शक्ति का अविरल स्रोत बना मप्र

अविरल स्रोत
  • मोहन सरकार में रचा जा रहा विकास का नया इतिहास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र विकास के पथ पर तेजी से सरपट दौड़ रहा है। मप्र अब पूरी तरह से बदल चुका है। अब और अधिक ऊंचाइयां तय करने के लिए तैयार है। मप्र के सामने 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य है। ऐसे में प्रदेश में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। आज मप्र राष्ट्र के लिए शक्ति का अविरल स्रोत बन गया है। प्रदेश ने आर्थिक विकास की रफ्तार और प्रगति की राह को चुना और प्रगति के नए सोपान तय किए हैं।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
भारत के अमृतकाल में मप्र ने भी अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। वर्ष 2047 तक 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का निर्माण करना सर्वोच्च लक्ष्य है। इसे हासिल करते हुए मप्र स्वयं भी पूर्ण रूप से विकसित राज्य बन जाएगा। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से मप्र आज महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिये तैयार है। मप्र में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय बढक़र 1 लाख 52 हजार 615 रुपये हो गई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 12 हजार 609 रुपये अधिक है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य की अर्थव्यवस्था हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है। वर्ष 2011-12 में जहां प्रति व्यक्ति आय मात्र 67,301 रुपये थी, वहीं मात्र 13 वर्षों में यह दोगुनी से अधिक होकर 1.52 लाख रुपये के पार पहुंच गई है। पिछले तीन साल का आंकड़ा देखें तो 2022-23 में 1,27,947 रुपये, 2023-24 में 1,39,713 रुपये और अब 2024-25 में 1,52,615 रुपये प्रति व्यक्ति आय दर्ज की गई है। राज्य के सकल मूल्य वर्धन में भी सभी प्रमुख सेक्टरों ने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। मत्स्य पालन क्षेत्र में सबसे ज्यादा 17.84 प्रतिशत और रेलवे में 20.51 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी हुई है, जबकि पशुधन, व्यापार-होटल, खनन और संचार जैसे क्षेत्रों में भी 8 से 14 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है।
मप्र विकास के कई पैमानों पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, खासकर कृषि (गेहूं, दलहन, तिलहन में अग्रणी), अर्थव्यवस्था, और बुनियादी ढांचे (सडक़, हवाई अड्डे, बिजली) में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जबकि औद्योगिक विकास और शहरी-ग्रामीण गरीबी में कमी पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिससे राज्य 2047 तक एक बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। प्रदेश में उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिलाकर 3,08,252 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसमें से 93,000 वर्ग किलोमीटर इलाका जनजाति क्षेत्र में है। ग्रामीण क्षेत्र 309505.59 वर्ग किलोमीटर है, शहरी क्षेत्र में 7746 वर्ग किलोमीटर है, इस प्रकार 97.49 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार है। इस तरह प्रदेश की 7.26 करोड़ जनसंख्या तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षित युवाओं को वाहन खरीदने के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 1.25 लाख प्रति वाहन अनुदान के साथ 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया गया। मप्र सरकार की इस योजना ने दोहरे लक्ष्य साधे। एक तरफ युवाओं को स्व-रोजगार के अवसर मिले और वे उद्यमी बने। वहीं दूसरी तरफ खाद्यान्न को शासकीय गोदामों से उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाने में लगने वाले समय में 30 प्रतिशत तक की कमी आई। इसने जस्ट-इन-टाइम डिलीवरी मॉडल को अपनाया, जिससे स्टॉक की कमी की समस्या समाप्त हुई। योजना में पारदर्शिता बनाए रखने एवं सतत् निगरानी के लिए सभी अन्नदूत वाहनों को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस किया गया है, जिससे उनके रूट और डिलीवरी समय की निगरानी की जा सके। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राशन सही समय पर और सही मात्रा में दुकान तक पहुंचे। वर्ष 2000-2001 राज्य का बजट 1,06,393 करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2024-25 में 3,26,383 करोड़ रुपये का अनुमानित है। राज्य में वर्तमान में 8586 शाखाओं के माध्यम से बैंकिंग सेवाएं प्रदान की जा रही है। जो 33 प्रतिशत ग्रामीण और 67 प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों में है। इसके अतिरिक्त 38 जिला सहकारी बैंक 4536 प्राथमिक कृषि ऋण समिति भी कार्यरत है।

पशुधन में 8.39 प्रतिशत की वृद्धि
बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में पशुधन में 8.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से एमपी में पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दे रही सरकार – मप्र की सरकार किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही है वहीं इन योजनाओं के माध्यम से पशु पालन और दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पशुपालन से किसानों की आय बढ़ेगी और वे आत्मनिर्भर होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह हमारा संकल्प है कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन निरंतर बढ़े और वर्ष 2028 तक प्रदेश को देश की ‘मिल्क कैपिटल’ बनाया जाये। गो- संरक्षण और गो-संवर्धन सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। प्रदेश में पशुपालन विभाग को गो-पालन विभाग का नाम दिया गया है। प्रदेश में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9त्न होता है, जिसे 20 प्रतिशत तक ले जाने का सरकार का लक्ष्य है। प्रदेश में गोवंश के लिए आहार की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रतिमाह दी जाने वाली राशि को 20 से बढक़र 40 कर दिया गया है। ‘हर घर गोकुल’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश में 946 नई दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना में प्रदेश के ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। दुग्ध उत्पादन और ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के लिए प्रत्येक जनपद में एक वृंदावन ग्राम बनाया जा रहा है। दुग्ध उत्पादन से अधिक आय के लिए मप्र दुग्ध संघ के सांची ब्रांड को अधिक लोकप्रिय बनाया जा रहा है, इसके लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से करार भी किया गया है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के साथ दुग्ध उत्पादों की बेहतर ब्राडिंग, गोवंश की समुचित देखभाल, वेटनरी क्षेत्र में आवश्यक प्रशिक्षण और उन्नत अधोसंरचना स्थापित करने में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की विशेषज्ञता का हरसंभव लाभ लिया जा रहा है। वर्ष 2030 तक प्रदेश के 26 हजार गांवों तक डेयरी नेटवर्क का विस्तार सुनिश्चित किया जाना है। इससे 52 लाख किलोग्राम दुग्ध संकलन होगा। बढ़े हुए दुग्ध संकलन का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आधुनिकतम दुग्ध प्रसंस्करण अवसंरचना विकसित की जाएगी। प्रदेश में निर्मित होने वाले दुग्ध उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर ब्राडिंग सुनिश्चित की जाएगी।
प्रदेश में पशुपालन और डेयरी विकास के लिए सरकार द्वारा नई योजनाएं शुरू की गई हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना में पशुपालक को 25 दुधारू पशु गाय, संकर गाय, भैंस की इकाई प्रदान की जाएगी। इस इकाई की लागत 36 से 42 लाख रुपए के बीच रहेगी। योजना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों के लिए 33 प्रतिशत एवं अन्य वर्ग के लिए 25त्न अनुदान की व्यवस्था की गई है। सरकार अब सिर्फ भैंस का नहीं गाय का दूध भी खरीदेगी। गाय के दूध की खरीद की कीमत बढ़ाई जाएगी। प्रदेश में स्वावलंबी गो-शालाओं की स्थापना नीति 2025 भी लागू की गई है। इसके अंतर्गत नगरीय क्षेत्र में उपलब्ध गो वंश के आश्रय एवं भरण पोषण के लिए 05 हजार गो-वंश से अधिक की क्षमता