
- प्रदेश के विकास में उद्यानिकी का महत्वपूर्ण योगदान
किसी भी देश या प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक विकास की गति किसानों के उत्थान से ही संभव हो सकती है। इसके लिए प्रदेश के विकास में उद्यानिकी भी महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार उद्यानिकी को प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण आधार बनाना चाहती है। ताकि आत्मनिर्भर मप्र में किसान अहम भूमिका निभा सकें।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में वर्तमान सरकार परिणाम देने वाली नीतियों पर काम कर रही है। सरकार की ऐसी नीतियों के माध्यम से उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के नए अध्याय लिखा जा रहा है। मप्र में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, उद्यानिकी फसलें किसानों की आय को आसानी से दोगुना करने में सहायक होती हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खाद्य प्र-संस्करण की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को उद्यानिकी फसलों की खेती और खाद्य प्र-संस्करण के नए तरीकों से अवगत कराया जा रहा है। वर्तमान में मप्र उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में देश में अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। प्रदेश संतरा, धनिया मसाले तथा औषधीय एवं सुगंधीय पौधे उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। इसके अतिरिक्त प्रदेश टमाटर, लहसुन, हरी मटर, अमरूद ,फूल गोभी, मिर्च एवं प्याज उत्पादन में दूसरे तथा नीबू वर्गीय फल, लाल मिर्च, बंद गोभी एवं फूल उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। राज्य में उद्यानिकी का रकबा बढक़र लगभग 27 लाख हेक्टेयर हो गया है। राज्य सरकार की नीतियों से प्रदेश में उद्यानिकी के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। इस कारण रकबा 2019-20 में 21.75 लाख हेक्टेयर से बढक़र 2023-24 में 26.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। लगभग 23.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्पादन भी लगभग 27 फीसदी बढ़ा है। वर्ष 2019-20 में जो उत्पादन 317.36 लाख मी. टन था, जो बढक़र अब 404.24 लाख मी. टन हो गया है।
किसानों को उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग द्वारा फूड प्रोसेसिंग इकाईयां स्थापित करने के लिए अनुदान दिया जाता है। सरकार से अनुदान लेकर किसान फूड प्रोसेसिंग इकाईयां स्थापित कर सकते हैं। साथ ही अनुदान के आधार पर किसान छोटे, मध्यम और बड़े कोल्ड स्टोर भी स्थापित कर सकते हैं। खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में मप्र अपने समृद्ध कृषि संसाधन और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का उपयोग कर, 8.3 प्रतिशत की औसत /वार्षिक दर से बढ़ रहा है, जो देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. उद्यानिकी उत्पादों के सुरक्षित भंडारण के लिए 21530.26 लाख रुपए की अनुदान सहायता से 183 कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कर 8.05 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता विकसित की गई है। वहीं प्याज भंडारण के लिए 23667.71 लाख रुपए का अनुदान देकर 66500 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता किसानों के खेतों पर निर्मित की गई है। प्रदेश में बागवानी को शिखर पर ले जाने के प्रयासों में राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना (पीएमएफएमसी) पर ड्रॉप मोर क्रॉप (पीपीएमसी), एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाय) के तहत वर्ष 2024-25 में 528 करोड़ 91 लाख रुपए की कार्ययोजना मंजूर की गई है। राज्य में उद्यानिकी उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए 16 विभिन्न बागवानी उत्पादों को जीआई टैग के लिए पंजीयन कराया गया है।
किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस
