
- एक और सौगात मिलने का रास्ता साफ
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। देश की पहली नदी जोड़ योजना के तहत बनाई गई केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला अगले माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी जाएगी। यह संकेत खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने उप्र दौरे के दौरान बुदेंलखंड अंचल के तहत आने वाले महोबा में अर्जुन सहायक योजना के लोकार्पण के समय दिए हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बीते डेढ़ दशक से अटकी केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम जल्द शुरू होगा। दरअसल इस परियोजना से मप्र के आठ जिलों के अलावा उप्र के चार जिलों को भी पानी मिलना है। अगर परियोजना पर काम शुरू होता है तो इसे भाजपा उप्र के चुनाव के समय बुंदेलखंड अंचल में अपनी बड़ी उपलब्धि के रुप में प्रचारित कर राजनैतिक फायदा उठाने का प्रयास करेगी। इस परियोजना के शुरू होने पर नॉन मानसून सीजन में मध्यप्रदेश को 1834 व उप्र को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। दरअसल इस परियोजना से मिलने वाले पानी को लेकर मप्र और उप्र के बीच विवाद चल रहा था, जिसकी वजह से इसका काम शुरू नहीं हो पा रहा था। इसे आठ माह पहले केन्द्र ने हस्तक्षेप कर सुलझाया है। सरकारी सूत्रों की माने तो नदी जोड़ो अभियान के तहत देश की पहली केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला अगले माह झांसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराए जाने की तैयारी है। इससे पहले शिवराज कैबिनेट द्वारा दोनों राज्यों और केंद्र के बीच हुए समझौते के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। इस परियोजना को बुंदेलखंड में पलायन रोकने , रोजगार, सिचाई और पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गौरतलब है कि इसी साल विश्व जल दिवस पर 8 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए मेमोरेंडम आॅफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस एमओए पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, शिवराज सिंह चौहान और योगी आदित्यनाथ ने हस्ताक्षर किए थे। इसकी लागत 35,111 करोड़ रुपए है,इसमें से 90 फीसदी राशि केन्द्र सरकार व 5-5 फीसद राशि मप्र व उप्र को खर्च करनी है।
उप्र की बढ़ती मांग थी विवाद की वजह
इस परियोजना के तहत वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हुआ था। इसके बाद वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी देने पर सहमति बनने के बाद केंद्र ने उत्तर प्रदेश को 788 एमसीएम पानी देना तय दिया था, इसके बाद यूपी सरकार ने जुलाई 2019 में 930 एमसीएम पानी मांग लिया था, जिससे विवाद पैदा हो गया था।
कहां कितने बनेगें बांध
परियोजना के पहले चरण में ढोड़न गांव के पास केन नदी पर बांध बनाकर पानी रोका जाएगा , जहां से पानी को नहर के माध्यम से बेतवा नदी तक ले जाया जाएगा। दूसरे चरण में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध के अलावा बेतवा की सहायक बीना नदी पर जिला सागर में और शिवपुरी में उर नदी पर बांधों का निर्माण किया जाएगा। इससे हर साल करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का , 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के साथ ही 103 मेगावाट हाइड्रो पावर उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। इसके अलावा इस परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावाट होगी।
डेढ़ दशक पहले हुआ था अनुबंध
परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में मप्र व उप्र के बीच अनुबंध हुआ था। तब मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। उस समय हालांकि डीपीआर तैयार नहीं हुआ था। अब डीपीआर तैयार है। इस कारण पानी की भराव क्षमता में कुछ बदलाव हुआ है। इस कारण से तीनों सरकारों के बीच संशोधित एमओयू पर हस्ताक्षर फिर से किए जा रहे हैं।
मप्र व उप्र के इन जिलों को होगा फायदा
इस परियोजना से बुंदेलखंड के उप्र और मप्र के तहत आने वाले 12 जिलों को पानी मिलेगा। इसमें मप्र के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी तो वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं।