
- डॉ. मोहन सरकार के दो साल
मप्र की डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने दो साल में ही विकास के कई रिकॉर्ड स्थापित किया है। विकास, निर्णायक नेतृत्व और सशक्त प्रशासन की नई रवायतों से मप्र आत्मनिर्भर बन रहा है।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र की राजनीति में वर्ष 2023 का बदलाव कई मायनों में अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण था। विधानसभा चुनावों के बाद जब नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा चल रही थी तब शायद ही किसी ने कल्पना की हो कि यह जिम्मेदारी उज्जैन के एक जुझारू, शांत स्वभाव वाले दृढ़ इरादों के नेता डॉ. मोहन यादव के कंधों पर आ जाएगी। उनकी नियुक्ति पर कई तरह के विश्लेषण हुए कई आशंकाएं भी उठीं लेकिन दो वर्ष बाद तस्वीर साफ़ है। डॉ. यादव ने स्वयं को एक निर्णायक, स्पष्टवाद और परिणामकारी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है। दो साल पूरे होने पर उनका आक्रामक और आत्मविश्वास से भरा बयान कि मैं जो बोलता हूं उसे पूरा करता ही हूं, चाहे मुझे दायरे क्यों न तोडऩे पड़ें केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं बल्कि उनके दो साल के कामकाज का सार है। मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने अपनी प्राथमिकताओं को सर्वोपरि रखा, जिनमें थी—कृषि, सिंचाई, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून-व्यवस्था। इन क्षेत्रों में उनकी सरकार ने वास्तविक परिवर्तनकारी कदम उठाए। प्रदेश की मोहन सरकार ने सिंचाई क्षमता 100 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का टार्गेट तय किया है। जल संसाधन विभाग के अनुसार यह लक्ष्य 2028 तक और मजबूत होने की पूरी सम्भावना है। बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र में सिंचाई विस्तार ने किसानों को नई उम्मीद दी है। डॉ. यादव का स्पष्ट कहना है कि विकास के लिए कभी-कभी दायरे तोडऩे पड़ते हैं। कृषि बजट दोगुना करना उनकी इसी दृष्टिकोण का हिस्सा है। इंदौर के बाद भोपाल में भी मेट्रो शुरू हो चुकी है। 2026 से प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी मेट्रोपॉलिटन सिस्टम लागू होगा। पीएम ई-बस सेवा के तहत सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जाएंगी।डॉ. यादव ने पर्यटन, रेलवे और शहरी विकास विभागों में अपने पूर्व अनुभव को योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रभावी रूप से उपयोग किया है। पिछली सरकारों द्वारा घोषणाओं में रहने वाला बुंदेलखंड, इस बार जमीन पर विकसित अंतरों के कारण चर्चा में है। छतरपुर मेडिकल कॉलेज समय से पहले तैयार करवाया गया। दमोह में कॉलेज भी खड़ा किया गया। नौरादेही अभयारण्य परियोजना पर तेजी से काम—अप्रैल-मई में चीते छोड़े जाने की योजना। सागर में खाद कारखाने का पुन: संचालित होना सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मुख्यमंत्री कहने से अधिक करके दिखाने की राजनीति पर जोर देते हैं।
माओवादी समस्या पर मोहन यादव की सरकार ने विस्तृत काम किया है। मप्र के तीनों जिले नक्सल मुक्त घोषित हो चुके हैं।?यानी मप्र अब नक्सल मुक्त चंबल में डकैत समस्या का समाधान भी बड़ी उपलब्धि है। लाड़ली बहना योजना से वित्तीय बोझ बढऩे जैसे आरोपों पर सीएम का दावा है कि पिछले दो साल में सरकार ने केवल 72 हजार करोड़ का ही कर्ज लिया।इसमें 30 हजार करोड़ पुराने कर्ज का मूलधन चुकाने में लगे।आज भी मध्यप्रदेश 3 प्रतिशत की केंद्र की गाइडलाइन के भीतर ही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का मानना है कि लोन लेना एक निवेश है, इससे विकास रुकता नहीं, बढ़ता है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 25 से अधिक हो चुकी है।