प्रदेश के 239 कॉलेज पढ़ने लायक नहीं!

कॉलेज
  • पांच कॉलेजों में नहीं लिया किसी छात्र ने प्रवेश तो 200 कॉलेजों में नाम के लिए हुए एडमिशन

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
    मप्र में इस बार कॉलेजों में रिकार्ड दाखिले हुए हैं। विभिन्न विषयों में एडमिशन के लिए इच्छुक छात्रों की संख्या को देखते हुए सरकार ने सीटों की संख्या में इजाफा भी किया है। लेकिन इन सब के बावजूद प्रदेश में करीब 239 कॉलेज ऐसे हैं जिनमें एडमिशन के लिए छात्रों ने रुचि नहीं दिखाई है। माना जा रहा है कि ये कॉलेज या तो सुविधा विहीन हैं या इनमें अच्छे पाठ्यक्रम नहीं होंगे या फिर ये कागजों पर चल रहे हैं।
    गौरतलब है कि प्रदेश के 1301 कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया पर विराम लग गया है। अभी तक यूजी और पीजी में छह लाख 44 हजार प्रवेश हो चुके हैं। इसमें यूजी चार लाख 87 हजार और पीजी में एक लाख 57 हजार प्रवेश हुए हैं। इसके बाद भी कल्याणपुर, संस्कृत कॉलेज उज्जैन, बमोरी, दिमनी और रेथौराकलां कॉलेज में एक भी प्रवेश नहीं हुए हैं। यहां जीरो प्रवेश हैं।
    जबकि यूजी-पीजी में अभी तक सबसे ज्यादा प्रवेश हुए हैं। इसके पहले विभाग ने गत वर्ष पांच लाख 61 हजार प्रवेश किए थे। प्रदेश में करीब 72 कॉलेजों में प्रवेश की संख्या में 200 तक नहीं रहती हैं। जबकि 150 कालेज तो विद्यार्थियों की संख्या 150 तक पार नहीं कर पाता है, जिसके बाद भी उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्तमान सत्र में प्रवेश कराने एक दर्जन कालेज खोल दिये हैं। उनमें भी प्रवेश की स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही है।
    कांग्रेस सरकार ने शुरू कर दी थी तालाबंदी की तैयारी
    जानकारी के अनुसार, कांग्रेस सरकार ने सरकारी खजाने का आर्थिक बोझ कम करने उक्त कॉलेजों को बंद करने की प्रक्रिया भी शुरू की थी। उक्त कॉलेजों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को नजदीकी बड़े कॉलेजों में शिफ्ट किया जाता। कांग्रेस सरकार कुछ कार्रवाई कर उक्त 72 कॉलेजों पर ताले लगी पाती, उसके पहले प्रदेश से कांग्रेस सरकार विदा हो गई और भाजपा सरकार फिर वजूद में आ गई और उक्त कॉलेज वर्तमान में संचालित हो रहे हैं।  2008 में मप्र में 302 सरकारी कॉलेज थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा और स्थानीय नेता व मंत्री की मांगों पर पिछले दस सालों में एक- एक कर 200 नये कॉलेज खोले गये। वर्तमान में उनकी संख्या 516 तक पहुंच गई है।
    यहां 15 से 120 तक हुए प्रवेश
     प्रदेश में कई कॉलेज ऐसे हैं जहां कम संख्या में एडमिशन हुए हैं। सतना में छह, उज्जैन में पांच, रीवा और डिंडौरी में चार- चार, शाजापुर, सिंगरौली, शिवपुरी, श्योपुर, सीहोर और सीधी में तीन-तीन, अनूपपुर, शहडोल, हरदा, मंडला, रतलाम, रायसेन, धार, बड़वानी, सागर, सिवनी और बुरहानपुर में दो- दो, अशोकनगर, छिंदवाड़ा, आगरमालवा, ग्वालियर, होशंगाबाद, कटनी, मंदसौर, मुरैना, नीमच और पन्ना में एक-एक कॉलेज। इसमें एक दर्जन विधि कॉलेज भी शामिल हैं, जिनमें प्रवेश 15 से 120 तक हुए हैं। करीब आधा दर्जन कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें कुल दो दर्जन विद्यार्थी तक नहीं हैं। जबकि प्रोफेसर और कर्मचारियों को लाखों रुपए का वेतन प्रतिमाह आवंटित किया जा रहा है।  उक्त कॉलेजों में स्वयं का भवन के अलावा बिजली, पानी और संसाधनों का भी अभाव है।
    पंद्रह फीसदी कॉलेजों में प्रवेश की संख्या चिंताजनक
    प्रदेश में इस बार जहां कॉलेजों में रिकार्ड प्रवेश हुआ है, वहीं मप्र के पंद्रह फीसदी कॉलेजों में विद्यार्थी और प्रोफेसर की संख्या के बराबर प्रवेश हुए है। 72 कॉलेजों की स्थिति को देखने के बाद भी सरकार ने एक दर्जन कॉलेज खोलकर सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ डाल दिया है। यही नहीं 450 नए शैक्षणिक और अशैक्षणिक पद तक सृजित करा दिए हैं। वर्तमान सत्र में प्रदेश के 72 कॉलेजों में 200-200 तक प्रवेश संख्या नहीं पहुंची है। यह स्थिति वर्तमान की नहीं हैं। बल्कि लंबे समय से चली आ रही है।

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