वाली वृहद गो-शालाएं नगर निगम ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, भोपाल और जबलपुर में स्थापित की जा रही हैं। गो-संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में मप्र देश का अग्रणी राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना, कामधेनु निवास योजना, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम, नस्ल सुधार कार्यक्रम के साथ ही विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का प्रदेश में प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेश में न केवल गोवंश का समुचित पालन-पोषण किया जा रहा है, अपितु दुग्ध उत्पादन में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।

वानिकी में 2.91 प्रतिशत की वृद्धि
बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2.91 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में खनन गतिविधियों और बिजली उत्पादन की प्रक्रिया में बने राख के पहाड़ों पर वनों को विकसित करने की चुनौती स्वीकार कर मप्र राज्य वन विकास निगम ने वन सम्पदा को पुनस्र्थापित किया है। प्रदेश के तीन लाख 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वनों का पुनर्वास करना बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश में अद्यतन तकनीक के माध्यम से वनों का उचित प्रबंधन किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश वन सम्पदा में देश में सर्वश्रेष्ठ है। राज्य सरकार वनों और वन उपज के साथ वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में भी हरसंभव प्रयास कर रही है। प्रदेश के सघन वन क्षेत्र की सुरक्षा और बेहतर प्रबंधन के लिए वन सेवा के अधिकारी-कर्मचारी प्रशंसा के पात्र हैं। राज्य सरकार जू (चिडिय़ाघर) तथा वन्य जीवों का रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने की दिशा में भी कार्य कर रही है। राजस्थान का जोधपुर आम और बबूल की लकड़ी के आधार पर फर्नीचर के बड़े केन्द्र के रूप में स्थापित हुआ है। प्रदेश में उपलब्ध सागौन और अन्य श्रेष्ठ काष्ठ के उपयोग से मप्र भी इस प्रकार की पहल कर सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कहते हैं कि यह गर्व का विषय है कि मप्र नदियों का मायका है। प्रदेश के वन, देश की कई प्रमुख नदियों को जलराशि से समृद्ध बनाते हैं। प्रदेश के विशाल भू-क्षेत्र में फैली वन आधारित जीवनशैली हमें प्रकृति के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान करती है। देश में सर्वाधिक बाघ मप्र में हैं। चंबल क्षेत्र में घडिय़ाल भी वन्यजीव पर्यटन की शोभा बढ़ा रहे हैं। वन विभाग ने विलुप्तप्राय गिद्धों का संरक्षण करते हुए प्रदेश में गिद्धों को नया जीवन प्रदान किया है। सर्पदंश से होने वाली मौतों को कम करने के लिए राज्य सरकार योजनाओं पर कार्य कर रही है। प्रदेश में सर्प गणना की तैयारी हो रही है। मप्र ऐसा क्षेत्र हैं, जहां टाइगर और मनुष्य सहचर्य की भावना से साथ-साथ रहते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश में अनेक नवाचार क्रियान्वित हो रहे हैं। इसके अंतर्गत प्रदेश को वन संपदा से समृद्ध करने के लिए एक पेड़ मां के नाम अभियान शुरू किया गया। प्रदेश में जल संरक्षण के लिए जल-गंगा संवर्धन अभियान चलाया गया। इसके अंतर्गत प्रदेश में अनेकों कुए, बावड़ी, तालाब और जलस्त्रोतों का जीर्णोद्धार किया गया। जल-गंगा संवर्धन अभियान भूजल स्तर सुधार के क्षेत्र में एक बड़ी पहल है। राज्य वन विकास निगम की भूमिका सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय कृषि आयोग की अनुशंसा पर 1975 में स्थापित राज्य वन विकास निगम अपनी स्थापना से लेकर अब तक निरंतर लाभ में ही रहा है। पर्यावरणीय आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध निगम की गतिविधियों से जंगल के साथ-साथ लोगों की जिन्दगी भी संवर रही है। वन विकास निगम के सहयोग से 3 लाख 90 हजार हेक्टेयर जंगलों का विकास और ट्रीटमेंट किया गया। इस उपलब्धि में निगम के अधिकारी और कर्मचारियों का योगदान महत्वपूर्ण है।

मत्स्य उत्पाद में 17.84 प्रतिशत की बढ़ोतरी..
बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में मतस्य उत्पादन में 17.84 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नारायण सिंह पंवार ने मछुआ पारिश्रमिक दरों में वृद्धि कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि इस बढ़ोतरी से राज्यभर के मछुआरों को हर साल करीब 3 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। यह संशोधन लगभग चार साल बाद किया गया है। निर्णय का स्वागत करते हुए मछुआ समितियों के प्रतिनिधियों ने खुशी जताई। दरअसल, अब मछली सिर्फ खाने की चीज नहीं रही, बल्कि मप्र में रोजगार का मजबूत जरिया बन रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ऐलान किया है कि राज्य में मछली पालन को अब उद्योग का दर्जा मिलेगा. सरकार का लक्ष्य है मप्र को देश में मत्स्य उत्पादन में नंबर वन बनाना. इसके लिए आधुनिक हैचरी, एक्वा पार्क और स्मार्ट फिश पार्लर जैसी योजनाओं पर करोड़ों रुपये का निवेश किया जा रहा है, जिससे युवाओं को रोजगार और मछुआ समुदाय को स्थायी आमदनी मिलेगी. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि पानी में खेती करने वाला मछुआरा सबसे साहसी होता है. अब मछली पालन को सिर्फ परंपरा नहीं, उद्योग के रूप में देखा जाएगा. सरकार की नई नीति के तहत इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर निवेश होगा. इसके लिए, युवाओं को रोजगार देने के लिए स्टार्टअप, प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे मत्स्य पालन न सिर्फ आय का जरिया बनेगा, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
अब मप्र को मछली बीज के लिए बंगाल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. सरकार 217 करोड़ रुपये खर्च करके प्रदेश में अत्याधुनिक हैचरी बना रही है. इससे मछली के बीज अब यहीं तैयार होंगे, जिससे किसानों को कम कीमत में बीज मिल सकेगा. इसके अलावा, बाहर से मंगवाने का खर्च बचेगा और मछली उत्पादन बढ़ेगा. यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक मजबूत कदम माना जा रहा है, जिससे रोजगार और आमदनी दोनों बढ़ेंगे. सरकार मछली पालन को तालाबों से निकालकर एक मजबूत उद्योग बनाना चाहती है. इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा निवेश किया जा रहा है. यही वजह है कि भोपाल में 40 करोड़ रुपये की लागत से हाईटेक एक्वा पार्क बन रहा है. इसके अलावा, इंदिरा सागर में 92 करोड़ की लागत से 3360 केज की परियोजना का भूमि पूजन हो चुका है. साथ ही, 22.65 करोड़ रुपये से 453 स्मार्ट फिश पार्लर भी बनाए जा रहे हैं, जिससे पूरी सप्लाई चेन को मजबूती मिलेगी. मप्र में करीब 2 लाख मत्स्य पालक रजिस्टर हैं और महिलाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ रही है. इसेक अलावा, मछुआ क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं से व्यापार करना आसान होगा. सरकार की कोशिश है कि मछुआ समुदाय आत्मनिर्भर बने और मछली पालन को एक मजबूत व्यवसाय में बदला जा सके.