सरकारी अस्पतालों में सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। राज्य में स्कूलों की संख्या भी दोगुनी हो गई है। इन उपलब्धियों के आधार पर सरकार का मानव विकास सूचकांक बेहतर से बेहतरीन होता चला जा रहा है। इन सब के अलावा डॉ. यादव का सबसे उल्लेखनीय कार्य धार्मिक पर्यटन को आर्थिक विकास का इंजन बनाना है। जिसका जीवंत प्रमाण है कि उज्जैन में 2024 में 7 करोड़ पर्यटक पहुंचे — 2023 के 5 लाख के मुकाबले लगभग 20 गुना अधिक।महाकाल महालोक बनने से पहले जहां 30-40 लाख पर्यटक आते थे जो अब करोड़ों में आ रहे हैं। प्रदेश में 12 लोक बनने जा रहे हैं जो मप्र को धार्मिक पर्यटन के ग्लोबल मैप पर स्थापित करेंगे। रोजगार और औद्योगिक विकास के मामले में भी मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने उल्लेखनीय काम किया है पिछले एक वर्ष में एक लाख सरकारी नौकरियां आबंटित की गईं। 2 लाख से अधिक युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ा गया। 7 लाख करोड़ का निवेश प्रदेश में आया। प्रदेश में औद्योगिक विकास दर का केंद्र से अधिक होना एक बड़ा संकेत है कि मध्य प्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव राजनीतिक चुनौतियां का पूरी कुशलता से सामना भी करते हैं और वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने के लिए कैबिनेट में फेरबदल के लिए भी तत्पर रहते हैं। आने वाले कई वर्षों तक राज्य को स्थिर और विकाशील सरकार देने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।दो वर्ष: विश्वास, स्थिरता और निर्णायक नेतृत्व दो साल के कार्यकाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डॉ. मोहन यादव केवल नाम के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि फैसले लेने वाले, चुनौती स्वीकार करने वाले,और परिणाम देने वाले मुख्यमंत्री हैं। विकास, प्रशासनिक सुधार, कानून-व्यवस्था की सख्ती और जनता का भरोसा यही वो पूंजी है जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिछले दो सालों में अर्जित की है। उनकी भाषा में आत्मविश्वास झलकता है, परंपराओं से अलग हटकर निर्णय लेने की शैली दिखती है, और कामकाज में गति है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां विकास की नई धाराएं बह रही हैं, दो सालों में राज्य का प्रशासन अधिक जवाबदेह हुआ है, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और धार्मिक पर्यटन ने प्रदेश की छवि को नई ऊंचाइयां दी हैं। राज्य में विकास की रफ़्तार को देखते हुए महसूस किया जा सकता है प्रदेश के लिए आने वाले तीन वर्ष निर्णायक होंगे।
2025 बना उद्योग वर्ष
प्रदेश की मोहन यादव सरकार पदभार ग्रहण करने के बाद से ही सबसे ज्यादा फोकस उद्योगों पर कर रही है। प्रदेश में निवेश को लेकर सरकार तमाम कवायद कर रही है। साथ ही कुछ नई रवायतें भी शुरू की हैं। पहली बार प्रदेश के अलग-अलग संभागों में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव आयोजित किए गए। इंदौर से हटकर ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट पहली बार भोपाल में हुई। इसके जरिए मोहन सरकार पूरे प्रदेश के हर इलाके की तस्वीर उद्योगपतियों के सामने रख रही है। साथ ही उनकी खासियत बता कर मध्य प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित किया है। इसके नतीजे भी अब धरातल पर आने लगे हैं। कई बड़े प्रोजेक्ट के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में पांच हजार 550 एकड़ जमीन अलॉट हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2025 को उद्योग वर्ष घोषित किया। यही वजह है कि प्रदेश में करीब आठ लाख करोड़ रुपये के उद्योग लग चुके हैं और छह लाख लोगों को रोजगार मिलने का सरकार दावा भी कर रही है। मध्य प्रदेश के सेंट्रल एमपी के भोपाल से लगे रायसेन में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड बीईएमएल की रेल हब निर्माण इकाई ब्रह्मा का शिलान्यास किया गया। यह कंपनी वंदे भारत और मेट्रो कोच का निर्माण करेगी। इसके लिए 1800 करोड़ रुपये का निवेश होगा। जमीन आवंटित होने के बाद प्रोजेक्ट