- विकसित मप्र 2047 पर मोहन ‘राज’ का फोकस

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 2047 तक मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। इसके लिए मोहन सरकार संगठित नीति और योजना बनाकर काम कर रही है। सरकार वर्ष 2047 तक प्रदेश का समेकित विकास करते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ (2.5 ट्रिलियन डॉलर) करने का लक्ष्य रखा है।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार का फोकस केवल आर्थिक वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन, आधारभूत संरचना निर्माण और सामाजिक न्याय पर भी है। ऐसे में विकसित एवं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए का मुख्यमंत्री ने विजन डॉक्यूमेंट पेश किया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि मध्यप्रदेश 2047: विजन डॉक्युमेंट राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और नागरिक जीवन की गुणवत्ता को उच्चतम स्तर तक पहुंचाने का रोडमैप है। विजन डॉक्युमेंट में वर्ष 2047 तक प्रदेश को 2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही प्रति व्यक्ति आय 22 लाख रुपये, औसत आयु 84 वर्ष और साक्षरता दर 100 प्रतिशत तक बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया गया है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के साथ संतुलित कर राज्य को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने की रूपरेखा तैयार की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन से प्रेरित यह दृष्टिपत्र, संपन्न, सुखद और सांस्कृतिक जड़ों को सहेजे मध्यप्रदेश की परिकल्पना को साकार करने का आधार बनेगा। यह विजन डॉक्युमेंट राज्य की अब तक की सबसे बड़ी जनभागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से बनाया गया है। इसमें चार लाख से अधिक नागरिकों, किसानों, विद्यार्थियों, उद्योगपतियों, विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही है। राज्यभर में आयोजित जनसंवाद, निबंध प्रतियोगिताएं, उद्योग जगत से परामर्श, शैक्षणिक सत्र और साइट इंस्पेक्शन से प्राप्त सुझावों को इसमें समाहित किया गया है। यह देश में अपनाई गई अनूठी प्रक्रिया है। मुख्य सचिव अनुराग जैन के अनुसार यह दस्तावेज केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि नागरिकों की आकांक्षाओं और राज्य की सामूहिक दृष्टि का प्रतिबिंब है।
समृद्ध मध्यप्रदेश 2047 विजन डॉक्युमेंट चार प्रमुख मार्गदर्शक सिद्धांतों पर केन्द्रित है। पहला आर्थिक विकास पर फोकस। राज्य की अर्थव्यवस्था को तीव्र गति से आगे बढ़ाने, रोजगार सृजन और प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने पर विशेष फोकस रखा गया है। दूसरा क्षेत्रीय दृष्टिकोण और स्थानीय विशिष्टताओं का समावेश। प्रदेश के विविध भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक स्वरूप को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक क्षेत्र के लिए अलग रणनीति बनाई गई है। तीसरा विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विजन में योगदान पर ध्यान। मध्यप्रदेश को भारत की विकास यात्रा का प्रमुख भागीदार बनाना इस विजन डॉक्युमेंट का प्रमुख उद्देश्य है। चौथा सहभागी और समावेशी दृष्टि। यह दृष्टिपत्र नागरिकों, विशेषज्ञों, उद्योगों और प्रशासन के संयुक्त परामर्श से तैयार हुआ है, जिससे प्रत्येक हितधारक इस परिवर्तन यात्रा का भागीदार बने। इन चार सिद्धांतों ने इस दृष्टिपत्र को संतुलित, व्यापक और यथार्थवादी दिशा प्रदान की है, जिससे यह केवल एक योजना नहीं बल्कि राज्य के भविष्य का जीवंत संकल्प बन गया है। यह रोडमैप 6 प्रमुख पड़ाव अगली पीढ़ी की कृषि और संबद्ध क्षेत्र, सतत औद्योगिक प्रगति, सेवा क्षेत्र का विस्तार, शहरी और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का विकास, विश्वस्तरीय शिक्षा और कौशल विकास और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं से विकसित मध्यप्रदेश का लक्ष्य हासिल करेगा। इनके साथ दो महत्वपूर्ण कारक कुशल शासन एवं नागरिक सेवा प्रदाय व्यवस्था और नवाचार युक्त वित्तीय प्रबंधन एवं निवेश संवर्धन को भी विजन डॉक्युमेंट में शामिलकिया गया है।
