
- आत्मनिर्भर मप्र की दिशा में नवाचार
मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार कई मोर्चों पर एक साथ काम कर रही है। इस दिशा में सरकार का फोकस धार्मिक पर्यटन पर भी है। इसके लिए प्रदेश में 18 लोकों का निर्माण किया जा रहा है।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मोहन सरकार के प्रयासों के कारण मप्र में धार्मिक पर्यटन देश की आस्था का नया केंद्र बने हुए हैं। महाकाल लोक, ओंकारेश्वर महालोक, श्रीराम वनगमन पथ, देवी लोक, राजा राम लोक, हनुमान जैसी परियोजनाओं ने धार्मिक पर्यटन को आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। वर्ष 2025 में मप्र के सारे धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं से भरे पड़े हैं। इससे माना जा रहा है कि इस साल मप्र में धार्मिक पर्यटन के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे। गौरतलब है कि प्रदेश के धार्मिक स्थलों ने वर्ष 2024 में 10.7 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित किया, जो वर्ष 2023 की तुलना में 21.9 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के शीर्ष 10 पर्यटन स्थलों में से 6 धार्मिक स्थल शामिल हैं। उज्जैन 7.32 करोड़ पर्यटकों के साथ इस सूची में सबसे आगे रहा, जो वर्ष 2023 के 5.28 करोड़ की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक है। चित्रकूट में भी 1 करोड़ से अधिक पर्यटक आए, जो वर्ष 2023 के 90 लाख की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है। मैहर में 1.33 करोड़, अमरकंटक में 40 लाख, सलकनपुर में 26 लाख और ओंकारेश्वर में 24 लाख पर्यटक पहुंचे। मप्र में धार्मिक पर्यटन के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए सरकार 18 लोकों का निर्माण करवा रही है।
मध्य प्रदेश सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई लोक का निर्माण कर रही है, जैसे कि ओरछा में श्रीराम राजा लोक, ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर महालोक, मंदसौर में श्री पशुपतिनाथ लोक, खंडवा में अद्वैत लोक, सीहोर में सलकनपुर देवी लोक , निवाड़ी के ओरछा में रामराजा लोक, सागर में रविदास लोक, सतना में व्यंकटेश लोक, नीमच में भादवा माता लोक, महेश्वर में देवी अहिल्या लोक, खरगोन में नवग्रह लोक, चित्रकूट में वनवासी राम लोक, इंदौर में अहिल्या नगरी लोक, जानापाव में परशुराम लोक, भोपाल में महाराणा प्रताप लोक, नर्मदा नदी के आसपास के क्षेत्र और अमरकंटक के विकास के लिए सीएम ने नर्मदा लोक, हनुमान लोक (पांढुर्णा), जैसे अन्य लोक भी बना रही है। श्रीराम राजा लोक का निर्माण ओरक्षा हो रहा है, जिसमें पहले और दूसरे चरण के काम शामिल हैं। उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर महालोक का निर्माण किया जा रहा है। श्रीराम वन गमन पथ के तहत भगवान राम के वनवास मार्ग को विकसित किया जा रहा है, जिसमें चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थलों का समग्र विकास शामिल है। श्रीकृष्ण पाथेय योजना के तहत उन स्थानों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित है जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े थे। इन परियोजनाओं में 2,200 करोड़ से अधिक का निवेश किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्मारकों का निर्माण शामिल है। इन पहलों का उद्देश्य मध्य प्रदेश को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करना है, जिससे पर्यटकों को आधुनिक और भव्य सुविधाएं मिलें और आध्यात्मिक अनुभव संजो सकें।
धार्मिक पर्यटन पकड़ रहा रफ्तार
