निकायों में पेयजल और सीवेज पर खर्च होंगे 226.72 करोड़

पेयजल और सीवेज
  • वित्त विभाग ने प्रतिबंधों को शिथिल करते हुए जारी की अनुमति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई शहरों में सीवेज और वॉटर सप्लाई सिस्टम मजबूत किया जाएगा। इसके लिए राशि की व्यवस्था की जा रही है। इन पर 226.72 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह राशि शहरों में इक_ा होने वाली स्टाम्प ड्यूटी के हिस्से के तौर पर नगरीय निकायों को मिलेगी। इसके लिए वित्त विभाग ने प्रतिबंधों को शिथिल करते हुए अनुमति जारी कर दी है।
गौरतलब है कि वित्त विभाग ने मार्च व जुलाई, 2024 में निकायों के खर्चों पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब प्रतिबंधों को शिथिल करते हुए अब अनुमति जारी कर दी गई है। प्रदेश के 63 छोटे-बड़े शहरों में सीवरेज और वॉटर सप्लाई के प्रोजेक्ट किए जाएंगे। इन पर 226.72 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह राशि शहरों में इक_ा होने वाली स्टाम्प ड्यूटी के हिस्से के तौर पर नगरीय निकायों को मिलेगी। इसके लिए वित्त विभाग ने मार्च व जुलाई, 2024 में लगाए प्रतिबंधों को शिथिल करते हुए अनुमति जारी कर दी है।
जारी हो चुकी है राशि
खास बात यह है कि राशि मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए जारी की गई है। इससे लघु एवं मध्यम शहरों के लिए शहरी अधोसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी)  अमृत 1.0 और मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के कार्य किए जाएंगे। इसमें सीवरेज और पेयजल प्रमुख तौर से शामिल हैं। सडक़ सुरक्षा निधि मद से भी तीन निकायों को पैसा दिया गया है। जबलपुर नगर निगम को दो करोड़, मानपुर व मेघनगर नगर परिषद के लिए 30-30 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है। रीवा नगर निगम के हिस्से में सर्वाधिक 30 करोड़ रुपए आएगा। यह राशि अमृत 1.0 में सीवरेज पर खर्च की जाएगी। जबलपुर को भी इस कार्य के लिए 27 करोड़ रुपए मिलेंगे। इंदौर को सीवेज के दो प्रोजेक्ट्स के लिए 12.17 करोड़ रुपए मिलेगा। छिंदवाड़ा को यूआईडीएसएसएमटी और अमृत 1.0 में जलप्रदाय योजना के लिए 14.80 करोड़ रुपए दिया जाएगा। वहीं देवास को 8.89 करोड़, रतलाम को 4.24 करोड़, सागर को 9.91 करोड़, गुना को 7.90 करोड़, भिंड को 2.28 करोड़, ब्यावरा में 4.09 करोड़, नीमच में 2.74 करोड़, रायसेन जिले की बरेली में ढाई करोड़, छिंदवाड़ा की चौरई में 3.67 करोड़  व डोंगर परासिया में 3.05 करोड़, पंधाना में 2.31 करोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा संचालनालय के स्तर पर यांत्रिक प्रकोष्ठ के लिए यूआईडीएसएसएमटी व मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के लिए 28.30 करोड़ रुपए रखा गया है।
भोपाल को मिलेंगे 12.55 करोड़
नगरीय निकायों को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि पर लगातार कैंची चल रही है। मार्च में 193 निकायों को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति में से 93.39 करोड़ रुपए काट लिया गया है। यह राशि राशि बिजली का बकाया चुकाने के लिए सीधे विद्युत वितरण कंपनियों के खाते में डाल दी दी गई है। सर्वाधिक नुकसान इंदौर को उठाना पड़ा है। इंदौर का 25.27 करोड़ रुपए काटा गया है। है। भोपाल को 12.55 करोड़ रुपए कम मिलेंगे। जबलपुर को भी नौ करोड़ रुपए कम मिल पाएंगे। इसी तरह ग्वालियर का 9.94 करोड़ काटा गया है। सिंगरौली को मिलने वाली राशि में 1.51 करोड़ और रीवा की में 1.41 करोड़ की कटौती की गई है। चुंगी क्षतिपूर्ति में तीन साल से अधिक समय से जारी कटौती की वजह से नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा रही है।
छोटे शहरों के पानी के रीयूज पर फोकस
पानी की कमी को देखते हुए शहरों के लिए पानी का रीयूज करना जरूरी बन गया है। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन शहरी के तहत अब शहरों से निकलने वाले इस्तेमाल किए जा चुके पानी को महत्व दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की योजना है कि शहरों में उपयोग में लाए जा चुके पानी को विभिन्न कामों के लिए एकत्रित, रीसाइकल और रीयूज किया जा सके। स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के तहत छोटे शहरों में 4,900 एमएलडी क्षमता वाले ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 11,785 करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर की गई हैं। इससे छोटे शहरों में जल प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि शहर के सीवेज या इस्तेमाल हो चुके पानी को जलाशयों में न छोडकऱ पर्यावरण का ख्याल रखा जाए। घरों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले पानी को ट्रीट किया जाए और उसके बाद ही जलाशयों में छोड़ा जाए।

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