गरीबी मुक्त हुआ मप्र!

शिवराज सिंह चौहान
  • शिव ‘राज’ की योजनाओं का असर

आज से करीब 18-20 साल पहले मप्र की गणना देश के बीमारू और गरीब राज्यों के रूप में होती थी। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नीतियों, नीयत और योजनाओं के कारण आज मप्र गरीबी से मुक्त प्रदेश बनने जा रहा है। हाल ही में आई नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि मप्र में15 फीसदी से ज्यादा लोगों की गरीबी खत्म हो गई है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी कुछ वर्षों में मप्र पूरी तरह गरीबी से मुक्त हो जाएगा।

भोपाल। हाल ही में नीति आयोग ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक) जारी किया है। जिसके अनुसार मप्र में 15.94 प्रतिशत अर्थात 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी सीमा से बाहर आए हैं, यह मप्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। मप्र में लोगों के पोषण, रहन-सहन, खान-पान के स्तर में लगातार सकारात्मक बदलाव आया है, जो केंद्र और राज्य सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं के परिणाम स्वरूप ही संभव हुआ है। दरअसल, मप्र में जबसे शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, उनका फोकस मप्र को देश का सबसे विकसित राज्य बनाने पर रहा है। यही कारण है कि वे रात-दिन मप्र के विकास के लिए काम करते रहते हैं। केंद्र की योजनाओं का सबसे पहले क्रियान्वयन करने में मप्र का कोई जवाब नहीं है। वहीं मुख्यमंत्री ने हर वर्ग के लिए योजनाएं बनवाई हैं।
नीति आयोग के ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023’ के अनुसार वर्ष 2015-16 से 2019-21 की अवधि के दौरान रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या जो वर्ष 2015-16 में 24.85 प्रतिशत थी गिरकर वर्ष 2019-2021 में 14.96 प्रतिशत हो गई जिसमें 9.89 प्रतिशत अंकों की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। इस अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई, इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी तीव्रतम गति से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है। उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है। 36 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी संबंधी अनुमान प्रदान करने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्र कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान राज्यों में हुई है। एमपीआई मूल्य 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया है और वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी की तीव्रता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत हो गई है, जिसके फलस्वरूप भारत 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा कम करने का लक्ष्य) को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है। इससे सतत और सबका विकास सुनिश्चित करने और वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन पर सरकार का रणनीतिक फोकस और एसडीजी के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का पालन परिलक्षित होता है।

5 सालों में दिखी तेजी
नीति आयोग ने नीति आयोग ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स जारी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मप्र में गरीबी बीते पांच सालों में कम हुई है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोगों को राज्य और केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। यह हमारे लिए अच्छी बात है। नीति आयोग के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट में मप्र के लिए खुशखबरी है। सीएम का कहना है कि नीति आयोग ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स जारी किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि मप्र में 15.94 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर हुए हैं। कुल मिलाकर 1.36 करोड़ लोग गरीबी सीमा से बाहर हुए हैं। यह हम नहीं नीति आयोग कह रहा है। मैं समझता हूं मप्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। एक करोड़ 36 लाख लोगो को केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अलग-अलग लाभ दे रहे हैं उसका इंपैक्ट आता है। कुल मिलाकर यह हमें सफलता मिली है। मैं मानता हूं कि यह एक बढ़ा काम है जो हमारे मप्र में केंद्र और राज्य की कई योजनाओं की वजह से हुआ है। बता दें कि नीति आयोग ने 17 जुलाई को यह रिपोर्ट जारी की है। नीति आयोग के माध्यम से देश और प्रदेशवासियों को मिली जानकारियां निश्चित ही एक नई ऊर्जा का संचार करने वाली खबर है। इस सर्वेक्षण में मप्र, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है, जहां बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्रता से कमी आई। जहां गरीबी में एक उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। सीएम का कहना है कि इन सब कार्यों के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत वर्ष 2030 की तय समय-सीमा से पहले ही एसडीजी लक्ष्य यानि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ गया है। इससे सभी का विकास सुनिश्चित करने और गरीबी हटाने के लक्ष्यों को बल मिला है और सरकार और शासन की इस लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता भी दिखी है। स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस उपलब्धता, वित्तीय समावेशन, पेयजल सुविधा और बिजली उपलब्धता जैसे लक्षित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। जहां मप्र में समृद्धि की एक नई कहानी सामने आई है कि प्रदेश में लगातार गरीबों की संख्या कम होते जा रही हैं। नागरिक गरीबी रेखा से उपर आकर समृद्धिपूर्वक जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं मप्र में भू-अभिलेखों को डिजिटल करने के उपायों के अपनाने के चलते राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला है। प्रदेश के 15 जिलों को राष्ट्रपति द्वारा गत दिनों सम्मान दिया गया। भू-अभिलेख में सुधार, डिजिटाइजेशन और मॉर्डेनाइजेशन के लिए इन जिलों का चयन किया गया है। यह पुरस्कार पाने वाला मप्र देश में दूसरे नंबर पर है। गौरतलब है कि इस पुरस्कार के लिए देश के कुल 75 कलेक्टर्स को चुना गया है, इनमें से 15 कलेक्टर मप्र के हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तत्कालीन प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और विभाग के कर्मचारियों की बदौलत राजस्व विभाग में डिजिटल कार्य तेजी से बढ़ें हैं, यह सम्मान इन सभी की उपलब्धि के कारण ही मिल रहा है।