मप्र सरकार किसानों की आय वृद्धि और कृषि क्षेत्र के समग्र विकास को गति देने के उद्देश्य से राज्य के सभी संभागों में किसान मेलों का आयोजन करने जा रही है। इन मेलों के माध्यम से किसानों को कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, उद्यानिकी, पशुपालन और नवीनतम तकनीकों से जोडऩे की पहल की जा रही है। इस श्रृंखला का पहला मेला तीन मई को मंदसौर (उज्जैन संभाग) में आयोजित किया जाएगा। मेलों में प्रदर्शनी, तकनीकी सत्र और योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ किसानों की समस्याओं के समाधान की भी व्यवस्था रहेगी। राज्य सरकार ने एक वर्ष में 10 लाख सोलर पंप लगाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है, जिससे किसानों को सस्ती और सतत ऊर्जा उपलब्ध कराई जा सकेगी। इसके लिए राज्यव्यापी अभियान चलाकर किसानों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। इसके अलावा अक्टूबर में एक राज्य स्तरीय किसान मेला भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें कृषि क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों, तकनीकों और नवाचारों को प्रदर्शित किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत मप्र कृषक कल्याण मिशन के अंतर्गत कृषि से जुड़े सभी विभागों की योजनाओं को एकीकृत मंच पर क्रियान्वित किया जाएगा। यह मिशन किसानों, गौ-पालकों और कृषि आधारित उद्यमों के लिए अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ कुपोषण उन्मूलन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम है। देश और प्रदेश की उन्नति सर्वोपरि है। इसके लिए किसानों को आर्थिक दृष्टि से सशक्त करना आवश्यक है, जिससे किसान संपन्न हो सकें और देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा सकें। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि किसी भी देश या प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक विकास की गति किसानों के उत्थान से ही संभव हो सकती है। इसके लिए प्रदेश के विकास में उद्यानिकी भी महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है। इसके लिये नवाचार और तकनीकी सुधार किये जा रहे है। देश के 10 प्रतिशत क्षेत्रफल वाले राज्य मप्र में देश की लगभग 7 प्रतिशत आबादी निवास करती है। यहां 11 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों का उत्पादन किया जाता है। राज्य की कृषि उपज में विविधता मुख्यत: नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। सूक्ष्म सिंचाई द्वारा राज्य में 14 हजार 900 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर लगाए गए हैं, जिसमें लगभग 12 हजार 790 हितग्राहियों को 114 करोड़ 76 लाख रुपए का अनुदान दिया गया है। इजराइल तकनीक के समन्वय से प्रदेश में मुरैना में उच्च गुणवत्ता वाली सब्जी के लिए, छिंदवाड़ा में नींबूवर्गीय फसलों के लिए तथा हरदा में निर्यात करने लायक आम एवं सब्जी सेन्टर की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए 14 करोड़ 74 लाख की योजना का अनुमोदन किया गया है।
ई-नर्सरी पोर्टल
प्रदेश सरकार की नई पहल ई-नर्सरी पोर्टल से घर, गार्डन या खेतों में उत्तम गुणवत्ता के पौधे लगाने के लिये, अच्छे और स्वस्थ पौध के लिये अब नर्सरी के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है। उद्यानिकी विभाग द्वारा ई-नर्सरी पोर्टल पर 300 से अधिक नर्सरियों की जानकारी ऑनलाईन उपलब्ध करवाई गई है। इससे पौधों का क्रय-विक्रय आसानी से किया जा सकता है। 24 बागवानी उत्पाद जिनकी खेती आमतौर पर राज्य भर में की जाती है, जिनमें कोदो-कुटकी, बाजरा, संतरा/नींबू, सीताफल, आम, टमाटर, अमरूद, केला, पान, आलू, प्याज, हरी मटर, मिर्च, लहसुन अदरक, धनिया, सरसों, गन्ना, आंवला और हल्दी शामिल हैं। छिंदवाड़ा, आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, मंदसौर, बैतूल और सीहोर जैसे जिले संतरे के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं जो संतरे के प्र-संस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए आदर्श हैं। इसी तरह बैतूल, कटनी, अनूपपुर, रीवा, सिंगरौली और रायसेन जिले जो आम की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं, वहां कई आम आधारित खाद्य प्र-संस्करण उद्योग हैं जो स्थापित होने के विभिन्न चरणों में हैं। मप्र उद्यानिकी विभाग को उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार एवं प्रशंसा-पत्र भी प्राप्त हुए हैं। जुलाई 2024 को प्रगति मैदान नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एग्री एवं हार्टी एक्सपो-2024 में उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग मप्र को सर्वोत्तम बागवानी पद्धतियों और सब्जियों एवं ताजे फलों को बढ़ावा देने के लिए प्रथम पुरस्कार मिला। एमपीएफएसटीएस पोर्टल के संचालन के लिए वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर स्कॉच पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय कृषि तथा उद्यानिकी एक्सपो-2023 में ‘एक्सीलेंस अवॉर्ड, नेशनल ओडीओपी अवॉर्ड सेरेमनी-2023 में प्रदेश के बुरहानपुर जिले को केला उत्पादन तथा प्र-संस्करण में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया। वहीं वर्ष 2022-23 में ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना के तहत बेहतर क्रियान्वयन के लिए उद्यानिकी विभाग को स्कॉच अवार्ड प्राप्त हुआ। प्रदेश में फसल क्षेत्र का विस्तार और उत्पादन में सुधार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पौधों और उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। उत्पादन के पहले और बाद में प्रबंधन तकनीकों के जरिए फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बेहतर बनाना, फसल के उचित मूल्य के लिए खाद्य प्र-संस्करण और विपणन के साधनों में सुधार, अत्याधुनिक कृषि तकनीकों के जरिए संरक्षित खेती को बढ़ावा देना, किसानों को तकनीकी और वित्तीय समर्थन एवं कृषि और संबंधित क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए समन्वय करना आदि चहुँमुखी प्रयासों से उद्यानिकी विभाग द्वारा कृषकों को अधिकतम लाभ पहुँचाने और आमदनी दोगुनी करने का कम कर रही है।
विकास में बागवानी की भूमिका भी महत्वपूर्ण
देश और प्रदेश की तरक्की सर्वोपरि है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए, ताकि वे समृद्ध बनें और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि किसी भी देश या राज्य के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की गति किसानों के उत्थान से ही बढ़ सकती है। उद्यानिकी भी प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। इसके लिए नवाचार और तकनीकी सुधार किए जा रहे हैं। देश के 10 प्रतिशत क्षेत्रफल वाले राज्य मप्र में देश की लगभग 7 प्रतिशत आबादी निवास करती है। यहां 11 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश में कृषि उपज की विविधता मुख्य रूप से नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में वर्तमान सरकार परिणाम देने वाली नीतियों के माध्यम से उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में नवाचार और तेजी से प्रगति कर रही है। राज्य भर में आमतौर पर उगाए जाने वाले 24 बागवानी उत्पादों में कोदो-कुटकी, बाजरा, संतरा/नींबू, सीताफल, आम, टमाटर, अमरूद, केला, पान, आलू, प्याज, हरी मटर, मिर्च, लहसुन अदरक, धनिया, सरसों, गन्ना, आंवला और हल्दी शामिल हैं। छिंदवाड़ा, आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, मंदसौर, बैतूल और सीहोर जैसे जिले संतरे के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं जो संतरे के प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए आदर्श हैं। इसी तरह, बैतूल, कटनी, अनूपपुर, रीवा, सिंगरौली और रायसेन जिले जो आम की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं, में कई आम आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित होने के विभिन्न चरणों में हैं। मप्र में बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि ये फसलें किसानों की आय को आसानी से दोगुना करने में सहायक होती हैं। खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को बागवानी फसलों की खेती और खाद्य प्रसंस्करण के नए तरीकों से अवगत कराया जा रहा है। वर्तमान में मप्र बागवानी फसलों के उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में