सिंहस्थ 2028 बनेगा मप्र के विकास का आईना

सिंहस्थ 2028
  • आस्था और भक्ति के समागम के लिए डॉ. मोहन का नया मॉडल

महाकाल की नगरी में 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियों में शासन और प्रशासन पूरी तरह जुटा हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सिंहस्थ हो हर बार की अपेक्षा इस बार अद्भूत और अलौकिक बनाने में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री की मंशानुसार आस्था और भक्ति का समागम सिंहस्थ पूरी तरह हाईटेक होगा। सिंहस्थ 2028 मप्र के विकास का आईना बनेगा।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि सिंहस्थ केवल एक आयोजन नहीं, यह आस्था, परंपरा और संस्कृति का महाकुंभ है। 2028 में उज्जैन में होने जा रहे सिंहस्थ को लेकर मप्र की मोहन यादव सरकार 3 साल पहले ही जोर शोर से तैयारी कर रही है। खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव इस महापर्व को लेकर इंटरेस्ट ले रहे हैं। अपने गृह क्षेत्र में होने जा रहे सिंहस्थ 2028 के लिए मोहन यादव नया मॉडल लाने की तैयारी में हैं, जिससे अगला सिंहस्थ और भी बेमिसाल होगा। हालही में प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ लगा था। इस दौरान यहां आस्था की भारी भीड़ देखने को मिला था। वहीं, अब से ठीक 35 महीने बाद बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होना है। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महापर्व की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। उज्जैन में लगने वाला सिंहस्थ कुंभ 2 महीने तक चलेगा। सिंहस्थ मेला का भव्य आयोजन 27 मार्च, 2028 से शुरू होकर 27 मई, 2028 तक चलेगा। इस दौरान, शिप्रा नदी के तट पर तीन अमृत स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां होंगी, जो 9 अप्रैल से 8 मई के बीच पड़ेंगी। इसके अतिरिक्त, सात अन्य स्नान पर्व भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि सिंहस्थ महाकुंभ अद्भुत सामाजिक समागम है, इससे समाज की दिशा तय होती है। पहले लोग कुंभ के मेले में तय हुई दिशा को लेकर जाते थे और समाज में बदलाव के लिए काम करते थे। समय के साथ परंपराओं में बदलाव आया है, किन्तु हमें अपनी जड़ों और मूल्यों के महत्व को समझना होगा। धार्मिक नगरी उज्जैन में वर्ष 2028 में आयोजित सिंहस्थ की तैयारियां अभी से प्रारंभ कर दी गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी मानना है कि कुंभ केवल एक मेला ही नहीं, अपितु विश्व को परंपराओं के नवोन्मेष की शिक्षा व संदेश देने वाले शानदार प्रबंधन का एक अद्भुत उदाहरण है। दुनिया को इसे केस स्टडी के तौर पर अपनाना चाहिए। गौरतलब है कि पिछली बार उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन केवल एक महीने के लिए ही हुआ था। वहीं, इस बार इसे दो महीने का किए जाने से श्रद्धालुओं को अधिक समय मिलेगा। हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में दुनियाभर से साधु-संत और श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं। यह आयोजन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण केंद्र होता है। इस बार प्रदेश सरकार ने इस दिव्य मेले में लगभग 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान लगाया है। हालांकि, इस विशाल आयोजन को सफल बनाने के लिए सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं- भीड़ का कुशल प्रबंधन और स्वच्छता बनाए रखना। सिंहस्थ में अब लगभग 35 महीने का समय शेष है, लेकिन चिंता की बात यह है कि सडक़, पुल, बिजली जैसी मूलभूत विकास परियोजनाएं अभी भी कागजी कार्रवाई तक ही सीमित हैं। इतने कम समय में इन महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। उज्जैन सिंहस्थ 2028 के लिए मोहन सरकार ने कमर कस ली है, जिसमें 15 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इस भव्य आयोजन के लिए 11 विभागों ने 15751 करोड़ रुपये की 102 परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा है, जिसमें से 5133 करोड़ रुपये के 75 कार्यों को इस वर्ष पूरा करने की सिफारिश की गई है। सिंहस्थ के लिए उज्जैन शहर की सडक़ों को चौड़ा करना, पुलों का विस्तार और शिप्रा नदी के घाटों की लंबाई बढ़ाना भीड़ नियंत्रण के लिए आवश्यक है। ट्रैफिक व्यवस्था के लिए प्रस्तावित रोप-वे और रेलवे ओवरब्रिज जैसी कई योजनाएं अभी भी स्वीकृति के बाद भी शुरू नहीं हो पाई हैं। 