मध्य प्रदेश में धार्मिक स्थलों का तेजी से विकास होने से धार्मिक पर्यटन रफ्तार पकड़ रहा है। उज्जैन में महाकाल लोक के कारण देश-विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सवा करोड़ तक पहुंच गई है। इंदौर के खजराना मंदिर, महेश्वर, ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके साथ ही मांडू, खजुराहो, ओरछा समेत अन्य पर्यटन स्थलों पर भी सैलानियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसी को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार पर्यटन की संभावनाओं को लेकर नए-नए क्षेत्र विकसित करने पर जोर दे रही है। महाकाल लोक निर्माण के बाद उज्जैन पहुंचने वालों की संख्या 2023 में 1 करोड़ 12 लाख हो गई है, जो 2022 में मात्र 32 लाख थी। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां जो संख्या 4 साल पहले 25000 श्रद्धालुओं की थी, वह 2022 में ही एक लाख तक पहुंच चुकी थी, लेकिन अब यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ से ऊपर है। उज्जैन में महाकाल मंदिर के अलावा कालभैरव, मंगलनाथ, सान्दीपनी आश्रम और रामघाट जैसे धार्मिक पर्यटन स्थल पर भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। उज्जैन के साथ ही इंदौर में खजराना गणेश मंदिर और महेश्वर और ओंकारेश्वर भी श्रद्धालुओं के पहुंचने के कारण पश्चिम मध्य प्रदेश में तीनों स्थलों श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ी है। खजराना गणेश मंदिर में इस गणेश उत्सव में श्रद्धालुओं की संख्या 15 लाख तक पहुंच गई। खजराना गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट बताते हैं महाकाल लोक बनने के बाद खजराना मंदिर में उज्जैन से लौटने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। गणेश उत्सव के दौरान यहां प्रतिदिन मंदिर पहुंचने वालों की संख्या करीब 1 लाख रही। यही स्थिति महेश्वर और ओंकारेश्वर की है। महाकाल लोक से खजराना, महेश्वर और ओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। इधर, मांडव में भी बढ़ती सैलानियों की संख्या के चलते पर्यटन विभाग मांडव के लिए भी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। पर्यटन निगम की एमडी विदिशा मुखर्जी के मुताबिक मांडव में जल्द ही टेंट सिटी विकसित की जा रही है। जिससे सैलानियों को सुविधाजनक लॉजिंग-बोर्डिंग की व्यवस्था की जा सके। इसके अलावा अन्य पर्यटन केद्रों के लिए भी विकास आधारित योजना तैयार की गई है, जिसमें होमस्टे और जल पर्यटन भी शामिल है।
सरकार का फोकस धार्मिक पर्यटन पर
हिंदुस्तान का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश, अपनी अतुलनीय विविधता और समृद्ध विरासत के साथ पर्यटकों को एक अलग अनुभव प्रदान करता है। यह एक ऐसा राज्य है जहां इतिहास, आध्यात्मिकता, प्रकृति और रोमांच का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। मप्र के पर्यटक स्थलों के प्रति लोगों की बढ़ती रूचि इस क्षेत्र को आगे बढ़ा रही है। आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश धार्मिक, प्राकृतिक और एडवेंचर पर्यटन का केंद्र बनकर उभरेगा। मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड में इवेंट एंड मार्केटिंग के डिप्टी डायरेक्टर युवराज पडोले ने बताया कि एमपी में धार्मिक, प्राकृतिक, सांस्कृतिक पर्यटन पहले से मौजूद है। अब एडवेंचर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2024 में 13.41 करोड़ पर्यटक मध्य प्रदेश पहुंचे थे। पुरातन के साथ नई चीजों को यहां पर जोड़ा जा रहा है। दरअसल, एमपी में राजाओं, राजवंशों और उनकी शानदार वास्तुकला का इतिहास पर्यटकों को मिलता है। खजुराहो को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। खजुराहो के मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और अद्भुत शिल्प कौशल के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। वहीं, सांची भी एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र है। ग्वालियर को किलों का रत्न कहा जाता है। मांडू (मांडवगढ़) को खुशियों का शहर के रूप में प्रसिद्धि मिली है। मांडू अपने अद्भुत महलों जैसे जहाज महल, हिंडोला महल और खूबसूरत तालाबों के लिए जाना जाता है। बेतवा नदी के तट पर स्थित ओरछा अपनी राजपूत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। ट्रेवल एजेंट्स एसोसिएशन आफ इंडिया के चेयरमैन हेमेंद्र सिंह जादौन ने कहा कि मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो हर कदम पर आपको आश्चर्यचकित करता है। यहां एक संपूर्ण पर्यटन मिलता है। पर्यटकों के लिए भारत के हृदय स्थल की यात्रा सबसे यादगार यात्राओं में से एक होती है। पिछले कुछ साल में यहां पर बड़ी होटलें खुली हैं। मध्य प्रदेश होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित सूरी ने कहा कि भविष्य में मप्र धार्मिक, प्राकृतिक और एडवेंचरस पर्यटन के लिए खास पहचान बनाएगा। