मप्र की बन रही नई पहचान

मप्र
  • सीएम डॉ. मोहन का अद्वितीय और अतुलनीय प्रयास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अपने अद्वितीय और अतुलनीय प्रयास से दो साल से कम समय में ही मप्र को विकास और सुशासन की नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आज प्रदेश में हर तरफ हो रहे एक समान विकास और प्रगति ने मप्र की नई पहचान बना दी है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)
। पिछले 23 महीने में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र में अनेक ऐसे कार्य हुए हैं जो असंभव माने जाते थे। अद्वितीय और अतुलनीय कार्यों से प्रदेश की नई पहचान बन रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यभार संभालते ही नागरिकों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी तकलीफों को देखा और उनके समाधान के निर्देश दिए। सरकारी फाइल पर उनके प्रथम हस्ताक्षर तेज आवाज में बजाए जाने वाले डीजे और अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर नियंत्रण से संबंधित हुए थे। इसके साथ ही खुले रूप में मांस की बिक्री को भी उन्होंने प्रतिबंधित किया। सभी नगरों और ग्रामों में मध्य प्रदेश के नागरिक समरसता के साथ आपसी सद्भाव और भाईचारे के साथ रहते हैं। इसलिए ऐसा कोई भी कारण मौजूद नहीं होना चाहिए जिससे कटुता और मतभेद को कोई स्थान मिले। सद्भाव, भाईचारा आपसी मेलजोल और परस्पर सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है। एक आदर्श समाज की रचना के लिए इन कारकों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसी कड़ी में मप्र के 70वें स्थापना दिवस पर एक विशेष उपहार राज्य के नागरिकों को मिला है। प्रदेश के धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक पर्यटन से जुड़े स्थानों के लिए हेलीकाप्टर सेवा प्रारंभ करने की ठोस पहल की गई। सामाजिक स्तर पर होने वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए शहरों में गीता भवन बनाने का सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस दिशा में कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ी है। अनेक भवन चिन्हित हो गए हैं और बहुत जल्द गीता भवनों में वैचारिक आयोजन, बौद्धिक वर्ग की विचार गोष्ठियां, पुस्तकालयों, वाचनालयों का संचालन और लोक रंजन के कार्यक्रम होते हम देखेंगे। मप्र में अलग-अलग संस्कृतियों, भाषाओं और बोलियों के रहवासी रहते हैं। इन सभी की अपनी परंपराएं हैं। सभी पर्व त्यौहार मिलकर बनाए जाते हैं और समाज के साथ अब सरकार भी पर्व त्योहारों में हिस्सेदारी कर रही है। जहां दशहरे पर शस्त्र पूजन की परंपरा वापस लौटती दिखाई दी वहीं अन्य त्योहारों पर भी मेलजोल देखने लायक रहा है। चाहे प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में मालवा और निमाड़ अंचल में भगोरिया की धूम हो या शहरी क्षेत्र की बात करें तो इंदौर में होली के अवसर पर गेर का आयोजन हो, चाहे प्रदेश के अन्य जिलों में होली और रंग पंचमी का अवसर। सभी पर्व उल्लास के साथ बनाए गए।
प्रदेश के आदर्श प्रतीक पुरुष जो महापुरुष होते हैं उनके नाटक मंचन की पहल हुई है। लोकमाता देवी अहिल्या बाई की 300वीं जयंती पर प्रदेश के अने स्थानों पर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित नाटकों का मंचन करवाया गया। इस क्रम में सम्राट विक्रमादित्य के नाटक मंचन दक्षिण भारत से लेकर नई दिल्ली तक और राजधानी भोपाल में भी करने की पहल एक अनूठा प्रयास है। इसी तरह राजा भोज, सम्राट अशोक और प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों पर केंद्रित नाटकों के मंचन भी आने वाले समय में होंगे। सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रदेश में अनेक रिकार्ड बने। चाहे तबला वादन हो अथवा गीता पाठ के आयोजन हो, प्रदेश के युवाओं ने बढ़-चढक़र भागीदारी की है। प्रगति के प्रयासों का सेक्टर वार उल्लेख करें तो पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल करने वाला मप्र देश का पहला प्रांत है। इस समय प्रदेश में 32 मेडिकल कॉलेज हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग बढ़ रहा है। मप्र सिंचाई, विद्युत, नवकरणीय ऊर्जा, सडक़ निर्माण के क्षेत्र में आगे है निरंतर। इसके साथ अब शहरों में फ्लाय ओवर के निर्माण की श्रृंखला शुरू हुई है। इंदौर हो या भोपाल जबलपुर हो या ग्वालियर अथवा बीना और बासौदा जैसे छोटे कस्बे हो फ्लाय ओवर के निर्माण से जुड़े सभी प्रकल्प तेजी से क्रियान्वित हो रहे हैं। इससे शहरों में आंतरिक व्यवस्था सुधरी है। यातायात की बेहतर सुविधा नागरिकों को मिल रही है। सडक़ों पर ट्रैफिक का दबाव कम हो रहा है। प्रदेश की बहनों की उन्नति के लिए जहां बहुत सी योजनाएं लागू हैं वहीं टोल टैक्स वसूल करने और रेस्टोरेंट के संचालन के लिए उनकी क्षमताओं का उपयोग किया जा रहा है। यह अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरक पहल है। मप्र में पुलिस बैंड का उपयोग सीमित आयोजनों तक होता था। अब महाकाल की सवारी से लेकर अन्य पर्व त्यौहार पुलिस बैंड के साथ नई गरिमा प्राप्त कर रहे हैं। प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र में नाके चेक पॉइंट में बदले गए हैं। थानों की सीमाओं में बदलाव किया गया। इसी तरह जिलों और तहसीलों की सीमाओं और नए जिलों के गठन के लिए पुनर्गठन आयोग कार्य कर रहा है। सुशासन के क्षेत्र में बहुत सा कार्य हुआ है। कई ई- सेवाएं प्रारंभ हुई हैं। राजस्व के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग क्रांतिकारी है। हरदा जिला ड्रोन के उपयोग में सबसे आगे था और अब पूरे प्रदेश में ड्रोन के माध्यम से राजस्व संबंधी कार्य हो रहे हैं। यही नहीं कृषि और रक्षा के क्षेत्र में भी ड्रोन के उपयोग के लिए पहल हुई है। राज्य स्थापना समारोह अभ्युदय मप्र में विशेष ड्रोन शो के माध्यम से मैपकास्ट संस्था पहली बार सक्रिय भूमिका में सामने आई।

अंतर्राज्यीय परियोजनाओं से बढ़ी साख
मप्र में तीन बड़ी अंतर्राज्यीय परियोजनाओं के कारण आधे से अधिक जिले तेजी से उन्नति की ओर अग्रसर हैं। जहां राजस्थान के साथ बरसों पुराने विवाद का निपटारा किया गया वहीं केन बेतवा सिंचाई परियोजना और तापी मेगा प्रोजेक्ट एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। राजस्थान ,उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र प्रांतों के सहयोग से यह तीनों परियोजनाएं जब सरकार होंगी तब प्रदेश की तस्वीर एकदम परिवर्तित हो जाएगी। रेल सुविधाओं की दृष्टि से प्रदेश में अनेक सुविधाएं विकसित हुई हैं। निकट भविष्य में इंदौर- मनमाड रेल लाइन बन जाने से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का व्यापारिक और नागरिक संपर्क सघन हो जाएगा। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उद्योग के क्षेत्र में जो कार्य किया है वह प्रदेश की स्थापना से लेकर अब तक 70 वर्ष का सबसे अनूठा प्रयोग और सफल प्रकल्प है। एक या दो बड़े नगरों में सीमित उद्योग संगोष्ठियां संभाग- संभाग में हुईं। उद्यमियों को राज्य शासन की नई नीतियों से सहयोग और संबल मिल रहा है। युवाओं को रोजगार देने के लिए अनेक जतन किए गए हैं। टेक्सटाइल क्षेत्र में महिलाओं को कम मिल रहा है। पीएम मेगा पार्क धार जिले में बन रहा है जो एक स्थान पर कपास उत्पादकों से कपास लेने उन्हें कपास की पूरी कीमत देने, एक परिसर में कपास से धागों के निर्माण फिर वस्त्रों के निर्माण और तैयार उत्पाद को विदेशों तक भेजने का कार्य होगा। विभिन्न