से एक बन गया है। संतरा, धनिया, मसाले और औषधीय एवं सुगंधित पौधों के उत्पादन में राज्य पहले स्थान पर है। इसके अलावा टमाटर, लहसुन, हरी मटर, अमरूद, फूलगोभी, मिर्च और प्याज के उत्पादन में राज्य दूसरे स्थान पर है और खट्टे फल, लाल मिर्च, गोभी और फूलों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में बागवानी का रकबा बढक़र लगभग 27 लाख हेक्टेयर हो गया है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में बागवानी की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। इसके कारण रकबा 2019-20 में 21.75 लाख हेक्टेयर से बढक़र 2023-24 में 26.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसमें लगभग 23.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्पादन में भी लगभग 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में उत्पादन 317.36 लाख मीट्रिक टन था, जो अब बढक़र 404.24 लाख मीट्रिक टन हो गया है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा किसानों को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए अनुदान दिया जाता है। किसान सरकार से अनुदान लेकर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। साथ ही अनुदान के आधार पर किसान छोटे, मध्यम और बड़े कोल्ड स्टोर स्थापित कर सकते हैं। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में मप्र अपने समृद्ध कृषि संसाधनों और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का उपयोग करते हुए औसतन/वार्षिक 8.3 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है, जो देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उद्यानिकी उत्पादों के सुरक्षित भंडारण के लिए 21530.26 लाख रुपये की अनुदान सहायता से 183 कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कर 8.05 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता विकसित की गई है। जबकि प्याज भंडारण के लिए 23667.71 लाख रुपये का अनुदान देकर किसानों के खेतों में 66500 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता बनाई गई है।
खाद्य प्र-संस्करण हब के रूप में उभरा मप्र
उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में जिस गति से मप्र ने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है, उससे प्रदेश की उद्यानिकी फसलों के प्रति देश और विदेशों में खासी मांग भी बढ़ रही है। इससे प्रदेश के किसानों को आर्थिक संबल भी मिल रहा है। मप्र उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण का मुख्य हब बन कर उभरा है। गत फरवरी माह में भोपाल में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेशकों से उद्यानिकी क्षेत्र में 4 हजार करोड़ रूपये से अधिक का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। यह निवेश प्रस्ताव मप्र के उद्यानिकी क्षेत्री में हुए नवाचारों और बड़े पैमाने पर हो रहे उत्पादन को दर्शाता हैं। मप्र में गत 5 वर्षों में उद्यानिकी के रकबा में 23.72 प्रतिशत वृद्धि हुई। वर्ष 2019-20 में उद्यानिकी फसलों का रकबा 21.75 लाख लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 2023-24 में बढक़र 26.91 लाख हैक्टेयर हो गया है। मप्र में गत 20 वर्षों में छोटे के साथ बड़ी कृषि-जोत रखने वाले किसान भाइयों ने कैश-क्रॉप के रूप में उद्यानिकी फसलों को लेना शुरू कर दिया है इस कारण उद्यानिकी फसलों (फल, सब्जी, मसाला पुष्प एवं औषधियों) का रकबा 4 लाख 67 हजार हैक्टेयर से 27 लाख 71 हजार हैक्टेयर यानिकी लगभग 500 प्रतिशत की तथा उत्पादन 35 लाख 40 हजार मीट्रिक टन से बढक़र 417 लाख 89 हजार मीट्रिक टन हो गया। इस तरह उत्पादन में 1000 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप मप्र उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण का मुख्य हब बन रहा है। मप्र की जलवायु उद्यानिकी फसलों के लिये अनुकूल होने के साथ सिंचाई सुविधाएं भी अन्य राज्यों से बेहतर है। प्रदेश का कुल उद्यानिकी रकबा का 5 लाख 54 हजार हैक्टेयर मप्र में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हैक्टयर है, जो देश की उद्यानिकी फसलों की औसत उत्पादकता 12.19 टन प्रति हैक्टेयर से 23.21 प्रतिशत अधिक है। खाद्यान फसलों की उत्पादकता 2.82 टन प्रति हैक्टेयर की तुलना में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हैक्टेयर है, जो 5 गुनी से अधिक है।
