जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस पर ठोका 25 करोड़ का रोड टैक्स

जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस
  • छत्तीसगढ़ की कंपनी पर परिवहन विभाग ने कसी नकेल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में 108 एम्बुलेंस चलाने वाली छत्तीसगढ़ की जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस कंपनी पर परिवहन विभाग ने नकेल कसते हुए उस पर 25 करोड़ रुपए का रोड टैक्स की रिकवरी निकाली है। इसको लेकर परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने कंपनी को नोटिस जारी किया है। साथ में सभी आरटीओ को निर्देश दिए है कि टैक्स जमा नहीं करने पर गाडिय़ों के संचालन पर रोक लगा दी जाए।  जय अंबे सर्विसेस का विवादों से पुराना नाता है। कंपनी की गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन छत्तीसगढ़ में हुआ है और वे मप्र की सडक़ों पर चल रही हैं। ऐसे में जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस कंपनी पर रोड टैक्स के तौर पर 25 करोड़ रुपए बकाया है। टैक्स जमा करने के लिए जय अंबे सर्विसेस को परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने नोटिस जारी किया है। टैक्स नहीं जमा करने की दशा पर गाडिय़ों  को खड़ा करना पड़ सकता है। जय अंबे की मप्र में 2000 एम्बुलेंस चल रही हैं।  परिवहन आयुक्त ने कंपनी को टैक्स जमा करने की सख्त चेतावनी दी है। कंपनी को समय पर टैक्स जमा करने की हिदायत भी दी गई है। परिवहन आयुक्त ने कहा कि अत्यावश्यक सेवा होने के कारण अभी गाडिय़ों का संचालन नहीं रोका जा रहा है। हालांकि राशि जमा नहीं करने की दशा में विभाग को सर्विस रोकनी पड़ सकती है।
बिना रोड टैक्स के चल रही गाडिय़ां
मप्र में जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस 108 एम्बुलेंस का संचालन कर रही है। प्रदेश में कंपनी की करीब दो हजार एम्बुलेंस दौड़ रही हैं। कंपनी पर आरोप है कि उसने रोड टैक्स जमा किए बिना गाडिय़ों का संचालन शुरू कर दिया है। इसको लेकर परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने कंपनी को नोटिस जारी किया है। साथ में सभी आरटीओ को निर्देश दिए है कि टैक्स जमा नहीं करने पर गाडिय़ों के संचालन पर रोक लगा दी जाए। नोटिस मिलने के बाद कंपनी ने आयुक्त के  समक्ष प्रजेंटेशन भी दिया। इसमें बताया गया कि उनकी गाडिय़ां  छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड हैं, ऐसे में मप्र में टैक्स जमा करने का प्रावधान नहीं है। टेंडर जारी होने के बाद कंपनी को यह जानकारी दी गई थी कि टैक्स जमा करना होगा। बावजूद इसके कंपनी ने राशि जमा नहीं कराई है। वह भी तब जब वाहनों का उपयोग व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है। नियमानुसार ऐसे में कंपनी को टैक्स की राशि जमा करनी होती है। परिवहन आयुक्त ने एनएचएम की डायरेक्टर सलोनी सडाना को पत्र लिखा है। पत्र में जय अंबे सर्विसेस से बकाया राशि जमा कराने की बात कही गई है। आयुक्त ने कहा कि कंपनी द्वारा टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में कंपनी को भुगतान की जा रही राशि से काट कर टैक्स की राशि जमा कराई जाए। इसे लेकर सलोनी सडाना ने कंपनी को तत्काल पैसा जमा कराने के लिए पत्र लिखा है।
नियमों के विपरीत चल रही गाडिय़ांजय अंबे सर्विसेस का विवादों से पुराना नाता है। हाल में आईटी विभाग ने कंपनी पर छापामार कार्रवाई की थी। इसके पहले कांग्रेस भी कंपनी पर आरोप लगा चुकी है। कांग्रेस ने पूछा था कि या अनुबंध के अनुसार जेएईएस द्वारा एनएचएम को लिखित में सूचित कर अनुमति मांगी गई थी कि उनके द्वारा लगाए गए समस्त  एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन रोड  टैक्स आदि का छत्तीसगढ़  राज्य में भुगतान कर गाडिय़ां मप्र में संचालित की जा सकेगी। कांग्रेस ने परिवहन विभाग के नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि एक राज्य का वाहन ट्रांसफर कराए बिना दूसरे राज्य में छह महीने से ज्यादा की अवधि तक नहीं चलाया जा सकता है, जबकि मप्र में जेईएएस द्वारा अनुबंध करने से लेकर वर्तमान समय तक 2000 एम्बुलेंस का संचालन छत्तीसगढ़ में कराए गए रजिस्ट्रेशन और वहां के रजिस्ट्रेशन नंबर पर किया जा रहा है।
एनएचएम के तहत मिलने वाले पैसों का गलत इस्तेमाल

उन्होंने कहा कि अगर आप इसकी तुलना करें तो एक पूरी तरह से सुसज्जित एंबुलेंस, जिसमें हर आधुनिक उपकरण जैसे वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था हो, उसकी अधिकतम कीमत 20 लाख रुपये होती है। लेकिन, यहां सरकार 45 लाख रुपये किराये के रूप में भुगतान कर चुकी है। यह सीधा-साधा भ्रष्टाचार और सरकारी धन का दुरुपयोग है। यह सब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत मिलने वाले केंद्र सरकार के पैसों का गलत इस्तेमाल है। कम से कम 600 से 700 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है।
900 करोड़ के घोटाले का आरोप
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने का दावा करते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पिछले ढाई साल में दो हजार एंबुलेंस के लिए 900 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है, जो एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। इस मामले को गंभीर बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ढाई साल में एंबुलेंस के लिए किराये के तौर पर छत्तीसगढ़ की एक निजी कंपनी को जो पैसा दिया है, वह एंबुलेंस की कीमत से तीन गुना ज्यादा है। जयवर्धन सिंह ने कहा कि हर सरकार का दायित्व होता है कि राज्य में चिकित्सा सुविधाओं पर नियंत्रण हो और उसकी गुणवत्ता अच्छी हो। मैंने विधानसभा में एक सवाल पूछा था कि एंबुलेंस के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक कितना भुगतान किया है। मुझे जानकारी मिली कि पिछले ढाई साल में छत्तीसगढ़ की एक निजी कंपनी जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेज को 900 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इस कंपनी के पास करीब दो हजार एंबुलेंस हैं और इसका औसत किराया प्रति एंबुलेंस 45 लाख रुपये दिया गया है।

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