बदलेगा मप्र का परिदृश्य
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आने वाले वर्षों के लिए राज्य को विकसित मप्र 2047 की दृष्टि से तैयार करने का जो संकल्प लिया है, वो देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है। इस संकल्प का आधार है-शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट। प्रदेश में यह पहल न केवल वित्तीय अनुशासन लाने वाली है, बल्कि यह सुनिश्चित करने वाली भी है कि हर खर्च सीधे तौर पर जनता की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जुड़ा हो। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह लक्ष्य रखा है कि अगले पांच वर्षों में प्रदेश का बजट दोगुना कर दिया जाएगा। यह कोई साधारण घोषणा नहीं है क्योंकि इसके पीछे ठोस रणनीति है। उनका मानना है कि बजट केवल कागजों पर बने आंकड़े न हों, बल्कि उसका शत-प्रतिशत व्यावहारिक उपयोग हो-इसके लिए नई पद्धति अपनाई जा रही है। पारंपरिक बजटिंग में पिछले वर्षों के खर्च को आधार बना कर नया बजट बनाया जाता है। इसमें कई बार पुरानी योजनाएं बिना मूल्यांकन के ही जारी रहती हैं। लेकिन शून्य आधारित बजटिंग में हर योजना को शून्य से शुरू किया जाएगा। इसमें प्रत्येक योजना को यह सिद्ध करना होगा कि वह वर्तमान समय में कितनी उपयोगी है। जिन योजनाओं का कोई असर नहीं है वे स्वत: समाप्त हो जाएंगी। समान प्रकृति की योजनाओं को मिलाकर संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस पद्धति को अपनाकर वित्तीय अनुशासन और गुड गवर्नेंस को मजबूती दी है। मप्र अब भारत में इस दिशा में अग्रणी राज्य बनकर सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दिशा निर्देश पर मप्र सरकार अब पहली बार तीन साल का रोलिंग बजट तैयार कर रही है। वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए अग्रिम बजट बनेगा। हर वर्ष इसकी समीक्षा होगी और इसमें अगले साल का अनुमान जोड़ा जाएगा। इससे योजनाएं दीर्घकालिक दृष्टि से तैयार होंगी। डॉ. मोहन सरकार में अपनाई जाने वाली यह प्रणाली कॉर्पोरेट जगत में पहले से ही सफल मानी जाती रही है। इसे एक दूरदर्शिता पूर्ण पहल माना जा रही है।
विकसित मप्र 2047 एक दूरदर्शी पहल है। राज्य सरकार के इस पहल का असर प्रदेश के भविष्य पर भी पडऩे वाला है। विकसित मप्र 2047 की परिकल्पना साकार होने के परिणाम स्वरूप प्रदेश में औद्योगिकीकरण को गति मिलेगी। राज्य में रोजगार सृजन होगा।आधारभूत संरचनाओं का विस्तार होगा। राज्य का सामाजिक न्याय और समावेशी विकास होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास है कि प्रदेश न केवल आर्थिक वृद्धि करे बल्कि यहां का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़े। मोहन युग की यह पहल आने वाले वर्षों में मप्र को विकसित भारत की परिकल्पना का अग्रणी राज्य बनाएगी। शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट का यह मॉडल न केवल वित्तीय अनुशासन लाएगा, बल्कि विकसित मप्र 2047 की मजबूत नींव भी रखेगा। शून्य आधारित बजटिंग और रोलिंग बजट केवल तकनीकी बदलाव नहीं हैं बल्कि यह सरकार की उस नीयत को दर्शाती है जो हर योजना का मूल्यांकन और जनता की प्राथमिकताओं पर जोर देती है।
प्रति व्यक्ति आय 22 लाख का लक्ष्य