चौतरफा विकास कर रहा मप्र
मप्र ने पिछले सालों में विकास के जो अध्याय लिखे हैं उससे कई राज्य सीख ले रहे हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि तो यह है कि प्रदेश की विकास दर वर्तमान मूल्यों पर 19.7 प्रतिशत तक पहुंच गई जो देश में सर्वाधिक है। सकल घरेलू उत्पाद 10 लाख करोड़ है। पूजीगत व्यय भी 48 हजार करोड़ हो गया है। प्रदेश सरकार ने स्थायी विकास और आत्मनिर्भर मप्र की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। करीब 20 साल में प्रति व्यक्ति आय 13 हजार से बढक़र अब एक लाख 23 हजार रुयये हो गई है। औद्योगिक निवेश, मध्यम, सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इसका उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ाना है। रोजगार मेलों का जरिए अभी तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 10 लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिलाया गया है। साल 2013-14 में गेंहू का उत्पादन 174.8 लाख टन था, जो अब 2022-23 में बढक़र 352.7 लाख टन पहुंचने का अनुमान है। वहीं, साल 2013-14 में धान 53.2 लाख टन का उत्पादन था, जो अब बढक़र 131.8 लाख टन हो गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2021-22 में 90 लाख से अधिक किसानों को फसल बीमा का लाभ दिया गया गया है। सिंचाई क्षमता में 585 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साल 2003 में 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित था, जो कि साल 2022 में बढक़र 45 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं, 2025 तक का लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर करने का है।
बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, पानी, बिजली और सडक़ों का विस्तार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी तक 33 लाख आवास बनाए जा चुके हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। माफियाओं से 21 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराई मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में घोषणा की है कि माफियाओं से 21 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराई गई है। इस पर सुराज कालोनी बनाकर गरीबों को आवास दिलाए जाएंगे। जल जीवन मिशन के तहत एक करोड़ 22 लाख परिवारों को 2024 तक नल का पानी पहुंचाया जाना है, जिसमें 53 लाख घरों तक पानी पहुंच चुका है। बुरहानपुर देश का पहला जिला है जहां सभी घरों में नल का पानी मिल रहा है। प्रदेश की बिजली उत्पादन क्षमता 21 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। दो हजार 444 मेगावाट बिजली पवन ऊर्जा और दो हजार 452 मेगावाट सौर ऊर्जा से तैयार की जा रही है। शिक्षा की गुणवत्ता और बेहतर करने के लिए प्रदेश में 360 सीएम राइज स्कूल बनाए जा रहे हैं। इन्हें बनाने में सात हजार करोड़ रुपये खर्च आएगा। डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ाई जा रही हैं। अभी 13 कालेजों में दो हजार 35 एमबीबीएस सीटें हैं। पांच साल में 11 और कालेज खोले जाएंगे। इसके साथ एमबीबीएस सीटें तीन हजार 250 हो जाएंगी। आयुष्मान भारत योजना के तीन करोड़ हितग्राहियों के कार्ड बनाए जा चुके हैं। हिंदी में भी चिकित्सा शिक्षा देने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। इंजीनियरिंग और पालीटेक्निक में भी इसे लागू किया जाएगा। स्वच्छता और इसके लिए नवाचार करने में भी प्रदेश देश में अव्वल है। पिछले छह वर्ष से इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है। कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 2003 में सिंचित भूमि का क्षेत्रफल सात लाख हेक्टेयर था जो अब 43 लाख हेक्टेयर हो गया है। 2025 तक 65 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है। 2020-21 में 129 लाख टन गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई जो देश भर में सर्वाधिक थी।