35 महीने का समय शेष होने के कारण, सरकार को इन मूलभूत सुविधाओं को तेजी से विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि लाखों श्रद्धालुओं को सुगम और स्वच्छ अनुभव मिल सके।

जून से युद्ध स्तर पर होगा काम
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में नगर विकास योजना की कार्ययोजना तैयार कर कार्य की शुरुआत इस साल जून से युद्ध स्तर पर की जाएगी। मेला क्षेत्र में 200 एमएलडी पेयजल क्षमता का विकास किया जाएगा। सीवर नेटवर्क डिजाइन के अंतर्गत सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 160 एमएलडी का सीवरेज जनरेशन होगा, जिसमें 100 एमएलडी क्षमता के स्थाई एसटीपी निर्माण किए जाएंगे और अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। इस संदर्भ में अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री डॉ. राजेश राजौरा ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों की तैयारियों की समीक्षा कर अफसरों को जरूरी निर्देश दिए हैं। सिंहस्थ के दौरान लोगों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए उज्जैन में भवन विकास निगम द्वारा मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत कुल 592.3 करोड़ रुपए है। इस अस्पताल की क्षमता 550 बिस्तर की होगी। इसके साथ ही मेला क्षेत्र के आसपास 500 अस्थायी अस्पताल बनाए जाएंगे और कैम्प लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अनुसार 6 जोन में बांटा जाएगा। मरीजों का डिजिटल रिकार्ड मेंटेन किया जाएगा। मेले के दौरान बर्न यूनिट, एम्बुलेंस की सुविधा, ब्लड बैंक, ट्रॉमा सेंटर आदि की सम्पूर्ण तैयारी रखने पर फोकस किया जा रहा है। उज्जैन सिंहस्थ को सरकार डिजिटल बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए आईटीएमएस जंक्शन सिस्टम डेवलप किया जा रहा है। सिंहस्थ के समय आईटीएमएस पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा। सिंहस्थ में फेस रिकग्निशन, अलर्ट सिस्टम, फायर अलार्म के सभी सॉफ्टवेयर एमपीएसईडीसी द्वारा विकसित किए जाएंगे। ऑल इन वन ऐप भी बनाया जाएगा, जिसमें ड्रोन सर्विस, यातायात एवं वाहन प्रबंधन, मानव संसाधन और कार्य प्रगति की जानकारी की सुविधा मिल सकेगी। सिंहस्थ मेला क्षेत्र का वर्चुअल टूर एप के माध्यम से कराया जाएगा। वहीं, सडक़ एवं अन्य सफाईकर्मियों को मिलाकर 11 हजार 220 सफाईकर्मियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर 16 हजार 220 सफाईकर्मियों की आवश्यकता होगी।

शिप्रा नदी पर जल मार्ग बनेगा
गतदिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन के रामघाट पर जल गंगा संवर्धन अभियान में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने रामघाट पर सफाई की। साथ ही शिप्रा में डुबकी भी लगाई। सीएम ने रामघाट पर सफाईकर्मियों और पंचकोशी यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाले कुंभ में उज्जैन में शिप्रा नदी के अलग-अलग भागों में लोग नौकायन कर एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे। इसके लिए जलमार्ग बनाया जा रहा है। सीएम ने कहा कि सिध्दनाथ से त्रिवेणी तक 29 किमी के नए घाट तैयार होंगे। पहले से 6 किमी के घाट बने हुए है। इस तरह से कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को 35 किमी के घाट उपलब्ध होंगे। कुंभ में हर घाट रामघाट होगा। श्रद्धालु कहीं भी स्नान करेंगे उन्हें उतना ही पुण्य मिलेगा। इस बार कुंभ में जलमार्ग बनाने जा रहे है। शनि मंदिर से रामघाट, गऊघाट से लालपुर, मंगलनाथ से रामघाट तक नौकायन से लोग आना-जाना कर सकेंगे। सीएम ने कहा, शिप्रा नदी के किनारे पंचकोशी परिक्रमा की एक पुरानी परंपरा रही है। हर साल हजारों-लाखों लोग यहां आकर परिक्रमा करते हैं। इस परिक्रमा की शुरुआत में श्रद्धालु जब यहां स्नान करेंगे, तो घाट पर स्वच्छता और जल की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। खासकर नदी के अंदर जो गंदगी जम जाती है, उसे साफ करना जरूरी है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत मैं उज्जैन प्रवास पर आया था। शिप्रा को नमन करते हुए मैंने यहां स्नान भी किया और सेवा भाव से कार्य किया। यह हम सबका फर्ज भी है। सीएम मोहन यादव ने अधिकारियों को सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं के आवागमन को सुगम बनाने के लिए रेलवे के कॉर्डिनेट करने के लिए विशेष कमेटी बनाने के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को घाटों तक आसानी पहुंचाने के लिए भी नए रास्ते बनाए जाएं मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस बार सिंहस्थ की तैयारियों में आधुनिक तकनीकों पर ज्यादा जोर रहेगा। प्रयागराज महाकुंभ दौरे से लौटने के बाद संबंधित अधिकारी अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर उज्जैन में कार्य योजनाओं को अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा। उज्जैन से लेकर इंदौर तक सीवरेज, स्वच्छता, ट्रैफिक मैनेजमेंट, हरियाली, वॉटर मैनेजमेंट आदि पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सिंहस्थ-2028 के कामों की समीक्षा के लिए निरंतर बैठकें हो रही हैं। प्रयागराज के अनुभवों का जिक्र करते हुए बैठक में चर्चा हुई कि उज्जैन में शिप्रा के दोनों किनारे पर बनाए जाने वाले नए 29 किमी सहित कुल सभी 35 किमी लंबे घाटों को रामघाट के रूप में ही प्रचारित करें। किसी भी घाट को वीआईपी नाम नहीं दें, ताकि ज्यादा भीड़ केवल उसी दिशा जाने का प्रयास नहीं करें। उज्जैन के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल ने की। उन्होंने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा। मंत्री ने कहा कि काम ऐसे होने चाहिए कि वे बाद वाले सिंहस्थ में भी उपयोगी हों। अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने सिंहस्थ के लिए एक विस्तृत मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। बैठक के पहले चरण में उज्जैन को छोड़ आसपास के जिलों के प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई। इसमें डॉ. राजौरा ने कलेक्टरों को स्पष्ट किया कि नए निर्माण कार्यों के प्रस्तावों को श्रद्धालुओं की व्यवस्थाओं को ध्यान रख ही बनाएं। यानी गैर जरूरीकामों के प्रस्ताव नहीं बनाएं।
वहीं सिंहस्थ-2028 से जुड़े उज्जैन, इंदौर सहित कई जिलों में सडक़, सीवेज ट्रीटमेंट और पेयजल सप्लाई जैसे कामों की समीक्षा मुख्य सचिव अनुराग जैन भी लगातार कर रहे हैं। गत दिनों जिलों के लगभग 124 सडक़, सीवेज ट्रीटमेंट और पेयजल सप्लाई जैसे कामों की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव पर्यवेक्षण समिति की बैठक में मुख्य रूप से उज्जैन शहर के लिए पेयजल सप्लाई को मजबूत करने के लिए नई योजना पर चर्चा की। उज्जैन कलेक्टर -कमिश्नर सहित अन्य अधिकारियों ने उज्जैन में चल रहे और प्रस्तावित कामों का ब्यौरा रखा। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो भी कामों के प्रस्ताव बनें, वो मास्टर प्लान को देखते हुए बनाए जाएं। प्रस्ताव के साथ अधिकारी ब्यौरा पेश करें कि संबंधित बिल्डिंग या सडक़ सिंहस्थ के लिए कैसे जरूरी हैं और आयोजन के बाद नगर के लिए उसका क्या उपयोग होगा। सिंहस्थ की संभाग स्तरीय द्वारा भेजे गए कामों के प्रस्ताव बैठक में रखे गए। सिंहस्थ में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की संख्या होने की संभावना को लेकर पेयजल की सप्लाई को मजबूत करने के लिए प्रस्ताव आया। गंभीर डेम की वर्तमान सप्लाई को मजबूत करने लिए टेंडर देकर नई व्यवस्था बनेगी। वहीं, नगर निगम उज्जैन के जोन कार्यालयों का निर्माण 33 करोड़ से प्रस्तावित है। 45 करोड़ से महापौर, अध्यक्ष, आयुक्त और अन्य अधिकारियों के आवास और स्टाफ क्वार्टर बनेंगे। लगभग 4 करोड़ रुपए की लागत से ओंकारेश्वर में सीसी रोड निर्माण होंगे। शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के लिए इंदौर में 25 करोड़ की लागत से प्राइमरी लाइन की शुद्धता -संचालन के लिए मशीनें आएंगी। इंदौर में शिप्रा के शुद्धिकरण के लिए कई इलाकों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लान, नई सीवेज लाइन आदि के काम भी होंगे।

वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल बनेगा उज्जैन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार सिंहस्थ महाकुंभ-2028 की तैयारियों में जुटी है, जिसमें विकास और अधोसंरचना के काम शुरू किये जा चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संकल्प लिया है कि सिंहस्थ-2028 में श्रद्धालुओं को क्षिप्रा नदी के निर्मल जल में ही स्नान कराया जाए और क्षिप्रा नदी में स्वच्छ एवं शुद्ध जल का प्रवाह सदा के लिये सुनिश्चित कर उसे सही अर्थों में पुण्य-सलिला और सदानीरा बनाया जाए, साथ ही पारिस्थितिकी संतुलन भी बना रहे। संकल्प की पूर्ति के लिए उज्जैन में सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी, कान्ह क्लोज डक्ट एवं हरियाखेड़ी परियोजनाएं प्रारंभ की गई हैं और 18 बैराज एवं स्टॉप डेम बनाए जा रहे हैं। इससे क्षिप्रा नदी में पूरे वर्ष निर्मल जल प्रवहमान रहेगा, साथ ही उज्जैन को शुद्ध एवं पर्याप्त पेयजल भी उपलब्ध हो सकेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सिंहस्थ कुंभ के सफल आयोजन से उज़्जैन को एक प्रमुख वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ आयोजन के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागीय कार्यों को समय-सीमा में पूरा किए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि सभी कार्यों की प्रगति की पाक्षिक समीक्षा हो रही है। वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत स्तर पर इनकी सतत निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उज़्जैन और इंदौर जिलों में निर्माण कार्य और मौजूदा सुविधाओं के उन्नयन के लिए टेंडर प्रक्रिया मार्च 2025 तक पूरी कर सभी आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर सितंबर 2025 तक पूरे कर लिए जाएं।
सिंहस्थ आयोजन के दौरान परिवहन व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिये दूसरे संसाधनों के साथ ही रेलवे अधिकारियों के साथ सतत समन्वय के लिए एक विशेष सेल स्थापित किया जाएगा। इससे लाखों श्रद्धालुओं के लिए सिंहस्थ तक पहुंचने का मार्ग सुगम किया जा सकेगा। विशेष मार्गों का विकास भी किया जाएगा, ताकि यातायात प्रवाह का बेहतर प्रबंधन किया जा सके और पीक-ट्रैफिक के दौरान बॉटल-नैकिंग की समस्या उपस्थित न हो सके। इसके साथ ही प्रदेश सरकार उज़्जैन और इंदौर को जोडऩे के लिए 2312 करोड़ रुपए की सडक़ उन्नयन परियोजना को मंजूरी दे चुकी है, इसे तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख मार्ग के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। सिंहस्थ-2028 की तैयारियों के संबंध में आयोजित पहली कैबिनेट बैठक में समिति ने आयोजन के लिए लगभग 5955 करोड़ रुपए की 19 परियोजनाओं को मंजूरी दी, जो जल-आपूर्ति प्रणालियों, सीवेज लाइनों, बिजली ग्रिड्स और अन्य प्रमुख सुविधाओं पर केन्द्रित