सेक्टर में तेजी से कार्य हो रहा है। फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री हो या पर्यटन उद्योग अनेक तरह की पहल प्रदेश में की गई है। मध्य प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में अनूठा कार्य हुआ है। शिक्षा की गरिमा लौटाते हुए शिक्षकों की उपस्थिति, विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई। प्रति सप्ताह और प्रतिमाह कार्य के घंटे निर्धारित कर पाठ्यक्रम पूर्ण करवाने के प्रयास और नई शिक्षा नीति के अनुरूप भारतीय ज्ञान परंपरा की अध्ययन सामग्री का समावेश महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कुलपति को कुलगुरु का सम्मानजनक नाम देना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल है जिसका सभी तरफ स्वागत हुआ है। जो सांदीपनि विद्यालय जन सुविधाओं के साथ प्रारंभ हो रहे हैं उससे शासकीय विद्यालयों में प्रवेश के प्रति विद्यार्थियों और अभिभावकों का आकर्षण बढ़ गया है। आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में मप्र पूरे देश में अलग पहचान बनाएगा। समग्र विकास की तरफ बढ़ रहे मप्र के नागरिक भी विकास कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित कर अपना योगदान दे रहे हैं।

पर्यटन का नया चेहरा
राजशाही किले, महल, वाइल्ड लाइफ और खासतौर पर धार्मिक टूरिज्म के लिए जाने पहचाने जाने वाले मध्य प्रदेश को अब एक नई और खास पहचान मिल रही है और वो है यहां शुरू हुए नए इको फ्रेंडली टूरिज्म ट्रेंड होमस्टे। टूरिज्म का एक नया मॉडल, जिसकी शुरुआत ने लग्जरी होटल्स की पूछ-परख कम कर दी है। होमस्टे का ये नया ट्रेंड बता रहा है कि आज यूथ से लेकर फैमिलीज को भी ग्रामीण अंचल, ग्रामीण परिवेश में मिलने वाले एक नयेपन का अहसास रास आ रहा है। फिर बात चाहे एमपी की वाइल्ड लाइफ की हो, किसी ऐतिहासिक स्थल की या फिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच सुकून की तलाश, घर जैसा सुरक्षित माहौल देने वाले किसी भी टूरिस्ट प्लेस के नजदीकी गांवों में बसे ये होमस्टे टूरिस्ट को बेहद अट्रैक्ट कर रहे हैं। आलम ये है कि टूरिज्म प्लेस पर घूमने के बाद पर्यटक यहां दो-चार दिन एक्स्ट्रा बिता कर जा रहे हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में प्रदेश भर के गांवों मं 241 नए होम स्टे लॉन्च किए हैं। यही कारण है कि 37 जिलों के 100 से ज्यादा गांव एमपी टूरिज्म मैप पर तेजी से उभरे हैं। यहां आने वाले टूरिस्ट की बढ़ती संख्या से सवाल तो लाजमी है आखिर क्यों टूरिस्ट को भा रहा होमस्टे ट्रेंड, क्यों होटल के बजाय यहां रुकना पसंद कर रहे हैं। ओरछा के शांत घाट हों, अमरकंटक की धुंधली सुबह, पंचमढ़ी की पहाडिय़ां या कान्हा, पेंच, बांधवगढ़ के जंगल, हर जगह अब होमस्टे तैयार हैं। कई लोकल परिवारों ने अपने ही घरों में कम वक्त में छोटे-छोटे लेकिन खूबसूरत ठहराव तैयार किए हैं। तो कई लोगों ने ग्रामीण अंचलों में जमीन खरीदकर होम स्टे की नई शुरुआत की है। यहां न रिसेप्शन की औपचारिकता है, न होटल वाली दूरीज् मेहमान आएं तो उसे ‘अतिथि देवो-भव:’ का अहसास दिलाने के लिए खास स्वागत की तैयारी की जाती है। घर जैसा सुरक्षित माहौल, लोकल-पारंपरिक खाना, ग्रामीण परिवेश की कहानियांज्ये होमस्टे अब वही जगह बन रहे हैं, जिन्हें आज का टूरिस्ट ढूंढ रहा है। एकदम ऑथेंटिक, असली, सच्ची और दिल को छू लेने वाले प्लेस। गांव के आंगन की खुशबू जैसे उन्हें खींच रही है और शहर की आपाधापी से दूर अपनेपन से भरा प्यारा सा अहसास दे रही है। लकड़ी के फर्श, मिट्टी की दीवारें, देसी व्यंजन, रात में लोकगीत, यह वह पैकेज है जो किसी होटल में मिल ही नहीं सकता। टूरिस्ट कह रहे हैं कि यहां आकर जो अनुभव मिला उससे ट्रैवलिंग नहीं, रिलेटिंग जैसा फील हो रहा है। यानी जैसे कोई रिश्ता बन गया हो हमारा इस जगह से। एक अपनापन और सुकून देने वाली जगह ग्रामीण अंचल के बीच भी परिवार के सदस्यों की तरह जीने का अहसास मिल रहा है उन्हें यहां। जहां होटल का एक कमरा 5 से 7 हजार रुपए में पड़ता है, वहीं होम स्टे 1500-2500 में आराम से मिल रहे हैं। साथ में लोकल टूर, गांव में घूमना और होस्ट की गाइडेंस एक्स्ट्रा बोनस बन जाता है। ये सब उन्हें आकर्षित कर रहे हैं।