पहले यह थी स्थिति
चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण के बावजूद प्रदेश को किस गति से विकसित राज्य बनाया है, इसका अंदाजा नीति आयोग की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। विगत 5 साल में मप्र लगातार विकास के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। गौरतलब है कि 5 वर्ष पहले यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) और ओपीएचआई की एक रिपोर्ट से मप्र को गरीबी के मामले में चौथे नबर पर बताया गया था। रिपोर्ट के अनुसार देश के 29 राज्य में गरीबी के मामले में मप्र चौथे नंबर पर था, वहीं देश में अलीराजपुर जिला गरीबी के मामले में पहले पायदान पर था। रिपोर्ट में बिहार गरीबी के मामले में पहले नंबर पर था, वहीं झारखंड और उप्र क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर थे। रिपोर्ट की माने तो केरल और लक्षद्वीप में गरीबी शून्य है। उक्त रिपोर्ट के अनुसार देशभर में 36.4 करोड़ लोग गरीब थे, जबकि पहले 4 चार राज्यों में 19.6 करोड़ की आबादी गरीब थी। रिपोर्ट 10 मानकों के आधार पर 2015-16 के डेटा के आधार पर तैयार की गई थी। रिपोर्ट में बिहार के बारे में कहा गया था कि राज्य की आधे से ज्यादा आबादी गरीब है। इन राज्यों में आदिवासियों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं और शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण के बावजूद 50 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी गरीब हैं। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड व मप्र में 20.6 प्रतिशत लोग गरीबी की कगार पर खड़े थे। बिहार में 19.3 प्रतिशत और यूपी में 19.7 प्रतिशत लोग गरीबी के हाशिए पर थे। इस रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश को इस कलंक से मुक्ति दिलाने में जुट गए। जिसका परिणाम आज दिख रहा है।
गौरतलब है कि रिपोर्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर, पोषण, बाल मृत्यु दर, स्वच्छ पानी तक पहुंच, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, बिजली, आवास व संपत्ति आदि मानकों के आधार पर तैयार की गई थी। रिपोर्ट में देश में सबसे गरीब जिला अलीराजपुर को बताया गया था। यहां की कुल आबादी में से 76.5 प्रतिशत लोगों को गरीब बताया गया था। अगर किसी व्यक्ति के पास रिपोर्ट में दिए गए 10 मानकों में से अगर एक तिहाई मानकों की पहुंच नहीं है, तो वह गरीब माना जाएगा। यह रिपोर्ट शिवराज सरकार के लिए चुनाव से पहले एक बड़ा झटका है, क्योंकि सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने हर भाषण में इस बात का उल्लेख जरूर करते हैं कि जब वे 14 साल पहले सत्ता में आए तो प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में आता था। उनकी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से आज प्रदेश विकास दर में नंबर वन पर है। प्रदेश अब विकसित राज्य की ओर कदम रख चुका है। सरकार पहले ही आरक्षण, व्यापमं, एट्रोसिटी एक्ट, महिला अपराध, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर घिरी नजर आ रही है। सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को अब एक और मुद्दा मिल गया है।