हैं। साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में सिंहस्थ की तैयारियों के लिए 505 करोड़ रूपये पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं। सिंहस्थ मेला क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 3360.6 हेक्टेयर है। विकास योजना में सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए 2344.11 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया जाएगा। मेला क्षेत्र के लिए स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सडक़ें, जल आपूर्ति, सीवेज लाइनें, बिजली, उद्यान आदि के निर्माण की योजना बनाई गई है। उज़्जैन विकास प्राधिकरण लैंड-पूलिंग योजना का उपयोग करते हुए स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करेगा। यहां अखाड़ों, आश्रमों और श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगीं।

स्टार्टअप्स का होगा सम्मेलन
उज्जैन में वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में लगभग 15 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। तैयारियों के संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज और हरिद्वार में कुंभ की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर सिंहस्थ आयोजन में भीड़ और यातायात प्रबंधन के लिए ड्रोन सर्वेक्षण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जायेगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ की व्यवस्थाओं में संलग्न कंपनियों और स्टार्टअप्स को बुलाकर उज्जैन में एक सम्मेलन कराया जाएगा। सिंहस्थ में श्रद्धालुओं की संभावित भारी संख्या में आमद को ध्यान में रखते हुए संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। डॉ. यादव की योजना है कि उज़्जैन और इंदौर को सिंहस्थ-2028 के मुख्य केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां परिवहन, जल आपूर्ति, सीवेज सिस्टम और अन्य आवश्यक सुविधाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ के प्रत्येक पहलू के प्रभावी प्रबंधन के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की महत्ता पर जोर दिया है। इसमें धर्मशालाओं का उन्नयन और निर्माण कार्यों के दौरान उज़्जैन, इंदौर और देवास जिलों में क्लीनलीनेस के साथ ही ग्रीनरी में सुधार शामिल है।
अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा निरंतर सिंहस्थ की तैयारियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उनके अनुसार, उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के विकास के लिए भवन अनुज्ञा का कार्य आगामी 15 जून तक कर लिया जाएगा और 25 जून से कार्य प्रारंभ होगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में नगर विकास योजना की कार्ययोजना तैयार कर कार्य की शुरुआत जून 2025 से युद्ध स्तर पर की जाएगी। यहां 200 एमएलडी पेयजल क्षमता का मेला क्षेत्र में विकास किया जाएगा। सीवर नेटवर्क डिजाइन के अंतर्गत सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 160 एमएलडी का सीवरेज जनरेशन होगा जिसमें 100 एमएलडी क्षमता के स्थाई एसटीपी निर्माण किए जाएंगे और अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। उन्होंने उज्जैन में चल रहे कई निर्माण कार्यों का निरीक्षण भी किया है। सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की मौजूदगी के चलते प्रतिदिन उज्जैन शहर में पानी की कितनी डिमांड होगी। इसके आधार पर भी व्यवस्था बनाने पर सरकार फोकस कर रही है। वर्तमान में उज्जैन शहर की जनसंख्या लगभग 8.65 लाख है। इसमें प्रतिदिन पेयजल की मांग 178.28 एमएलडी है। अम्बोदिया, गऊघाट, साहिबखेड़ी और उंडासा के जलाशयों को मिलाकर कुल पानी की क्षमता 151.01 एमएलडी है। प्रस्तावित सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना से 51 एमसीएम, नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना से 58.34 एमसीएम पेयजल की सप्लाई की जा सकेगी। इसके अलावा न्यू अम्बोदिया की 68 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना प्रस्तावित है। साथ ही 860 करोड़ रुपए की लागत से हरियाखेड़ी परियोजना पर 100 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना का विकास भी किया जा रहा है।
