
- मोहन सरकार ने तैयार किया खांका
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश में एक समान विकास की नीति पर काम कर रहे हैं। प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों का विकास तेजी से हो रहा है। वहीं गांवों में विकास के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना का खाका तैयार किया है। जिससे प्रदेश के गांव वृंदावन की तर्ज विकसित होंगे।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार मप्र के गांवों को वृंदावन की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। पहले चरण में एक जिले से एक से लेकर पांच गांव को इस अनुरूप विकसित किया जाएगा। ऐसे गांवों में गोपालन और प्राकृतिक खेती से जुड़े ठोस काम होंगे। युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा तो वहीं प्राकृतिक व जैविक खेती पर जोर होगा। दरअसल, सरकार की इस सोच के पीछे दूरगामी प्लानिंग है। गौरतलब है कि हमारे देश में 6.5 लाख गांव हैं और 8 हजार शहरी क्षेत्र। इनके विकास के बारे में अब भी उसी नजरिए से सोचा जा रहा है, जो 1960 में अपनाया जाता था। 2050 तक हमारे देश में लगभग 10 हजार शहरी क्षेत्र होंगे, लेकिन इसके बावजूद गांवों की संख्या 5 लाख से अधिक होगी। जब नए शहर बनेंगे तो पहले से मौजूद शहर और बड़े होते जाएंगे, तब उनके लिए खाद्यान और दूध कहां से आएगा। कितने रोजगार की जरूरत होगी? इसकी ठोस और समावेशी प्लानिंग तभी हो सकती है जब हम शहरों और गांवों दोनों को साथ लेकर व्यापक प्लानिंग करें। जिस तरह शहरों के विकास के लिए सडक़, बिजली और पानी की उपलब्धता सबसे जरूरी है। उसी तरह जरूरी है, ग्रामीण इलाकों का विकास। जहां से शहरों को खाद्यान और दैनिक जरूरत की चीजों की आपूर्ति होती है। हमारे शहर सर्विस रिबंन्ड इकोनॉमी वाले हैं। इनकी सही आर्थिक प्लानिंग करनी होगी। इसी प्लानिंग का हिस्सा है मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना। मोहन सरकार की नीति के अनुसार, मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना के तहत गांवों के समग्र विकास का खांका तैयार किया जाएगा। उस आधार पर संबंधित विभाग मिलकर काम करेंगे। उक्त योजना के तहत चुने गए गांवों को राज्य व केंद्र से राशि मिलेगी। यह राशि वर्तमान में अलग-अलग मदों से दी जाने वाली राशि से अतिरिक्त होगी। योजना के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नोडल बनाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक चुने गए गांवों के विकास मॉडल में वृंदावन की झलक होगी। वृंदावन ग्राम का एक आधार पशुओं के लिए चारे, पानी के साथ परिवहन की अच्छी व्यवस्था भी रखा गया है। वृंदावन ग्राम का चयन प्रभारी मंत्री के परामर्श से कलेक्टर करेंगे। योजना के पर्यवेक्षण के लिए जिला अधिकारियों की समिति भी बनाई जाएगी। गौरतलब है कि मोहन सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट में 100 करोड़ रुपए का प्रावधान वृंदावन ग्राम योजना के लिए किया है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विधानसभा के एक ऐसे ग्राम का चयन किया जाएगा जिसकी वर्तमान जनसंख्या न्यूनतम 2000 हो एवं गौ-वंश की न्यूनतम संख्या 500 हो। ऐसे ग्रामों को मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम के रूप में विकसित कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। ये ग्राम आत्मनिर्भर होकर प्रदेश के अन्य ग्रामों के समक्ष विकास का आदर्श प्रस्तुत करेंगे। इस योजना के अंतर्गत गौ-पालन एवं डेयरी विकास, पर्यावरण संरक्षण, जैविक कृषि, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, चारागाह विकास, अधोसंरचना विकास, स्वरोजगार सहित ग्रामीण विकास के विषयगत दृष्टिकोणों से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किये जाने का निर्णय लिया गया।
गांवों को आत्मनिर्भर बनाने पर फोकस