का शिलान्यास हो गया है। काम शुरू होने पर प्रत्यक्ष तरीके से 1575 लोगों को रोजगार मिलेंगे और अप्रत्यक्ष तरीके से भी सैकड़ों लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। यह मध्य एमपी के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही सरकार भोपाल के अचारपुरा में नया इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप कर रही है। इसको टैक्सटाइल और फार्मा कंपनियों का हब बनाने की तैयारी है। कुछ कंपनियों को जमीन भी आवंटित हो गई है। मालवा निर्माण के क्षेत्र में भी बड़े इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट हुए हैं। वहां पीथमपुर में पहले से ही कई बड़ी-बड़ी कंपनियां थीं। अब केंद्र की तरफ से धार जिले में ही इंडस्ट्रियल ग्रोथ के लिए पीएम मित्र पार्क की सौगत मिली है। यह इसकी शुरुआत से एमपी में टेक्सटाइल के क्षेत्र में बूम आएगा। जिससे रोजगार के साथ-साथ वहां के किसानों को भी काफी फायदा होने वाले हैं। उस क्षेत्र में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है और टेक्सटाइल पार्क नहीं होने की वजह से अभी बाहर के लोग उसे ले जाते हैं। 2158 एकड़ में फैले इस पार्क में 23 हजार करोड़ का निवेश होगा। कई बड़ी कंपनियों को जमीन भी अलॉट कर दी गई है। इस प्रोजेक्ट से करीब तीन लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिलेंगे। साथ ही ग्लोबल मार्केट में एमपी को एक नई पहचान मिलेगी। इसके साथ ही उज्जैन से सटे विक्रम उद्योगपुरी में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाया गया है। यह पार्क करीब एक हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। यह देश के चार बड़े मेडिकल डिवाइस पार्कों में से एक हैं। यहां पर बड़े पैमाने पर निवेश भी आ रहे हैं। करीब 2900 करोड़ के निवेश अब तक आ चुके हैं। अब पार्क पूरी तरह से फुल हो चुका है। इसके बाद फेज-2 का काम शुरू हो गया है। पहले चरण में 360 एकड़ जमीन विकसित की गई थी। इस प्रोजेक्ट से भी हजारों लोगों को रोजगार मिलेंगे। साथ ही एक्सपर्ट और इंम्पोर्ट को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार बुंदेलखंड के विकास पर भी जोर दे रही है। बुंदेलखंड में पतंजलि ग्रुप बढ़ा निवेश करने जा रही है। इसके लिए रीवा जिले के मऊगंज तहसील में 175 हेक्टेयर जमीन आवंटित कर दी गई है। इसमें पांच हजार करोड़ का निवेश आएगा और पांच हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। सरकार ने रीवा में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव का भी आयोजन किया था। इसमें करीब बुंदेलखंड के अलग-अलग जिलों में 31 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव आए थे। सिंगरौली और कटनी में कंटेनर डिपो का निर्माण हो रहा है। सिंगरौली, सीधी, मऊगंज और मैहर में नए इंडस्ट्रियल एरिया बनाने की योजना है। रामा प्लाई ग्रुप ने रीवा में नई प्लाइवुड यूनिट विस्तारित करने की घोषणा की थी कि इसमें 500 करोड़ निवेश का वादा किया था। सागर के मसवासी ग्रंट औद्योगिक क्षेत्र के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज को मंजूरी मिल गई है, जिससे बुंदेलखंड में उद्योगों को नई गति मिलेगी। इस पैकेज से 24,240 करोड़ रुपये का निवेश और 29 हजार से अधिक रोजगार अवसर बनने का मार्ग खुलेगा। ग्वालियर चंबल में भी बड़ी कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं। अदाणी ग्रुप ने शिवपुरी में जैकेट बनाने के लिए 3500 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है। इससे पांच हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा गुना में अदाणी ग्रुप सीमेंट की बड़ी फैक्ट्री लगा रहा है। साथ ही उस क्षेत्र में अंबानी ग्रुप भी फर्टिलाइजर और बायोगैस के क्षेत्र में 150 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। साथ ही टूरिज्म और स्पोर्टस के क्षेत्र में भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में