक करीब दो साल पहले लगाई गई थी, इसके बाद भी बेहद तेजी से इस इलाके में मनमाने तरीकों से नेताओं व आला अफसरों ने अपनी बड़ी -बड़ी कोठियों तान ली हैं। करीब डेढ़ साल के इंतजार के बाद जब सुप्रीम कोर्ट का डंडा चला तो उसके डर से सरकार की नींद खुली और तब कहीं जाकर इस इलाके को राज्य शासन द्वार संरक्षित इलाका घोषित किया गया है। यह इलाका है राजधानी से सटा बाघ भ्रमण क्षेत्र चंदनपुरा और मेंडोरा, मेंडोरी ।  इस बीच भू माफिया ने इस इलाके में जमकर जंगल के बीच प्लॉट काट डाले। हालात यह है कि संरक्षित इलाकों में शैक्षणिक संस्थानों से लेकर बंगले, रिसॉर्ट और रेस्टोरेंट तक बन गए हैं। इस क्षेत्र के करीब दौ सौ  हेक्टेयर में निर्माण किया जा चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यहां जिन लोगों ने प्लॉट खरीदे हैं वे पक्के निर्माण नहीं कर सकेंगे। वन विहार के चारों तरफ भी एक किमी के दायरे में नए निर्माण नहीं हो सकेंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद राज्य शासन ने मेंडोरा, मेंडोरी और चंदनपुरा का 357.78 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि संरक्षित वन क्षेत्र का एक किमी का दायरा ईको सेंसिटिव जोन है, यहां न तो किसी प्रकार का पक्का निर्माण होगा और न खनन । इसके पहले एनजीटी ने भी रोक लगाई थी, इसके बावजूद यहां निर्माण जारी रहे। एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच ने राशिद नूर खान की याचिका पर फरवरी 2020 में इस क्षेत्र को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के आदेश दिए थे। यहां निर्माण रोकने में सबसे बड़ी बाधा राजस्व और निजी भूमि की आ रही थी। इसके बाद राज्य शासन ने जुलाई 2021 में मेंडोरा, मेंडोरी और चंदनपुरा में संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने की अधिसूचना जारी की थी।
यह तय की गई है सीमा
शासन की जारी अधिसूचना के मुताबिक तय की गई सीमा के दायरे में उत्तर में मेंडोरा-दो के मुनार क्रमांक 17 एवं संरक्षित वन खंड के मुनार क्रमांक 42 से 62 तक कृत्रिम वनसीमा रहेगी। पूर्व में संरक्षित वनखंड के मुनार क्रमांक 62 से 74, दक्षिण में मुनार क्रमांक 74 से 82 और मेंडोरा-दो के मुनार क्रमांक 26 से 21 और पश्चिम में मेंडोरा-दो के मुनार क्रमांक 21 एवं संरक्षित वन खंड के मुनार क्रमांक 83 एवं मेंडोरा-दो के मुनार 19 से 17 तक सीमा रहेगी। इसमें तीनों गांवों का वह पूरा क्षेत्र शामिल है जिसमें जंगल है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन सीमाओं के आसपास एक किमी के दायरे में भी निर्माण नहीं हो सकेंगे।
वन विभाग ही बना दुश्मन
एनजीटी में वन संरक्षण संबंधी याचिका लगाने वाले राशिद नूर खान का कहना है कि संरक्षित वन क्षेत्र में तो झाडियां तक नहीं काटी जा सकती हैं। लेकिन यहां तो वन विभाग खुद ही उल्लंघन कर रहा है। चंदनपुरा में 50 हेक्टेयर क्षेत्र में वन विभाग नगर वन बना रहा है। इसके लिए जमकर पेड़ों की कटाई हुई है। पक्का ट्रैक बनाने के साथ यहां तालाब और बेंच भी बनवाई जा रही हैं। यहां कई बार काम के दौरान बाघ भी आ चुका है। इसके साथ निजी जमीनों के लिए भी वन के बीच से रास्ता देने की तैयारी चल रही है।

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