राज्य शासन की अवधारणा है कि प्रदेश में कुछ ग्राम इस प्रकार विकसित किए जाएं ताकि वे आत्मनिर्भर होकर प्रदेश के समस्त ग्रामों के लिए उदाहरण बनें तथा अन्य ग्राम इन चयनित ग्रामों से प्रेरित होकर स्वयं भी आत्मनिर्भरता और चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर हों। इन चयनित ग्रामों में विभिन्न विभागों के अन्य विकास कार्यों के साथ मुख्य रूप से गौवंशीय एवं अन्य दुधारू पशुओं के पालन, दुग्ध-उत्पादन एवं डेयरी विकास पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा। जहां स्वच्छता एवं हरियाली के साथ-साथ गौसेवा और आध्यात्मिकता से समन्वित आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रत्यक्षत: दृष्टिगोचर हो और ग्राम वृन्दावन के रूप में साकार हो सके। मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना के उद्देश्यों में गौपालन एवं डेयरी विकास को बढ़ावा देना। ग्राम को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के साथ सहकारिता के माध्यम से दुग्ध व्यवसाय का प्रसार करना, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके। पर्यावरण संरक्षण, जैविक कृषि, जल संरक्षण तथा सौर ऊर्जा संबंधी गतिविधियों को जनभागीदारी से क्रियान्वित करना, चारागाह विकास, ग्राम में अधोसंरचना विकास, ग्रामीण परिवारों का रोजगार/स्वरोजगार आधारित आर्थिक सुदृढ़ीकरण और ग्रामीण विकास के विषयगत दृष्टिकोणों को अपनाते हुए सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। चयनित वृन्दावन ग्राम में विभिन्न विभागों के माध्यम से जो सुविधाएं उपलब्ध करायी जाना है, वे 6 श्रेणियों में होगी। चयनित वृन्दावन ग्राम में अधोसरंचना के लिए गौशाला, ग्राम पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी भवन, स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल भवन, यात्री प्रतीक्षालय, सोलर स्ट्रीट लाइट, पुस्तकालय, सर्वसुविधायुक्त आजिविका भवन/ग्रामीण आजीविका के लिए वर्कशेड, पशु चिकित्सालय, ग्राम तक कनेक्टिविटी, ग्राम के अंतर्गत आंतरिक सडक़ें/नाली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान एवं गोडाउन, हर घर जल (सोलर उर्जा आधारित पम्प के माध्यम से), ग्रामीण उद्योग आधारित आर्ट एण्ड क्राफ्ट सेंटर, बायोगैस सयंत्र, शांतिधाम निर्माण, गौ-समाधि स्थल, सेग्रीगेशन शेड, जल निकासी के लिए नाली, कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, ग्राम में विद्युत प्रवाह के लिए सौर उर्जा एवं गैर परम्परागत उर्जा क्षेत्र में विकास, पात्र परिवारों के लिये जलवायु अनुकूल आवास तथा (व्यक्तिगत शौचालय), सार्वजनिक उद्यान (पार्क), सार्वजनिक शौचालय, सिंचाई स्रोत विकास एवं ड्रिप एरीगेशन की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना के तहत गांवों में आजीविका संबंधी गतिविधियों में नंदन फलोद्यान, पोषण वाटिका, दुग्ध कलेक्शन सेंटर, लघु वनोपज आधारित लघु उद्योग, कृषि/फल उपज आधारित उद्योग, ग्राम में उपलब्ध कौशल आधारित सेवाओं के विकास की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। वाटर कनजर्वेशन संबंधी जल संचयन संरचनाएं, रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग, नलकूप रिचार्ज, डगवेल रिचार्ज, स्टॉप डेम/चेकडेम, तालाबों का संरक्षण इसी प्रकार पंचायत सशक्तिकरण संबंधी में स्वयं की आय के स्रोत का विकास तथा ई-पंचायत / सीएससीकी सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। विशेष लक्ष्य में प्राकृतिक कृषि, धार्मिक स्थलों / भूमियों का संरक्षण, घर से कचरा उठाने स्वच्छता वाहन, ग्रे वाटर मैनेजमेंट, मल-कीचड प्रबंधन, राजस्व अभिलेखों को अद्यतन करना, शत प्रतिशत समग्र ईकेवाइसी, ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे, ग्राम के आर्ट एवं क्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए हस्तशिल्प कला केन्द्र, ग्राम की शालाओं/आंगनबाडियों में अध्यनरत बच्चों के लिये पौष्टिक भोजन, अतिक्रमण मुक्त ग्राम तथा ग्राम की स्थानिक योजना की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।
स्वरोजगार पर रहेगा जोर
