
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश सरकार का खजाना खाली है, तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों और रिटायर्ड आईएएस अफसरों पर जमकर राशि खर्च करने में पीछे नहीं रह रही है। यही वजह है कि अब सरकार ने पूर्व न्यायाधीशों को दिए जाने वाले अर्दली भत्ते में तीन गुना तक वृद्धि करने का फैसला कर लिया है।
इसी तरह की मेहरबानी सरकार द्वारा पूर्व आईएएस अफसरों पर भी दिखाई जा रही है। आईएएस और न्यायायिक सेवा के पूर्व अफसरों को प्रदेश के विभिन्न संस्थानों में तैनात कर मोटा वेतन- भत्ते और सुविधाएं खुले मन से देने में भी सरकार पीछे नहीं है। हाल ही में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को हर माह दिए जाने वाले छह हजार रुपए अर्दली भत्ता की जगह अब 17 हजार 360 रुपए कर दिया गया है। वहीं हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सेवानिवृत्ति के बाद अर्दली भत्ता पांच हजार रुपए दिया जाता है। उनके लिए भी अब चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को देय न्यूनतम वेतन 17 हजार 360 रुपए कर दिया गया है। जिसकी वजह से अब हाईकोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों को अपने पूर्व अर्दली भत्ते से तीन गुना अधिक का भुगतान किया जाएगा। यह राशि उन्हें पेंशन के साथ अर्दली भत्ते के रूप में प्रदान की जाएगी। इस भत्ते में मूल वेतन के साथ डीए की राशि भी शामिल है। इसके साथ ही यह भी प्रावधान किया गया है कि राज्य के कर्मचारियों को दिए जाने वाले डीए के अनुसार ही डीए अर्दली के लिए भी दिया जाएगा।
पूर्व आईएएस अफसरों का पुनर्वास प्राथमिकता पर
इसी तरह से प्रदेश की भाजपा सरकार लगातार पूर्व आईएएस अफसरों के पुनर्वास में लगी हुई है। इसके तहत उन्हें कई संस्थानों में नियुक्त किया जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग में रिटायर्ड मुख्य सचिव बीपी सिंह को आयुक्त बनाकर पुनर्वास किया जा चुका है, जबकि विद्युत नियामक आयोग में एसपीएस परिहार की तैनाती की गई है। हाल ही में रिटायर्ड आईएएस अरुण भट्ट को सिया का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल में भी रिटायर्ड आईएएस की तैनाती की तैयारी की जा रही है। इसी तरह से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, उपभोक्ता आयोग, भूमि सुधार आयोग सहित कई संस्थानों पर रिटायर्ड आईएएस अफसरों का पुनर्वास कर उन्हें भारी-भरकम वेतन, भत्ते, वाहन, अर्दली और अन्य सुविधाएं दी जा रही है।