
- नववर्ष में नए संकल्पों के साथ होगा विकास
लक्ष्य बनाना और तय सीमा में उसे साधना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सबसे बड़ी खूबी है। अपनी इसी खूबी के तहत उन्होंने नववर्ष 2022 की शुरुआत नए संकल्पों के साथ करने की तैयारी शुरू कर दी है। उनका सबसे बड़ा संकल्प है, 2022 में मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना। इसके लिए उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियेां को भी मिशन मोड में आने का निर्देश दिया है।
प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। आज मप्र देश में सबसे तेजी से विकास करता प्रदेश बना हुआ है, तो इसके पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीति और नीयत है। वे पिछले डेढ़ दशक से प्रदेश को फर्श से उठाकर अर्श पर लाने के अभियान में जुटे हुए हैं और आज उसी का परिणाम है कि मप्र देश के लिए विकास का मॉडल बना हुआ है। मप्र में विकास की रफ्तार तो वर्ष 2005 से शुरू हो गई थी, लेकिन इसमें 2014 के बाद से गति आई है। इसकी वजह है डबल इंजन की सरकार। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि डबल इंजन की सरकार में मप्र में तेजी से विकास हुआ है। अब मुख्यमंत्री और सरकार के सामने एक ही लक्ष्य है आत्मनिर्भर मप्र। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नए संकल्पों के साथ नए साल का शुभारंभ करेंगे। इसके लिए शासन-प्रशासन स्तर पर तैयारी चल रही है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिमाग में सोते जागते बस प्रदेश के विकास और आम लोगों का कल्याण ही रहता है। वे हमेशा लोगों के लिए खड़ा रहते हैं। इसलिए अब उनका एक ही लक्ष्य है और वह है आत्मनिर्भर मप्र बनाना। आत्मनिर्भर मप्र के लिए मुख्यमंत्री ने कई कदम उठाए हैं। अब नए साल में नए संकल्प के साथ शिवराज अभियान में जुटेंगे। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।
रोजगार के अवसरों पर फोकस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नए साल की शुरुआत नए संकल्प के साथ करेंगे। वर्ष 2022 में रोजगार के अवसरों में वृद्धि, विभागों में प्रशासनिक कसावट के साथ योजनाओं के लक्ष्यों को प्राप्त करने पर सर्वाधिक जोर रहेगा। इसके लिए मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को न सिर्फ मैदान में उतारा जाएगा बल्कि मुख्यमंत्री स्वयं भी दौरे करने के साथ समीक्षा करेंगे। समीक्षा का सिलसिला तीन जनवरी 2022 से प्रारंभ होगा, जो सात जनवरी तक चलेगा। इसमें सभी विभागों का प्रस्तुतीकरण होगा, जिसमें आत्मनिर्भर मप्र के तहत वर्ष 2022 के लिए विभाग की कार्ययोजना, मुख्यमंत्री की घोषणा आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी। बैठक में विभागीय मंत्री, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्ष मौजूद रहेंगे। वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार वर्ष 2022 में प्राथमिकताएं तय करके काम करेगी। आत्म निर्भर मप्र की कार्ययोजना के आधार पर विभागों के लक्ष्य निर्धारित होंगे। इसी आधार पर बजट भी तैयार होगा। समीक्षा में मुख्यमंत्री सभी विभागों के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद अपनी अपेक्षाएं साझा करेंगे। दरअसल, फरवरी तक पंचायत और इसके बाद नगरीय निकाय चुनाव होने हैं। इससे सरकार कोई नया काम तो प्रारंभ नहीं कर पाएगी पर उसकी तैयारियां जरूरी कर ली जाएंगी ताकि चुनाव के बाद तेज गति के साथ धरातल पर काम होने लगे। प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों के सम्मेलन करने के साथ सर्वाधिक जोर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने पर रहेगा।
मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले डेढ़ साल में सरकार ने रोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास किए हैं। अब नए साल में सरकार ने हर हाथ को काम उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए लोगों से सुझाव मांगा गया है। अभी तक मिले सुझावों में कहा गया है कि मनरेगा की तरह शहरी युवाओं के लिए रोजगार गारंटी कानून बनाना चाहिए। छात्रों का काम पढऩा और अच्छे नंबर लाना है। नौकरियों के सृजन की जिम्मेदारी शासन की है। युवाओं को मुफ्त भत्ता देना विकल्प नहीं है। इसके बजाय सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त नौकरियां हों। प्रदेश सरकार के लगभग सभी विभागों में ढाई लाख पद वर्षों से खाली पड़े हैं, उन्हें तुरंत भरना चाहिए। निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के प्रयास होंगे तो नौकरियां मिलेंगी। युवाओं को स्किल्ड बनाने प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए जाएं, उद्यम शुरू करने के अवसर देने का काम तेज करना होगा। सरकार को प्रदेश में स्टार्टअप का माहौल तैयार करना होगा। वहीं तय समय सीमा में सरकारी विभागों में भर्ती, रिजल्ट जारी हों। युवा हल्ला बोल एवं मतदाता कल्याण संघ मप्र के अध्यक्ष राज प्रकाश मिश्र का कहना है कि प्रदेश में 2.5 लाख से ज्यादा संविदाकर्मी, अतिथि शिक्षक, अन्य अनियमित कर्मी कई विभागों में बेरोजगार जैसी स्थिति में हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व, पुलिस, वन समेत अन्य में दो से ढाई लाख खाली पदों पर भर्ती होने से लाखों युवाओं को स्थाई रोजगार मिल जाएगा। प्रदेश में खेती-किसानी के विकास पर सरकार का सबसे अधिक जोर है। कृषि बजट को आधुनिकीकरण और किसान के विकास पर खर्च करने की नीति बनाई जा रही है। पारंपरिक खेती के बजाय उन्नत खेती शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। किसान को प्रसंस्करण से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि वह उद्यमी बने। कृषि के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे समय रहते किसान को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
नए साल में इन पर फोकस
प्रदेश सरकार नए साल में लक्ष्य बनाकर काम करने की रणनीति बना रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों और अफसरों को दिशा-निर्देश दे दिया है। उन्होंने कहा है कि शहरों के मास्टर प्लान बनाने की तैयारी करें। बिना मास्टर प्लान के शहरों की प्लानिंग नहीं हो सकती। प्रभारी मंत्री अपने प्रभार के जिलों एवं संबंधित अधिकारी मास्टर प्लान तैयार करें। आयुष्मान भारत योजना को बेहतर और प्रभावी बनाकर लागू करें। प्रायवेट अस्पतालों में इस योजना का लाभ दिलाए जाने के लिए प्रभावी क्रियान्वयन करें। मंत्रियों से कहा है कि वे राजस्व वृद्धि के प्रयास करें। केंद्र से 31 मार्च के पहले अधिक से अधिक राशि विभिन्न योजनाओं में लाए। अफसरों के साथ दिल्ली जाए। लंबित राशियों के प्रस्ताव फिर से भेजें। केंद्र की घोषणाओं व योजनाओं पर निगाह रखें। ज्यादा से ज्यादा राशि लाए और बेहतर प्रदर्शन करें। जीएसटी में त्वरित कार्यवाही करें। मिलेट मिशन को प्राथमिकता से करें। उद्यानिकी फसलों व जैविक फसलों को बढ़ावा दें।
नए साल में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री और सख्त होने जा रहे हैं। इसलिए उन्होंने अफसरों से कहा है कि बे्रेन स्ट्रार्मिंग कर लें। समस्याओं का आकलन करें। जहां जो जरुरत हो वो कदम उठाए। नक्सलवाद, अपराध, महिला अपराध सहित हर समस्या पर ध्यान दें। वहीं सीएम का कहना है कि पीएम ने स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन की प्रशंसा की है। लेकिन, इस योजना में अब हमें ड्रोन की कमी महसूस होती है। ड्रोन के भविष्य के हिसाब से काम हो।
मुख्यमंत्री ने नए साल में नए सैनिक स्कूल खोलने, नई टाउनशिप बसाने, लोक अदालतों का आयोजन करने, स्टार्टअप पर ध्यान देने, सरकारी सिस्टम को पारदर्शी बनाने, निवेश बढ़ाने के प्रयास करने को कहा है। हर काम निर्धारित समयसीमा में हो, ईज ऑफ बिजनेस व ईज ऑफ लिविंग के लिए प्राथमिकता से कार्य हो, विदेशी मुद्रा लाने के लिए निर्यात पर ध्यान दिया जाए, पीएम गति शक्ति प्रोजेक्ट पर तेज गति से कार्य करें, कौशल विकास के क्षेत्र में तेजी से कार्य हो, जेम पोर्टल का इस्तेमाल अधिकाधिक हो, एक जिला एक उत्पाद को लेकर काम करें, कच्चा माल, कृषि उत्पाद, निर्यात पर ध्यान दिया जाए, आत्मनिर्भर भारत-रोजगार योजना पर ध्यान देकर कार्य करें, मेडिकल में हिन्दी पढ़ाई के लिए कार्ययोजना बनाएं, भू-अधिकार योजना के अंतर्गत प्लाट देने का अभियान शुरू कर दें, स्वस्थ बच्चा स्पर्धा करें। मुख्यमंत्री के संकल्पों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला सक्रिय हो गया है। मुख्यमंत्री की मंशानुसार नए साल में कृषि में लागत कम करने के लिए नवाचारों को बढ़ावा देने कस्टम