डीपीआर बनाने वाली कंपनियों का 250 करोड़ अटका

डीपीआर

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
इंदौर पुलिस द्वारा सूरत से पकड़े गए दलाल मुनीर ने पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। उसका नेटवर्क अकेले इंदौर में ही नहीं बल्कि मप्र के कई शहरों के अलावा देश के कई दूसरे राज्यों में भी फैला हुआ है। अब उसने दूसरा बेहद चौकाने वाला खुलासा प्रदेश के ब्यूरोक्रेटस और बिल्डरों को लेकर किया है। उसने पुलिस पूछताछ में बताया है कि उसके द्वारा भोपाल में 4 आईएएएस जिसमें एक पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं, उनके लिए भी वह लड़कियां सप्लाई करता था। इसके अलावा उसने बताया है कि 3 आईपीएस, एक रिसोर्ट मालिक और आधा दर्जन बिल्डरों द्वारा भोपाल में लड़कियां बुलाई जाती थीं।
इन लोगों द्वारा यह लड़कियां हवाई मार्ग से मुंबई से बुलाई जाती थीं, कई बार लड़कियां इंदौर होकर भी भोपाल आती थीं। भोपाल आने के बाद इन्हें शहर के दो हैरिटेज व एमपी नगर के तीन थ्री स्टार होटलों में ले जाया जाता था। यही नहीं मुनीर भारत में बीते पांच सालों से सक्रिय है और उसने अब तक करीब दो सौ बंगलादेशी लड़कियों को देह व्यापार में धकेलने की बात स्वीकार की है। उसने इसके लिए अधिकांश लड़कियों से पहले शादी करना और फिर उन्हें बेचने की बात बताई है। अब तक उससे मिली जानकारी से पता चला है कि इसके पीछे बड़ा नेटवर्क है। गिरोह में शामिल लड़कियों की पहले कोलकाता, फिर मुंबई में ले जाकर ट्रेनिंग कराने के बाद उन्हें देश के कई शहरों में भोजा जाता था। उसने बताया कि अधिकांश लड़कियों को उसके द्वारा सूरत के अलावा इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, पुणे, मुंबई, बेंगलुरु के स्पा सेंटरों में भी सप्लाई किया गया है। पुलिस का कहना है कि मुनीर मूल रुप से बांग्लादेश के जसोर का रहने वाला है और उस पर 10 हजार रुपए का इनाम था। उसने पुलिस को बताया कि वह लड़कियों को बांग्लादेश और भारत के पोरस बॉर्डर पर नाले के रास्ते से लाता था। इसके बाद बॉर्डर के पास के छोटे गांवों में उसके एजेंट लड़कियों को मुर्शिदाबाद और आसपास के ग्रामीण इलाकों से भारत में प्रवेश करा देते थे। देह व्यापार में पकड़ी गई एक लड़की ने इंदौर पुलिस को बताया कि 2009 में 15 साल की थी। मां के गुजर जाने के बाद पढ़ाई का तनाव था। इस बीच फीस नहीं भर पाने की वजह से जब वह एक पेड़ के नीचे बैठकर रो रही थी, तभी एक युवती और युवक आकर बोले कि भारत काफी अच्छा है। वहां पढ़ाई भी होगी और पैसे भी अच्छे मिलेंगे। वह बातों में आ गई, फिर इंडिया बॉर्डर तक पहुंचे। वहां तार के नीचे से निकाला। रातभर पैदल चलना पड़ा। सुबह मुर्शिदाबाद पहुंचे। वहां एक आदमी ने अपने घर में पनाह दी। यहां से युवक-युवती चले गए।

प्रोजेक्ट विभाग राशि लाख में
मंत्रियों के लिए बंगले, भोपाल पीडल्यूडी 51.75 मल्टीपपर्ज स्टेडियम, गुना खेल एवं युवक कल्याण 18.219 ए-ब्लाक ट्रामा सेंटर, शाजापुर स्वास्य विभाग 8.69 आबकारी आफिस, ग्वालियर आबकारी विभाग 5.45 150 बिस्तर का अस्पताल, उज्जैन स्वास्थ्य विभाग 8.52 स्टेडियम में खेल सुविधा, विदिशा खेल एवं युवक कल्याण 29.03 स्टेट गेस्ट हाउस, भोपाल पीडब्ल्यूडी 34.173
कलेक्ट्रेट भवन, अलीराजपुर सामान्य प्रशासन 31.00 कालीन पार्क भवन, ग्वालियर हैंडलूम 32.922 संगीत महाविद्यालय, उज्जैन संस्कृति 3.375

नहीं निकल रहा भुगतान का कोई रास्ता
पीडब्ल्यूडी ने कंपनियों से डीपीआर तो बनवा लिया है अब विभाग भी इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहा है। डीपीआर बनाने वाली एजेंसियां सरकार और विभाग के चक्कर काट रही हैं। प्रशासकीय स्वीकृति नहीं होने से इन प्रोजेक्ट के लिए बजट में भी प्रावधान नहीं किया गया। इसके चलते विभागों को तीन-चार साल से यह समझ नहीं आ रहा है कि एजेंसियों का किस मद से भुगतान किया जाए। डीपीआर बनाने वाली कंपनियों को 250 करोड़ से ज्यादा का भुगतान होना है। ऐसे में विभागों ने मामले से किनारा कर लिया है। विभागों का कहना है कि जिसके आदेश से डीपीआर जारी किए गए हैं, उसी के माध्यम से राशि भुगतान किया जाएगा। सारे निर्देश मौखिक होने से अधिकारी भुगतान कर जांच एजेंसियों के चक्कर में भी नहीं पड़ऩा चाह रहे हैं। छिंदवाड़ा जिले में उच्च शिक्षा विभाग के भवन बनाने के लिए डीपीआर तैयार करने वाली कंपनी को भी भुगतान नहीं किया गया है।

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