
- 7 हजार सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए खरीदे गए थे 14,505 टैबलेट
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना काल में आॅनलाइन पढ़ाई का चलन इस कदर बढ़ा कि सरकार ने बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रदेश के स्कूलों में टैबलेट मुहैया करवाए। इसके लिए करीब 21.75 करोड़ रूपए के 14,505 टैबलेट खरीदे गए। लेकिन आज तक इन टैबलेट का उपयोग नहीं हो सका है। ये टैबलेट अभी धूल खा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार कोरोना की तीन लहर गुजरने के बाद प्रदेश के 7 हजार सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूलों में आॅनलाइन पढ़ाई के लिए ये टैबलेट खरीदे गए हैं। इन टैबलेट से स्कूलों में शैक्षणिक एप मूल्यांकन और विद्यार्थियों की मैपिंग का कार्य भी होना है। लेकिन टैबलेट वितरित हुए 2 माह बीत चुके हैं लेकिन, अब तक इन पर एक भी कार्य शुरू नहीं हुआ है। जिम्मेदारों ने टैबलेट को स्कूल की अलमारियों में बंद कर दिया है।
जरूरत के समय नहीं थे संसाधन
कोरोना संक्रमण काल में ऑनलाइन क्लास कराने का निर्णय सरकार ने लिया था। सरकार के निर्देशानुसार कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश के सभी सरकारी व निजी स्कूलों में ऑनलाइन क्लास का आयोजन किया गया था। सरकारी स्कूल में संसाधनों की कमी सामने आई थी। इसी दौरान कई स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू की गई, जिसमें लैपटॉप, टीवी समेत करीब दो लाख रुपए खर्च हुए। लेकिन अधिकांश स्कूलों में आॅनलाइन पढ़ाई के साधन नहीं थे। इस दौरान शिक्षकों ने अपने मोबाईल से छात्रों को जोड़कर आॅनलाइन पढ़ाई करवाई। समस्या को बढ़ता देख टैबलेट खरीदने का निर्णय लिया गया। जिला शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, शहर के सभी हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्यों को टैबलेट दिया गया है, जिसका काम नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ शुरू होगा।
कोरोना की तीसरी लहर खत्म होने पर खरीदे गए टैबलेट
जानकारी के मुताबिक कोविड के दौरान विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो इसके लिए शिक्षा विभाग अधिकारियों ने बैठक में टैबलेट खरीदने का निर्णय लिया। इसके तीन माह बाद यानी जनवरी से कोरोना की तीसरी लहर शुरू हुई। इस दौरान 25 दिन स्कूल बंद रहे। लेकिन प्रदेश में टैबलेट खरीदी का आदेश लहर बीतने के बाद 20 फरवरी को जारी किया गया । जबकि सितंबर 2021 को टैबलेट खरीदने का निर्णय लिया गया था।
डेढ़ गुना अधिक दाम पर खरीदा टैबलेट
शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक एक टैबलेट खरीदने के लिए 10 हजार रुपए का बजट तय किया गया था। लेकिन इस बजट में केवल चायनीज टैबलेट ही बाजार में उपलब्ध थे। इसलिए शिक्षा विभाग ने बजट 15 हजार रुपए कर दिया। जिसमें 10 हजार रुपए समग्र शिक्षा अभियान और शेष राशि स्कूल को आकस्मिक निधि से व्यय करना थी। इससे ज्यादातर सैमसंग कंपनी के 3जी टैबलेट खरीदे गए। हालांकि कुछ स्कूल प्रबंधन ने आकस्मिक निधि बचाने चीन की कंपनियों के टैबलेट भी खरीदे। अब तक सिम और ऐप के संबंध में निर्देश जारी न होने से टैबलेट अलमारियों में बंद है। एक डीईओ का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए टैबलेट में कौन-कौन से ऐप डाउनलोड करना है, इससे संबंधित नोटिफिकेशन नहीं मिला है। इस कारण टैबलेट अलमारी में रखे गए हैं। नए सत्र में इन टैबलेट किया जाएगा।