आने वाले वर्षों में मप्र में उद्यानिकी (बागवानी) प्रदेश के किसानों की आय का मुख्य घटक बनकर उभरेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो सपने को सकार करने के लिये परियोजनाओं को धरातल पर लाने का प्रयास प्रारंभ किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल मिले जल हमारा तुम्हारा के प्रयास पर मप्र में 24 हजार 293 करोड़ की अनुमानित लागतसे केन-बेतवा लिंक परियोजना, 35 हजार करोड़ की लागत से पार्वती-कालीसिंध-चम्बल अन्तर्राज्यीय नदी लिंक परियोजनाओं का कार्य प्रारंभ हो चुका है। ताप्ती नदी बेसिन मेगा रिचार्ज योजना महाराष्ट्र सरकार के साथ प्रारंभ किया जा रहा है। साथ ही वर्ष 2025-26 में 19 वृहद एवं मध्यम तथा 87 लघु सिंचाई परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं। इन परियोजनाओं से प्रदेश के सिंचित रकबे में आशातीत वृद्धि होगी। उद्यानिकी विभाग द्वारा भी किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रयासों के तहत ड्रिप/स्प्रिकंलर संयंत्र करने के लिये अनुदान देकर प्रोत्साहित किया जा रहा हौ। प्रदेश में 22 हजार 167 हितग्राहियों 130 करोड़ रूपये का अनुदान प्रदान कर 26 हजार 355 हैक्टेयर फसलों को बेहतर सिंचाई सुविधा मुहैया कराई गई है। पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना के तहत राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत वर्ष 2025-26 के लिये 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन सभी प्रयासों के परिणाम स्वरूप ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा आगामी 5 वर्षों में उद्यानिकी फसलों का रकबा 26.91 लाख हैक्टेयर से बढ़ाकर 33 लाख 91 हजार हैक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की पूर्ति में उद्यानिकी विभाग के प्रयास सराहनीय है। जिला स्तर की 40 नर्सरियों और ई-नर्सरी को हाईटेक बनाया गया है, पौधे के लिये ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त पड़ी सरकारी जमीनों पर नई नर्सरी पीपीपी मोड पर विकसित करने के निर्देश दिये है।
उद्यानिकी फसलों के लिए पृथक मंडी
प्रदेश में उद्यानिकी फसलों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उद्यानिकी फसलों के लिए पृथक उद्यानिकी उपज मंडी बनाई जाएगी। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह का कहना है कि उद्यानिकी फसलों के उत्पादक कृषकों को उनकी फसल का उचित दाम दिलावाने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा पृथक से उद्यानिकी फसल उपज मंडी बोर्ड बनाने पर कार्य प्रारंभ किया गया है। प्रदेश की ऐसी प्रमुख 11 कृषि उपज मंडी इंदौर, बुरहानपुर, शाजापुर, मंदसौर, उज्जैन, बदनावर, रतलाम, नीमच, भोपाल, जावरा और शुजालपुर, जिनमें एक लाख टन से अधिक उद्यानिकी फसलों की आवक होती है, ऐसी मंडियों में प्रथम चरण में बोर्ड बनावर उद्यानिकी फसलों के विक्रय के लिये पृथक से परिसर बनेगा। मंत्री कुशवाह ने निर्देश दिए हैं कि संचालक उद्यानिकी, प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड प्रबंध संचालक एमपी एग्रो एवं विशेषज्ञों की टीम एक माह में विस्तृत सर्वे कर सलाहकार बोर्ड के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। कुशवाह ने कहा यह उद्यानिकी उपज मंडी पूर्णत: हाईटैक होंगी, जिनमें फसल उत्पादक किसान सीधा उपभोक्ताओं को अपनी फसल का विक्रय कर सकेगा। यह व्यवस्था बिचौलियों से मुक्त होगी। वर्तमान में मप्र कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के अधीन मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड का गठन किया गया है। इनमें कृषि और उद्यानिकी का फसलों का क्रय-विक्रय एक ही परिसर में किया जाता है। प्रदेश की 25, कृषि उपज मंडी समिति है इनमें फल-सब्जियों के विक्रय के लिये 174 मंडियाँ अधिसूचित है। नवीन व्यवस्था लागू हो जाने पर फल-फूल सब्जी फसल के लिये पृथक नवीन परिसर बनाये जाएगें। प्रस्तावित मंडियों में ग्रेडिंग, सोर्टिग, पैकिंग, पैकहाउस, कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चैन, भंडारण आदि सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