गौरतलब है कि प्रदेश में समेकित विकास के लिए सरकार ने विकसित मप्र 2047 दृष्टिपत्र तैयार करवाया है। वर्ष 2047 तक प्रदेश का समेकित विकास करते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ (2 ट्रिलियन डॉलर) करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को एक लाख 60 हजार रूपये से बढ़ाकर 22 लाख रूपये करने का भी लक्ष्य रखा गया है। दृष्टि पत्र में वर्ष 2047 में एक समृद्ध मप्र की परिकल्पना की गयी है जो कि सभी के सामूहिक प्रयासों से संपन्न, सुखद और सांस्कृतिक मप्र की नींव पर निर्मित होगा। इस प्रकार वर्ष 2047 का मप्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरणा मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास के अनुसरण से निर्मित होगा। मप्र को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने एवं प्रदेश के समग्र सामाजिक आर्थिक विकास के उद्देश्य से हितधारक परामर्श एवं जन सहयोग से विकसित मप्र 2047 दृष्टि पत्र को तैयार किया गया है। मप्र 2047 दृष्टिपत्र अनुसार वर्तमान में राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि 43 प्रतिशत, सेवाएं 36 और उद्योग 21 प्रतिशत योगदान देते हैं। वर्ष 2047 तक उद्योगों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देकर, रोजगार के अवसर सृजित कर अर्थव्यवस्था को संतुलित करते हुए जीडीपी में कृषि का योगदान 24-28 प्रतिशत, उद्योग का योगदान 21-25 प्रतिशत और सेवाओं का योगदान 49-53 प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जायेगा। सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए प्रति व्यक्ति औसत आयु को 67.4 वर्ष से बढ़ाकर वर्ष 2047 तक 84 वर्ष से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया। साथ ही साक्षरता दर को 75.2 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2047 तक 100 प्रतिशत करने का प्रयास किया जाएगा। ऊर्जा के क्षेत्र में कुल ऊर्जा स्त्रोत में नवकरणीय ऊर्जा का प्रतिशत 22.5 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत से अधिक किया जाएगा।
गौरतलब है कि देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने का प्रयास किये जाने का आह्वान किया गया था। इसे साकार करने के लिए विकसित मप्र 2047 दृष्टि पत्र बनाने का निर्णय लिया गया था। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में मप्र के योगदान को सुनिश्चित करने, मप्र संकल्प पत्र-2023 के लक्ष्यों की पूर्ति करने एवं राज्य के समग्र विकास को दिशा देने के लिए विकसित मप्र 2047 दृष्टिपत्र तैयार किया गया। विकसित मप्र 2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में अप्रैल 2024 में नीति आयोग, भारत सरकार से प्रारम्भिक चर्चा की गयी। माह मई से सितम्बर 2024 के मध्य अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव/ सचिव स्तर के 8 थीमेटिक समूहों में व्यापक परिचर्चा के बाद विकसित भारत 2047 के लिए मप्र के सुझाव और अभिमत नीति आयोग को प्रेषित किए गए। नवंबर 2024 में सीईओ नीति आयोग एवं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भोपाल में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में लिए गए निर्णय अनुसार और नीति आयोग के मार्गदर्शन में राज्य स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इसमें जनप्रतिनिधियों के सुझाव, विषय विशेषज्ञों के साथ चर्चा, जिलों में जनसंवाद कार्यक्रम, निबंध प्रतियोगिता, नागरिक सर्वेक्षण, उद्योग संगठनों के साथ चर्चा, शिक्षाविदों के साथ चर्चा और फील्ड विजिट शामिल रही। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई, जिसके मार्गदर्शन में 8 थीमैटिक ग्रुप्स का गठन किया गया। 8 थीमैटिक गुप्स में उद्योग, कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र तथा वनोत्पाद, सेवाएं, अधोसंरचना एवं नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थय, सुशासन एवं नागरिक सेवाएं प्रदाय और वित्तीय नियोजन एवं संवर्धन को शामिल किया गया। प्रत्येक ग्रुप द्वारा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की सहभागिता और अन्य हितधारकों के सुझावों का समावेशन सुनिश्चित करते हुए दृष्टि पत्र तैयार किया गया है।
1700 सेवाएं अब एक पोर्टल पर मिलेगी
मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘एमपी ई-सेवा पोर्टल और मोबाइल ऐप’ का शुभारंभ कर डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में नई क्रांति का आगाज किया। यह एकीकृत नागरिक सेवा मंच अब 56 विभागों की 1700 से अधिक सरकारी सेवाओं और योजनाओं को एक ही डिजिटल विंडो पर उपलब्ध करायेगा। ‘एमपी ई-सेवा’ के माध्यम से वर्ष 2026 तक 100त्न ई-सेवा डिलीवरी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश को देश के डिजिटल गवर्नेंस एनेबल्ड राज्यों में अग्रणी बनाने वाले इस पोट्र्ल को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (एमपीएसईडीसी) के सेंटर फॉर एक्सीलेंस ने विकसित किया है। इससे नागरिकों, विभागों और सेवाओं को एक ही डिजिटल ईको-सिस्टम में जोडक़र मध्यप्रदेश ने यह सिद्ध किया है कि डिजिटल गवर्नेंस ही गुड गवर्नेंस है। एमपी ई-सेवा पोर्टल पर राज्य शासन के 56 विभागों की 1700 से अधिक नागरिक सेवाओं को एकीकृत कर दिया गया है। अब इन सेवाओं के लिए अलग वेबसाइट पर लॉगइन करने और बार-बार दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। नागरिक मोबाइल ऐप के माध्यम से सभी सेवाओं के लिए पात्रता जांच, आवेदन, स्टेटस चैक करने के साथ ही अनुमोदन भी प्राप्त कर सकते हैं। एमपी ई-सेवा पोर्टल पर सभी चरण आधार आधारित प्रमाणीकरण, ई-साइन और डिजिटल प्रमाणपत्र से सुरक्षित हैं। इससे प्रक्रिया पूरी तरह पेपरलेस और फेसलेस बन गई है।
‘एमपी ई-सेवा’ को समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के समग्र पोर्टल से जोड़ा गया है। प्रत्येक परिवार को 8-अंकीय परिवार आईडी और हर सदस्य को 9-अंकीय सदस्य आईडी दी गई है। यह एकीकरण नागरिकों की ऑटो-वेरिफिकेशन प्रक्रिया को सक्षम बनाता है, जिससे पात्रता की पहचान स्वत: ही हो जाती है और दोहराव अथवा देरी नहीं होती है। ‘एमपी ई-सेवा’ की प्रमुख विशेषता ‘ऑटो-फेचिंग डॉक्युमेंट्स’ है, जिससे नागरिकों को बार-बार दस्तावेज अपलोड नहीं करने पड़ते। एक बार अपलोड किए गए दस्तावेज आगे की सभी सेवाओं में स्वत: उपलब्ध हो जाते हैं। ‘एमपी ई-सेवा’ पोर्टल का इंटरफ़ेस मोबाइल-फस्र्ट दृष्टिकोण पर आधारित है। इसमें बहुभाषीय सुविधा उपलब्ध कराई गई है। साथ ही दिव्यांगजन के अनुप्रयोग को दृष्टिगत रखते हुए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों के उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोग आसान होगा। प्रारंभिक मूल्यांकन तौर पर इससे गवर्नेंस लागत में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आएगी साथ ही वर्ष भर में नागरिकों के 50 मिलियन घंटों की भी बचत होगी। सितम्बर 2025 में आई राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा – वितरण आकलन (एनईएसडीए वे फॉरवर्ड ) रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश ने 1752 ई-सेवाओं को मैप किया है और सभी 56 अनिवार्य विभागीय सेवाओं को एमपी ई-सेवा’ पोर्टल में 100त्न इंटीग्रेट कर देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। राज्य को ‘सायबर तहसील’ के लिये प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार और ‘संपदा 2.0’ के लिये राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार मिल चुके हैं।
‘मॉडल स्टेट’ के रूप में उभरता मप्र
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि निवेश को लेकर पूरे देश में आज सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा है, वह है मप्र। उन्होंने कहा कि निवेश के मामले में हमारा प्रदेश देश का मॉडल स्टेट बनकर उभरा है। प्राकृतिक सौंदर्य, विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जलीय एवं वन्य जीवों की मौजूदगी से समृद्ध मप्र की पावन धरती पर सभी निवेशकों का हृदय से स्वागत है। उन्होंने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार उनकी हर अपेक्षा पर खरी उतरेगी और उनके सपनों को साकार करने में सहयोगी बनेगी। इसके लिए हम सभी प्रबंध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मप्र देश के केंद्र में स्थित है और निवेशकों के लिए अनेक अनुकूलताएं उपलब्ध कराता है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर मप्र से होकर गुजरता है। मप्र में 8 