काफी बदलाव आ रहे हैं। ग्वालियर में फिर से इंटरनेशनल क्रिकेट मैच होने लगे हैं। इसके साथ ही पैकेजिंग एवं ऑटोमोटिव इंटीरियर के क्षेत्र में मार्बल विनाइल नाम की कंपनी ने 620 करोड़ के निवेश प्रस्ताव दिए हैं, जिससे 2800 लोगों को रोजगार मिलेगा। टेक्निकल टेक्सटाइल सेक्टर एसएसजी फर्नीसिंग सॉल्यूशन ने भी 750 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव दिए हैं। इससे 9 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, मुरैना में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में काम हो रहा है। यहां देश की पहली सौर ऊर्जा भंडारण परियोजना स्थापित की गई हैं। इसमें तीन हजार करोड़ रुपये का निवेश है, जो सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा निवेश है।
दो वर्षों में मिले छह लाख जॉब
मोहन सरकार अपने दो वर्ष पूरे कर चुकी है और अब शेष तीन वर्षों के लिए सरकार ने विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है। सरकार ने साफ किया है कि आने वाले वर्षों में उसका मुख्य फोकस रोजगार, शहरी विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर रहेगा। इन सेक्टरों को राज्य के विकास के लिए निर्णायक माना जा रहा है। राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती नए रोजगार अवसरों का सृजन है- चाहे सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र। सरकार ने आगामी तीन वर्षों में 20 लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य तय किया है। विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया तेज की जा रही है और कई विभागों में भर्ती संबंधी विज्ञप्तियां भी जारी हो चुकी हैं। सरकार का दावा है कि पिछले दो वर्षों में 6 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। स्वरोजगार योजनाओं को भी बढ़ावा दिया जाएगा और 30,000 नए उद्यमियों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित करने की योजना है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा प्रदेश के 38 शहरों के जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार किए जाएंगे। साथ ही महानगर क्षेत्र कानून लागू किया जाएगा। टीडीआर पोर्टल का विस्तार, टीओडी नीति का क्रियान्वयन और सिंहस्थ 2028 के लिए एकीकृत मास्टर प्लान आधारित विकास किया जाएगा। डीपीडीपी कानून के अनुरूप विभागीय पोर्टल का आधुनिकीकरण किया जाएगा। नक्शाविहीन गांवों का डिजिटलीकरण, भू-अर्जन प्रक्रियाओं को एंड-टू-एंड ऑनलाइन करने और नई आबादी की भूमि का चिन्हांकन भी योजना का हिस्सा है। विश्वास-आधारित डायवर्जऩ प्रक्रिया भी लागू की जाएगी। हर जनजातीय विकासखंड में सांदीपनि स्कूल, एकलव्य विद्यालय, माता शबरी कन्या शिक्षा परिसर और बालक आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना की योजना है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दायरा बढ़ेगा। प्रदेश सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन की समयसीमा दिसंबर 2028 तय की है, लेकिन मध्य प्रदेश इसे मार्च 2027 तक पूरा कर देश में मिसाल पेश करेगा। मिशन के संचालन और संधारण के लिए मजबूत व्यवस्था तैयार की जाएगी, ताकि जल आपूर्ति किसी भी परिस्थिति में बाधित न हो।
77 हजार 268 किमी का रोड नेटवर्क
प्रदेश में विकास का नया अध्याय लिखते हुए सडक़ें अब प्रदेश की नई जीवन रेखा के रूप में उभर रही हैं। जिस तरह वर्षों से नदियां ग्रामीण और शहरी आबादी को जोडऩे और प्रदेश की जीवन रेखा बनी हुई हैं, उसी प्रकार अब विशाल सडक़ नेटवर्क प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक प्रगति को नई गति दे रहा है। पिछले दो वर्षों में मध्य प्रदेश ने 12 हजार किमी सडक़ निर्माण, उन्नयन और सुदृढ़ीकरण का कार्य कर राज्य के 77 हजार 268 किमी के सडक़ नेटवर्क ने प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल कर दिया है। जानकारी के अनुसार 2023-24 