एक किसान के घर में बने होमस्टे में रहने से कमाई सीधे उस किसान के परिवार तक ही जाती है। कई गांवों में महिलाओं ने अपने घर के आंगन को ही होमस्टे में बदल लिया है और वे आज 30-50 हजार रुपए महीना कमा रही हैं। बिना शहर छोड़े, बिना बड़े खर्च के उनकी आय का बड़ा जरिया बन गए हैं ये होम स्टे। नर्मदापुरम, ओरछा, उज्जैन, ओंकारेश्वर, अमरकंटक, मांडू, चंदेरी, टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, भोपाल और उसके आसपास बसे टूरिज्म प्लेसेस समेत एमपी के कई जिलों के गांवों में होमस्टे तेजी से उभर रहे हैं। इन जगहों के गांवों में बने होमस्टे धार्मिक टूरिस्ट को भी बेहद पसंद आ रहे हैं, शहर के शोर-शराबे से दूर उन्हें यहां आकर आध्यात्मिक और शांत वातावरण मिलता है। जंगल सफारी पर जाने वाले टूरिस्ट अब होटल से ज्यादा जंगल के करीब बनकर तैयार हुए इन होमस्टे में ठहरना पसंद कर रहे हैं। यहां दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे से हो जाती है। यहां रहकर मेहमानों का स्वागत करने वाले लोग खुद आपको सुबह-सुबह जगाते हैं। जैसे आपके परिवार का कोई अपना सदस्य आपको घर में नींद से जगाता है। सुबह 5 बजते ही आपके रूम के दरवाजे से नॉक-नॉक का साउंड सुनाई देता है, आप उठेंगे, तरोताजा होकर रूम से निकलते हैं, ग्रामीण अंचल में जंगलों के बीच बसे इन होमस्टे में उगते सूरज का सौंदर्य आपका दिन बना देता है। आसपास के मैदानी इलाके को इस तरह तैयार किया जाता है कि आपको मॉर्निंग वॉक करने, सुबह-सुबह योग या एक्सरसाइज करने के बाद नई ताजगी का अहसास होता है। आपके ब्रेक फास्ट से लेकर लंच तक का शेड्यूल आपको ही तय करना होता है। परिवार जैसे लगने वाले ये सदस्य ‘पर्सनलाइज्ड केयर’ करते नजर आते हैं। आपको अगले गंतव्य पर जाने के लिए दरवाजे तक छोडऩे आते हैं, आपको विश करके अलविदा कहते हैं। ऐसे अपनेपन की उम्मीद होटल्स सेज् तो बेमानी होगी।

मिली नई ऊंचाई और पहचान
मप्र को आज नई ऊंचाई और पहचान मिली है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, आज भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन रहा है और इस राष्ट्रीय प्रगति में मध्यप्रदेश अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. हमारा मध्यप्रदेश देश के सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश की छवि को हमने एक नई पहचान और प्रतिष्ठा दिलाई है. हमने हर संभव प्रयास किया है कि मध्यप्रदेश की वास्तविक क्षमता को देश और दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया जा सके. हमारा प्रदेश कृषि उत्पादन में देश में नंबर एक है. हमारी सरकार ने सिंचाई क्षेत्र को 5 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 52 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश अब केवल कृषि उत्पादों या खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक मात्र नहीं है. अब हम मध्यप्रदेश को इन उत्पादों के प्रसंस्करण का सबसे बड़ा केंद्र बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. यह परिवर्तन न केवल हमारे किसानों और उत्पादकों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाएगा, बल्कि राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देगा, जिससे हजारों नए रोजगार सृजित होंगे और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिलेगी. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि ‘मेक इन मध्यप्रदेश’ के संकल्प के लिए हमने अपने प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाया है, चाहे निवेशकों से मिलने की बात हो या नीतियों में परिवर्तन की बात हो. पिछले 18 महीने में सरकार ने प्रदेश में निवेश-अनुकूल वातावरण बनाने के लिए एक अभियान चलाया हुआ है. वर्तमान में मध्यप्रदेश न केवल भारत का भौगोलिक केंद्र है, बल्कि औद्योगिक, कृषि, फार्मा और रक्षा निर्माण का ग्लोबल सप्लाई हब भी बनता जा रहा है. हम ‘लोकल से ग्लोबल तक’ की यात्रा पर हैं, और हमारे उत्पादों की गुणवत्ता और क्षमता को दुनिया पहचान रही है. आयशर मोटर्स और फोर्स मोटर्स के ट्रक और ट्रैक्टर आज अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण एशिया में चलते हैं. भेल भोपाल, मंडीदीप में बने पावर ट्रांसफॉर्मर देश और विदेशों की पावर ग्रिड में ऊर्जा पहुंचा रहे हैं. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि महेश्वरी और चंदेरी साडिय़ों को हैंडलूम जीआई टैग के साथ जापान और यूरोप तक निर्यात किया जा रहा है. झाबुआ, मंदसौर और नीमच के ऑर्गेनिक मसाले, गेहूं और धनिया अब यूरोपीय थालियों में हैं. मिलेट्स (श्री अन्न) – विशेष रूप से कोदो, कुटकी और बाजरा – स्वास्थ्य के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग में हैं. यूरोप की थाली में मध्यप्रदेश के मसाले परोसे जा रहे हैं. स्विजरलैंड के व्यापारी प्रदेश की कोदो कुटकी में निवेश के इच्छुक हैं. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि हमारी सरकार का एक प्रमुख लक्ष्य प्रदेश में क्षेत्रीय असमानता को कम करना है, और इसी दिशा में हम सर्वांगीण क्षेत्रीय विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. जिस प्रकार प्रधानमंत्री देश के प्रत्येक राज्य के विकास पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दे रहे हैं, ठीक उसी तरह हमारी सरकार भी प्रदेश के हर कोने और हर क्षेत्र की संभावनाओं पर केंद्रित है. इसी कड़ी में, राज्य के विभिन्न संभागों में रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. इन कॉनक्लेव से प्रदेश के हर क्षेत्र में उपलब्ध संभावनाओं को निवेशकों तक ले जाया गया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि वर्ष भर में 77 औद्योगिक इकाइयों का लोकार्पण किया गया, जिनमें 1374 करोड़ का निवेश हुआ और 4800 से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला. प्रदेश में 151 औद्योगिक इकाइयों का भूमि पूजन संपन्न कराया गया, जिनसे 7336 करोड़ के निवेश और 13,700 से अधिक संभावित रोजगार सृजन की उम्मीद है. कुल 789 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटन हेतु आशय पत्र जारी किए गए हैं, जिनमें 28,722 करोड़ के निवेश और 66,550 से अधिक संभावित रोजगार का सृजन अनुमानित है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि प्रदेश में एक मजबूत सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित किया है, जहाँ निवेशकों को सभी आवश्यक स्वीकृतियाँ और परमिट एक ही स्थान पर मिलते हैं, जिससे उनका बहुमूल्य समय और संसाधन बचते हैं. राज्य में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक जिले में निवेश प्रोत्साहन केंद्रों की स्थापना की गई है, जो निवेशकों को स्थानीय स्तर पर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर रहे हैं. हमारी सरकार श्रमिकों के हितों की रक्षा करती है. हमने हुकुमचंद मिल के श्रमिकों के साथ न्याय किया है, और हम अन्य मिलों के मामलों में भी इसी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं.