एयरपोर्ट हैं। विस्तृत रेल नेटवर्क हमारे राज्य को देश के सभी बड़े शहरों से जोड़ता है। उन्होंने निवेशकों से कहा कि आप मप्र में जहां भी उद्योग स्थापित करना चाहें, वहां भूमि, बिजली, पानी, एप्रोच रोड, नियर-टू-डोर कनेक्टिविटी, सस्ती श्रम दरें, कुशल श्रम शक्ति सहित अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि मप्र, देश का संभवत: ऐसा पहला राज्य है, जहां कभी औद्योगिक हड़ताल (इन्डस्ट्रियल अनरेस्ट) भी नहीं होतीं। उन्होंने निवेशकों से कहा कि आपके बिजनेस के विकास में सरकार हर घड़ी आपके साथ खड़ी है। आपको यहां समुचित रूप से बिजनेस करने की पूरी छूट, मिलेगी साथ ही गारंटी सहित निवेश प्रोत्साहन के लिए इन्सेंटिव (अनुदान) भी हमारी सरकार देगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आज मप्र कई मामलों में देश में अव्वल है। प्रदेश को और आगे ले जाना है। हमारी सरकार खेती-किसानी, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण और नए-नए उद्योग धंधों की स्थापना के जरिए प्रदेश के युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। हमारी सरकार सबके साथ और सहयोग से सबके विकास के लिए साझा प्रयासों एवं सबको पूरे विश्वास में लेकर विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम प्रदेश के किसानों की जिंदगी बेहतर बनाना चाहते हैं। इसीलिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन से दुग्ध उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, आधुनिक खेती के प्रोत्साहन और किसानों को सम्मान निधि देकर उनके जीवन में स्वावलंबन लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग रोजाना नए-नए उद्योग धंधों की स्थापना हो रही है। इससे हमारे युवाओं को रेाजगार भी मिलेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि धार जिले में देश के पहले पीएम मित्रा पार्क का भूमिपूजन होना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन सहित मेडिकल टूरिज्म के साथ फारेस्ट और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म की ओर स्पेशल फोकस किया जा रहा हैं। प्रदेश के 13 प्रमुख तीर्थस्थानों में स्थायी प्रकार के निर्माण कार्यों एवं नियमित प्रबंधन कर इनका विकास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्रीमहाकाल लोक के निर्माण के बाद उज्जैन में तेजी से टूरिज्म बढ़ा है। वर्ष 2024 में करीब 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु उज्जैन आए। इसी से प्रेरणा लेकर हमारी सरकार अब प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों में पर्यटकों को हेलीकाप्टर के जरिए पहुंचाने का प्रबंध कर रही है। बहुत जल्द हम प्रदेश में इसकी शुरूआत करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मप्र देश का दिल है। मप्र की देश में केंद्रीय स्थिति का हम समुचित लाभ उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मप्र में भरपूर लैंड बैंक, सरप्लस बिजली और मजबूत अधोसंरचना है। मप्र निवेशकों के लिए अनुकूल है। प्रदेश में बड़ी मात्रा में निवेश लाने के लिए हमने कई अप्रासंगिक कानून बदले हैं। उद्योग लगाने के लिए शासकीय अनुमतियां भी कम से कम कर दी हैं। हम निवेशकों के हित में 18 नई औद्योगिक नीतियां भी लागू की गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में मजबूत कानून व्यवस्था हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। असामाजिक और गुंडा तत्वों के लिए प्रदेश में कोई स्थान नहीं है। कानून को अपने हाथ में लेने वाले ऐसे तत्वों का प्रदेश से सफाया कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम राज्य की बेहतरी के लिए नए फैसले लेने में पीछे नहीं हटेंगे। लोकलुभावन वादों की जगह हम जनहित के निर्णयों पर तेजी से आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के विकास और जनकल्याण के लिए वर्ष 2025 को निवेश और रोजगार वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रदेश में हुए विशेष