भूखा नहीं सोएगा गरीब
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की जनता के प्रति कितने संवेदनशील हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी लगातार कोशिश रहती है कि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए। इसी कड़ी में प्रदेश के गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के मामले में राज्य सरकार और राहत देने की तैयारी कर रही है। पंडित दीनदयाल अंत्योदय रसाई योजना के तहत रसोई केन्द्रों की संख्या 45 और बढ़ाई जाने के बाद अब राज्य सरकार थाली की कीमत को 10 रुपए से घटाकर 5 रुपए करने की तैयारी कर रही है। ताकि गरीबों को खाने के लिए और भार न आए। प्रदेश में अभी 104 रसोई केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। इसकी संख्या में 45 रसोई की और बढोत्तरी की गई है। मप्र में अभी 104 स्थानों पर दीन दयाल अंत्योदय रसोई केन्द्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार ने हाल ही में इसकी संख्या में 45 की और बढ़ोत्तरी की है। इसको लेकर पिछले दिनों शिवराज मंत्रीमंडल ने अपनी मुहर लगा दी है। इसके बाद अब राज्य सरकार इस योजना के तहत 25 चलित और 20 स्थाई केन्द्र और खोलने जा रही है। इनमें औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर, मंडीदीप जैसे क्षेत्र शामिल हैं, ताकि प्रदेश के दूर दराज से इन क्षेत्रों में आकर मजदूरी करने वाले गरीबों को सस्ते में भोपाल उपलब्ध कराया जा सके। इसके अलावा धार्मिक महत्व के क्षेत्र चित्रकूट, ओरछा, मैहर, अमरकंटक, महेश्वर में भी यह रसोई केन्द्र खोले जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर में अभी 10 रुपए में गरीबों को भोजन की थाली उपलब्ध कराई जा रही है। हालांकि कोरोना के पहले तक यह थाली 5 रुपए में हुआ करती थी, लेकिन बाद में इसके दाम 10 रुपए कर दिए गए थे। अब राज्य सरकार एक बार फिर 5 रुपए में यह थाली उपलब्ध कराने जा रही है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग एक बार फिर इसे 5 रुपए में उपलब्ध कराने जा रही है। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि गरीब, पिछड़े हमेशा सरकार की प्राथमिकता में रहे हैं, इसलिए सरकार द्वारा हर वह कदम उठाया जा रहा है, जो गरीबों के जीवन को सरल कर सके। राज्य सरकार की दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के तहत प्रदेश भर में 1 करोड़ 96 लाख गरीब लाभांवित हो चुके हैं। इसमें भोपाल जिले में 5 रसोई केन्द्र हैं, जिससे अभी तक 30 लाख 90 हजार लोग भोजन कर चुके हैं। इसके अलावा ग्वालियर में 29 लाख 52 हजार, इंदौर में 22 लाख 31 हजार, छिंदवाड़ा में 18 लाख 77 हजार, जबलपुर में 10 लाख 94 हजार लोग इस रसोई से भोजन कर चुके हैं। गौरतलब है कि पंडित दीनदयाल अंत्योदय रसाई योजना की शुरूआत प्रदेश में 2017 में हुई थी।
मप्र सरकार की संवेदनशीलता और योजनाओं का असर है कि प्रदेश का एक गांव ऐसा भी है, जहां न कोई बेरोजगार है, न गरीब। पूरे देश में गरीबी और बेरोजगारी को लेकर हंगामा हो रहा है, वहीं मप्र के मंडला में एक ऐसा गांव है जहां कोई भी गरीब नहीं है। इस गांव को गरीब और बेरोजगारी मुक्त गांव का प्रमाण पत्र भी मिला हुआ है। मंडला का भैंसादाह गांव ऐसा ही गांव है, जहां कोई गरीब नहीं है और बेरोजगार भी नहीं है। इस गांव में करीब 90 परिवार रहते हैं, जिनकी आबादी करीब-करीब 280 है। दरअसल, भैंसादाह के ग्रामीणों ने गरीब से मुक्त होने के लिए स्वयं ही ठानी है। खेती पर निर्भर रहने वाले इस गांव के ग्रामीणों ने खुद को गरीबी से मुक्त करने के लिए उन्नत कृषि करने की ठानी और आज हर परिवार करीब तीस से चालीस हजार रुपया प्रतिमाह की कमाई कर रहा है। गांव में सरकार द्वारा करवाए गए विकास कार्यों का भी सहयोग मिला और उन्नत सब्जी की खेती ने ग्रामीणों की तकदीर बदलने का काम किया। गांव के युवाओं का कहना है कि कम शिक्षित होने के कारण वे शहरो में मजदूरी करने के लिए जाते थे, लेकिन उस मजदूरी से उन्हें पर्याप्त आजीविका नहीं मिलती थी। ऐसे में फिर से गांव आकर आजीविका मिशन के तहत कृषि और स्वयं रोजगार से जुडक़र उच्च गुणवत्ता की सब्जियों की खेती करना शुरू किया। एक के बाद एक परिवार ने इस सब्जी की खेती को बढ़ावा दिया, जिससे अच्छी आमदनी होने लगी और ग्रामीणों के जीवन स्तर में बदलाव आया। गांव की महिलाओं ने बताया कि यहां अच्छी किस्म की फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और सभी प्रकार की कृषि सुविधाएं दी गई है, जिससे गांव का आम इंसान अपनी मेहनत से पहले के कहीं बेहतर कमाई कर रहा है। आजीविका योजान अधिकारी विवेक जैन ने बताया कि गांव के 60 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो 10 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं। गांव से बाहर गये युवाओं में ऑर्गेनिग खेती और फार्मिंग एक्टिविटी के प्रति रुचि बढ़ी रही है, जिससे यहां के कृषि उत्पादों में बढ़ोत्तरी आ रही है। उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में करीब पांच गांवों को इस योजना से गरीबी और बेरोजगारी मुक्त करने का लक्ष्य है।