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, महाकाल और महाकालेश्वर के कारण यहां धार्मिक पर्यटन भी बहुत बढ़ा है। चित्रकूट भगवान राम के वनवास काल से जुड़ा पवित्र स्थान है। इन सब के साथ अब एडवेंचरस एक्टिविटी भी बढ़ रही है। मध्यप्रदेश में एडवेंचर स्पोर्टस को भी बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे आगे पर्यटन की संभावनाएं लगातार बढ़ें। बेतवा नदी रिवर रॉफ्टिंग के लिए आकर्षित कर रही है तो बरगी बांध और हनुमंतिया द्वीप वाटर स्पोट्र्स के लिए खास जगह बना रहे हैं। यहां पर रिवर रॉफ्टिंग, स्पीड बोटिंग, वाटर स्कूटरिंग, पैडल बोटिंग और सेलबोटिंग जैसे एडवेंचर मिल रहे हैं। भेड़ाघाट (जबलपुर) में संगमरमर की चट्टानों के बीच पर्यटक रोपवे और नौका विहार का आनंद लेते नजर आते हैं।
महाकाल लोक की सफलता के बाद मध्य प्रदेश सरकार अब नए सिरे से तीन और धार्मिक पर्यटन स्थल विकसित करने की योजना बना रही है। जिसमें सलकनपुर में देवीलोक, छिंदवाड़ा में हनुमान लोक और ओरछा में राम राजा लोक विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा नर्मदा परिक्रमा और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण होमस्टे को भी विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में पीएम हवाई पर्यटन सेवा की शुरुआत की है, जो भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, ग्वालियर, सिंगरौली और खजुराहो को कनेक्ट करती है। धार शहर के राजाधिराज भगवान धारनाथ के मंदिर को धारेश्वर लोक के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए व्यापाक तैयारियां हो चुकी है। शासन स्तर से तीन करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। इससे मंदिर के पिछले हिस्से में 1500 क्षमता वाला सत्संग भवन बनाया जाएगा। महाकाल लोक की तर्ज पर धारेश्वर लोक निर्माण होना है। इसमें अलग-अलग चरणों में काम पूरा होगा। थ्रीडी वॉक थू प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसके हिसाब से निर्माण होगा। विधायक नीना वर्मा द्वारा इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे थे। उनके द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष भी कई बार मांग रखी गई थी। विधायक ने कहा कि बाबा धारनाथ के आशीर्वाद से शहर विकास की रफ्तार में आगे बढ़ रहा है। धारेश्वर मंदिर जन आस्था का केंद्र भी है। धारेश्वर लोक का निर्माण होने से विशेष पहचान मिलेगी। उन्होंने जनता से अपील की कि वे धारेश्वर लोक निर्माण में सक्रिय रूप से सहभागी बनें और इसे जनआस्था का भव्य प्रतीक बनाने में योगदान दें। पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा ने कहा कि यह लोक आने वाले समय में पर्यटन और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम बनेगा। इस मौके पर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि धारनाथ मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जनभावनाओं का केंद्र भी है। धारेश्वर लोक के रूप में इसका विकास क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को और सशक्त करेगा। हर साल भादौ में बाबा का आकर्षक छबीना निकलता है। जिसमें धारनाथ पालकी में विराजित होकर प्रजा के हाल जानने निकलते हैं। राजनेता से लेकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी बाबा के दरबार में हाजरी लगाते है। मान्यता है कि भगवान धारनाथ की स्थापना राजा भोज द्वारा की गई थी। यह मंदिर हजारों साल पुराना है। मुगल आक्रांताओं ने मंदिर पर आक्रमण कर तोडफोड़ कर नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान धारनाथ के चमत्कार देखकर मुगल शासक उल्टे पैर भाग खड़े हुए।
बनेंगे 25 धार्मिक आध्यात्मिक लोक
मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में धार्मिक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक चेतना के केंद्र, ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों पर 25 लोकों का निर्माण कर रही है। यहां पर्यटक सुविधाएं विकसित करके और देसी विदेशी प्लेटफार्म हो सोशल मीडिया पर उनके प्रचार प्रसार से देशी पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इससे न केवल मध्य प्रदेश में आने वाले पर्यटक बढ़ेगे बल्कि यहां सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी। मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड और पर्यटन निगम मिलकर मध्य प्रदेश की पारंपरिक सांस्कृतिक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरों पर 25 विशेष लोक बना रहा हैं। उज्जैन में महाकाल लोक का विस्तार किया जा रहा है। संघर्ष के हिसाब से यहां रेलवे स्टेशन से ही महाकाल लोक तक सीधे पहुंचने के लिए ब्रिज बनाया जा रहा है। शहर के आसपास बड़े पार्किंग स्थल बनाए जा रहे हैं शहर में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। शिप्रा पर नवीन घाटों का निर्माण किया जा रहा है यहां चेंजिंग रूम बनाए जा रहे हैं आसपास के मंदिरों का जीणोद्धार किया जा रहा है पर्यटकों के ठहरने खाने-पीने से लेकर परिवहन तक की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। पर्यटन और सांस्कृतिक विभाग के प्रमुख सचिव शिवसेखर शुक्ला कहते हैं कि प्रदेश के धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक चेतना के केंद्रों का बृहद स्तर पर पुनरुद्धार और आकर्षक के रूप से प्रस्तुतीकरण अनुभव आधारित पर्यटन को विकसित किया जा रहा है। ताकि हर आयु वर्ग खासतौर पर युवा पीढ़ी को आकर्षित किया जा सके, उन्हें उनके वैभवशाली अतीत से अवगत कराया जा सके। जिससे वे गर्भ का अनुभव कर सके उन्हें समृद्ध संस्कृति से अवगत कराया जा सके। मध्य प्रदेश में आने वाले पर्यटक बढ़ रहे हैं घरेलू पर्यटक बढ़ रहे हैं। विदेशी पर्यटकों का आकर्षित करने पूरी दुनिया में बड़ी प्रदर्शनी और इवेंट में हिस्सेदारी की जा रही है। 25 देश में एबीसी की मदद से प्रचार किया जा रहा है। सोशल मीडिया में देश हमारा ट्विटर हैंडल सर्वाधिक पसंद किया जा रहा है। सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है आने वाले समय में यहां पर्यटक काफी संख्या में बढ़ेंगे।
करोड़ों की परियोजनाएं प्रगति पर
अपर मुख्य सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिव शुक्ला ने जानकारी दी कि स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत चित्रकूट में 27.21 करोड़ रुपये, कामदगिरि परिक्रमा पथ विकास के लिए 36.84 करोड़ रुपये और अन्य स्मारक कार्यों के लिए 72 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर 64.77 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य संचालित हैं। वहीं ओरछा में श्रीराम राजा लोक निर्माण के पहले और दूसरे चरण सहित सात परियोजनाओं पर 239.87 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से कार्य चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्रीराम पथ गमन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सरकार ने श्रीराम पथ गमन न्यास का गठन किया है। सीएम ने निर्देश दिए कि श्रीराम पथ गमन निर्माण से पहले परिक्रमा पथ को प्राथमिकता से तैयार किया जाए। इससे चित्रकूट की व्यापक पहचान देश और विदेश में होगी। उन्होंने कहा कि चित्रकूट के घाटों पर श्रद्धालुओं को ऐसा आध्यात्मिक अनुभव होना चाहिए, जो उनके मन पर गहरी छाप छोड़े। सरकार के सभी प्रयास इसी दिशा में होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्रकूट के समग्र विकास के लिए धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को जोड़ा जाए। बड़ी कंपनियों के सीएसआर फंड से भी यहां सेवा गतिविधियां संचालित की जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सोमवती अमावस्या पर उमडऩे वाली भारी भीड़ के प्रबंधन के लिए माइक्रो प्लानिंग की जाए। चित्रकूट नगर परिषद क्षेत्र में नगरीय विकास से जुड़े कार्य प्राथमिकता पर किए जाएं और नगर का सौंदर्यीकरण ऐसा हो कि वह और अधिक सुंदर, नियोजित और व्यवस्थित नजर आए।