योजना के अंतर्गत जिन गांवों का चयन किया जाएगा, वहां आत्मनिर्भरता के लिए गो-पालन एवं डेयरी विकास, पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, चारागाह विकास, अधोसंरचना विकास, स्वरोजगार सहित ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा। ग्राम को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के साथ सहकारिता के माध्यम से दुग्ध व्यवसाय का प्रसार किया जाएगा ताकि खेती को लाभकारी बनाया जा सके। सडक़, नाली, गोशाला, हर घर नल से जल, लघु वनोपज, कृषि उपज आधारित उद्योग, कौशल विकास केंद्र, सौर ऊर्जा का विकास, आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक शौचालय, उचित मूल्य की राशन दुकान, आंगनवाड़ी भवन, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल भवन सहित अधोसंरचना विकास से जुड़ी सारी व्यवस्थाएं होंगी। कुल मिलाकर वृंदावन ग्राम में वो सभी गतिविधियां संचालित की जाएंगी, जिससे ग्रामीणों को भरपूर रोजगार के अवसर मिलें, किसानों की आय बढ़े और हर दृष्टि से ये विकसित हों। मप्र में जनजातीय गांवों की तस्वीर बदल रही है। धार जिले के 689 गांवों में आंगनवाड़ी भवन, राशन की दुकान, स्कूल- छात्रावास-आश्रम शालाओं में अतिरिक्त कक्ष, शौचालय, किचन शेड, भोजन कक्ष, विद्युतीकरण, पेयजल सुविधाओं का विस्तार, फर्नीचर, रंगाई-पुताई कार्य, उप स्वास्थ्य केन्द्र, जन आरोग्य केन्द्रों में अतिरिक्त कक्ष, बाउंड्रीवाल निर्माण, सार्वजनिक शौचालय, पानी निकासी के लिए ड्रेनेज निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं. गांवों में पेयजल सुविधाओं की बेहतरी के लिए पाइपलाइन विस्तार, पानी की टंकी निर्माण, जनजातीय बसाहटों में विद्युतीकरण एवं लाइन विस्तार के कार्य, आजीविका मिशन के तहत आजीविका भवनों व सामुदायिक भवनों का निर्माण, सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिये स्टॉपडेम, चेकडेम निर्माण तथा अधोसंरचनात्मक विकास के लिये गांवों और शासकीय संस्थाओं तक आंतरिक पहुंच मार्ग व पुल.पुलिया निर्माण कार्य भी कराये जा रहे हैं.
प्रदेश सरकार का महिला मिशन महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनैतिक विकास को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन्हें सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित है। सरकार ने महिलाओं के समग्र विकास को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। इस मिशन के तहत, महिलाओं को उद्यमिता, कौशल विकास, शिक्षा और रोजगार के अधिक अवसर दिये जा रहे हैं। मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) ने ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिशन के अंतर्गत संचालित योजनाओं का प्रभाव ग्रामीण परिवारों के जीवन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत गरीब परिवार के लगभग 62 लाख सदस्यों को, लगभग 5 लाख स्व-सहायता समूहों से जोडा गया है। इनमें से लगभग 15 लाख परिवारों की सालाना आय न्यूनतम 1 लाख से अधिक अथवा करीब 10-12 हजार रुपये महीने तक पहुंची है। यह आंकडे मप्र में आर्थिक उन्नयन के प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं। इस मिशन के तहत महिलाओं को स्व सहायता समूह बनाकर कई प्रकार के व्यवसायों की शुरुआत करने का अवसर मिला। इन व्यवसायों में स्कूली ड्रेस सिलाई, पोषण आहार का संचालन, टोल टैक्स बैरियर प्रबंधन, राशन की दुकानों का संचालन, जल प्रबंधन, पंचायतों में कर संग्रहण और सडक़ों के रख-रखाव जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। इससे महिला सशक्तिकरण के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली। मिशन के समूहों से जुड़े परिवारों को आजीविका के एक से अधिक विकल्प उपलब्ध कराने के लिये लगातार प्रशिक्षण, मार्गदर्शन के साथ-साथ वित्तीय सहयोग भी दिया जा रहा है।
पीवीटीजी बहुल गांवों में हो रहा समग्र विकास