और 2024-25 के बीच लगभग 6,500-7,000 किमी तक सडक़ नेटवर्क बढ़ा है। जबलपुर में प्रदेश के सबसे लंबे 6.9 किमी के दमोह नाका-मदनमहल-मेडिकल रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण पूरा किया गया है। इसके साथ ही राजधानी भोपाल में डॉ. आम्बेडकर फ्लाईओवर (2.73 किमी) और 15.1 किमी लंबा श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर मार्ग जैसे बड़े शहरी कॉरिडोर राज्य की परिवहन व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं। पहली बार राज्य वित्तपोषित एक्सप्रेसवे मॉडल के तहत उज्जैन-इंदौर, इंदौर-उज्जैन और भोपाल पूर्वी बायपास जैसे हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। उज्जैन में सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए 52 प्रमुख कार्यों पर 12 हजार करोड़ रुपये व्यय किए जाने की योजना है, जिससे धार्मिक पर्यटन, आस्था स्थलों और शहरी कनेक्टिविटी को मजबूत आधार मिलेगा। इसके अलावा प्रदेश में 6-लेन और 4-लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का व्यापक नेटवर्क विकसित कर औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि मंडियों, लॉजिस्टिक ज़ोन्स और प्रमुख शहरों को तीव्र गति से जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एनएचएआई के सहयोग से सतना-चित्रकूट, रीवा-सीधी, बैतूल-खंडवा-इंदौर, और जबलपुर-झलमलवाड़ जैसे राष्ट्रीय महत्व के हाईवे का भी विस्तार किया जा रहा है। प्रदेश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, ग्रामीण सडक़ों और सिटी लिंक रोड्स के तेजी से विस्तार से आम नागरिकों को सीधा लाभ मिल रहा है। किसानों की कृषि उपज अब आसानी से मंडियों तक पहुंच रही है, जिससे लागत कम हो रही है और आय में सुधार हो रहा है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों की नई सडक़ें गांवों को कस्बों और शहरों से जोड़ते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार तक पहुंच को अधिक सुगम बना रही हैं। मध्य प्रदेश में सडक़ें अब न केवल प्रदेश की रफ्तार बढ़ा रही हैं, बल्कि विकास, रोजगार और समृद्धि की नई राह भी खोल रही हैं। नदियों की तरह अब सडक़ें भी प्रदेश की नई जीवनदायिनी शक्ति बन चुकी हैं। प्रदेश में पहली बार राज्य वित्त पोषित एक्सप्रेसवे मॉडल के तहत उज्जैन-इंदौर, इंदौर-उज्जैन और भोपाल पूर्वी बायपास जैसे हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं। सिंहस्थ 2028 से पहले 52 प्रमुख कार्यों पर 12 हजार करोड़ रुपये खर्च कर धार्मिक पर्यटन और शहरी कनेक्टिविटी को नया रूप दिया जाएगा। 6-लेन और 4-लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का बड़ा नेटवर्क औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि मंडियों, लॉजिस्टिक ज़ोन्स और प्रमुख शहरों को तेज़ गति से जोड़ेगा। एनएचएआई के सहयोग से सतना-चित्रकूट, रीवा-सीधी, बैतूल-खंडवा-इंदौर, जबलपुर-झलमलवाड़ जैसे राष्ट्रीय महत्व के मार्गों का विस्तार होगा। भोपाल में पूर्वी बायपास पर 3,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
नक्सलवाद खत्म कर सिस्टम मजबूत किया
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर सबसे बड़ी समस्या थी। छत्तीसगढ़ से लगे मध्यप्रदेश के कई इलाके नक्सलवाद से प्रभावित रहे, जहां एक साथ 17-17 पुलिसकर्मियों की हत्या तक कर दी गई। यहां तक कि एक मंत्री को घर से निकालकर थाने के पास कुल्हाड़ी से हत्या कर दी गई थी। उस समय समानांतर थाने, समानांतर कोर्ट और समानांतर सत्ता चलने लगी थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में डेडलाइन तय की, तब सभी को लगा कि यह संभव होगा भी या नहीं। लेकिन कई पुलिस अधिकारी स्वयं आगे आए और बालाघाट में ड्यूटी की मांग की, जिससे नक्सलवाद खत्म करने में बड़ी मदद मिली। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि मंडला, बालाघाट और डिंडोरी में नक्सली समस्या खत्म करना प्रदेश के लिए एक बड़ा उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों और आम नागरिकों ने इसकी बड़ी कीमत चुकाई है, मैं उन सभी को सलाम करता हूं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब जरूरत है कि सिस्टम को इतना मजबूत बनाया जाए कि यह समस्या दोबारा सिर न उठा सके।