उज्जैन में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर भी सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है। बीडीसी (भवन विकास निगम) के द्वारा मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत कुल 592.3 करोड़ रुपए है। इसमें 550 बिस्तर की क्षमता होगी। सिंहस्थ में जनसंख्या के पीक लोड वाले दिनों में विस्तार योग्य क्षमता जोड़ी जाएगी तथा सामान्य दिनों में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों की क्षमता के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाएगी। इसके अंतर्गत 500 अस्थायी अस्पताल बनाए जाएंगे और कैम्प लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अनुसार 6 जोन में बांटा जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटल रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग आयोजित की जाएगी। सिंहस्थ के गर्मी के मौसम में आयोजन को दृष्टिगत रखते हुए इलेक्ट्रोलाइट की उपलब्धता समस्त मेला क्षेत्र में जगह-जगह तय की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपदा की स्थिति में कार्ययोजना स्टेट यूनिट के साथ मिलकर बनाई जाएगी। मेले के दौरान बर्न यूनिट, एम्बुलेंस की सुविधा, ब्लड बैंक, ट्रॉमा सेंटर आदि की सम्पूर्ण तैयारी रखने पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग का विशेष ध्यान हैजा और अन्य मौसम जनित बीमारियों और आपदा प्रबंधन के रिस्पांस पर भी ध्यान रखा जाएगा। स्वास्थ्य प्लान में आयुष विभाग को भी जोड़ा जाएगा। सिंहस्थ में साफ-सफाई व्यवस्था की कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि सडक़ एवं अन्य सफाई कर्मियों को मिलाकर 11 हजार 220 सफाईकर्मियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर 16 हजार 220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता सिंहस्थ में होगी। इस स्थिति को ध्यान में रखने के साथ ऑउटसोर्स एजेंसी के कार्यों की मॉनिटरिंग की जाने तथा इसका समय-समय पर फॉलोअप पर भी फोकस किया जाएगा।

एलर्ट सिस्टम के साफ्टवेयर डेवलप होंगे
वर्तमान में आईटीएमएस जंक्शन सिस्टम सिंहस्थ को दृष्टिगत रखते हुए डेवलप किया जा रहा है। सिंहस्थ के समय आईटीएमएस पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा। सिंहस्थ में फेस रिकग्निशन, अलर्ट सिस्टम, फायर अलार्म के सभी सॉफ्टवेयर एमपीएसईडीसी के द्वारा विकसित किए जाएंगे। यह कार्य 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण किया जाना निर्धारित है। इसके अलावा सिंहस्थ 2028 के लिए ऑल इन वन ऐप भी बनाया जाएगा जिसमें ड्रोन सर्विस, यातायात और वाहन प्रबंधन, मानव संसाधन और कार्य प्रगति की जानकारी की सुविधा मिल सकेगी। सिंहस्थ में वाहनों की पार्किंग की उपलब्धता के लिए ऑनलाइन डेटा तैयार किया जाएगा। इसके अलावा जीआईएस आधारित उपयोगिता सिस्टम बनाया जाएगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र का वर्चुअल टूर ऐप के माध्यम से कराया जाएगा। सिंहस्थ में पर्यटन की दृष्टि से किए जाने वाले विकास कार्यों की समीक्षा में महाराजवाड़ा हेरिटेज होटल, ओमकार सर्किट, ग्रांड होटल उज्जैन का उन्नयन एवं नवीन कक्षों का विस्तार होटल क्षिप्रा रेसीडेंसी के उन्नयन कार्य, देवी अहिल्या लोक महेश्वर, गंभीर डेम में जलक्रीडा सुविधाएं, बोट क्लब एवं रेस्टोरेंट, 10 करोड़ रुपए की लागत से पंचकोशी यात्रा मार्ग के पड़ावों का विकास, सिंहस्थ टेंट सिटी विकास, अष्ट भैरव मंदिरों के विकास कार्यों को पूरा कराया जा रहा है। श्रीकृष्ण