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना के जरिये प्रदेश में निवासरत् बैगा, भारिया एवं सहरिया विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों (पीवीटीजी) को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के महती प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य सरकार ने ऐसे 5,481 गांव चिन्हित किये हैं, जहाँ पीवीटीजी आबादी बहुतायत में निवास करती है। इन गांवों में केन्द्र एवं राज्य सरकार के 9 मंत्रालय/विभाग, अपनी 11 प्रकार की नागरिक सुविधाओं की आपूर्ति को सहज और सुगम तरीके से उपलब्ध कराकर इनका कायाकल्प कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि अभियान के अंतर्गत प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजाति बाहुल्य जिलों में कुल 7 हजार 300 करोड़ रुपए की लागत से नये स्वास्थ्य केन्द्रों, छात्रावासों, बहुउद्देशीय केंद्रों, सडक़ों, पुलों और आवासों सहित अन्य प्रकार के निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं। इससे प्रदेश के 24 जिलों में निवास करने वाले बैगा, भारिया एवं सहरिया विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के 11 लाख 35 हजार से अधिक भाई-बहन लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि इन जनजातियों की बसाहट वाले जिलों में सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 योजना के अंतर्गत नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थापना कर इनका सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्रों के ऐसे मजरे टोले, जिनकी जनसंख्या 100 या अधिक है और जहां आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है, वहां भी नए केन्द्र खोले जा रहे हैं। अभियान के तहत सभी पात्र पीवीटीजी परिवारों को पक्का घर देकर इनकी आबादी बहुल गांव तक पहुंच मार्गों का निर्माण सहित नये वन-धन विकास केन्द्र आदि नव निर्माण कर इन जनजातियों के कौशल प्रशिक्षण के भी विशेष प्रयास किये जा रहे है। इसी प्रकार धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के जरिये केन्द्र और राज्य सरकार ने पीवीटीज के अलावा अन्य सभी जनजातियों के समग्र विकास का खाका तैयार कर लिया है। सरकार ने इस अभियान में 11 हजार 377 जनजातीय बहुल गांवों को विकास की धारा से जोडऩे की योजना बनाई है। इन गांवों में केन्द्र व राज्य सरकार के 18 मंत्रालय/विभाग 25 प्रकार की जन-सुविधाओं की सहज आपूर्ति करेंगे। इस अभियान में प्रदेश की पूरी जनजातीय आबादी को स्कीम कवर में ले लिया गया है। केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रालय/विभाग अपनी विभागीय सेवाओं/सुविधाओं से जनजातीय समुदाय को जोडऩे और उनके विकास की दिशा में अतिरिक्त सक्रियता से कार्य करेंगे। इस अभियान में ग्रामीण विकास, जलशक्ति, विद्युत, नवीन और नवकरणीय ऊर्जा, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, महिला और बाल विकास, शिक्षा, आयुष, कौशल विकास और उद्यमिता, इलेक्ट्रानिक्स विकास और सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज, पर्यटन तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय सहित दूरसंचार, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग को अपनी विभागीय सेवायें देने शामिल किया गया है।
हर पंचायत में नया वन क्षेत्र
मप्र में 23 हजार पंचायतों में से 75त्न में ग्रीन बेल्ट लगभग खत्म हो चुका है, जबकि बाकी पंचायतें भी इस गंभीर समस्या से जूझ रही हैं। बढ़ती जनसंख्या, संयुक्त परिवारों का विभाजन और खेती के लिए 100त्न जमीन के उपयोग जैसे कारणों ने गांवों की हरियाली को धीरे-धीरे खत्म कर दिया है। अब इस संकट से निपटने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एक नई योजना लेकर आया है। पहले यह योजना केवल कुछ चुनिंदा पंचायतों तक सीमित थी, लेकिन अब अगले चार वर्षों में प्रदेश की हर पंचायत में नए वन क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। प्रदेश की हर पंचायत में पहले दो से छह गांव और टोले-मजरे हुआ करते थे, लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण अब यह संख्या 10 से 15 तक पहुंच गई है। संयुक्त परिवारों के विभाजन के कारण नए घर बस रहे हैं, जिससे पंचायतों में बसाहट का दायरा पिछले 20 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। खेती-किसानी के विस्तार ने भी खाली पड़ी निजी और सरकारी जमीनों को हड़प लिया है। पहले इन जमीनों पर बरगद, पीपल, नीम और इमली जैसे पेड़ प्राकृतिक रूप से ग्रीन बेल्ट तैयार करते थे, लेकिन अब इन्हें काट दिया गया है। पिछले 15 वर्षों में पंचायतों में पौधारोपण के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च किए गए, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। 