
इंदौर/बिच्छू डॉट कॉम। कुपोषण के मामले में इंदौर जिले ने बेहद उत्साहित करने वाले परिणाम दिए हैं। इसके लिए जिले में बीते तीन माह से अभियान चलाया जा रहा था, जिसके परिणामस्वरुप जिले में इस अवधि में 1645 बच्चों को अति कुपोषण से मुक्ति मिल गई है।
कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में महिला एवं बाल विकास द्वारा विभिन्न विभागों के साथ मिलकर किए गए प्रयासों की वजह से जिले में अब अति कुपोषित बच्चों की संख्या एक हजार 708 से कम होकर महज 63 रह गई है। कलेक्टर के निर्देश पर अति कुपोषित बच्चों को न्यूट्रिशन किट उपलब्ध कराई गई थी। इस किट में पिंडखजूर, राजगिरे के लड्डू, सत्तू, गुड़, मुंगफली की चिक्की, भूना हुआ चना, खोपरे का गोला आदि शामिल थे। तमाम विभागों के साथ समन्वय कर चलाए गए इस अभियान में जिले में 72.2 प्रतिशत अति कुपोषित बच्चे व 77.9 प्रतिशत मध्यम कुपोषित बच्चे सामान्य पोषण श्रेणी में आ गए हैं। जिले में अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1708 से वर्तमान में सिर्फ 63 रह गई है। वहीं 9027 मध्यम कुपोषित बच्चों में से 7036 बच्चे सामान्य पोषण श्रेणी में आ चुके हैं। गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दो माह पहले सितंबर में अभियान चलाकर जिले की आंगनवाड़ी में पंजीकृत बच्चों का पोषण वर्गीकरण कर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से पूरे जिले में 38 स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया था। इनमें सभी अति कुपोषित बच्चों सहित 2586 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसके बाद इन अति कुपोषित बच्चों को कलेक्टर सिंह के निर्देश पर रेडक्रॉस द्वारा न्यूट्रीशन किट, आयुष विभाग द्वारा महामाष तेल व पुष्टिवर्धक चूर्ण एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा बीज किट प्रदान की गई।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सभी अतिकुपोषित बच्चों के घर-घर जाकर प्रत्येक दिन तीन सुपरवाइज्ड फिडिंग की गई और बच्चों के माता-पिता को पोषण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। जिला कार्यक्रम अधिकारी, सहायक संचालक, परियोजना अधिकारी व पर्यवेक्षक द्वारा सतत् मॉनिटरिंग व गृहभेंट द्वारा कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हेतु सतत प्रयास किए गए।