पाथेय न्यास अंतर्गत नारायणा धाम के श्रीकृष्ण सुदामा मंदिर के विकास कार्य भी कराए जाएंगे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए श्री महाकाल लोक की मूर्तियों के नीचे पौराणिक कथाओं का वर्णन किया जाएगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्टोन क्लेडिंग और न्यू वेटिंग हॉल, श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश टनल मार्बल क्लेडिंग और फ्लोरिंग कार्य, आपातकालीन निर्गम, पालकी हॉल, मार्बल क्लेडिंग और फ्लोरिंग के कार्य, विजिटर फेसिलिटेशन सेंटर और श्री महाकालेश्वर भक्त निवास निर्माण कार्य जल्द पूरा कराया जाएगा।
उज्जैन में अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत रोड रेस्टोरेशन के कार्यों की सतत मॉनिटरिंग कर सभी रिस्टोरेशन कार्य मार्च 2025 तक पूर्ण किए जाएं। रोड रेस्टोरेशन के पूर्ण कार्यों का पुन: निरीक्षण अगले एक सप्ताह में जनप्रतिनिधियों एवं एसडीएम की टीम के साथ किए जाने के बाद ही कार्य पूर्णता का सर्टिफिकेट दिया जाए। जल जीवन मिशन अंतर्गत रोड रेस्टोरेशन, रोड खुदाई एवं योजना के संपूर्ण कार्यों की जानकारी सतत रूप से स्थानीय विधायकों को दी जाए। सडक़ दुर्घटना से बचाव के लिए सडक़ के दोनों तरफ लेवलिंग के कार्य के बाद ही कार्य पूर्णता का प्रमाण-पत्र दिया जाए। वर्षा ऋतु में सडक़ों के रख-रखाव की कार्ययोजना पर अभी से कार्य कर विशेष ध्यान दिए जाए। सडक़ निर्माण में जो क्षेत्र वन विभाग के अधिकार में आ रहे हैं वहां निर्माण कार्य के लिए संबंधित विभाग से एनओसी समय पर प्राप्त कर ली जाए।

भगवा रंग में रंगेंगी महाकाल की नगरी
भगवान महाकाल की नगरी उज्जयिनी सिंहस्थ में सनातन धर्मध्वजाओं से लहरा उठेगी। इसी भाव को लिए उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व 2028 के लिए 50 हजार बांस उगाए गए है, उद्देश्य यहीं है, शिप्रा के जल से सिंचित 30 फीट ऊंचे बांसों पर महाकुंभ में आने वाले साधु-संत और अखाड़े सनातन की धर्मध्वजाएं लहराए। सिंहस्थ में आने वाले सभी अखाड़े व साधुओं को उज्जैन में धर्मध्वजा लहराने के लिए 30 फीट ऊंचे बांस उज्जैन वन मंडल निशुल्क उपलब्ध कराएगा। वन विभाग ने भैरवगढ़ मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे 10.72 हेक्टेयर में बांस का जंगल उगाया है। सात साल से वन विभाग इनकी देखभाल कर रहा है जो 20 से 25 फीट ऊंचे हो चुके है व साल अगले दो सालों में इनकी ऊंचाई 30 फीट से ज्यादा हो जाएगी। सिंहस्थ महापर्व के तीन महीने पहले इन बांसों की कटाई के बाद उन्हें व्यवस्थित कर वन मंडल कलेक्टर व मेला अधिकारी को सौंप देगा ताकि उनके माध्यम से सम्पूर्ण सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 13 अखाड़ों समेत जितने भी साधु-संत आए सभी को धर्म ध्वजा लहराने के लिए बांस भेट किए जा सके। वन मंडल ने धार्मिक महत्व व को ध्यान में रख बांस उगाए है। इनकी देखरेख कर रहे डिप्टी रेंजन अनिल सैन बताते है कि नदी किनारे 10.72 हेक्टेयर में बांस का पूरा जंगल है जिसे शिप्रा नदी के जल से ही सिंचित किया गया है। बेंबोसा बाल्कोअ प्रजाति का ये बांस है जिसका बीज साल 2018 में रीवा फ्लोरीकल्चर लेब से आया था। कुल 5600 बांस के पौधें का प्लाटेंशन किया गया था। एक बांस के पेड़ से 20 से 25 बांस निकलते है उसी अनुसार 50 हजार के लगभग बांस निकलेंगे जिससे सिंहस्थ का पूरा ढाई हजार हेक्टयेर क्षेत्र सनातनी धर्मध्वजाओं के लहराने से सिंहस्थ व उज्जयिनी के धार्मिक महत्व को बढ़ाएगा। बांस का अपना एक अलग ही धार्मिक महत्व होता है। ऐसे में सिंहस्थ के दौरान धर्मध्वजाएं इन्हीं बांसों पर लहराए इसी आस्था व भाव को ध्यान में रखते हुए उज्जैन वन मंडल ने बांस के पेड़ उगाए है। 50 हजार के लगभग बांस होंगे जिन्हें वन मंडल अखाड़े और साधुओं को धर्मध्वजा के लिए भेट करेगा।

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