विकास की नई ऊंचाइयां छूने को तैयार
आज हम इस बात को दृढ़ आत्मविश्वास के साथ कह सकते हैं कि मप्र अब पूरी तरह से बदल चुका है। अब और अधिक ऊंचाइयां तय करने के लिए तैयार है। मप्र के सामने 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य है। भारत के अमृतकाल में मप्र ने भी अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। वर्ष 2047 तक 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का निर्माण करना सर्वोच्च लक्ष्य है। इसे हासिल करते हुए मप्र स्वयं भी पूर्ण रूप से विकसित राज्य बन जाएगा। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से मप्र आज महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिये तैयार है। मप्र अपनी युवा शक्ति के साथ आर्थिक विकास को तेज गति से आगे ले जाने की क्षमता रखता है। मप्र की धरा पर हर जरूरी संसाधन है जो विकास के लिए आधार स्तंभ हैं। कृषि क्षेत्र में खाद्यान्न, दलहन उत्पादन में अग्रणी राज्य में है। आधुनिक सिंचाई की आदर्श संरचनाएं स्थापित है। बिजली की भरपूर उपलब्धता है। ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार और पर्याप्त औद्योगिक निवेश है। उद्योगों के लिए 1.2 लाख एकड़ से ज्यादा लैंड-बैंक है। वर्तमान में 112 से ज्यादा औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहे हैं । साथ ही 14 ग्रीन फील्ड औद्योगिक स्थलों की भी पहचान की गई है। उद्योगों के लिए सबसे जरूरी आकर्षक नीतियां मप्र ने बनाई है, जिससे प्रदेश में व्यवसाय करना बहुत आसान हो गया है। प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि के लिए मप्र विख्यात है। यहां की जमीन उपजाऊ है, जल संसाधनों की कमी नहीं है। भारत की सबसे बड़ी वन संपदा प्रदेश में उपलब्ध है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी है। वर्ष 2029 तक राज्य की जीएसडीपी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र ने एक ऐसे समाज की कल्पना की है जहां गरीब से गरीब व्यक्ति भी समृद्ध हो।
संपूर्ण विकसित मप्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य को आर्थिक विकास, भौतिक अधोसंरचना, सामाजिक अधोसंरचना निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयास करने होंगे। इसके लिए इसी वर्ष चार प्रमुख मिशनों को लांच किया गया है। इसका उद्देश्य गरीब, युवा, किसान और नारी शक्ति को सशक्त बनाना है। यह चार मिशन मप्र 2047 के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए आधार स्तंभ साबित होंगे। मप्र उद्योग और सेवाओं पर आधारित अर्थव्यवस्था की संरचना और रणनीति में बदलाव की योजना बना रहा है। अगले 10 वर्षों में राज्य में उद्योग और सेवाओं में वृद्धि होगी क्योंकि निवेश और उत्पादन मप्र देश के निर्माण क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक स्तर पर उत्पादन बढ़ाने और स्थानीय ग्रामीण उद्योगों और एमएसएमई सेक्टर को सशक्त बनाने की ओर हम अग्रसर हैं। स्वदेशी की अवधारणा को मप्र में पल्लवित होने का एक अनुकूल वातावरण मिला है। स्वदेशी अर्थव्यवस्था को अपनाकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में हम सभी स्वदेशी अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सबसे जरूरी कृषि और संबंधित क्षेत्रों के विकास करना, इसके लिए क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देकर किसानों को मदद की जाएगी। एग्रो प्रोसेसिंग हब, कोल्ड चैन, बाजार संपर्क, उत्पादों के मूल संवर्धन को अधिकतम करते हुए एक विस्तृत रोड मैप तैयार किया जाएगा। भौतिक अधोसरंचना में सिंचाई एक बड़ा क्षेत्र है। मप्र की तैयारी है कि 2029 तक शुद्ध बोए गए क्षेत्र में सिंचाई का क्षेत्र 85 प्रतिशत तक पहुंच जाए। इसी प्रकार वर्ष 2030 तक ऊर्जा क्षेत्र में 50 प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। ऊर्जा की वर्तमान स्थापित क्षमता 27109 मेगावाट है जिसे 2029 तक बढक़र 60,000 मेगावाट करना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जिस प्रकार से नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश आ रहा है उससे यह लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाएगा। सामाजिक आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूल शिक्षा में सकल नामांकन दर को 2029 तक 90 प्रतिशत और उच्च शिक्षा में 35 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है। इसी प्रकार स्वास्थ्य सेवा अधोसंरचना को भी निरंतर मजबूत बनाने के प्रयास हैं। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 8000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करने की योजना बना रहे हैं। मप्र खुद को एक क्षेत्रीय चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है जिसमें उज्जैन मेडिसिटी जैसी पहल शामिल है। इसी प्रकार शहरों की अधोसंरचना सुधारने के लिए स्थानीय निकायों को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाया जा रहा है। ग्राम पंचायत को निरंतर सक्षम बनाने का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मूल मंत्र है सबका साथ सबका विकास। इसे आत्मसात करते हुए मप्र विकास की नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार है। नागरिकों के सहयोग से विकास के नए लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन नहीं है। भारत देश परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और साथ ही मप्र भी तेजी से बदल रहा है। एक बार पुन: मप्र स्थापना दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

Related Articles