शिप्रा को निर्मल बनाने 800 करोड़ की योजना
सीएम यादव ने कहा कि उज्जैन की शिप्रा नदी में दो तरह की चुनौतियां थीं। पिछले सिंहस्थ में साधु-संतों ने गंभीर नदी के पानी से स्नान किया था। स्नान तो हुआ और सिंहस्थ संपन्न हुआ, लेकिन शिप्रा नदी का पानी उपलब्ध नहीं था। इस बार जल संसाधन विभाग ने व्यवस्था कर दी है कि सिंहस्थ में शिप्रा नदी के जल से स्नान हो सके। इसके लिए लगभग 800 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई है। मध्यप्रदेश में एक राज्य के अंदर दो नदियों को जोडऩे का अभियान भी शुरू किया गया है। इसके तहत गंभीर और खान नदी को मिलाने के लिए टनल बनाकर नदी से नदी जोडऩे का काम किया गया है। ऊपर खेती होती है और नीचे नदी की धारा बहती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भोपाल में पहले जीआईएस सुविधा उपलब्ध नहीं थी, जिसे उनकी सरकार ने लागू किया। इसके अलावा, सागर में खाद का कारखाना चालू होने से यूरिया और अन्य खाद की आपूर्ति में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने न केवल व्यवस्थाएं चलाईं, बल्कि दूरदर्शी सोच के साथ ऐसे प्रोजेक्ट भी पूरे किए जो सामान्यत: लंबा समय लेते। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ती डॉक्टरों की कमी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, तेज गति से मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं तो हमको उसके हिसाब से मैनपॉवर भी चाहिए। हेल्थ सेक्टर में एक्सपर्ट नहीं मिलने की चुनौती तो है, लेकिन हमने तय किया है कि हम प्राइवेट सेक्टर से ज्यादा वेतन देकर एक्सपर्ट डॉक्टरों को सरकारी सेवाओं में आगे लाएंगे।
दिव्य और भव्य होगा सिंहस्थ
सीएम ने आगे कहा कि कुछ पुलिस अफसरों ने मांगकर बालाघाट के लिए पोस्टिंग ली थी। सबसे बड़ा काम मंडला डिंडोरी और बालाघाट को नक्सल मुक्त करना रहा। मोबाइल टेप सुने तो नक्सलियों में पहले सरेंडर करने की होड़ लग गई थी। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अच्छे उपकरण उपलब्ध करवाए थे। नदी जोड़ो अभियान मप्र से शुरू हुआ। इसे असम्भव बताया जाता था। उज्जैन की शिप्रा में गंभीर नदी से स्नान करवाना पड़ता था, लेकिन 2028 में शिप्रा जी के जल से ही स्नान होगा। सिंहस्थ 2028 का दिव्य और भव्य आयोजन होगा।
उद्योग एवं रोजगार वर्ष के रूप में मनाया गया 2025
वहीं उन्होंने बताया कि 2025 उद्योग एवं रोजगार वर्ष के रूप में मनाया गया है। इस दौरान कई उद्योगपतियों ने कहा हम ग्वालियर, जबलपुर पहली बार आए। ऊर्जा विभाग में अभूतपूर्व काम हुआ है। पहली पीएम मित्र पार्क की सौगात सबसे पहले हमें मिली। 55 पीएम एक्सीलेंस कॉलेज, मेडिकल कॉलेज की श्रृंखला मप्र में बनी। मिल मजदूरों को भुगतान कराया। भोपाल की पहचान अब जीआईसी भोपाल की हो गई है। हर पर्यटन और धार्मिक क्षेत्र के लिए हेलीकॉप्टर सेवा, टूरिज्म के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ।
लाडली बहना योजना का राशि बढ़ाई
मुख्यमत्री ने बताया कि सबसे सस्ती बिजली हमारे यहां मिल रही है। बीहड़ में सोलर की परिकल्पना, सायबर तहसील सेवा, चित्रकूट, ओरछा का कायाकल्प, हर साल जलगंगा अभियान, गौ संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ। दूध उत्पादन 9 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य, गौमाता के लिए राशि बढ़ाकर 40 रुपए की गई। मध्य प्रदेश साइंस सिटी, रिसर्च सिटी बनेगा, ई बस चलेगी। 2600 रुपए गेहूं, सोयाबीन पर भावंतर योजना, लाडली बहना योजना की राशि बढ़ाकर 1500 रुपये की। हर कमिटमेंट पूरा करेंगे। नक्सल प्रभावित इलाकों में रुका हुआ विकास पूरा होगा। नशे के कारोबार के खिलाफ लोगों को जोड़ा जाएगा। 19 स्थानों पर शराब की दुकान बंद रहेगी।