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि चित्रकूट में घाटों के विस्तार और सौंदर्यीकरण के लिए आसपास की निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। नगर परिषद चित्रकूट और एमपी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी द्वारा पिछले 10 वर्षों में 25.46 करोड़ रुपये के कार्य पूरे किए जा चुके हैं। वर्तमान में 80.33 करोड़ रुपये के कार्य प्रगतिरत हैं और 34.21 करोड़ रुपये के कार्य प्रस्तावित हैं। संस्कृति विभाग द्वारा ‘श्रीराम पथ गमन’ स्थलों की बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से समन्वय किया जा रहा है। प्रमुख सचिव लोक निर्माण सुखवीर सिंह ने बताया कि 34.30 किलोमीटर लंबाई की सडक़ों पर 117.79 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रस्तावित हैं। इनमें से 7.5 किलोमीटर मार्गों की स्वीकृति लेकर निविदा जारी की जा चुकी है, जबकि 14 किलोमीटर मार्ग के लिए वित्तीय समिति की स्वीकृति हो चुकी है। पर्यटन विभाग ने बताया कि अमरकंटक में भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत 50 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य पूरे किए जा चुके हैं। इनका संचालन स्थानीय निकायों और ट्रस्ट समितियों को सौंपा जाएगा। कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर 36.84 करोड़ रुपये, पन्ना जिले के बृहस्पति कुंड पर 7.96 करोड़ रुपये और कैंटिलीवर ग्लास ब्रिज पर भी काम प्रगति पर है। सतना के सरभंग आश्रम में 92.78 लाख और पन्ना जिले के अगस्त्य मुनि आश्रम में 3.95 करोड़ रुपये की लागत से कार्य पूर्ण हो चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि श्रीराम का नाम ही काफी है। यथा नाम तथा गुण। राम अपने गुणों से, अपने आचरण से, अपनी पितृभक्ति से और प्रजाजन का पालनहार बनकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम बने। ओरछावासी बड़े ही भाग्यशाली हैं कि भगवान श्रीराम ने अपने दरबार के लिए ओरछा को चुना। ओरछा के लोगों को हर दिन अवधपति श्रीराम राजा सरकार के दरबार दर्शन का पुण्य मिलता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को निवाड़ी जिले के ओरछा में श्रीराम राजा लोक के दूसरे चरण के निर्माण कार्यों के भूमिपूजन सहित अन्य विकास कार्यों के भूमिपूजन एवं लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूर्ण विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर श्रीराम राजा लोक में दूसरे चरण के निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया। इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ओरछा के प्रमुख मंदिर पहुंचकर श्रीराम राजा सरकार के दरबार में दर्शन कर पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री ने श्रीराम राजा लोक के भव्य निर्माण के लिए पहले चरण में मंजूर एवं वर्तमान में निर्माणाधीन कार्यों का मौके पर जाकर अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ओरछा के साथ चित्रकूट में भी करीब 2200 करोड़ रूपए के निर्माण कार्य चल रहे हैं। श्रीराम वन गमन पथ और श्रीकृष्ण के लीला स्थलों को तीर्थ क्षेत्र बनाया जाएगा। इसके लिए सरकार ने राशि मंजूर कर दी है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम एवं एक एनजीओ के बीच करार की प्रक्रिया पूरी होने पर संस्था को लेटर ऑफ अवार्ड भी प्रदान किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अयोध्या और ओरछा का 500 साल से अधिक पुराना नाता है। ओरछा के बुंदेला शासक मधुकर शाह की महारानी कुंवरि गणेश जो भगवान श्रीराम की उपासक थीं, 16वीं शताब्दी में भगवान श्रीराम को अयोध्या से लेकर ओरछा आई थीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ओरछा में जिस रूप में श्रीराम राजा पूजे जाते हैं, वैसे कहीं और नहीं पूजे जाते। उन्होंने ओरछा के विषय में बताया कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम अपना दिन ओरछा में ही बिताते हैं, केवल शयन करने के लिए ही अयोध्या जाते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रभु श्रीराम की अनंत कृपा से हम ओरछा में एक