मप्र में बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि ये फसलें किसानों की आय को आसानी से दोगुना करने में सहायक होती हैं। खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को बागवानी फसलों की खेती और खाद्य प्रसंस्करण के नए तरीकों से अवगत कराया जा रहा है। वर्तमान में मप्र बागवानी फसलों के उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में से एक बन गया है। संतरा, धनिया, मसाले और औषधीय एवं सुगंधित पौधों के उत्पादन में राज्य पहले स्थान पर है। इसके अलावा टमाटर, लहसुन, हरी मटर, अमरूद, फूलगोभी, मिर्च और प्याज के उत्पादन में राज्य दूसरे स्थान पर है और खट्टे फल, लाल मिर्च, गोभी और फूलों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में बागवानी का रकबा बढक़र लगभग 27 लाख हेक्टेयर हो गया है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में बागवानी की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। इसके कारण रकबा 2019-20 में 21.75 लाख हेक्टेयर से बढक़र 2023-24 में 26.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसमें लगभग 23.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्पादन में भी लगभग 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में उत्पादन 317.36 लाख मीट्रिक टन था, जो अब बढक़र 404.24 लाख मीट्रिक टन हो गया है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा किसानों को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए अनुदान दिया जाता है। किसान सरकार से अनुदान लेकर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। साथ ही अनुदान के आधार पर किसान छोटे, मध्यम और बड़े कोल्ड स्टोर स्थापित कर सकते हैं। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में मप्र अपने समृद्ध कृषि संसाधनों और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का उपयोग करते हुए औसतन/वार्षिक 8.3 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है, जो देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उद्यानिकी उत्पादों के सुरक्षित भंडारण के लिए 21530.26 लाख रुपये की अनुदान सहायता से 183 कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कर 8.05 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता विकसित की गई है। जबकि प्याज भंडारण के लिए 23667.71 लाख रुपये का अनुदान देकर किसानों के खेतों में 66500 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता बनाई गई है।
मप्र में निवेश की अपार संभावनाएं
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कृषि, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में मप्र में निवेश की अपार संभावनाएँ हैं। मप्र निवेश के लिए आवश्यक अधोसंरचना के साथ एक लाख हैक्टेयर का लैण्ड बैंक रखने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत टमाटर, मटर, प्याज, लहसुन, मिर्च, गेहूं और चावल उत्पादन में देश अग्रणी है। कृषि-उद्यानिकी उत्पादन की प्रचुर मात्रा में उत्पादन से किसान को फसल का भरपूर दाम नहीं मिल पाता है। इसलिए आवश्यक है कि प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाए। इससे फसलों का वैल्यू एडीशन होगा। किसान और उत्पादक इकाई, दोनों लाभान्वित होंगे। इसी तरह भारत पूरी दुनिया में फूड प्रोसेसिंग के लिये वर्ल्ड लीडर बन सकता है। शिवराज का कहना है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिये बीज और पौध की नवीन किस्म विकसित करवा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के कृषि उत्पादन को विदेशों में बेहतर मांग मिल सके, इसके लिये भारत सरकार द्वारा चावल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी शून्य कर दी है। साथ ही ऑइल पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दी है। इसका लाभ देश की फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को मिलेगा। उन्होंने सभी निवेशकों को मप्र में निवेश के लिये भरपूर सहयोग का आश्वासन भी दिया। उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह का कहना है कि मप्र, अपनी समृद्ध कृषि, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण क्षमताओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। प्रदेश के उद्यानिकी उत्पादों ने देश में अलग पहचान बनायी है। प्रदेश के 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इसे आगामी 5 वर्षों में बढ़ाकर 32 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 400 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 500 लाख टन करने का लक्ष्य रखा गया है। देश के कुल जैविक उत्पादन में मप्र की भागीदारी 40 प्रतिशत है। प्रदेश का रियावन लहसुन और सुंदरजा आम विश्व बाजार में अपनी अलग पहचान रखता है। हमारी सरकार ने कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में विशेष निवेश योजनाओं को लागू करते हुए ‘एक जिला-एक उत्पाद’ पहल के तहत 52 जिलों की विशिष्ट फसलें चिन्हित की हैं। राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नवीन निवेश नीतियों को निवेशकों के अनुकूल बनाया गया है। साथ ही इन नीतियों के निर्धारण के लिये निवेशकों के सुझाव भी राज्य सरकार द्वारा खुले मन से आमंत्रित किये गये हैं। निवेश प्रोत्साहन के लिये सिंगल विण्डो प्रणाली रखी गयी है, जिसमें भूमि का आवंटन एवं सभी प्रकार की अनुमतियां कम से कम समय में मिल सकेंगी। किसानों की आय, रोजगार, निवेश तथा निर्यात में वृद्धि राज्य सरकार का संकल्प है।
उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में प्रदेश की स्थिति की बात करें तो मप्र संतरा, मसाले लहसुन, अदरक और धनिया के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। मटर, प्याज, मिर्च, अदरक में दूसरे तथा फूल, औषधियों एवं सुगंधित पौधों के उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में फसलों का रकबा भागीदरी फल 4.61 लाख हैक्टेयर, सब्जी 12.40 लाख हैक्टेयर, मसालें 8.99 लाख हैक्टेयर, पुष्प 14 हजार हैक्टेयर तथा औषधी एवं सुंगधित पौधे 48 हजार हैक्टेयर में पैदा किये जा रहे है। राज्य सरकार उद्यानिकी फसलों को प्रोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास कर रही है, फसलों को वैश्विक पहचान-त्रढ्ढ टैग दिलाने के प्रयास जारी है। प्रदेश के रीवा के सुंदरजा आम और रतलाम के रियावन लहसुन को त्रढ्ढ ञ्जड्डद्द मिल चुका है। प्रदेश की 15 उद्यानिकी फसलें इनमें खरगौन की लालमिर्च, जबलपुर की मटर, बुरहानपुर का केला, सिवनी का सीताफल, नरसिंहपुर (बरमान) का बैंगन, बैतूल का गजरिया आम, रतलाम की बालम ककड़ी, जबलपुर का सिंघाड़ा, इंदौर का जीरा, धार की खुरासानी इमली, इंदौर के मालवी गराडू, देवास के मावाबाटी और सतना की खुरचन को भी वैश्विक पहचान त्रढ्ढ दिलाने के प्रयास किया जा रहा है। उत्पादित फसलों की वैल्यू एडिशन (मूल्य वर्धन) के लिये आवश्यक है कि उत्पादित फसलों की प्रोसेसिंग कर बाजार में भेजा जाये। इससे किसान को भी अच्छे दाम मिल सकेंगे और रोजगार भी उपलब्ध होगा। इसी उद्देश्य से अच्छे दाम पर विक्रय के लिये प्रदेश में 1982 में खाद्य प्र-संस्करण विभाग की स्थापना की गई थी जो पूर्व में कृषि विभाग का हिस्सा था। वर्ष 2005 से उद्यानिकी के साथ है। प्रदेश में सूक्ष्म खाद्य ईकाइयों और प्र-संस्करण उद्यागों संवर्धन नीति-2014 के क्रम में खाद्य प्र-संस्करण उद्योगों को वित्तिय सहायता प्रदान की जाती है। 25 करोड़ तक की परियोजना में 10 प्रतिशत 2.5 करोड़ रूपये अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2018 से 2024-25 तक 85 करोड़ से अधिक राशि की 242 इकाइयां स्थापित हुई है। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना योजना में 2021-22 से 2024-25 तक 11597 ईकाइयों की रिकार्ड स्थापना हुई है। इसमें निजी ईकाइयों को अधिकतम 35 प्रतिशत तक क्रेडिट लिंक अनुदान दिया जाता है।