साकार हो रहा गरीब कल्याण का संकल्प: वीडी
नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि इंदिरा गांधी जी के समय से कांग्रेस की सरकारें गरीबी हटाओ की बातें करती रहीं, लेकिन देश से गरीबी कम नहीं हुई। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी, तो उन्होंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित सरकार है। नीति आयोग के आंकड़े यह बताते हैं कि प्रधानमंत्री जी का यह संकल्प अब सिद्धि की ओर बढ़ रहा है। सरकार द्वारा शुरू की गई गरीब कल्याण की योजनाओं के कारण देश में 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए हैं। वहीं, महंगाई की दर कम होकर 8.1 प्रतिशत पर आ गई। उन्होंने मप्र में 1.36 करोड़ लोगों के गरीबी रेखा से बाहर होने पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा उनकी सरकार को बधाई भी दी। प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान देश में गरीबी बढऩे का मुख्य कारण भ्रष्टाचार था। कांग्रेस के ही एक प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि हम दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं, तो गांव तक सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं। बाकी राशि भ्रष्टाचार और दलालों की भेंट चढ़ जाती है। इसके बावजूद कांग्रेस के बेशर्म नेता यह कहते थे कि देश में गरीबी बढऩे की वजह यह है कि गरीब दोनों समय भोजन करने लगे हैं। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों के नारे कितने खोखले थे, इसका अंदाज इन तथ्यों से लगाया जा सकता है कि इंदिरा गांधी जी के समय 1974 में महंगाई की दर 28 प्रतिशत थी। 2013 में यह 11 प्रतिशत पर आ गई। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के फलस्वरूप महंगाई की दर 8.1 प्रतिशत पर आ गई है।
प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सबसे पहले देश में जनधन खाते खोले। इसका परिणाम यह हुआ कि सरकार द्वारा शुरू की गई गरीब कल्याण की योजनाओं की राशि सीधे तौर पर हितग्राहियों के खातों में पहुंचने लगी। न भ्रष्टाचार रहा, न दलालों की कोई भूमिका रही। इसके अलावा मोदी सरकार ने पीएम आवास, आयुष्मान भारत जैसी जो योजनाएं शुरू की, उनसे देश के गरीबों के जीवन में तेजी से बदलाव आया। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकारें गरीब कल्याण के जिस संकल्प को लेकर आगे बढ़ रही हैं, वह संकल्प अब सिद्धि की ओर बढऩे लगा है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीति आयोग द्वारा जारी की गई मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स: 2023 के अनुसार मप्र में 1.36 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और उनकी सरकार को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा मप्र आज अगर गरीब कल्याण के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य बनकर उभरा है, तो उसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने स्थानीय स्तर पर तो इसके लिए प्रयास किए ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई गरीब कल्याण योजनाओं को भी उत्साहपूर्वक लागू किया। मप्र में भी 4.10 करोड़ लोगों के जनधन खाते खोले गए, जिनसे उन्हें डीबीटी का लाभ मिलने लगा। यहां हाल ही में 10 लाख पीएम आवास की स्वीकृति दी गई है। आयुष्मान कॉर्ड बनाने में म.प्र. अव्वल रहा है और हाल ही में शहडोल में आयेजित कार्यक्रम में 1 करोड़ आयुष्मान कार्ड बांटे गए थे। गुड गवर्नेंस के क्षेत्र में प्रदेश सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। प्रदेश में भू अभिलेख के डिजिटाइजेशन का काम कितनी प्राथमिकता से किया जा रहा है, इसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 15 जिला अधिकारियों को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा इसके लिए पुरस्कृत किया गया है।

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