प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसकी प्रारंभिक तैयारियां भी हो चुकी हैं। इसमें मशीनें खरीदने पर चालीस प्रतिशत तक अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा। माफिया के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। पत्थरबाजों द्वारा सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर वसूली का कानून भी सरकार बनाने जा रही है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने सभी विभागों को समीक्षा बैठक की तैयारी के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश को अपना मेरा परिवार मानकर काम करते हैं। इसलिए अपने प्रदेश की जनता को परिवार मानकर उसकी तरक्की व खुशहाली के लिए वे हमेशा काम करते रहते हैं।
पिछले 19 माह में धुंआधार विकास
शिवराज सिंह चौहान जब चौथी बार मुख्यमंत्री बने तो कोरोना संक्रमण दस्तक दे चुका था। तब से लेकर अब तक कोरोना का साया मंडरा रहा है, लेकिन महामारी में भी प्रदेश का विकास प्रभावित नहीं हुआ। चौथी बार सत्ता में आने के बाद के इन 19 महीनों में प्रदेश में धुंआधार विकास कार्य हुए हैं। किसानों के लिए फसल बीमा से लेकर उनको अन्य प्रकार से मदद देने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 1 लाख 50 हजार करोड़ रूपए से अधिक की राशि अंतरित की गई है। कोरोना की दूसरी लहर को पूरी तरह नियंत्रण में किया है। मप्र कोरोना से डरने की बजाय लड़ता रहा और कोरोना को पूरी तरह नियंत्रित करने के साथ-साथ विकास के भी नए कीर्तिमान गढ़ता रहा। वर्ष 2020 में मप्र गेहूं उत्पादन में सभी राज्यों से आगे रहा और 1.29 करोड़ टन गेहूं का उपार्जन किया। किसानों के खातों में 75 हजार करोड़ रुपए भेजे। पिछले 19 माह में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में प्रदेश के 77 लाख किसान परिवारों को लगभग 5 हजार 500 करोड़ रुपए वितरित किए हैं। कोरोना काल में राज्य में 5000 किमी नई सडक़ों का निर्माण हुआ, जबकि 3500 किमी पुरानी सडक़ों का नवीनीकरण हुआ। इसी अवधि में 154 नए पुल भी बनाए गए। भू-माफियाओं के कब्जे से 3 हजार 559 एकड़ भूमि मुक्त कराई है। अब आत्मनिर्भर मप्र का रोडमैप तैयार किया गया है। जिसे नए साल में साकार करना है।
नए साल में आत्मनिर्भर मप्र के संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को विकास का रोडमैप बनाने का निर्देश दिया है। इसकी वजह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मप्र के कामों की कई सेक्टर में तारीफ की है। इसलिए मुख्यमंत्री की कोशिश है कि अब और काम करके दिखाना है। इसलिए एक महीने के भीतर आगे के दो साल के काम का रोड़मैप तैयार करवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद से ही अधिकारी बिना समय गंवाए काम में जुट गए हैं। हर मंत्री अपने-अपने विभाग की प्राथमिकता व विकास के काम तय कर रहा है। राज्य में निवेश के लिए प्रमोशन काउंसिल का गठन करने का निर्णय भी किया गया है। इसके अलावा मंत्रियों और अफसरों के अलग-अलग टॉस्क समूह भी गठित करने की प्रक्रिया चल रही है।
अब प्रदेश में विकास का बुधनी मॉडल
मप्र जिस तरह देशभर के लिए विकास का मॉडल बना हुआ है, उसी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी को मप्र का विकास मॉडल बनाने जा रहे हैं। कमलनाथ के छिंदवाड़ा मॉडल को टक्कर देने के लिए शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा बुधनी को विकास का मॉडल बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में बुधनी में कई बड़े उद्योग स्थापित हुए हैं। अब वित्तीय वर्ष 2022 -23 के बजट में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा मॉडल को टक्कर देने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा बुधनी के प्रज्जवल बुधनी मॉडल के विकास कार्यों का बजट पास किया जाएगा। 1 साल से प्रज्जवल बुधनी मॉडल के साथ तैयारी जोर शोर से की जा रही थी। अब बजट सत्र में प्रज्वल बुधनी के प्रस्ताव पत्र को रखा जाएगा जिसको बजट में पास करने के लिए चर्चा की जाएगी। मप्र सरकार ने अगले साल के बजट को अंतिम रूप देने का काम शुरू कर दिया है। विधानसभा में बजट फरवरी माह में पेश किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2022- 23 के बजट अनुमान में वेतन मद में 3% वृद्धि का प्रस्ताव है लेकिन इस बजट सत्र में खास फोकस सीएम की बुधनी विधानसभा में रहेगा क्योंकि आने वाले 2023 में विधानसभा चुनाव हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट प्रज्वल बुधनी है।