2021 में सरकार ने 362 करोड़ रूपए खर्च कर वन और ग्रामीण क्षेत्रों में पौधे लगाए। 2016-17 में 393 करोड़ रूपए की लागत से 6 करोड़ पौधे लगाए गए, यानी एक पौधे पर औसतन 56 रूपए खर्च हुए। बावजूद इसके, ग्रीन बेल्ट में कोई सुधार नहीं हुआ, क्योंकि इन पौधों की निगरानी और रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। अब सरकार इस खामी को सुधारने और हर पंचायत में हरियाली लौटाने की योजना बना रही है। मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत पौधारोपण को मॉनिटर किया जाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि लगाए गए पौधे बड़े होकर वन क्षेत्र का रूप लें। गांवों से सटी वन भूमि भी अतिक्रमण की चपेट में आ गई है। 21 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल पर अतिक्रमण दर्ज किया गया है, जबकि हजारों एकड़ पर अवैध कब्जे रिकॉर्ड में ही नहीं हैं। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस बार वाकई में हरियाली बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगी या यह भी सिर्फ कागजी योजना बनकर रह जाएगी?
925 गांवों का बदलेगा नक्शा
मप्र में 925 गांवों का नक्शा बदलने की तैयारी है। राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इन गांवों की प्रशासनिक स्थिति में फेरबदल किया है। घने जंगलों में बसे इन गांवों को राजस्व ग्रामों में बदला जा रहा है। सीएम मोहन यादव के अनुसार, इनमें से अधिकांश वन ग्रामों को तो राजस्व ग्राम में परिवर्तित कर भी दिया गया है। इसके लिए 6 माह का विशेष अभियान चलाया गया। वन ग्रामों से राजस्व ग्रामों में परिवर्तित हो जाने से केवल नक्शा ही नहीं बदलेगा बल्कि गांवों की पूरी तस्वीर ही बदल जाएगी। इन गांवों में अब जमीनों का बंटवारा और नामांतरण हो सकेगा। इतना ही नहीं, यहां की फसलों की अब गिरदावरी भी हो सकेगी। गांवों का नए सिरे से विकास किया जाएगा और ग्रामीणों को शहर जैसी अनेक सुविधाएं मिल सकेंगी। सरकार की सभी निर्माण और विकास योजनाएं स्वीकृत हो सकेंगी, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। वन ग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तित होने से ग्रामीणों को बड़ी सहूलियत होगी। भू-अभिलेख और नक्शा का काम पूरा हो जाने के बाद यहां बिजली, पानी, सडक़ आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रहीं हैं। अस्पताल, आंगनवाड़ी और स्कूल भवन बनाए जाएंगे। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसल बीमा योजना का लाभ भी मिलेगा। इन गांवों के राजस्व नक्शा बनाने का कार्य राजस्व विभाग तेजी से कर रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के लोगों से एक खास अपील की है। उन्होंने राज्य लोगों से ‘सबकी योजना-सबका विकास’ अभियान में ज्यादा से ज्यादा से सक्रियता के साथ भाग लेने के लिए कहा है। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा गांधी जयंती के मौके पर शुरू किया गया है। सीएम मोहन यादव एक संदेश जारी करते हुए बताया कि अभियान के तहत देश के गांवों में गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण में वैश्विक मानकों के अनुरूप विकास हो। सीएम मोहन यादव ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की व्यवस्था को पंचायतें जमीनी स्तर पर सशक्त बनाने वाली यूनिट हैं। ग्राम स्वराज की अवधारणा को जमीन पर उतरने और गांव के विकास को सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। ‘सबकी योजना-सबका विकास’ अभियान के तहत हर गांव-हर पंचायत को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। इस अभियान के जरिए मध्य प्रदेश के हर गांव को समग्र विकास का मौका मिलने वाला है। इस अभियान के तहत सभी पंचायतों को जन-भागीदारी के साथ अपने ग्राम पंचायत की विकास योजना बनानी होगी। ये योजना गांव में समावेशी विकास का मॉडल बनेगी। सीएम मोहन यादव ने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय के इस अभियान को विकास लक्ष्य के साथ जोड़ा गया है। इससे