विकास और विरासत दोनों पर ध्यान
डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार का दो साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ मध्यप्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जा रहे हैं। इन दो वर्षों में विकास और विरासत दोनों पर विशेष ध्यान दिया गया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि विकास और सेवा के ये दो वर्ष अच्छे शासन, पारदर्शिता और त्वरित निर्णयों के लिए जाने जाते हैं। त्वरित कार्यवाही से भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में कैबिनेट बैठकें आयोजित करके क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता दी है।
सौर पार्क विकसित किए जा रहे
ऊर्जा और औद्योगिक विकास पर बात करते हुए सीएम ने बताया कि मुरैना में देश की पहली सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना 2.70 रुपए प्रति यूनिट की दर पर स्थापित की गई है। सबसे सस्ती बिजली अपना राज्य दे रहा हैं। राज्य में 2000 मेगावॉट अतिरिक्त सौर पार्क विकसित किए जा रहे हैं। पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क से तीन लाख से अधिक रोजगार सृजित होंगे जबकि 6 लाख कपास उत्पादकों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। पहले हमारा कपास और उनका धागा-कपड़ा। अब कपास भी हमारा, धागा भी हमारा और कपड़ा भी हमारे यहां ही बनेगा। सीएम ने कहा कि पहली बार जीआईएस भोपाल में कराई और रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन किया।
प्रदेश में बन रही मेडिकल कॉलेजों की श्रृखला
स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। दो वर्षों में छह नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खुलने से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 19 हो गई है, वहीं निजी कॉलेजों की संख्या बढक़र 14 हो गई है। उद्योग एवं निवेश क्षेत्र में 18 नई नीतियों को मंजूरी दी गई है। इंदौर की हुकुमचंद मिल के 4800 श्रमिक परिवारों को 214 करोड़ रुपये का भुगतान कर राहत दी गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इन दो वर्षों में ही हमने हुकुमचंद मिल के मजदूरों के बकाये का विवाद खत्म कराया। भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़तों को न्याय दिलाते हुए जहरीले कचरे का निष्पादन कराया। इंदौर-उज्जैन, भोपाल-नर्मदापुरम को मेट्रोपोलिटन एरिया बनाने की योजना बनाई गई। हमारे औद्योगिक केंद्र मेट्रोपोलिटन एरिया के विकास के मुख्य आधार बनेंगे। दोनों मेट्रोपोलिटन एरिया में 11 हजार किमी का विकास होगा।
इंजीनियरिंग कॉलेजों के अंदर आईटी पार्क बनाए जा रहे
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गौ संरक्षण के लिए नई योजना शुरू की गई है। दूध उत्पादन को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। गोपालकों को 10 लाख रुपए तक अनुदान दिया जा रहा है। बड़ी गोशालाएं खोलने पर भी अनुदान मिलेगा। गोशालाओं के लिए 125 एकड़ भूमि भी दी जाएगी। हम वेस्ट को वैल्यू में बदल रहे हैं। प्रदेश में कचरे और पराली से ऊर्जा उत्पादन किया जा रहा है। इस क्षेत्र में कई नामी कम्पनियों ने भी रूचि व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेजों के अंदर आईटी पार्क बनाए जा रहे हैं। आईटी सिटी और एआई सिटी तैयार करने की योजना है।
प्रदेश में जल्द ही ई बसें दौड़ेंगे
सीएम ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही ई-बसें भी शुरू की जाएंगी। गरीब कल्याण के लिए अनेक निर्णय लिए हैं। बजट को 5 साल में दोगुना करने का लक्ष्य है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय को 1 लाख 54 हजार रुपए तक बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि 2600 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदा, सोयाबीन की खरीद के लिए भावांतर योजना लॉन्च की गई। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत बहनों को दी जाने वाली मासिक राशि भी बढ़ा दी गई है। अब हमारी बहनों को हर माह 1500 रुपए दिए जा रहे हैं।
खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को शुक्रवार को दो वर्ष पूरे हो गए हैं। इन दो वर्षों में कृषि क्षेत्र में प्रदेश ने उत्पादन, उत्पादकता और विविधीकरण के नये रिकॉर्ड बनाए हैं। वर्ष 2023-24 से 2024-25 के बीच खाद्यान्न उत्पादन में 55 लाख टन से अधिक की रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो सरकार की कृषि नीति, सिंचाई विस्तार और किसान हितैषी योजनाओं की सफलता को दर्शाती है। आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 5.34 करोड़ मीट्रिक टन से बढक़र 2024-25 में 6.13 करोड़ मीट्रिक टन हो गया। वहीं, कुल कृषि उत्पादन 7.24 करोड़ टन से बढक़र 7.79 करोड़ मीट्रिक टन हो गया। इसमें 55 लाख टन की वृद्धि हुई। यह बढ़ोतरी उन्नत बीज वितरण, फसल बीमा, सिंचाई परियोजनाओं और कृषि यंत्रीकरण का सीधा परिणाम मानी जा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गेहूं उत्पादन 2023-24 में 3.28 करोड़ टन से बढक़र 2024-25 में 3.82 करोड़ टन हो गया। मक्का उत्पादन 48.68 लाख टन से बढक़र 69.37 लाख टन, धान का उत्पादन 1.40 करोड़ से थोड़ा घटकर 1.36 करोड़ टन हुआ। हालांकि, धान की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3415 किलोग्राम से बढक़र 3551 किग्रा हो गई। रिपोर्ट के अनुसार सोयाबीन उत्पादन 66.24 लाख टन, मूंगफली उत्पादन 15.47 लाख टन, तिल उत्पादन 1.69 लाख टन हुआ। कुल तिलहन उत्पादन थोड़ी कमी के साथ 94.95 लाख टन पर स्थिर रहा। वहीं, दलहन उत्पादन में चना 35.83 लाख टन से घटकर 22.04 लाख टन, मूंग बढक़र 21.28 लाख टन और उड़द बढक़र 1.51 लाख टन रही। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार कुल कुल खाद्यान्न उत्पादकता 2023-24 में 3322 किग्रा प्रति हेक्टेयर और 2024-25 में 3650 किग्रा प्रति हेक्टेयर रही। वहीं, कुल कृषि उत्पादकता 2379 से बढक़र 2627 किग्रा प्रति हेक्टेयर रही।
मोहन सरकार ने दो वर्ष में किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें एमएसपी पर खरीदी का दायरा बढ़ाया, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा, फसल विविधीकरण नीति लागू करना और ई-उपार्जन और डिजिटल भुगतान व्यवस्था को मजबूत किया किया गया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश में खेती में यह बढ़त केवल अनुकूल मौसम का परिणाम नहीं है, बल्कि नीतिगत निर्णय, समय पर खाद-बीज उपलब्धता और किसानों को त्वरित भुगतान का असर है। जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पीके मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में किसानों के लिए भावांतर, सौर ऊर्जा संयंत्र और दुग्ध प्रोत्साहन जैसी योजनाओं ने खेती की लागत कम की है और आमदनी बढ़ाने का रास्ता खोला है। आने वाले समय में इन योजनाओं का प्रभाव तभी टिकाऊ होगा, जब मंडियों, सिंचाई ढांचे और तकनीकी क्षेत्र को और मजबूत किया जाए। साथ ही किसानों की भागीदारी बढ़ाई जाए। कृषि क्षेत्र को अगले वर्ष की प्राथमिकता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2026 को कृषि वर्ष घोषित किया गया है। सिंचाई का रकबा 42 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 54 लाख किया जा चुका है और लक्ष्य 100 लाख हेक्टेयर का है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, फसल प्रसंस्करण उद्योग लगाने और किसानों को सही दाम दिलाने पर सरकार काम कर रही है। दूध उत्पादन को बढ़ाकर 9 प्रतिशत से 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य तय किया गया है। लाडली बहना योजना की राशि 1250 से बढ़ाकर 1500 रुपये की गई है और प्रति व्यक्ति आय में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