प्रज्जवल बुधनी के प्रोजेक्ट के तहत नसरुल्लागंज में 10 ट्रेड के लिए आईटीआई ग्लोबल स्किल पार्क एवं मॉडल कैरियर सेंटर के लिए भवन निर्माण किए जाने हेतु अनुपूरक बजट 2022-23 सम्मिलित किए जाएंगे। वहीं बुधनी में 50 बिस्तर का नया समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल नसरुल्लागंज में नवीन मेटरनिटी एवं मुख्यालय, नवीन चिकित्सा महाविद्यालय, संबंध टिचिंग चिकित्सालय का निर्माण करने के लिए 2022-23 वित्तीय बजट में सम्मिलित किए जाएंगे। बुधनी शहरी, रेहटी शहरी, शाहंगज शहरी, नसरूल्लागंज शहरी में विद्युत लाइनों एवं ट्रांसफार्मरों के सुंदरीकरण के लिए अनुपूरक बजट लाया जाएगा। जैत घाट, बांद्राभान घाट, छिपानेर घाट और नीलकंठ घाट के सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्य किए जाने के लिए अनुपूरक बजट लाया जाएगा। शिवराज ने कहा कि हर विभाग अपने बजट का समय पर उपयोग कर लें। इसके बाद जो विभाग पैसा खर्च नहीं कर पाएंगे, उनके बजट का पैसा दूसरे विभागों को दे दिया जाएगा।
आम आदमी का कल्याण
चुनौतियां कोई भी, कितनी भी हो उससे निपटने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा तैयार रहते हैं। उन्होंने अपने अब तक के शासनकाल में यह कई बार कर दिखाया है। अपनी चौथी पारी के आगामी दो साल में आम आदमी के कल्याण पर सबसे अधिक फोकस करने का प्लान उन्होंने बनाया है। गौरतलब है कि सरकार के पिछले तीन साल सियासी उथल-पुथल, कोरोना के कहर और आर्थिक बवंडर के रहे हैं। अब दो साल बचे हैं, ऐसे में सरकार के सामने चुनौती बहुत हैं। एक चुनौती सियासी तौर पर खुद को साबित करने की है, दूसरी चुनौती कोरोना से निपटकर अर्थव्यवस्था को बेहतर करने की है। इसके लिए सरकार ने कदम उठाए हैं। दो साल का रोडमैप भी तैयार हो रहा है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं हर सुख-दु:ख में अपने लोगों के साथ खड़ा रहा, फिर चाहे मुख्यमंत्री रहा, चाहे विपक्ष मे रहा। इसलिए मुझे मालूम है कि प्रदेश में अभी भी लोगों के सामने कितनी समस्याएं हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास जारी रहेंगे। वे कहते हैं कि सोते-जागते केवल एक ही चीज मन-मस्तिष्क में चलती रहती है, वह है प्रदेश का विकास और आम आदमी का कल्याण। नए साल में इस पर बहुत काम करना है।
यह हम सभी जानते हैं कि जहां चाह होती है वहां राह को निकलना ही पड़ता है। कोरोना संकट के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में आर्थिक तंगी को हावी नहीं होने दिया। उन्होंने प्रदेश के विकास और आम नागरिकों की सहूलियतों के लिए आर्थिक संसाधनों को बेहतर ढंग से संचालित किया। आवश्यक होने पर कर्ज भी लिया, लेकिन जनता पर तकलीफ नहीं आने दी। उनका वित्तीय प्रबंधन बहुत ही बेहतरीन है। यही कारण है कि उनके कुशल वित्तीय प्रबंधन की सराहना स्वयं केन्द्र सरकार ने भी की है। कोरोना काल में 2019 के मुकाबले 2021 में सरकार ने 40 प्रतिशत ज्यादा राशि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की, जिसके कारण केन्द्र से 0.5 प्रतिशत यानी 5200 करोड़ रुपए कर्ज की पात्रता बढ़ी। प्रदेश को चिकित्सा उपकरण पार्क की सौगात मिली है। 193 करोड़ रुपए लागत और 358 एकड़ क्षेत्रफल वाले इस पार्क में केन्द्र सरकार 100 करोड़ रुपए की सहायता दे रही है। इस पार्क में 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपए का निवेश होने का अनुमान है। इसमें लगभग 12 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। कोरोना महामारी के चलते विश्व के अनेक देशों की आर्थिक स्थितियां जब पूरी तरह चरमरा गईं, इसके बावजूद भी मप्र विकास की राह पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। कोरोना काल में ही प्रदेश में 550 से अधिक औद्योगिक इकाईयों को 1 हजार 445 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की गई, जिसमें 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक का पूंजी निवेश और लगभग 37 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिला। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के तहत किए गए प्रक्रियात्मक सुधारों के फलस्वरूप मप्र को देश में चौथी रैंकिंग प्राप्त हुई है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देते हुए एक साथ 1 हजार 891 उद्योगों का शुभारंभ हुआ है। इनमें से 776 इकाईयां स्थापित हो गई हैं, इनके माध्यम से लगभग 1 हजार 161 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश और 14 हजार से अधिक लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। कई क्लस्टर बन रहे हैं, जिससे लगभग 25 हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्रदेश के अन्नदाताओं ने खेतों में पसीना बहाकर उत्पादन में रिकार्ड वृद्धि की। वर्ष 2020 में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन हुआ। 19 माह में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किसानों के खातों में 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की।
लक्ष्य साधने लगातार 5 दिन समीक्षा
2022 में मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को साधने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नए साल में लगातार 5 दिन विभागों की समीक्षा करेंगे और टारगेट देंगे। उनका कहना है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, भोजन, कपड़ा, मकान हर स्तर पर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना शामिल है। इसके लिए अधिकारियों को अपने-अपने विभाग के कामकाज का प्लान बनाने का निर्देश दे दिया गया है। नए साल में तीन से सात जनवरी तक सभी विभागों की समीक्षा होगी। इन समीक्षा बैठकों में राजस्व बढ़ाने से लेकर योजनाओं के क्रियान्वयन तक का खाका तैयार किया जाएगा। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण देश-प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्व में बढ़ोतरी है। कोरोना के कारण अधिकतर क्षेत्रों में राजस्व घटा है, लेकिन अब स्थिति संभल रही है। सरकार को दो साल में राजस्व में औसत 10-15 फीसदी की वृद्धि करना है। केंद्र से मिलने वाले राज्यांश को पूरा लेने और उसमें बढ़ोतरी की भी चुनौती है। सरकार के सामने महंगाई पर काबू भी चुनौती है। 2023 के चुनाव में महंगाई बड़ा मुददा हो सकती है। अर्थव्यवस्था में सुधार, कर्ज में कमी से ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार को चाहिए कि राजस्व से बाहर के सेक्टर्स को दायरे में लाया जाए। राज्य के संसाधनों व यूएसपी को राजस्व में बदला जा सके। अतिरिक्त कर न लगे, मसलन पानी पर शुल्क न बढ़े। पेट्रोल-डीजल के दाम में राहत मिले।
मंत्रालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समीक्षा के लिए बनी कार्ययोजना के तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीन जनवरी को सामान्य प्रशासन, वित्त, गृह, जेल, वाणिज्यिक कर, राजस्व, खेल एवं युवक कल्याण, परिवहन, वन और श्रम की समीक्षा करेंगे। उसके बाद चार जनवरी को उद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, विधि एवं विधायी, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी, सहकारिता, कृषि, मछुआ कल्याण, पशुपालन, ऊर्जा और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग, पांच जनवरी को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, नगरीय विकास एवं आवास, सामाजिक न्याय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, लोक निर्माण, स्कूल शिक्षा, विमानन, भोपाल गैस त्रासदी, राहत एवं पुनर्वास, पर्यटन और संस्कृति विभाग, छह जनवरी को पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य, अनुसूचित जाति कल्याण, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अद्र्धघुमक्कड़ जनजाति, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष, जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास विभाग तथा सात जनवरी को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, उच्च शिक्षा, लोक सेवा प्रबंधन, जनसंपर्क, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास, महिला एवं बाल विकास, उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग, खनिज साधन, पर्यावरण और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की समीक्षा करेंगे। समीक्षा के दौरान सरकार का पूरा फोकस आत्मनिर्भर मप्र पर रहेगा।