दिव्य और भव्य श्रीराम राजा लोक का निर्माण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मैहर में माँ शारदा देवी का भव्य शारदा लोक का निर्माण किया जायेगा। इसी तरह चित्रकूट में वनवासी भगवान श्रीराम लोक का भी निर्माण होगा। मैहर में 250 एकड़ क्षेत्र में विशाल गौशाला का निर्माण भी किया जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि माँ शारदा की कृपा से मैहर जिले को मॉडल के रूप में विकसित किया जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि डबल इंजन की सरकार से देश और प्रदेश तेजी से विकास कर रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों से देश की हर कठिनाई दूर हो रही है। कश्मीर में धारा-370 को समाप्त कर आतंकवादियों की कमर तोडऩे के साथ विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। अब तो पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत में मिलने की माँग कर रहा है। यह प्रधानमंत्री मोदी के जन-कल्याणकारी नीति, सुव्यवस्था और विकास के कार्यों के प्रति जनता का विश्वास है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश तेजी से विकास कर रहा है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 के पहले औद्योगिक विकास दर 1 प्रतिशत से भी कम थी। आज औद्योगिक विकास दर 12 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश देश में सबसे तेजी से औद्योगिक विकास करने वाला राज्य है। हर संभाग मुख्यालय में इन्वेस्टर्स मीट में औद्योगिक क्षेत्र में निवेश के बडे प्रस्ताव मिले है। औद्योगिक विकास के लिए मैहर में नवीन संस्थानों की स्थापना की जायेगी। ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश में 32 लाख सोलर पंप लगाकर किसानों को मुफ्त में बिजली देंगे। किसानों के पास यदि उनके उपयोग से अधिक बिजली पैदा हुई तो उसे खरीदकर रूपये भी सरकार देगी।
सरयू के तर्ज पर विकसित होगा नर्मदा तट
जबलपुर में मां नर्मदा के तटों को अब सरयू की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसका भूमिपूजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि मां नर्मदा की हर लहर में आस्था, संस्कृति और जीवन की धारा बहती है। जबलपुर का गौरीघाट मां नर्मदा की गोद में स्थित है, जहां की शांत लहरें श्रद्धालुओं को शांति और शक्ति दोनों प्रदान करती हैं। यहां स्नान, पूजा और ध्यान की गहरी पवित्रता समाई हुई है। राकेश सिंह ने कहा कि गौरीघाट केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक पर्यटन का गौरव भी है। इसी कारण नर्मदा तट के घाटों को सरयू नदी के घाटों की तर्ज पर सुंदर और सुसज्जित रूप में विकसित किया जाएगा।
मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि वर्तमान में नर्मदा घाट क्षेत्र अत्यधिक भीड़भाड़ वाला हो गया है, जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण यातायात अव्यवस्थित रहता है, जो न केवल आवागमन में बाधा डालता है बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करता है। उन्होंने कहा कि घाटों पर पूजन सामग्री और अपशिष्ट फैले रहने से स्वच्छता प्रभावित होती है। इससे मां नर्मदा की पवित्रता और गरिमा को भी ठेस पहुंचती है। इन सब कारणों से घाटों का सुव्यवस्थित और समग्र विकास आवश्यक है। मंत्री सिंह के अनुसार, पहले चरण में खारीघाट, दरोगा घाट, ग्वारीघाट, उमा घाट, सिद्धघाट और जिलहरीघाट को आपस में जोडक़र सरयू घाटों की तर्ज पर एक समान और आकर्षक रूप में विकसित किया जाएगा। खारीघाट पर अब खारी विसर्जन के लिए विशेष जलकुंड बनाया जाएगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाट पर उतरने हेतु व्यवस्थित सीढिय़ां, नीचे चेंजिंग रूम, तीर्थ पुरोहितों के बैठने की व्यवस्था और मुंडन स्थल तैयार किया जाएगा। इसके अलावा, श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक छोटा नाव घाट भी विकसित किया जाएगा। बता दें, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के अनुरोध पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर के घाटों को सरयू नदी की तर्ज पर विकसित करने की घोषणा की थी।
