- ट्रांसमिशन लाइनों के नीचे बने मकान के मालिकों को नोटिस जारी
- गौरव चौहान

प्रदेश के कई शहरों की नई कॉलोनियों सहित कई इलाकों में कई मकान एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों के प्रतिबंधित दायरे में बन गए हैं। यह निर्माण वर्षों पहले स्थापित ट्रांसमिशन लाईनों के समीप किए गए जो न केवल गैरकानूनी हैं, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। एमपी ट्रांसको ने पिछले तीन वर्षों में ऐसे 2340 निर्माण चिन्हित किया है, वहीं 892 निर्माणों के लिये नोटिस जारी किए हैं। एमपी ट्रांसको द्वारा अपने स्तर पर इन्हें हटाने के कई प्रयास समय-समय पर किए जाते हैं, साथ ही जिला प्रशासन की मदद से भी अभियान चलाया जाता है। वर्षों पहले स्थापित हुई इन एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों के नीचे बसे रहवासी मकान न केवल विद्युत सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह जनजीवन को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार ऐसे सभी क्षेत्र जहां पहले से ही ट्रांसमिशन लाइनें क्रियाशील है, फिर भी विद्युत सुरक्षा मापदंड़ों को नजर अंदाज कर उनके समीप अनाधिकृत निर्माण कर लिये गये है, उन क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनों से दुर्घटना एवं जनहानि होने की आंशका के मद्देनजर वहां कंपनी द्वारा सुरक्षा नियमों की जानकारी घर-घर चस्पा की जा रही है। कर्मचारी लाइनों से सुरक्षित दूरी बनाये रखने के लिए अनाउसमेंट भी कर रहे है। जागरूकता एवं जनसुरक्षा के लिये ट्रांसमिशन लाइनों के संपर्क में आने से संभावित खतरों से सचेत भी कराया जा रहा है। भोपाल और इंदौर में ट्रांसमिशन कंपनी ने ऐसे 1740 निर्माण निन्हित किए हैं, जिन्हें हटाना जरूरी है। राजधानी में इस तरह के निर्माणों को हटाने के लिए 848 नोटिस जारी कर चुकी है, लेकिन अब तक इन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। वर्ष 2022, 2023, अक्टूबर 2024 और हाल ही में फिर से नोटिस जारी किए गए हैं। अपने स्तर पर कई प्रयास किए गए, लेकिन अब जिला प्रशासन की मदद से अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। इंदौर में तीन वर्षों में ऐसे 892 निर्माणा के लिए नोटिस जारी किए हैं। ट्रांसको द्वारा अपने स्तर पर इन्हें हटाने के कई प्रयास समय-समय पर किए जाते हैं, साथ ही जिला प्रशासन की मदद से भी अभियान चलाया जाता है। उधर, जबलपुर में ऐसे निर्माणों को हटाने के लिए 600 से अधिक नोटिस जारी हो चुके हैं।
600 से 950 गुना अधिक खतरा
एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों लाइनों के नीचे घरेलू बिजली की तुलना में 600 से 950 गुना अधिक खतरा है। वहीं इन अवैध निर्माणों से बिजली लाइनों में बार-बार ट्रिपिंग हो रही है और दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। कंपनी ने भोपाल, जबलपुर और इंदौर शहर में ऐसे 2340 निर्माण चिन्हित किए हैं। इन्हें अब नोटिस जारी किए जा रहे हैं। नई कालोनियों सहित अनेक क्षेत्रों में सैकड़ों मकान एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों के खतरनाक दायरे में बने हुए हैं। मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) बीते तीन वर्षों में ऐसे अवैध निमार्णों के खिलाफनोटिस जारी किए जा रहे हैं। ट्रांसमिशन लाइन के नीचे बसे इलाकों में सार्वजनिक मुनादी के माध्यम से लोगों को सतर्क करने की कोशिश की गई। इसके अलावा, एमपी ट्रांसको के अधिकारी और कर्मचारी व्यक्तिगत तौर पर भी स्थानीय लोगों को कई बार समझाइश दे चुके हैं। बावजूद इसके, निर्माण कार्य जारी हैं। अब प्रशासन की मदद से अवैध निर्माणों को की कार्रवाई की लाइनों के नीचे बसे मकान और प्लॉट न केवल नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह जनजीवन को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं।
कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण
बिजली कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल के कई क्षेत्रों में एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों के नीचे निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। उनमें 132 केवी भोपाल बैरागढ़ टैप से लालघाटी लाइन, 132 केवी भोपाल आईटी पार्क लाइन, 132 केवी भोपाल अमरावतखुर्द लाइन शामिल हैं। वहीं इंदौर में जिन क्षेत्रों में निर्माण हो रहा है उनमें 220 केवी इंदौर-जैतपुरा लाइन,132 केवी नार्थ झोन-चंबल लाइन,132 केवी साउथ झोन-चंबल लाइन, 132 केवी साउथ झोन – महालक्ष्मी नगर- मांगलिया लाइन और 220 केवी साउथ झोन इंदौर- इंटरकनेक्टर लाइन शामिल हैं।
ट्रांसमिशन लाइनों से जान का खतरा
आम घरों में उपयोग होने वाली विद्युत आपूर्ति की तीव्रता मात्र 230 वोल्ट होती है। यह स्तर भी इतना अधिक होता है कि यदि कोई व्यक्ति गलती से इसके संपर्क में आ जाए तो गंभीर रूप से घायल हो सकता है या उसकी जान भी जा सकती है। एक्स्ट्रा हाई टेंशन ट्रांसमिशन लाइनें, जिनमें विद्युत तीव्रता 132 केवी (यानी 132,000 वोल्ट) एवं 220 केवी (यानी 2,20,000 वोल्ट) होती है, जो कि घरेलू बिजली की तुलना में 600 से 950 गुना अधिक रहती है। यह अंतर दर्शाता है कि अगर मात्र 230 वोल्ट के संपर्क में आने से जान को खतरा हो सकता है, तो 132 या 220 केवी की ट्रांसमिशन लाइनों के पास रहने या निर्माण करने से कितना बड़ा जोखिम हो सकता है। एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन के प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण की वजह से दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। 132 केवी बैरागढ़ गोविंदपुरा लाइन के नीचे निर्माण कार्य कर रहे कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके चुके है। है वहीं, हाल ही में जबलपुर में एक हाईवा वाहन रेत खाली करते समय ट्रांसमिशन लाइन से टकरा गया, जिससे वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। गनीमत रही कि चालक, कंडक्टर और क्लीनर बाल-बाल बच गए। हालांकि इस घटना से शहर के कई इलाकों की बिजली आपूर्ति बाधित रही। इंदौर के खजराना क्षेत्र में भी एक मजदूर घर में टीन सेट लगाते हुए एक्स्ट्रा टेंशन लाइन की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुका है।