देश के सभी गांवों का विकास वैश्विक मानकों के अनुरूप किया जाएगा। अभियान के तहत गांवों में गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण जैसे खास मुद्दों पर खास ध्यान दिया जा रहा है। सीएम मोहन यादव ने बताया कि प्रदेश के 925 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदला जा चुका है। इन सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने संबंधी गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है। राजस्व ग्राम बन जाने से इन गांवों में जमीन का बंटवारा और नामांतरण तथा फसलों की गिरदावरी हो सकेगी। ग्राम सभा के माध्यम से वनवासियों के कल्याण के लिए कार्य का अवसर भी मिलेगा।
कृषि और पशुपालन में नई दिशा
कृषि, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन तथा गैर वानकी लघु वनोपज संग्रहणके क्षेत्र में भी आजीविका मिशन द्वारा बडे पैमाने पर समूह सदस्यों को संगठित कर प्रोड्यूसर कंपनियों से जोड कर लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में गठित 135 प्रोड्यूसर कंपनियों के माध्यम से कृषि, कुक्कुट पालन, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, लघु वनोपज आदि के क्षेत्र में नई क्रांति लाने में कामयावी मिली है। मप्र में आजीविका मिशन द्वारा 2,84,000 परिवारों को कृषि और पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से जोड़ा गया है। किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 10.83 लाख टन अनाज का उपार्जन किया गया है, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सका है। इसके अलावा, 7 किसान उत्पादक कंपनियों का गठन किया गया है, जिनमें 928 समूह सदस्यों को जोड़ा गया है। ये कंपनियां किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर विपणन और मूल्य में वृद्धि के लिए सहायता प्रदान कर रही हैं। केन्द्र सरकार के सौ दिनों में लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य मिलने के बाद मप्र में 96 हजार 240 बहनें लखपति दीदी बन गईं। इनको मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से वित्तीय सहायता, बाज़ार सहायता एवं तकनीकी सहायता दी गई है। इनके स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक बनाने के लिये डिजीटल प्लेटफार्म पर लाकर ऑनलाईन मार्केटिंग की जा रही है। प्रदेश में लगभग 46,000 परिवारों को गैर कृषि आधारित लघु उद्यम गतिविधियों से जोड़ा गया है और 20 नए दीदी कैफे की शुरुआत की गई है। इन कैफे के माध्यम से महिलाएं अपनी आजीविका चला रही हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में नई रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। यह गर्व का विषय है कि 25 अगस्त 2024 को जलगांव (महाराष्ट्र) में हुए लखपति दीदी सम्मेलन मे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुना जिले की लखपति दीदी श्रीमती गंगा अहिरवार को सम्मानित किया गया । आजीविका मार्ट, भोपाल द्वारा पिछले एक वर्ष में 9.73 करोड़ रुपये की बिक्री की गई है, जो ग्रामीण महिलाओं के उत्पादों को बाजार में स्थापित करने का एक सफल उदाहरण है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम के तहत 1,217 समूह सदस्यों को 348.38 लाख रुपये का सीड कैपिटल अनुदान प्रदान किया गया है, जिससे उनके छोटे-छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्यम को बढ़ावा मिला है। लखपति दीदी इनिशिएटिव कार्यक्रम के तहत 13.69 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, जिनका उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। लखपति दीदी संगीता मालवीय ने 25 अगस्त 2024 को जलगांव (महाराष्ट्र) में हुए लखपति दीदी सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से संवाद करने का अवसर मिला। इसके साथ ही मिलेट आधारित आजीविका संवर्धन के तहत 9,000 महिला समूहों को मिलेट उपार्जन और प्रसंस्करण गतिविधियों से जोड़ा गया है। जिले डिण्?डौरी और सिंगरौली में आधुनिक मिलेट प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की गई हैं, जो इन महिलाओं के लिए नई आजीविका के अवसर पैदा कर रही हैं।