प्रयासों से 30 लाख करोड़ रूपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव हुए। इसमें से 8 लाख 44 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति मिली। इनसे 6 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। विगत 2 वर्षों में 8 लाख 25 हजार लोगों को रोजगार मिला और 23 हजार 853 करोड़ रूपए से अधिक का निवेश मिला है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वर्तमान में 60 हजार सरकारी पदों पर भर्तियां की जा चुकी हैं। प्रधामनंत्री मित्र पार्क, भोपाल के पास रायसेन जिले के उमरिया गांव में आ रही रेल कोच फैक्ट्री से बड़ी संख्या में रोजगार सृजित होंगे। राज्य सरकार उद्योगों के अतिरिक्त पर्यटन और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी पीपीपी मोड पर गतिविधियों के संचालन की पहल कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किए गए एयर एम्बुलेंस सेवा के नवाचार और प्रदेश के दूरस्थ अंचलों के जरूरतमंद लोगों को इससे त्वरित उपचार के रूप में मिली राहत की जानकारी भी दी। अगले 3 वर्षों में 2 लाख शासकीय नौकरियां उपलब्ध कराईं जाएंगी।
समृद्धि और सफलता के नए द्वार खोलेंगे
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि कृषि, प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार है। प्रदेश में लागू होने वाले नदी जोड़ो अभियान से प्रदेश के सिंचित क्षेत्र में पर्याप्त वृद्धि होगी और मध्यप्रदेश कृषि विकास व किसान कल्याण में स्वर्णिम अध्याय लिखेगा। कृषकों को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोलर सिंचाई पम्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस पहल से किसानों की आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी। उद्यमिता को भी निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में वन्य जीव सम्पदा में निरंतर वृद्धि हो रही है। प्रदेश में गत वर्ष शुरू किये गये 2 टाईगर अभयारण्य, चीता अभयारण्य के साथ जंगली भैंसे और गैंडे जैसे जीवों की संख्या बढ़ाते हुए वन और वन्य जीवों पर केन्द्रित पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है। इस गतिविधियों से वनांचल में रोजगार के अवसर भी निर्मित हो रहे हैं। प्रदेश में नई रेल लाईनों का भी निरंतर विस्तार हो रहा है, इंदौर-मनमाड़ ट्रेन के आरंभ होने से मालवा और निमाड़ में व्यापार-व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा। जनसहभागिता से प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। प्रदेशवासी अपने परिश्रम और निष्ठा से समृद्धि और सफलता के नए द्वार खोलेंगे। विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य प्राप्ति में मध्यप्रदेश हरसंभव योगदान देगा।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि प्रदेश का विजन डाक्यूमेंट तैयार करने के लिए हर जिले और पंचायत तक से सुझाव लिए गए। डॉक्यूमेंट तैयार करने में नीति आयोग का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है। विकसित मध्यप्रदेश के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ सुख, समृद्धि और सुसंस्कृति हैं। देश में कल्चरल इकोनामी के विकास की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में रोजगार और उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए मेक इन मध्यप्रदेश पर विशेष जोर दिया जा रहा है। प्रदेश में खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को नई तकनीक से जोड़ा जाएगा। प्रदेश के 97 प्रतिशत किसानों की डिजिटल रजिस्ट्री पूर्ण हो चुकी है। इस मामले में मध्यप्रदेश नंबर वन है। सर्विस सेक्टर को बढ़ाते हुए प्रदेश में 3 एआई सिटी विकसित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश, देश का एकमात्र ऐसा राज्य होगा, जहां पूरी सरकार एक स्क्रीन पर मौजूद होगी। एमपी ई-सेवा पोर्टल से नागरिकों को आज से 500 सेवाएं ऑनलाइन प्राप्त होंगी। शेष विभागों की 1750 सेवाएं भी जल्द ही ऑनलाइन मिलने लगेंगी।