खनन में 8.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी
बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में खनन में 8.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नीतियों से मप्र खनन क्षेत्र सुधारों में अग्रणी राज्य बन गया है। मप्र ने खनन क्षेत्र में अपनी नेतृत्व क्षमता को सिद्ध करते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यह उपलब्धि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व और खनन क्षेत्र को उत्तरदायी एवं औद्योगिक विकास का केन्द्र बनाने की उनकी प्राथमिकता का परिणाम है। राज्य सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में किये गये सुधार, आधुनिकीकरण और सतत विकास के प्रयासों की बड़ी सफलता को दर्शाती है। एसएमआरआई के अंतर्गत राज्यों को उनके खनिज भण्डार के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। श्रेणी-ए में शीर्ष तीन स्थान प्राप्त करने वाले राज्यों में मप्र, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं। श्रेणी-बी में गोवा, उत्तर प्रदेश और असम शीर्ष तीन स्थान पर है और श्रेणी-सी में पंजाब, उत्तराखण्ड और त्रिपुरा शीर्ष तीन स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि मप्र खनिज नीलामी के क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में राज्य ने बड़े पैमाने पर खनिज ब्लॉकों की नीलामी कर देश में पहला स्थान प्राप्त किया था। हाल ही में क्रिटिकल मिनरल्स की नीलामी में केंद्र सरकार की नीति को लागू करने में मप्र ने देश का पहला राज्य बनने का गौरव भी हासिल किया है। खनिज ब्लॉकों की सर्वाधिक नीलामी के लिए मप्र को भारत सरकार ने सम्मानित भी किया है। मप्र खनन और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभरा है। खनिजों की प्रचुरता और राज्य सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों के कारण मप्र देश की औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। खनन क्षेत्र में प्रदेश की उपलब्धियों से राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। केन्द्रीय खान मंत्रालय द्वारा खनन क्षेत्र में राज्य स्तर पर सुधारों को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य खनन तत्परता सूचकांक और राज्य रैंकिंग जारी की गई है। सूचकांक जारी करने की घोषणा केन्द्रीय बजट 2025-26 में की गई थी। राज्यों के खनन क्षेत्र में तैयारियों और प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है। इसमें नीलामी, खनन पट्टों का शीघ्र संचालन, अन्वेषण और सतत खनन जैसे प्रमुख मानकों के आधार पर राज्य रैंकिंग निर्धारित की गयी है। मप्र विकास की दिशा में लगातार कदम बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही सीएम के प्रयासों से प्रदेश अव्वल दर्जे पर आ रहा है। हाल ही में केंद्रीय खनन मंत्रालय की तरफ से रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें एक बार फिर मप्र अव्वल आया है। यह सूचकांक रिपोर्ट खनन क्षेत्र में राज्य स्तर पर सुधारों को प्रोत्साहित करने से जुड़ा है।

फसल उत्पादन में 1.60 प्रतिशत की वृद्धि
बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में फसल उत्पादन में 1.60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मप्र अब गेहूं, धान, चना, मसूर और सोयाबीन का एक बड़ा उत्पादक है, जिसने पंजाब-हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है। चना उत्पादन में 30 प्रतिशत योगदान और सोयाबीन, मसूर में वृद्धि से किसानों की आय बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जीएसडीपी में 11.05 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। टेक्सटाइल (जैविक कपास में देश में प्रथम), खाद्य प्रसंस्करण और आईटी क्षेत्र में उद्योग बढ़ रहे हैं। कृषि के क्षेत्र में प्रदेश ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, देश के किसी भी राज्य को लगातार सात बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त नहीं हुए यह खिताब मप्र ने हासिल किया है। गेहूं की पैदावार में मप्र देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। दलहन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। कपास उत्पादन में देश में प्रदेश का पांचवा स्थान है। जाहिर है कृषि क्षेत्र में प्रदेश ने काफी उन्नति की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन कहते हैं कि हमने प्रदेश के करोड़ों परिवारों को न केवल सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध कराया है, बल्कि उन्हें एक मजबूत उपभोक्ता संरक्षण कवच भी प्रदान किया है। पिछले दो वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों, नवाचारों और दूरगामी फैसलों से मप्र की खाद्य वितरण और उपभोक्ता न्याय प्रणाली को एक नई दिशा दी गयी है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का डिजिटल सशक्तिकरण राज्य की जनता के लिए एक अधिकार बन कर उभरा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली राज्य की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है। पिछले दो वर्षों में, विभाग ने पीडीएस को भ्रष्टाचार-मुक्त और सही हितग्राही को सही लाभ सुनिश्चित करने के लिए अभूतपूर्व डिजिटल पहल की है। प्रदेश के किसानों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है। खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में 6.05 लाख किसानों से 42.4 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन कर 9,200.18 करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया। खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में 6.69 लाख किसानों से 43.52 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन कर समर्थन मूल्य राशि 1001 करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया। उपार्जन अवधि में ही 14.18 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जन केंद्र से सीधे मिलर्स को प्रदाय कर परिवहन हैंडलिंग व्यय की बचत की गई। खरीफ विपणन वर्ष 2025- 26 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु 8.59 लाख किसानों का पंजीयन किया गया है, जिनसे दिसंबर 2025 से समर्थन मूल्य राशि 2369 प्रति क्विंटल की दर से धान का उपार्जन किया जाएगा। इसी तरह रवि विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित 48.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं पर 6.13 लाख किसानों को 125 में प्रति क्विंटल की दर से 605 करोड़ तथा रबी विपणन वर्ष 2025- 26 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित 77.74 लाख मीट्रिक टन गेहूं पर 9 लाख किसानों को 175 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 1360 करोड़ राज्य सरकार द्वारा बोनस का भुगतान किया गया।

किसान-हितैषी उपार्जन नीति
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाना और उपार्जन प्रक्रिया को सरल बनाना विभाग की प्रमुख जिम्मेदारी रही है। सरल और त्वरित उपार्जन प्रक्रिया अपनाते हुए किसानों के पंजीयन का सरलीकरण किया गया। उपार्जन के लिए किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया को भू-अभिलेख डाटाबेस से सीधे लिंक किया गया, जिससे बार-बार दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता समाप्त हो गई। इससे लाखों किसानों के लिए पंजीयन त्वरित और त्रुटि-रहित और आसान हो गया। गेहूं-धान के अलावा ज्वार और बाजरा जैसी अन्य फसलों को भी समर्थन मूल्य पर उपार्जित किया गया, जिससे किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन मिला और वे एक ही फसल पर निर्भरता से मुक्त हुए। किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए भुगतान में जेआईटी मॉडल अपनाया गया। किसानों को उनकी उपज का भुगतान सीधे उनके आधार-लिंक्ड बैंक खातों में जेआईटी प्रणाली के माध्यम से किया गया। इस प्रणाली ने बिचौलियों की भूमिका को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और सुनिश्चित किया कि भुगतान उपार्जन के 72 घंटे के भीतर किसान के खाते में जमा हो जाए। उपभोक्ता विवादों का त्वरित निराकरण हो सके इसके लिए उपभोक्ता आयोगों का डिजिटलीकरण किया गया। पिछले दो वर्षों में विभाग के प्रयासों से राज्य के विभिन्न आयोगों और मंचों पर लगभग 3 लाख 7 हजार से अधिक उपभोक्ता विवाद प्रकरणों का निराकरण किया गया है। उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए जागो ग्राहक जागो जैसे अभियान पूरे प्रदेश में चलाए गए, ताकि वे स्वयं गुणवत्ता मानकों की जाँच कर सकें। वहीं उद्योग, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन जैसे कई क्षेत्र में मप्र ने प्रगति की है। प्रदेश में निवेश के नए द्वार खोले हैं और नई सुविधाएं मुहैया करवाने की घोषणाए की हैं। प्रदेश में रोजगार पर्याप्त उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रदेश के युवकों को रोजगार मिले इसके लिए प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया गया, प्रदेश में निवेश के लिए इंवेस्टर समिट का लगातार आयोजन किया जा रहा है। इससे उद्योगों को उचित सुविधा देकर प्रदेश में आमंत्रित किया जा रहा है। परिवहन के क्षेत्र में प्रदेश ने नए आयाम स्थापित किए हैं।

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